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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

G7 डिजिटल व्यापार सिद्धांत

  • 23 Oct 2021
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जी-7 

मेन्स के लिये:

डेटा स्थानीयकरण और डिजिटल व्यापार से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जी-7 (G7) धनी देशों ने सीमा पार डेटा उपयोग और डिजिटल व्यापार को नियंत्रित करने के लिये सिद्धांतों के एक संयुक्त सेट पर सहमति व्यक्त की।

  • यह सौदा व्यापार बाधाओं को कम करने की दिशा में पहला कदम है और इससे डिजिटल व्यापार संबंधी एक सामान्य नियम पुस्तिका बन सकती है।
  • इससे पहले भारत 47वें G7 शिखर सम्मेलन में अतिथि देश के रूप में शामिल हुआ था।

प्रमुख बिंदु

  • डिजिटल व्यापार: इसे मोटे तौर पर वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार के रूप में परिभाषित किया जाता है जो सक्षम या डिजिटल रूप से वितरित किया जाता है, जिसमें फिल्मों तथा टीवी कार्यक्रमों के वितरण से लेकर पेशेवर सेवाओं तक की गतिविधियाँ शामिल हैं।
  • G7 डिजिटल व्यापार सिद्धांत:
    • ओपन डिजिटल मार्केट्स: डिजिटल और दूरसंचार बाज़ार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं निवेश के लिये प्रतिस्पर्द्धी, पारदर्शी, निष्पक्ष और सुलभ होना चाहिये।
    • सीमा पार डेटा प्रवाह: डिजिटल अर्थव्यवस्था को अवसरों का उपयोग करने और वस्तुओं तथा सेवाओं के व्यापार का समर्थन करने के लिये डेटा को व्यक्तियों तथा व्यवसायों के विश्वास सहित सीमाओं के पार स्वतंत्र रूप से प्रवाहित करने में सक्षम होना चाहिये।
    • कामगारों, उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिये सुरक्षा उपाय: उन श्रमिकों के लिये श्रम सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिये जो सीधे तौर पर डिजिटल व्यापार में लगे हुए हैं या उनका समर्थन करते हैं।
    • डिजिटल ट्रेडिंग सिस्टम: लालफीताशाही को कम करने और अधिक व्यवसायों के साथ व्यापार करने में सक्षम बनाने के लिये सरकारों तथा उद्योग को व्यापार से संबंधित दस्तावेज़ों के डिजिटलीकरण की दिशा में बढ़ना चाहिये।
    • निष्पक्ष और समावेशी वैश्विक शासन: विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा डिजिटल व्यापार के लिये सामान्य नियमों पर सहमति और समर्थन प्रदान किया जाना चाहिये।
      • इन नियमों से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में श्रमिकों, उपभोक्ताओं और व्यवसायों को लाभ होना चाहिये, जबकि वैध सार्वजनिक नीति उद्देश्यों हेतु प्रत्येक देश के विनियमन के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिये।
  • महत्त्व:
    • मध्यम मार्ग: यह सौदा यूरोपीय देशों में उपयोग की जाने वाली अत्यधिक विनियमित डेटा सुरक्षा व्यवस्था और संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिक खुले दृष्टिकोण के बीच एक मध्यम मार्ग निर्धारित करता है।
      • गोपनीयता, डेटा संरक्षण, बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा और सुरक्षा को संबोधित करते हुए इस सौदे में सीमा पार डेटा प्रवाह में अनुचित बाधाओं को दूर करने की परिकल्पना की गई है।
    • डिजिटल व्यापार को उदार बनाना: अभिजात वर्ग के वैश्विक समूह द्वारा किये गए समझौते को महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह सैकड़ों अरबों डॉलर के डिजिटल व्यापार को उदार बना सकता है।
      • डिजिटल निर्यात के योगदान को और विस्तारित करने के लिये डेटा के सीमा पार प्रवाह को सक्षम बनाने, संसाधित तथा संग्रहीत करने के लिये ढाँचे को स्पष्ट करना  आवश्यक होगा।
  • संबंधित मुद्दे:

डेटा स्थानीयकरण 

  • परिचय: डेटा स्थानीयकरण का तात्पर्य किसी भी डिवाइस (जो भौतिक रूप से उसी देश की सीमाओं के भीतर मौजूद हो जहाँ डेटा की उत्पत्ति हुई है) पर डेटा को संग्रहीत करने से है। अभी तक इस डेटा का अधिकांश भाग भारत के बाहर क्लाउड में संग्रहीत है।
    • स्थानीयकरण डेटा एकत्र करने वाली कंपनियों के लिये यह अनिवार्य करता है कि उपभोक्ताओं से संबंधित महत्त्वपूर्ण डेटा को उन्हें देश की सीमाओं के भीतर ही संग्रहीत और संसाधित करना होगा।
  • डेटा स्थानीयकरण के लाभ:
    • यह नागरिकों के डेटा को सुरक्षित करने और विदेशी निगरानी से डेटा को गोपनीयता बनाए रखने के साथ ही डेटा संप्रभुता प्रदान करता है। उदाहरण- फेसबुक ने मतदान को प्रभावित करने के लिये कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ उपयोगकर्त्ताओं के डेटा को साझा किया।
    • डेटा तक निरंकुश पर्यवेक्षी पहुँच भारतीय कानून प्रवर्तन को बेहतर निगरानी सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
  • डेटा स्थानीयकरण से नुकसान:
    • कई स्थानीय डेटा केंद्रों को बनाए रखने के लिये बुनियादी ढाँचे में महत्त्वपूर्ण निवेश करना पड़ सकता है और वैश्विक कंपनियों के लिये इसकी लागत उच्च हो सकती है।
    • स्प्लिंटरनेट या 'फ्रैक्चर्ड इंटरनेट' जहाँ संरक्षणवादी नीति का दूरगामी प्रभाव अन्य देशों को वाद/मुकदमेबाज़ी का अनुसरण करने के लिये प्रेरित कर सकता है।
  • भारतीय परिदृश्य:
    • हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने तीन विदेशी कार्ड भुगतान नेटवर्क फर्मों को भारत में डेटा संग्रहण के मुद्दे पर नए ग्राहक बनाने से रोक दिया है।
    • भारत डेटा सुरक्षा पर एक व्यापक कानून, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 पर विचार कर रहा है।
    • विधेयक के अनुसार, केंद्र सरकार व्यक्तिगत डेटा की श्रेणियों को महत्त्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा के रूप में अधिसूचित करेगी जिसे केवल भारत में स्थित सर्वर या डेटा सेंटर में संसाधित किया जाएगा।
    • न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्ण समिति ने डेटा संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना और सीमा पार डेटा प्रवाह पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।
    • भारत ई-कॉमर्स पर किसी भी वैश्विक समझौते में शामिल होने का विरोध कर रहा है, प्रधानमंत्री ने हाल ही में आयोजित जी-20 सम्मेलन में सीमा पार डेटा प्रवाह को बढ़ावा देने वाले ओसाका ट्रैक (Osaka Track) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।

आगे की राह

  • वैश्विक साइबर सुरक्षा ढाँचा: गोपनीयता और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों को संबोधित करने के लिये अच्छे नियामक ढाँचे का होना आवश्यक है।
    • इस प्रकार डिजिटल व्यापार के मुक्त प्रवाह हेतु बातचीत के दौरान साइबर सुरक्षा के लिये एक वैश्विक ढाँचा स्थापित किया जाना चाहिये।
  • नौकरशाही की बाधाओं को दूर करना: डिजिटल व्यापार के सकारात्मक प्रभाव को अधिकतम करने के लिये डिजिटल उद्यमों पर अनुचित लालफीताशाही, सीमा पार डेटा प्रवाह पर प्रतिबंध और कॉपीराइट में असंतुलन तथा मध्यवर्ती देयता नियमों जैसे मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता है।
  • भारत की भूमिका: भारत के लिये न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी अपनी विभिन्न द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार वार्ताओं में सुविधाजनक डिजिटल व्यापार नियमों को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाने का अवसर है।

स्रोत: द हिंदू

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