भारतीय राजव्यवस्था
पहला ऑडिट दिवस : कैग
- 17 Nov 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने पहले ऑडिट दिवस (16 नवंबर, 2021) को चिह्नित करने के लिये भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के कार्यालय में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण किया।
- यह कैग (CAG) संस्थान की ऐतिहासिक स्थापना को चिह्नित करने के लिये मनाया जाता है। इसका उद्देश्य पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने हेतु कैग (CAG) के समृद्ध योगदान को उज़ागर करना है।
- गिरीश चंद्र मुर्मू ने 8 अगस्त, 2020 को भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के रूप में पदभार ग्रहण किया।
प्रमुख बिंदु
- संवैधानिक निकाय: अनुच्छेद 148 कैग के एक स्वतंत्र कार्यालय का प्रावधान करता है। यह भारत की सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था है।
- CAG से संबंधित अन्य प्रावधानों में शामिल हैं: अनुच्छेद 149 (कर्त्तव्य और शक्तियाँ), अनुच्छेद 150 (संघ और राज्यों के खातों का विवरण), अनुच्छेद 151 (CAG की रिपोर्ट), अनुच्छेद 279 (‘शुद्ध आय’ की गणना आदि) तथा तीसरी अनुसूची (शपथ या प्रतिज्ञान) और छठी अनुसूची (असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन)।
- संक्षिप्त विवरण:
- भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग के प्रमुख - 1753 में बनाए गए।
- वह लोक व्यय का संरक्षक होने के साथ-साथ केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर देश की संपूर्ण वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित करता है।
- CAG को भारत सरकार की लोकतांत्रिक प्रणाली में एक संरक्षक दीवार कहा जाता है।
- अन्य संस्थाओं में सर्वोच्च न्यायालय, निर्वाचन आयोग और संघ लोक सेवा आयोग शामिल हैं।
- वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में कार्यपालिका (अर्थात् मंत्रिपरिषद) की संसद के प्रति जवाबदेही CAG की लेखापरीक्षा रिपोर्टों के माध्यम से सुनिश्चित की जाती है।
- नियुक्ति: उसे भारत के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और मुहर लगे एक अधिपत्र (Warrant) द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- कार्यकाल: इसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है। ( दोनों में से जो भी पहले हो)
- निष्कासन: CAG को राष्ट्रपति द्वारा उसी आधार पर और उसी तरह हटाया जा सकता है जिस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है। वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपना पद धारण नहीं करता है।
- दूसरे शब्दों में उसे राष्ट्रपति द्वारा संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित एक प्रस्ताव के आधार पर या तो साबित दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर हटाया जा सकता है।
- अन्य संबंधित बिंदु:
- वह कार्यकाल समाप्त होने के बाद भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार के अधीन किसी अन्य रोज़गार हेतु पात्र नहीं होगा।
- वेतन और अन्य सेवा शर्तें संसद द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
- CAG के कार्यालय का प्रशासनिक व्यय, जिसमें उस कार्यालय में कार्यरत सभी व्यक्तियों का वेतन, भत्ते और पेंशन शामिल हैं, जो भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं जिन पर संसद में मतदान नहीं हो सकता।
- कोई भी मंत्री संसद में CAG का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है।
- इसके कार्य और शक्तियाँ नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कर्त्तव्य, शक्तियाँ और सेवा शर्तें) अधिनियम, 1971 के तहत शामिल हैं।
- CAG भारत की संचित निधि और प्रत्येक राज्य, केंद्रशासित प्रदेश जिसकी विधानसभा होती है, की संचित निधि से संबंधित खातों के सभी प्रकार के व्यय से संबंधित लेखाओं का लेखा परीक्षण करता है।
- वह भारत की आकस्मिक निधि और भारत के सार्वजनिक खाते के साथ-साथ प्रत्येक राज्य की आकस्मिक निधि व सार्वजनिक खाते से होने वाले सभी खर्चों का परीक्षण करता है।
- वह केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के किसी भी विभाग के सभी ट्रेडिंग, विनिर्माण, लाभ- हानि खातों, बैलेंस शीट तथा अन्य अतिरिक्त खातों का ऑडिट करता है।
- निम्नलिखित की प्राप्तियों और व्यय की लेखापरीक्षा करता है:
- केंद्र या राज्य के राजस्व से पर्याप्त रूप से वित्तपोषित निकाय और प्राधिकरण;
- सरकारी कंपनियाँ;
- अन्य निगम और निकाय, जब संबंधित कानूनों द्वारा ऐसा आवश्यक हो।
- राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा अनुशंसित किये जाने पर वह किसी अन्य प्राधिकरण के खातों का ऑडिट करता है, जैसे- कोई स्थानीय निकाय की लेखापरीक्षा।
- संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के मार्गदर्शक, मित्र और सलाहकार के रूप में भी कार्य करता है।
- सीमाएँ:
- भारत का संविधान CAG को नियंत्रक के साथ-साथ महालेखा परीक्षक के रूप में देखता है। हालाँकि व्यवहारिक रूप से CAG केवल एक महालेखा परीक्षक की भूमिका निभा रहा है, नियंत्रक की नहीं।
- दूसरे शब्दों में CAG का समेकित निधि से धन के मुद्दे पर कोई नियंत्रण नहीं है और कई विभाग CAG से विशिष्ट प्राधिकरण के बिना चेक जारी करके धन निकालने के लिये अधिकृत हैं, जो केवल लेखा परीक्षा चरण में संबंधित है जबकि व्यय पहले ही हो चुका है।
- इस संबंध में भारत का CAG ब्रिटेन के CAG से पूरी तरह भिन्न है, जिसके पास नियंत्रक और महालेखा परीक्षक दोनों की शक्तियाँ हैं।
- दूसरे शब्दों में ब्रिटेन में कार्यपालिका केवल CAG की स्वीकृति से ही सरकारी राजकोष से धन आहरित कर सकती है।