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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

ईएसजी फंड

  • 24 Dec 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ईएसजी फंड, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व।

मेन्स के लिये:

भारत में ईएसजी फंड की वृद्धि, इसका महत्त्व और इससे जुड़ी चिंताएँ।

चर्चा में क्यों?

ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) फंड की संपत्ति का आकार पिछले कुछ वर्षों में लगभग पाँच गुना बढ़कर 12,300 करोड़ रुपए हो गया है।

  • एशिया में विशेष रूप से भारत में ईएसजी फंडों की मांग और वृद्धि ज़बर्दस्त (लगभग 32%) रही है।

प्रमुख बिंदु 

ईएसजी फंड (ESG Funds):

  • ईएसजी (ESG) तीन शब्दों अर्थात् पर्यावरण (Environment), सामाजिक (Social) और शासन (Governance) का संयोजन है।
  • यह एक तरह का म्यूचुअल फंड है। इसमें निवेश स्थायी रूप से सतत् निवेश (Sustainable Investing) या सामाजिक रूप से उत्तरदायी निवेश (Socially Responsible Investing) के साथ किया जाता है।
  • आमतौर पर म्युचुअल फंड किसी कंपनी के अच्छे स्टॉक को दर्शाता है जिसमें आय, प्रबंधन गुणवत्ता, नकदी प्रवाह, व्यवसाय संचालन, प्रतिस्पर्द्धा आदि की क्षमता होती है।
  • हालाँकि निवेश के लिये एक स्टॉक का चयन करते समय सबसे पहले ‘ESG फंड शॉर्टलिस्ट कंपनियों’ के पर्यावरण, सामाजिक ज़िम्मेदारी एवं कॉर्पोरेट प्रशासन पर उच्च स्कोर को देखा जाता है, इसके बाद वित्तीय कारकों पर गौर किया जाता है।
    • इसलिये ‘ईएसजी फंड’ एवं अन्य फंडों के बीच महत्त्वपूर्ण अंतर 'निवेशक के विवेक' पर आधारित होता है अर्थात् ईएसजी फंड पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं, नैतिक व्यापार प्रथाओं एवं एक कर्मचारी-अनुकूल रिकॉर्ड वाली कंपनियों पर केंद्रित होता है।
  • इस फंड को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा विनियमित किया जाता है।

लोकप्रियता का कारण:

  • आधुनिक निवेशक पारंपरिक दृष्टिकोणों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं और पारंपरिक निवेश से पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों का भी मूल्यांकन कर रहे हैं। इस प्रकार निवेशकों ने अपनी निवेश प्रथाओं में ईएसजी कारकों को शामिल करना शुरू कर दिया है।
  • ‘यूनाइटेड नेशंस प्रिंसिपल फॉर रिस्पॉन्सिबल इन्वेस्टमेंट’ (United Nations Principles for Responsible Investment- UN-PRI) नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन निवेश निर्णय लेने में पर्यावरणीय, सामाजिक एवं कॉर्पोरेट प्रशासन कारकों के समावेश को बढ़ावा देने के लिये कार्य करता है।

प्रभाव

  • जैसे-जैसे भारत में ‘ईएसजी फंड्स’ को गति मिलेगी कंपनियों को बेहतर प्रशासन, नैतिक प्रथाओं, पर्यावरण के अनुकूल उपायों एवं सामाजिक ज़िम्मेदारी का पालन करने के लिये भी मजबूर होना पड़ेगा।
  • जो कंपनियाँ ‘सतत् व्यवसाय मॉडल’ का पालन नहीं करती हैं उन्हें इक्विटी एवं ऋण दोनों जुटाने में मुश्किल होगी।
  • वैश्विक स्तर पर पेंशन फंड, सॉवरेन वेल्थ फंड आदि में निवेश करने वाले निवेशक उन कंपनियों में निवेश नहीं करते हैं जिन्हें प्रदूषणकारी के रूप में देखा जाता है और जो सामाजिक ज़िम्मेदारी का पालन नहीं करती हैं जैसे- तंबाकू कंपनियाँ।
    • वैश्विक तंबाकू उद्योग को प्रतिवर्ष 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लाभ होता है। हालाँकि तंबाकू की वजह से प्रतिवर्ष लगभग 6 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है। अतः निवेशक ऐसी वास्तविकताओं के प्रति संवेदनशील हो रहे हैं।

चिताएँ:

  • जलवायु जोखिम, उत्सर्जन, आपूर्ति शृंखला, श्रम अधिकार, भ्रष्टाचार आदि जैसे मुद्दों पर अधिक ध्यान देने के साथ-साथ कुछ और चिंताएँ भी संज्ञान में आई हैं।
  • वैश्विक संस्थागत निवेशकों के बीच ग्रीनवॉशिंग शीर्ष चिंताओं में से एक है।
  • ग्रीनवॉशिंग को उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाने के लिये एक निराधार दावा माना जाता है कि कंपनी के उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल हैं।
  • निवेश विशेषज्ञों ने फंड मैनेजरों की प्रवृत्ति की ओर भी इशारा किया है कि वे कुछ शेयरों और कंपनियों को एक स्थिति में अधिक महत्त्व देते हैं जहाँ अधिकांश बड़ी निवेश-अनुकूल कंपनियाँ ईएसजी निवेश के लिये उपयोग किये जाने वाले गुणात्मक और मात्रात्मक मानकों से कम हो जाती हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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