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जैव विविधता और पर्यावरण

एलीफैंट एंडोथिलियोट्रोपिक हर्पीस वायरस

  • 04 Oct 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ओडिशा के नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क (Nandankanan zoological park) में एलीफैंट एंडोथिलियोट्रोपिक हर्पीस वायरस (Elephant Endotheliotropic Herpes Viruses- EEHV) के कारण पाँच हाथियों की मृत्यु हो गई।

एलीफैंट एंडोथिलियोट्रोपिक हर्पीस वायरस (EEHV):

  • एलिफेंट एंडोथिलियोट्रोपिक हर्पीस वायरस (EEHV) को एलिफेंटिड बेटाहैरपिसवायरस-1, ईआईएचबी-1 (Elephantid betaherpesvirus-1,ElHV-1) के रूप में भी जाना जाता है।
  • EEHV एक प्रकार का हर्पीस वायरस है जो युवा एशियाई हाथियों में अत्यधिक घातक रक्तस्रावी बीमारी का कारण बन सकता है।

बीमारी:

  • यह बीमारी आमतौर पर 1 वर्ष से 12 वर्ष तक के युवा हाथियों के लिये अधिक घातक है।
  • इस बीमारी से अत्यधिक आंतरिक रक्तस्राव होता है जो मृत्यु का कारण बनता है।
  • शोधकर्त्ताओं का कहना है कि इससे ग्रसित कुछ हाथियों में भूख कम लगना, नाक से पानी निकलना और सूजी हुई ग्रंथियाँ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
  • जानवरों या मनुष्यों में हर्पीस वायरस का कोई सही इलाज नहीं है क्योंकि हर्पीस वायरस गुप्त रूप में (Latent) होते हैं।
  • इस बीमारी की अवधि कम होती है, इसका तात्पर्य है कि संदिग्ध EEHV मामला होने पर जल्द-से-जल्द उपचार कराना आवश्यक है।

नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क

(Nandankanan zoological park):

  • नंदनकानन जिसका शाब्दिक अर्थ है गार्डन ऑफ हेवन (The Garden of Heaven), जो भुवनेश्वर, ओडिशा के पास स्थित है।
  • देश के अन्य चिड़ियाघरों के विपरीत, नंदनकानन पार्क जंगल के अंदर बना है और पूरी तरह से प्राकृतिक वातावरण में स्थित है।
  • यह व्हाइट बैक्ड गिद्धों (White-Backed Vulture) को संरक्षण प्रदान करता है।
  • यह व्हाइट टाइगर (White Tiger) तथा मेलेनिस्टिक टाइगर (Melanistic Tiger) के प्रजनन के लिये विश्व में पहला चिड़ियाघर है।
  • यह विश्व में भारतीय पैंगोलिन (Indian Pangolin) को संरक्षण प्रदान करने वाला एकमात्र केंद्र है।
  • यह भारत में एकमात्र जूलॉजिकल पार्क है जो वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ़ ज़ूज़ एंड एक्वेरियम (World Association of Zoos and Aquarium- WAZA) का एक संस्थागत सदस्य है।
  • विश्व में पहली बार 1980 में नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क ने घड़ियालों को कैद करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

चिंता का विषय:

  • यदि जंगल में हाथी इस वायरस से ग्रसित हो जाते हैं, तो उपचार करना अत्यंत कठिन होगा।
  • यदि एक युवा हाथी प्रजनन करने से पहले मर जाता है, तो यह पारिस्थितकीय रूप से संपूर्ण प्रजाति को प्रभावित कर सकता है।
  • राज्य के प्रत्येक हाथी को ट्रैक करना और परीक्षण करना बेहद कठिन होगा कि क्या वे EEHV से ग्रसित हैं या नहीं।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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