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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

फेक न्यूज़ की रोकथाम हेतु वैश्विक पहल

  • 04 Apr 2017
  • 6 min read

गौरतलब है कि तकनीकी उद्योगों और शैक्षणिक संगठनों ने नकली समाचारों या ‘फेक-न्यूज़’ के प्रसार को रोकने, समाचार साक्षरता को बढ़ावा देने और पत्रकारिता की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिये एक साथ कार्य करने की पहल की है। इस कार्य के लिये वैश्विक स्तर पर $ 14 मिलियन की प्रारंभिक योजना बनाई गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • तकनीकी उद्योग और शैक्षणिक संगठनों की वैश्विक गठबंधन ने नकली समाचार (Fake News) से निपटने और पत्रकारिता की सार्वजनिक समझ में सुधार के लिये सोमवार 3 अप्रैल 2017 को एक साथ काम करने की योजना बनाई। 
  • इस वैश्विक पहल को ‘न्यूज़ इंटिग्रिटी इनिशिएटिव’ (News Integrity Initiative ) नाम दिया गया। 
  • विदित हो कि इस योजना को $ 14 मिलियन के साथ प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। जिसमें फेसबुक, फोर्ड फाउंडेशन (Ford Foundation), मोज़िला (Mozilla) एवं न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता स्कूल इत्यादि प्रमुख सहभागी होंगे।
  • फेसबुक और गूगल द्वारा पहले से ही गलत जानकारी को बढ़ावा देने वाली समाचार साइटों पर विज्ञापनों की आय में कटौती के लिये कदम उठाए गए हैं।
  • ध्यातव्य है कि हाल ही में फेसबुक ने एक ‘पत्रकारिता परियोजना’ शुरू की है जिसका उद्देश्य समाचार पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करना और गलत सूचनाओं की पहचान करना है। इस प्रकार फेसबुक इस परियोजना के माध्यम से पहले से ही इस पहल में शामिल हो गया है।
  • अन्य प्रमुख सहयोगियों में एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी, इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स, न्यूज़ लिटरेसी प्रोजेक्ट, ट्रस्ट प्रोजेक्ट और जनसंपर्क समूह वेबर शेंडविक (Weber Shandwick) शामिल हैं।
  • समाचार साक्षरता को विकसित कर पत्रकारिता में विश्वास बढ़ाना और सार्वजनिक बातचीत को बेहतर ढंग से संचालित करना इस पहल का प्रमुख उद्देश्य है।

समाचार साक्षरता 

समाचार साक्षरता एक वैश्विक चिंता है। आम लोगों के लिये भ्रामक समाचार सामग्री की पहचान करने में सक्षम होना महत्त्वपूर्ण है। 

  • सोशल मीडिया या किसी भी अन्य प्लेटफ़ॉर्म पर, हर जगह दिखाए जाने वाले समाचार सही हैं या गलत- इस बारे में समझदारी बेहद आवश्यक है। यह ऐसी समस्या नहीं है, जिसे अकेले हल किया जा सके।
  • इसके अतिरिक्त आजकल विभिन्न स्रोतों द्वारा यह दिखाया जाता है कि कैसे नकली समाचारों के माध्यम से ऑनलाइन विज्ञापन इत्यादि द्वारा आय अर्जित की जा सकती है। फेसबुक और गूगल ने भी गलत सूचनाओं को प्रसारित करने के प्रयासों को अप्रत्यक्ष रूप से एक मंच प्रदान किया है।
  • इसलिये लोगों को बेहतर उपकरण और बेहतर जानकारी उपलब्ध कराना आवश्यक है ताकि उनमें समझ पैदा हो और वे गलत ख़बरों, अफवाहों, नकली समाचारों इत्यादि को गंभीर पत्रकारिता से अलग करने में सक्षम हो सकें।

हाल में चर्चा में रहे नकली समाचारों से संबंधित मुद्दे

  • अमेरिकी चुनाव अभियान में, सोशल मीडिया पर मतदाताओं को लक्षित कर फैलाई गईं ख़बरों के गलत सिद्ध होने के बाद नकली समाचार एक गंभीर मुद्दा बन गया। 
  • यूरोप में चुनावों को प्रभावित करने वाले धोखाधड़ी के मामलों और गलत सूचनाओं के बारे में चिंताएँ जताई गईं। 
  • ध्यातव्य है कि फरवरी 2017 में, 37  फ्रेंच और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स के एक समूह ने गूगल द्वारा समर्थित, फ्राँसीसी राष्ट्रपति चुनावों को प्रभावित करने वाली नकली सूचनाओं का पता लगाने के उद्देश्य से ‘क्रॉस-चेक’ (CrossCheck) नामक एक तथ्य-जाँच मंच का शुभारंभ किया था।

इस पहल में शामिल प्रमुख संगठन 

  • झूठी खबरों का सामना करने और विश्व स्तर पर चुनौतियों का सामना करने के लिये इस परियोजना को दुनियाभर में कई संगठनों का समर्थन प्राप्त हो चुका है। इस पहल में शामिल प्रमुख संगठन निम्नलिखित हैं-
  • आरहस विश्वविद्यालय (Aarhus University) डेनमार्क के रचनात्मक संस्थान,
  • नीदरलैंड्स स्थित यूरोपीय पत्रकारिता केंद्र, 
  • फण्डैसियन गेब्रियल गार्सिया मार्केज पैरा अल न्यूवो पेरीडिस्मो इबेरोमेरिकानो (Fundacion Gabriel Garcia Marquez para el Nuevo Periodismo Iberoamericano) कोलंबिया,
  • हैम्बर्ग मीडिया स्कूल (Hamburg Media School) और हेंस-ब्रेडो-इंस्टीट्यूट (Hans-Bredow-Institut) जर्मनी,
  • लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पॉलिस मीडिया डिपार्टमेंट (Polis media department),
  • फ्राँस का विज्ञान पो विश्वविद्यालय (France’s Sciences Po university),
  • एशिया में हांगकांग स्थित प्रकाशक सोसाइटी (Hong Kong-based Society of Publishers in Asia),
  • ऑस्ट्रेलिया में वाक्ले फाउंडेशन (Walkley Foundation),
  • यूनेस्को (UNESCO).
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