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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भू प्रेक्षण उपग्रह EOS-04

  • 15 Feb 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, पृथ्वी अवलोकन उपग्रह- 04, पीएसएलवी, कार्टोसैट, रिसैट-2बी, लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान, पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-03, रिसैट-1, भारत-भूटान संयुक्त उपग्रह (INS-2B)

मेन्स के लिये:

विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियांँ, इसरो और इसकी उपलब्धियांँ, इसरो के साथ वर्तमान मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (Earth Observation Satellite-EOS-04) और दो अन्य छोटे उपग्रहों (INSPIREsat-1 और INS-2TD) को पीएसएलवी-सी 52 रॉकेट द्वारा अभीष्ट कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।

प्रमुख बिंदु 

पृथ्वी अवलोकन उपग्रह:

  • पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, रिमोट सेंसिंग तकनीक से लैस उपग्रह होते हैं, जो कि पृथ्वी की भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रणालियों के बारे में जानकारी संग्रह करते हैं।
  • कई पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों को ‘सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में तैनात किया जाता है।
  • इसरो द्वारा लॉन्च किये गए अन्य पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों में रिसोर्ससैट-2, 2A, कार्टोसैट-1, 2, 2A, 2B, रिसैट-1 और 2, ओशनसैट-2, मेघा-ट्रॉपिक्स, सरल और स्कैटसैट-1, इन्सैट-3DR, 3D शामिल हैं।

EOS

लॉन्च किये गए तीन उपग्रह:

  • EOS-04: 
    • EOS-04 का वज़न 1,710 किलोग्राम है और इसे दस वर्ष की मिशन अवधि के साथ कृषि, वानिकी एवं वृक्षारोपण, मिट्टी की नमी तथा जल विज्ञान और बाढ़ मानचित्रण जैसे अनुप्रयोगों के लिये सभी मौसम की स्थिति में उच्च गुणवत्ता वाली छवियाँ प्रदान करने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
      • यह रिसोर्ससैट, कार्टोसैट और RISAT-2B शृंखला के उपग्रहों के डेटा का पूरक होगा, जो पहले से ही कक्षा में मौजूद हैं।
      • इन उपग्रहों की शृंखला में पहले उपग्रह-EOS-01 को नवंबर 2020 में लॉन्च किया गया था और यह अभी भी कक्षा में मौजूद है। EOS-02, SSLV (स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) नामक एक नए लॉन्च व्हीकल पर लॉन्च किया जाएगा, जबकि EOS-03 का लॉन्च अगस्त, 2021 में विफल हो गया था।
    • इसे 529 किलोमीटर की सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में रखा जाएगा। यह एक रडार-इमेजिंग उपग्रह है, जो इसे ‘RISAT’ शृंखला का हिस्सा बनाता है।
    • यह RISAT-1 की जगह लेगा, जिसे वर्ष 2012 में लॉन्च किया गया था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह काम नहीं कर रहा है।
      • भूमि की उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियाँ प्राप्त करने के लिये RISAT सिंथेटिक एपर्चर रडार का उपयोग किया जाता है।
      • ऑप्टिकल उपकरणों की तुलना में रडार इमेजिंग का एक बड़ा फायदा यह है कि मौसम, बादल या कोहरे या धूप की कमी से यह अप्रभावित रहता है।
      • यह सभी परिस्थितियों में और हर समय उच्च-गुणवत्ता वाली छवियाँ प्राप्त कर सकता है, जिससे यह निगरानी के लिये उपयुक्त हो जाता है।
  • INSPIREsat-1:
    • INSPIREsat-1 इंटरनेशनल सैटेलाइट प्रोग्राम इन रिसर्च एंड एजुकेशन (International Satellite Program in Research and Education- INSPIRE) के तहत नियोजित उपग्रहों के एक समूह का हिस्सा है, जिसमें लघु-अंतरिक्षयान प्रणाली और पेलोड केंद्र (SSPACE), कोलोराडो विश्वविद्यालय (US), नानयांग टेक्नोलॉज़िकल यूनिवर्सिटी (NTU) में स्मॉल-स्पेसक्राफ्ट सिस्टम तथा पेलोड सेंटर (SSPACE), सिंगापुर और नेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी (NCU), ताइवान शामिल है।
    • INSPIREsat-1 पर 8.1 किलोग्राम के द्रव्यमान और एक वर्ष के मिशन के साथ दो वैज्ञानिक पेलोड हैं,जो आयनोस्फीयर (पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल का हिस्सा) की गतिशीलता और सूर्य की कोरोनल हीटिंग प्रक्रियाओं की समझ में सुधार करने के उद्देश्य से लगाए गए हैं।
  • INS-2TD:
    • INS-2TD पहले भारत-भूटान संयुक्त उपग्रह हेतु एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक है जिसे मार्च, 2022 में लॉन्च किया जाना है।
      • दोनों देशों ने पिछले साल एक अंतरिक्ष समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिसके तहत पीएसएलवी रॉकेट के द्वारा भूटानसैट या आईएनएस-2 बी मार्च, 2022 में प्रक्षेपित किया जाएगा।
    • INS-2TD के थर्मल इमेजिंग कैमरे पृथ्वी का अवलोकन करने के लिये हैं, जैसे भूमि और पानी की सतह के तापमान का आकलन और जंगल एवं वृक्षों के आवरण की पहचान करना।

भारत के अंतरिक्ष उपग्रह:

  • भारत के पास वर्तमान में 53 परिचालन उपग्रह हैं, जिनमें से 21 पृथ्वी के अवलोकन तथा अन्य 21 संचार आधारित हैं।
  • आठ नेविगेशन उपग्रह हैं, जबकि शेष तीन विज्ञान उपग्रह हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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