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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-मालदीव

  • 24 Feb 2021
  • 11 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत और मालदीव ने 50 मिलियन अमेरिकी डाॅलर के रक्षा क्षेत्र से जुड़े एक लाइन ऑफ क्रेडिट समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

  • भारत के विदेश मंत्री की मालदीव यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।

Maldives

प्रमुख बिंदु:

लाइन ऑफ क्रेडिट: 

  • समुद्री निगरानी में मालदीव के रक्षा बलों की क्षमता बढ़ाने हेतु भारत के समर्थन और सहयोग के लिये अप्रैल 2013 में मालदीव सरकार के अनुरोध तथा अक्तूबर 2015 एवं मार्च 2016 में इस अनुरोध को दोहराए जाने के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • इसे भारत और मालदीव के रणनीतिक हितों की कुंजी के रूप में देखा जा रहा है, विशेष रूप से वर्तमान में जब हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के हस्तक्षेप में वृद्धि देखी गई है।

डॉकयार्ड्स बनाने में सहायता: 

  • माले के उत्तर-पश्चिम में कुछ मील की दूरी पर उथुरु थिला फालु (Uthuru Thila Falhu- UTF) नौसेना बेस पर भारत की सहायता से एक डॉकयार्ड का निर्माण किया जाएगा, जो मालदीव की रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करेगा।
    • यह समझौते पर वर्ष 2016 में मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम की भारत यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किये गए जो कि रक्षा कार्य योजना का हिस्सा है।
  • भारत और मालदीव के बीच सिफावारु (Sifavaru) में एक मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स कोस्ट गार्ड हार्बर विकसित करने तथा इसे समर्थन प्रदान करने और इसके रखरखाव के लिये एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किये गए, जो दोनों देशों के बीच मज़बूत होते सुरक्षा सहयोग का संकेत देता है।
    • भारत इस बंदरगाह के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे (जैसे- संचार संसाधनों और रडार सेवाओं) के विकास में सहायता प्रदान करने के साथ ही प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।

आतंकवाद का मुकाबला:

  • दोनों देशों ने शीघ्र ही ‘जॉइंट वर्किंग ग्रुप ऑन काउंटर टेररिज़्म, काउंटरिंग वायलेंट एक्सट्रीमिज़्म एंड डी-रेडिकलाइजेशन’ (Joint Working Group on Counter Terrorism, countering Violent Extremism and De-radicalisation) की बैठक आयोजित करने पर प्रतिबद्धता व्यक्त की।

अवसंरचना परियोजनाओं की समीक्षा: 

  • भारतीय विदेश मंत्री ने इस यात्रा के दौरान ‘नेशनल कॉलेज ऑफ पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट स्टडीज़’ सहित कई भारत समर्थित बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की समीक्षा की। 

बहुपक्षीय निकायों में सहयोग:

  • इस यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्री और मालदीव की ओर से उनके समकक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) जैसे बहुपक्षीय निकायों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
    • मालदीव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिये समर्थन का आश्वासन दिया।
    • भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र की अध्यक्षता के लिये मालदीव की उम्मीदवारी के समर्थन की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

पुलिस सुधार में सहयोग: 

  • दोनों पक्षों ने प्रशिक्षण प्रबंधन और प्रशिक्षकों तथा प्रशिक्षुओं के आदान-प्रदान में सहयोग एवं सहभागिता बढ़ाने के लिये पुलिस संगठनों के बीच संपर्क को संस्थागत बनाने की प्रगति को रेखांकित किया।

भारत-मालदीव संबंध: 

  • भारत के लिये मालदीव का भू-सामरिक महत्त्व:   
    • इस द्वीप शृंखला के दक्षिणी और उत्तरी भाग में दो महत्त्वपूर्ण ‘सी लाइन्स ऑफ कम्युनिकेशन’  (Sea Lines Of Communication- SLOCs) स्थित हैं।
    • ये SLOC पश्चिम एशिया में अदन और होर्मुज़ की खाड़ी तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में मलक्का जलडमरूमध्य के बीच समुद्री व्यापार प्रवाह के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • भारत के विदेशी व्यापार का लगभग 50% और इसकी ऊर्जा आयात का 80% हिस्सा अरब सागर में इन SLOCs से होकर गुज़रता है।
  • महत्त्वपूर्ण समूहों का हिस्सा:  इसके अलावा भारत और मालदीव दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) और दक्षिण एशिया उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (एसएएसईसी) के सदस्य है।

भारत और मालदीव के बीच सहयोग:

  • रक्षा सहयोग: दशकों से भारत ने मालदीव की मांग पर उसे तात्कालिक आपातकालीन सहायता पहुँचाई है। 
    • वर्ष 1988 में जब हथियारबंद आतंकवादियों ने राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गय्यूम के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश की, तो भारत ने ‘ऑपरेशन कैक्टस’ (Operation Cactus) के तहत पैराट्रूपर्स और नेवी जहाज़ों को भेजकर वैध सरकार को पुनः बहाल किया।
    • भारत और मालदीव ‘एकुवेरिन’ (Ekuverin) नामक एक संयुक्त सैन्य अभ्यास का संचालन करते हैं।
  • आपदा प्रबंधन: वर्ष 2004 में सुनामी और इसके एक दशक बाद मालदीव में पेयजल संकट कुछ अन्य ऐसे मौके थे जब भारत ने उसे आपदा सहायता पहुँचाई।
    •  मालदीव, भारत द्वारा अपने सभी पड़ोसी देशों को उपलब्ध कराई जा रही COVID-19 सहायता और वैक्सीन के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक रहा है।
    • COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के अवरुद्ध रहने के दौरान भी भारत ने मिशन सागर (SAGAR) के तहत मालदीव को महत्त्वपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति जारी रखी।
  • नागरिक संपर्क: मालदीव के छात्र भारत के शैक्षिक संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करते हैं और भारत द्वारा विस्तारित उदार वीज़ा-मुक्त व्यवस्था का लाभ लेते हुए मालदीव के मरीज़ उच्च कोटि की स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त करने के लिये भारत आते हैं।
  • आर्थिक सहयोग: पर्यटन, मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। वर्तमान में मालदीव कुछ भारतीयों के लिये एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और कई अन्य भारतीय वहाँ  रोज़गार के लिये जाते हैं।
    • एक द्वीपीय देश के रूप में मालदीव की भौगोलिक सीमाओं को देखते हुए भारत ने इस राष्ट्र को आवश्यक वस्तुओं के निर्यात के मामले में प्रतिबंधों में छूट दी है।

चुनौतियाँ और तनाव:  

  • राजनीतिक अस्थिरता: भारत की सुरक्षा और विकास पर मालदीव की राजनीतिक अस्थिरता का संभावित प्रभाव, एक बड़ी चिंता का विषय है।
    • गौरतलब है कि फरवरी 2015 में आतंकवाद के आरोपों में मालदीव के विपक्षी नेता मोहम्मद नशीद की गिरफ्तारी और इसके बाद के राजनीतिक संकट ने भारत की नेबरहुड पाॅलिसी के लिये वास्तव में एक कूटनीतिक संकट खड़ा कर दिया था।
  • कट्टरपंथ: मालदीव में पिछले लगभग एक दशक में इस्लामिक स्टेट (आईएस) जैसे आतंकवादी समूहों और पाकिस्तान स्थित मदरसों तथा जिहादी समूहों की ओर झुकाव वाले नागरिकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
    • राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक-आर्थिक अनिश्चितता इस द्वीपीय राष्ट्र में इस्लामी कट्टरपंथ के उदय को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारक हैं।
    • यह पाकिस्तानी आतंकी समूहों द्वारा भारत और भारतीय हितों के खिलाफ आतंकवादी हमलों के लिये मालदीव के सुदूर द्वीपों को एक लॉन्च पैड के रूप में उपयोग करने की संभावना को जन्म देता है।
  • चीनी पक्ष:  हाल के वर्षों में भारत के पड़ोस में चीन के सामरिक दखल में वृद्धि देखने को मिली है। मालदीव दक्षिण एशिया में  चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (String of Pearls) रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरा है।
    • चीन-भारत संबंधों की अनिश्चितता को देखते हुए मालदीव में चीन की रणनीतिक उपस्थिति चिंता का विषय है।
    • इसके अलावा मालदीव ने भारत के साथ सौदेबाज़ी के लिये 'चाइना कार्ड' का उपयोग शुरू कर दिया है।

आगे की राह

  • भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग मालदीव के आस-पास वाले क्षेत्रों में संपर्क/आवागमन के महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्ग के साथ ही चीन की समुद्री एवं नौसैनिक गतिविधियों पर नज़र रखने के संदर्भ में भारत की क्षमता में वृद्धि करेगा।
  • सरकार की "नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी" के अनुसार, मालदीव जैसे स्थिर, समृद्ध और शांतिपूर्ण देश के विकास के लिये भारत एक प्रतिबद्ध भागीदार बना हुआ है।

स्रोत: द हिंदू

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