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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

आनुवंशिक रूप से संशोधित मच्छर

  • 23 Apr 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आनुवंशिक रूप से संशोधित मच्छर, डेंगू, जीका, येलो फीवर

मेन्स के लिये:

स्वास्थ्य, रोग।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका ने आनुवंशिक रूप से इंजीनियर मच्छरों (Engineered Mosquitoes) का खुली हवा में एक अध्ययन किया जिसके आशाजनक परिणाम प्राप्त हुए हैं।

  • इस अध्ययन का उद्देश्य जंगली एडीज़ इजिप्टी मच्छरों (Aedes Aegypti Mosquitoes) की आबादी को कम करना है, जो कि चिकनगुनिया, डेंगू, ज़ीका और येलो फीवर/पीत-ज्वर जैसे वायरस का वाहक हैं।
  • ब्राज़ील, पनामा, कैमन आइलैंड और मलेशिया में मच्छरों का पहले ही परीक्षण किया जा चुका है, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका में ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया गया था।

Genetically-Modified

आनुवंशिक रूप से संशोधित मच्छर क्या हैं?

  • आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) मच्छरों का उत्पादन दो प्रकार के जीन के लिये प्रयोगशाला में बड़े पैमाने पर जाता है:
    • स्व-सीमित जीन (Self-Limiting Gene) जो मादा मच्छरों को वयस्कता तक जीवित रहने से रोकता है।
    • फ्लोरोसेंट मार्कर जीन (Fluorescent Marker Gene) जो एक विशेष प्रकार के लाल प्रकाश की उपस्थिति में चमकता है। यह शोधकर्त्ताओं को जंगल में जीएम मच्छरों की पहचान करने में  सक्षम बनाता है।
  • प्रयोगशाला में उत्पादित जीएम मच्छर जब अंडे देते हैं तो इन अंडों में स्व-सीमित और फ्लोरोसेंट मार्कर जीन होते हैं।
  • जीएम मच्छर के स्व-सीमित जीन वाले अंडों को एक क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है और जब वे परिपक्व हो जाते हैं तथा वयस्क अवस्था में विकसित हो जाते हैं, तो वे जंगली मादाओं के साथ मिलन के लिये सक्षम होते हैं एवं ये जीन संतानों स्थानांतरित हो जाते हैं।
    • नर मच्छरों में एक प्रोटीन (tTAV-OX5034 प्रोटीन) होता है जो मादा OX5034 मच्छरों के (जंगली मादा मच्छरों) के साथ संभोग करने पर मादा संतान को जीवित रहने से रोकता है।
  • मादा संतान वयस्क होने से पहले ही मर जाती है। परिणामतः क्षेत्र में एडीज़ इजिप्टी मच्छरों की संख्या कम हो जाती है।

संबंधित चिंताएँ:

  • किसी बीमारी के प्रसार को रोकने के लिये मच्छरों  की आबादी को नियंत्रित करने हेतु मच्छरों  को आनुवंशिक रूप से संशोधित करना कोई नया विचार नहीं है। इसी तरह के प्रयास एक दशक पहले भी  शुरू हुए थे, अब वैज्ञानिक बीमारियों को रोकने के लिये टिक  बनाने  का प्रयास कर रहे हैं। 
  • संशोधित मच्छरों से लोगों को नुकसान पहुँचाने से लेकर मच्छरों को खाने वाली प्रजातियों पर इसके प्रभाव और अन्य अनपेक्षित परिणामों जैसे घातक वायरस के उद्भव को लेकर भी चिंताएँ हैं ।
  • विशेषज्ञों का यह भी मानना ​​है कि संभावित प्रकोप को रोकने के लिये वायरस फैलाने वाले मच्छरों की आबादी को कम करना ही पर्याप्त नहीं है।

ज़ीका वायरस (Zika Virus):

  • ज़ीका वायरस एक मच्छर जनित फ्लेविवायरस है जिसे पहली बार वर्ष 1947 में युगांडा में बंदरों में पहचाना गया था। 
  • इसे बाद में वर्ष 1952 में युगांडा और संयुक्त गणराज्य तंजानिया में मनुष्यों में पहचाना गया। ज़ीका वायरस रोग का प्रकोप अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में दर्ज किया गया है।
  • ज़ीका वायरस रोग मुख्य रूप से एडीज़ मच्छरों द्वारा प्रसारित एक वायरस के कारण होता है और गर्भवती महिला से उसके भ्रूण में जा सकता है।
  • ज़ीका वायरस का यौन संचरण भी संभव है।
  • ज़ीका के लिये कोई टीका या दवा नहीं है। इसके बजाय लक्षणों से राहत पाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है और इसमें बुखार व दर्द के निवारण के लिये आराम, पुनर्जलीकरण तथा एसिटामिनोफेन शामिल हैं।

डेंगू:

  • डेंगू का प्रसार मच्छरों की कई जीनस एडीज़ (Genus Aedes) प्रजातियों मुख्य रूप से एडीज़ इजिप्टी (Aedes Aegypti) द्वारा होता है।
  • इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द तथा खसरे के समान त्वचा पर लाल चकत्ते शामिल हैं। 
  • डेंगू के टीके CYD-TDV या डेंगवाक्सिया (CYD-TDV or Dengvaxia) को लगभग 20 देशों में स्वीकृति प्रदान की गई है। 

चिकनगुनिया:

  • चिकनगुनिया मच्छर जनित वायरस के कारण होता है।
  • यह एडीज़ एजिप्टी (Aedes Aegypti) और एडीज़ एल्बोपिक्टस मच्छरों (Albopictus Mosquitoes) द्वारा फैलता है।
  • इसके लक्षणों में अचानक बुखार, जोड़ों का तेज़ दर्द, अक्सर हाथों और पैरों में दर्द, साथ ही इसमें सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, शरीर में सूजन या दाने हो सकते हैं।
  • चिकनगुनिया के उपचार के लिये न तो कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा उपलब्ध है और न ही कोई वाणिज्यिक चिकनगुनिया (Commercial Chikungunya) टीका। 

पीत ज्वर (Yellow Fever):

  • पीत ज्वर मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है। यह पीलिया (Jaundice) के समान होती है, इसीलिये इसे पीत/पीला (Yellow) ज्वर  के नाम से भी जाना जाता है।
  • पीत ज्वर के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, पीलिया, मांसपेशियों में दर्द, मतली, उल्टी और थकान शामिल हैं।
  • पीत-ज्वर को सामान्यतः ‘17D’ भी कहा जाता है। आमतौर पर यह टीका (Vaccine) सुरक्षित माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पीत ज्वर को एक अत्यंत प्रभावी टीके की सिर्फ एक खुराक से रोका जा सकता  है, जो सुरक्षित और किफ़ायती  होने के साथ-साथ इस बीमारी के खिलाफ निरंतर प्रतिरक्षा एवं जीवन भर सुरक्षा प्रदान करने के लिये पर्याप्त है।
  • हालाँकि इसके संबंध में किये गए अनुसंधानों एवं कुछ रिपोर्ट से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीत ज्वर संबंधी टीकाकरण के बाद शरीर के कई तंत्रों के खराब होने या सही से काम न करने की बातें सामने आई हैं, यहाँ तक कि इसके कारण कुछ लोगों की मृत्यु तक हो गई।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों  के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ज़ीका वायरस रोग उसी मच्छर द्वारा फैलता है जो डेंगू का प्रसार करता है।
  2. ज़ीका वायरस रोग यौन संचरण द्वारा संभव है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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