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उत्तर भारत में ग्रीष्म लहर

  • 26 May 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

ग्रीष्म लहर, भारत मौसम विज्ञान विभाग

मेन्स के लिये

स्वास्थ्य पर ग्रीष्म लहर का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में गर्मी का तीव्र प्रकोप देखने को मिल रहा है और राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के कुछ ज़िलों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो गया है, जो कि सामान्य तापमान से 5 डिग्री अधिक है।

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में राजस्थान के चुरू (Churu) में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में यह 46 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
  • गर्मी के तीव्र प्रकोप को देखते हुए राज्य व ज़िला प्रशासन ने आम लोगों को सावधानी बरतने की चेतावनी दी है।
  • तटीय आंध्र प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में भी तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया, जिससे इन क्षेत्रों में ग्रीष्म लहर (Heat Wave) की स्थिति पैदा हो गई है।
  • मौसम विशेषज्ञ मानते हैं कि उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में व्याप्त शुष्क उत्तर-पूर्वी हवाएँ इन क्षेत्र में तीव्र गर्मी का एक प्रमुख कारण है। 
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) ने उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों के लिये ग्रीष्म लहर (Heat Wave) की गंभीर स्थिति में प्रयोग किया जाने वाला ‘रेड अलर्ट’ (Red Alert) जारी किया है। 
  • IMD के अनुसार, दोपहर 1 से शाम 5 बजे के दौरान लोगों को सावधानी बरतने तथा घर से बाहर न निकलने के लिये ‘रेड अलर्ट’ जारी किया गया है, क्योंकि इस दौरान गर्मी की तीव्रता सबसे अधिक होती है।
  • गौरतलब है कि IMD किसी भी मौसम की गंभीरता के आधार पर इस प्रकार की चेतावनी जारी करता है, इसमें ‘ग्रीन अलर्ट’, ‘येलो अलर्ट’, ‘ऑरेंज अलर्ट’ और ‘रेड अलर्ट’ आदि शामिल हैं।

प्रभाव

  • ग्रीष्म लहर (Heat Wave) की चेतावनी ऐसे समय में जारी की गई है जब कोरोनावायरस (COVID-19) के प्रसार को रोकने के लिये लागू किये गए लॉकडाउन के बीच देश भर में लाखों प्रवासी मज़दूर अपने गृह राज्यों में वापस जा रहे हैं।
  • ऐसे में इन मज़दूरों के लिये अपने गृह राज्य तक का रास्ता तय करना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। भीषण गर्मी के अलावा मज़दूरों को आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। 
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority-NDMA) द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत के 23 राज्यों में 73 ग्रीष्म लहर (Heat Wave) देखी गईं थीं, जिसमें तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया था और इसके प्रभाव से लगभग 10 लोगों की मृत्यु हुई हो गई थी।

ग्रीष्म लहर (Heat Wave) का अर्थ?

  • विभिन्न देशों में उनके तापमान के आधार पर ग्रीष्म लहर (Heat Wave) को वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि एक ही अक्षांश पर तापमान में भिन्नता पाई जाती है।
  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization-WMO) ने वर्ष 2016 में प्रकाशित अपने दिशा-निर्देशों में तापमान और मानवीय गतिविधियों जैसे कुछ कारकों को ग्रीष्म लहर की तीव्रता के मानक आधार के रूप में चिह्नित किया था।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मैदानी क्षेत्रों में 40 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस तापमान को ग्रीष्म लहर के मानक के रूप में निर्धारित किया है।
  • जहाँ सामान्य तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है वहाँ 5 से 6 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने पर सामान्य तथा 7 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान बढ़ने पर गंभीर ग्रीष्म लहर की घटनाएँ होती हैं।
  • जहाँ सामान्य तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहता है वहाँ पर 4 से 5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ जाने पर सामान्य ग्रीष्म लहर और 6 डिग्री सेल्सियस से अधिक तामपान बढ़ने पर गंभीर ग्रीष्म लहर की घटनाएँ होती हैं।

स्रोत: द हिंदू

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