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शासन व्यवस्था

भारत में फास्ट ट्रैकिंग फ्रेट: नीति आयोग

  • 11 Jun 2021
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये

भारत में फास्ट ट्रैकिंग फ्रेट, नीति आयोग, सकल घरेलू उत्पाद, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, फेम योजना 

मेन्स के लिये

भारत में स्वच्छ एवं प्रभावी माल परिवहन हेतु रोडमैप की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

नीति आयोग, रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (RMI) और RMI इंडिया की नई रिपोर्ट, ‘भारत में फास्ट ट्रैकिंग फ्रेट, स्वच्छ और लागत प्रभावी माल परिवहन के लिये एक रोडमैप’ (Fast Tracking Freight in India: A Roadmap for Clean and Cost-Effective Goods Transport), भारत के लिये अपनी लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है।

  •  RMI वर्ष 1982 में स्थापित एक स्वतंत्र गैर-लाभकारी संगठन है।

नीति आयोग

  • यह भारत सरकार का एक सार्वजनिक नीति थिंक टैंक है, जिसे बॉटम-अप दृष्टिकोण (Bottom-Up Approach) का उपयोग करके आर्थिक नीति-निर्माण प्रक्रिया में भारत की राज्य सरकारों की भागीदारी को बढ़ावा देकर सहकारी संघवाद के साथ सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।
  • इसे योजना आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री इसका पदेन अध्यक्ष होता है।

प्रमुख बिंदु

माल ढुलाई की बढ़ती मांग:

  • वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती मांग के कारण भविष्य में माल परिवहन में वृद्धि की उम्मीद की जाती है। 
  • जबकि माल परिवहन आर्थिक विकास के लिये आवश्यक है लेकिन यह लॉजिस्टिक की उच्च लागत से ग्रस्त है और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वृद्धि तथा शहरों में वायु प्रदूषण में भी योगदान देता है।

भारत की क्षमता: 

  • रिपोर्ट के अनुसार भारत में निम्नलिखित क्षमताएँ हैः
    • अपनी रसद लागत में सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) के 4 प्रतिशत तक कमी लाने की क्षमता।
    • वर्ष 2020-2050 के बीच संचयी CO2 के 10 गीगाटन बचाने की क्षमता।
    • वर्ष 2050 तक नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter- PM) क्रमशः 35 प्रतिशत और 28 प्रतिशत तक घटाने की क्षमता।

अधिक शहरी नागरिकों को समायोजित करना:

  • भारत की माल परिवहन गतिविधि वर्ष  2050 तक पाँच गुनी हो जाएगी और लगभग 400 मिलियन नागरिक शहरों की ओर जाएंगे। ऐसे में संपूर्ण प्रणाली में परिवर्तन ही माल ढुलाई क्षेत्र को ऊपर उठा सकता है।
  • इस परिवर्तन को इस तरह के अवसरों का दोहन कर परिभाषित किया जाएगा:
    • कुशल रेल आधारित परिवहन।
    • रसद और आपूर्ति शृंखला का अनुकूलन।
    • इलेक्ट्रिक और अन्य स्वच्छ-ईंधन वाले वाहनों में बदलाव।
  • इन समाधानों से भारत को अगले तीन दशकों में 311 लाख करोड़ रुपए की बचत करने में मदद मिल सकती है।

माल ढुलाई लागत को प्रभावी बनाने की आवश्यकता:

  • माल परिवहन भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण आधार है और अब पहले से कहीं ज़्यादा इस परिवहन प्रणाली को अधिक लागत प्रभावी, कुशल और स्वच्छ बनाना महत्त्वपूर्ण है।
  • मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल इंडिया जैसी मौजूदा सरकारी पहलों के लाभों को साकार करने में कुशल माल परिवहन भी एक आवश्यक भूमिका निभाएगा।

सिफारिश:

  • इन सिफारिशों में रेल नेटवर्क की क्षमता बढ़ाना, इंटरमोडल परिवहन को बढ़ावा देना, वेयरहाउसिंग और ट्रक परिचालन व्यवहारों में सुधार, नीतिगत उपायों तथा स्वच्छ प्रौद्योगिकी अपनाने के लिये पायलट परियोजनाओं एवं ईंधन अर्थव्यवस्था के कठोर मानक शामिल हैं।
  • सफलतापूर्वक एक पैमाने पर तैनात किये जाने से प्रस्तावित समाधान लॉजिस्टिक नवाचार में तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र एवं उससे आगे भी भारत का नेतृत्त्व स्थापित करने में सहायता कर सकते हैं।

हाल की पहल:

  • डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC):
    • यह उच्च गति और उच्च क्षमता वाला विश्व स्तरीय तकनीक के अनुसार बनाया गया एक रेल मार्ग है, जिसे विशेष तौर पर माल एवं वस्तुओं के परिवहन हेतु बनाया जाता है।
    • फास्टैग, आरएफआईडी के साथ ई-वे बिल एकीकरण: 
    • यह कर अधिकारियों को व्यवसायों द्वारा ई-वे बिल अनुपालन के संबंध में लाइव सतर्कता बरतने, राजस्व के रिसाव को रोकने और बड़े माल वाहनों की आवाजाही की सुविधा प्रदान करने में सक्षम बनाएगा।
  • फेम योजना: 
    • सरकार द्वारा फेम इंडिया योजना [Faster Adoption and Manufacturing of (Hybrid and) Electric Vehicles- FAME] के माध्यम से वर्ष 2030 तक भारतीय परिवहन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों की भागीदारी को बढ़ाकर 30% करने का लक्ष्य रखा गया है।  
  • भारत स्‍टेज-VI मानदंड:
    • इसमें प्रौद्योगिकी संशोधनों की एक विस्तृत सूची शामिल है जिसमें सबसे महत्त्वपूर्ण OBD (ऑन-बोर्ड डायग्नोस्टिक्स) को सभी वाहनों के लिये अनिवार्य बनाना है।
  • कॉर्पोरेट औसत ईंधन दक्षता (CAFE) विनियम:
    • CAFE मानकों को पहली बार वर्ष 2017 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम (Energy Conservation Act), 2001 के तहत केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय (Union Ministry of Power) द्वारा अधिसूचित किया गया था।
    • यह विनियमन वर्ष 2015 के ईंधन खपत मानकों के अनुसार है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक वाहनों की ईंधन दक्षता को 35% तक बढ़ाना है।

स्रोत: पीआईबी

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