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भारतीय अर्थव्यवस्था

एशिया एवं प्रशांत का आर्थिक व सामाजिक सर्वेक्षण, 2021: UNESCAP

  • 02 Apr 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एशिया एवं प्रशांत के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक आयोग (United Nations Economic and Social Commission for Asia and the Pacific – UNESCAP) ने एशिया एवं प्रशांत का आर्थिक व सामाजिक सर्वेक्षण (Economic and Social Survey of Asia and the Pacific), 2021 शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि दर वर्ष 2021-22 में 7% रहने का अनुमान है, जबकि सामान्य व्यावसायिक गतिविधियों (Normal Business Activity) पर महामारी के प्रभाव के कारण पिछले वित्त वर्ष (2020-21) में 7.7% का संकुचन देखा गया था।

प्रमुख बिंदु

भारत के संबंध में अन्य अवलोकन:

  • हालाँकि कोविड-19 मामलों में कमी तथा टीकाकरण शुरू होने के बावजूद वर्ष 2021 में भारत का आर्थिक उत्पादन वर्ष 2019 के स्तर से नीचे रहने का अनुमान है.
  • महामारी का प्रकोप शुरू होने से पहले ही भारत में सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) का विकास और निवेश धीमा पड़ चुका था।
    • कोरोनावायरस महामारी की रोकथाम के लिये भारत में लगाया गया लॉकडाउन विश्व के सबसे कड़े लॉकडाउन में से एक था तथा वर्ष 2020 में देश में गंभीर आर्थिक बाधाएँ अपने चरम पर थीं।
  • लॉकडाउन नीतियों में बदलाव और संक्रमण दर (Infection Rates) में कमी की वजह से वर्ष 2020 के अंतिम महीनों में एक प्रभावशाली आर्थिक बदलाव देखा गया।

चुनौतियाँ: रिपोर्ट में भारत में हो रही तीव्र रिकवरी हेतु निम्नलिखित दो बड़ी चुनौतियों का उल्लेख किया गया है।

  • कम उधारी लागत को बनाए रखना।
  • नॉन-परफॉर्मिंग लोन को रोक कर रखना।

एशिया-प्रशांत देशों के संदर्भ में अवलोकन:

  • लोगों और ग्रह के संदर्भ में अनुकूलन तथा निवेश की कमी के कारण कोविड-19 महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव में वृद्धि हुई है।
  • चीन ने कोविड-19 से निपटने के लिये तुरंत और प्रभावी कदम उठाए हैं। वह विश्व में एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था वाला ऐसा देश है जिसने वर्ष 2020 में सकारात्मक वृद्धि दर हासिल करने में सफलता प्राप्त की।
  • विकासशील एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर औसतन वर्ष 2021 में 5.9% और वर्ष 2022 में 5% रहने की उम्मीद है।
  • K- शेप्ड रिकवरी जो कि महामारी के बाद देशों में असमान रिकवरी तथा देशों के भीतर असमानता में वृद्धि को दर्शाती है, को एक प्रमुख नीति चुनौती के रूप में प्रदर्शित किया गया है।

K- शेप्ड रिकवरी

  • जब मंदी के बाद अर्थव्यवस्था के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग दर, समय या परिमाण में ‘रिकवरी’ होती है तो उसे K-शेप्ड इकोनॉमिक रिकवरी कहते हैं । यह विभिन्न क्षेत्रों, उद्योगों या लोगों के समूहों में समान ‘रिकवरी’ के सिद्धांत के विपरीत है।
  • के-शेप्ड इकोनॉमिक रिकवरी से अर्थव्यवस्था की संरचना में व्यापक परिवर्तन होता है और आर्थिक परिणाम मंदी के पहले तथा बाद में मौलिक रूप से बदल जाते हैं।
  • इस प्रकार की रिकवरी को ‘K-शेप्ड इकोनॉमिक रिकवरी’ इसलिये कहा जाता है क्योंकि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र जब एक मार्ग पर साथ चलते हैं तो डायवर्ज़न के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जो रोमन अक्षर ‘K’ की दो भुजाओं से मिलती-जुलती है।

K-shaped-recovery

सुझाव:

  • रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था में मज़बूती और समावेशी पुनरुद्धार के लिये विभिन्न देशों द्वारा  कोविड-19 टीकाकरण में अधिक समन्वय तथा क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
  • इसमें सिफारिश की गई है कि अर्थव्यस्थाओं को राजकोषीय और मौद्रिक समर्थन जारी रखा जाना चाहिये क्योंकि यदि समय से पहले इस प्रकार के समर्थन को वापस ले लिया जाता है तो दीर्घकालीन समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
  • नीति समर्थन में निरंतरता बहुत जरूरी है और रिकवरी पॉलिसी पैकेजों में सतत् विकास हेतु एजेंडा 2030 (2030 Agenda for Sustainable Development) को लचीलापन बनाकर निवेश करने पर ध्यान देना चाहिये।
  • विभिन्न आर्थिक और गैर-आर्थिक नुकसानों से बचने हेतु योजना बनाने एवं नीति निर्धारण के लिये एक अधिक एकीकृत जोखिम प्रबंधन दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

Enhancing-Resilience

एशिया एवं प्रशांत का आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण

  • एशिया और प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक सर्वेक्षण की प्रगति पर वर्ष 1947 से प्रतिवर्ष प्रस्तुत की जाने वाली यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी रिपोर्ट है।
  •  यह सर्वेक्षण क्षेत्रीय प्रगति के बारे में जानकारी देने के साथ वर्तमान व उभरते सामाजिक-आर्थिक मुद्दों तथा नीतिगत चुनौतियों पर अत्याधुनिक विश्लेषण एवं चर्चा के लिये  मार्गदर्शन प्रदान करता है और क्षेत्र में समावेशी एवं सतत् विकास का समर्थन करता है।
  • इस सर्वेक्षण में वर्ष 1957 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण पहलू और चुनौती से संबंधित अध्ययन शामिल किये जाते हैं।
  • वर्ष 2021 का सर्वेक्षण कोविड-19 महामारी के प्रभाव का अध्ययन करता है और कोविड-19 के चलते अर्थव्यवस्थाओं के लचीलेपन हेतु अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग

  • एशिया और प्रशांत के लिये संयुक्त राष्ट्र का आर्थिक और सामाजिक आयोग (Economic and Social Commission for Asia and the Pacific- ESCAP) एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र की एक क्षेत्रीय विकास शाखा है।
  • यह 53 सदस्य देशों और 9 एसोसिएट सदस्यों से बना एक आयोग है। 
  • इसकी स्थापना 1947 में की गई थी।
  • इसका मुख्यालय थाईलैंड के बैंकॉक शहर में है।
  • उद्देश्य: यह सदस्य राज्यों हेतु परिणामोन्मुखी परियोजनाओं के विकास, तकनीकी सहायता प्रदान करने और क्षमता निर्माण जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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