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जीएम सरसों को मिली सरकारी विनियामक से पर्यावरणीय मंजूरी

  • 12 May 2017
  • 5 min read

संदर्भ
जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee –GEAC) ने जी.एम. सरसों के कृषि में उपयोग को पर्यावरणीय मंज़ूरी प्रदान कर दी है| हालाँकि, इसे अभी वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का अनुमोदन प्राप्त होना शेष है|

प्रमुख बिंदु

  • जी.एम. सरसों (GM mustard) ऐसी पहली ट्रांसजेनिक खाद्य फसल होगी जिसे भारत में वाणिज्यिक कृषि के लिये अनुमति प्रदान की जाएगी| इस प्रकार अनुवांशिक रूप से संशोधित अन्य खाद्य फसलों के वाणिज्यिक उपयोग का मार्ग भी प्रशस्त होगा|
  • हालाँकि यह पहली बार नहीं है जब जी.ई.ए.सी. ने किसी ट्रांसजेनिक खाद्य फसल के वाणिज्यिक उपयोग को स्वीकृति प्रदान की है|
  • इससे पूर्व वर्ष 2010 में समिति ने बीटी बैंगन के वाणिज्यिक उपयोग को स्वीकृति प्रदान की थी, परन्तु उस समय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था| मंत्रालय के अनुसार, इसके सुरक्षा परीक्षण में कई कमियाँ थीं|
  • जी.ई.ए.सी. ने खेत की स्थितियों को देखते हुए इसे चार वर्षों के लिये स्वीकृति प्रदान की है| यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है| इसकी सुरक्षा संबंधी चिंताओं तथा ऐसे पौधे की आवश्यकता पर प्रख्यात विशेषज्ञों द्वारा विचार-विमर्श किया गया था| जैव सुरक्षा चिंताओं के अतिरिक्त भारत की वैज्ञानिक प्रासंगिकता के लिये ट्रांसजेनिक प्रौद्योगिकी आवश्यक है| इसके अतिरिक्त, इस प्रौद्योगिकी की सहायता से उन्नत बीजों का उत्पादन भी किया जा सकता है|
  • दिल्ली विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा ‘धारा मस्टर्ड हाइब्रिड’ (Dhara DMH -11) का विकास किया जा रहा है| संक्षेप में, इसमें मृदा के जीवाणुओं की गुणसूत्र व्यवस्था का उपयोग किया जाता है जिससे सरसों सामान्यतः एक स्वपरागण वाला पौधा बन जाता है| इस प्रकार, यह वर्तमान में उपलब्ध तरीकों की तुलना में संकरण के लिये अधिक उपयुक्त होता है|
  • हालाँकि कई कार्यकर्ताओं का यह मानना है कि डी.एम.एच. -11 पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आँकड़े यह दर्शाते हैं कि इसकी उपज सरसों की मौजूदा किस्मों से बेहतर नहीं है| 

जीएम फसलें (GM crops)

  • अनुवांशिक रूप से संशोधित फसलें (genetically modified crops- GM crops) ऐसे पौधे हैं जिनका उपयोग कृषि में किया जाता है| 
  • इनके डीएनए को जेनेटिक इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग करके संशोधित किया जाता है| 
  • इसका उद्देश्य पौधों की एक ऐसी नई किस्म का विकास करना होता है जो पौधों की प्रजातियों में प्राकृतिक रूप से नहीं पाई जाती है|

क्या है जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति?

  • जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEFCC) के अंतर्गत स्थापित किया गया है|
  • इसका कार्य अनुवांशिक रूप से संशोधित सूक्ष्म जीवों और उत्पादों के कृषि में उपयोग को स्वीकृति प्रदान करना है|
  • विदित हो कि जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति आनुवंशिक रूप से संशोधित बीजों के लिये स्थापित किया गया भारत का सर्वोच्च नियामक है| 

बीटी (Bt) तथा बीटी फसलें (Bt crops) क्या है?

  • बेसिलस थुरिनजेनेसिस (bacillus thuringiensis –Bt) एक जीवाणु है जो प्राकृतिक रूप से क्रिस्टल प्रोटीन उत्पन्न करता है| यह प्रोटीन कीटों के लिये हानिकारक होता है|
  • बीटी फसलों का नाम बेसिलस थुरिनजेनेसिस (bacillus thuringiensis -Bt) के नाम पर रखा गया है|
  • बीटी फसलें ऐसी फसलें होती है जो बेसिलस थुरिनजेनेसिस नामक जीवाणु के समान ही विषाक्त पदार्थ को उत्पन्न करती हैं ताकि फसल का कीटों से बचाव किया जा सके|
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