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शासन व्यवस्था

आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं के लिये ग्रेच्युटी

  • 26 Apr 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता, एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) 

मेन्स के लिये:

केंद्र प्रायोजित योजना, आधार, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस बात को स्वीकार किया गया है कि आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता ग्रेच्युटी (Gratuity) के हकदार हैं, जो कि एक बुनियादी सामाजिक सुरक्षा उपाय है।

प्रमुख बिंदु 

सर्वोच्च न्यायालय का मत:  

  • न्यायालय ने ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत ग्रेच्युटी भुगतान के उनके अधिकार को मान्यता दी है।
  • न्यायालय ने रेखांकित किया कि केंद्र और राज्यों के लिये आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं एवं सहायिकाओं की सेवा शर्तों को बेहतर बनाने पर "सामूहिक रूप से विचार" (Collectively Consider) करने का यह उचित समय है।
  • न्यायालय ने इस बात की ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि सार्वजनिक नीति में एकीकृत बाल विकास योजना (Integrated Child Development Scheme- ICDS) पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।  
    • यह योजना "बाल और महिला अधिकारों की प्राप्ति हेतु एक संस्थागत तंत्र" के रूप में कार्य करती है।  
    • फिर भी इन सेवाओं को लागू करने योग्य अधिकारों के बजाय राज्य चैरिटी के रूप में माना जाता है।
  • इस प्रकार सेवाओं के वितरण और सामुदायिक भागीदारी में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये उनकी सेवा शर्तों पर फिर से विचार करना आवश्यक है।

आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता: 

  • आँगनवाड़ी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वित एक केंद्र प्रायोजित योजना है जो भारत में  ग्रामीण बच्चों और मातृ देखभाल केंद्र के रूप में कार्य करती है।
  • इसकी शुरुआत वर्ष 1975 में भारत सरकार द्वारा बच्चों के भूख एवं  कुपोषण की समस्या से निपटने के लिये ICDS कार्यक्रम के हिस्से के रूप में की गई थी।
  • आँगनवाड़ी केंद्र छह प्रकार की सेवाएँ प्रदान करते हैं: पूरक पोषण, प्री-स्कूल अनौपचारिक शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जाँच, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा तथा निर्दिष्ट सेवाएँ।
  • आँगनवाड़ी सेवा योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान आधार के अंतर्गत की जाती है।

आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं का महत्त्व:

  • अदालत ने माना है कि लगभग 158 मिलियन बच्चें “जो देश के भावी संसाधन है”,  की पोषण संबंधी ज़रूरतों का आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता और सहायिकाएँ ख्याल रखती हैं।
  • आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं और सहायिकाओं ने वंचित क्षेत्रों में वंचित समूहों की ज़रूरतों को पूरा करने का कार्य किया है।
    • वे ICDS की रीढ़ हैं।
  • सामाजिक बाल देखभाल महिलाओं की आज़ादी में योगदान करता है। 
    • यह बच्चों की देखभाल के बोझ को हल्का करता है, महिलाओं के लिये रोज़गार का संभावित स्रोत प्रदान करता है, साथ ही उन्हें महिला संगठन बनाने का अवसर भी प्रदान करता है।

ग्रेच्युटी (उपदान):

  • ग्रेच्युटी एक ऐसा लाभ है जो ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के तहत देय है।
  • ग्रेच्युटी एक वित्तीय घटक है जो एक नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को संगठन में उसके द्वारा प्रदान की गई  सेवा के सम्मान में दिया जाता है।  
    • यह किसी कर्मचारी को मिलने वाले वेतन का एक हिस्सा होता है और इसे एक लाभ योजना के रूप में देखा जा सकता है, जिसे किसी व्यक्ति को उसकी सेवानिवृत्ति पर उसकी सहायता करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • एक नियोक्ता द्वारा ग्रेच्युटी का भुगतान तब किया जाता है, जब कोई कर्मचारी कम-से-कम 5 वर्ष की अवधि के लिये किसी संगठन की सेवा करने के बाद नौकरी छोड़ देता है। 
    • इसे एक कर्मचारी को नियोक्ता की निरंतर सेवा प्रदान करने हेतु वित्तीय "धन्यवाद" के रूप में भी माना जा सकता है।

विगत वर्षों के प्रश्न: 

प्रश्न: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत किये गए प्रावधानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. केवल बीपीएल श्रेणी में आने वाले परिवार ही सब्सिडी युक्त खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं।
  2. घर की सबसे उम्रदराज़ महिला, जिसकी उम्र 18 वर्ष या उससे ऊपर है, राशन कार्ड जारी करने के लिये घर की मुखिया होगी।
  3. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्था के दौरान तथा उसके बाद छह महीने तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी का 'टेक-होम राशन' मिलता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 2
(C) केवल 1 और 3
(D) केवल 3

उत्तर: (B)

व्याख्या:

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के माध्यम से सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को संबोधित किया गया है।  
  • 5 जुलाई, 2013 को अधिनियमित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) ने खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण में कल्याण से अधिकार-आधारित दृष्टिकोण में बदलाव को चिह्नित किया। 

स्रोत: द हिंदू

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