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जैव विविधता और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन पर मसौदा प्रस्ताव: संयुक्त राष्ट्र

  • 16 Dec 2021
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC), COP-26, नेट ज़ीरो, क्योटो प्रोटोकॉल

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के मसौदा प्रस्ताव का महत्त्व, इस पर भारत की प्रतिक्रिया और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिये भारत द्वारा अब तक की गई पहलें।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और रूस ने जलवायु परिवर्तन पर ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ (UNSC) के प्रस्तावित मसौदे का विरोध किया है।

  • यह प्रस्ताव आयरलैंड और नाइज़र द्वारा सह-प्रायोजित था और इसे पहली बार जर्मनी द्वारा वर्ष 2020 में ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ में प्रस्तावित किया गया था।
  • इसे 113 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों (कुल 193 में से) का समर्थन प्राप्त था, जिसमें 15 में से 12 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सदस्य शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय
    • इस मसौदा प्रस्ताव में जलवायु परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभावों पर चर्चा हेतु सुरक्षा परिषद में एक औपचारिक स्थान बनाने का प्रयास किया गया है।
    • इस प्रस्ताव ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से इस विषय पर समय-समय पर रिपोर्ट प्रदान करने की भी मांग की है कि संघर्षों को रोकने हेतु जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न जोखिमों को किस प्रकार संबोधित किया जा सकता है।
    • इसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव से ‘जलवायु सुरक्षा’ हेतु एक विशेष दूत नियुक्त करने को भी कहा गया है।
    • इसके अलावा, इसने संयुक्त राष्ट्र के फील्ड मिशनों को अपने संचालन के क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के आकलन पर नियमित रूप से रिपोर्ट करने और अपने नियमित कार्यों को करने में जलवायु विशेषज्ञों की मदद लेने के लिये कहा गया है।
  • आवश्यकता
    • प्रायः यह तर्क दिया जाता है कि जलवायु परिवर्तन का एक प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा आयाम भी है।
    • जलवायु परिवर्तन से प्रेरित भोजन या जल की कमी, आवास या आजीविका का नुकसान, या प्रवास मौजूदा संघर्षों को बढ़ा सकता है या नए संघर्ष भी पैदा कर सकता है।
    • संयुक्त राष्ट्र के फील्ड मिशनों के लिये भी इसके महत्त्वपूर्ण निहितार्थ हो सकते हैं, जो शांति स्थापना के प्रयासों में दुनिया भर में तैनात किये गए हैं।
  • आलोचना:
    •  UNFCCC से UNSC की ओर स्थानांतरित
      • भारत ने कहा कि जलवायु वार्ता को संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) से सुरक्षा परिषद में स्थानांतरित करने और इस मुद्दे पर सामूहिक कार्रवाई के लिये यह "एक कदम पीछे" का प्रयास है।
        • वार्षिक जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भी भारत ने अंतिम मसौदा समझौते में अंतिम समय में संशोधन के लिये दबाव बनाया था ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोयले के "फेज-आउट" के प्रावधान को "फेज-डाउन" में बदल दिया जाय।
      • भारत के अनुसार यह मसौदा प्रस्ताव सही दिशा में की गई प्रगति को कमज़ोर करेगा। 

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन

  • इसमें जलवायु परिवर्तन से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा होती है।
  • 190 से अधिक देश जो UNFCCC के सदस्य है जलवायु परिवर्तन से निपटने तथा वैश्विक दृष्टिकोण पर कार्य करने के लिये वर्ष के अंतिम दो सप्ताह में वार्षिक कॉन्फ्रेंस करते हैं। इस वर्ष यह बैठक ग्लासगो में होने वाली है।  
  • यह वह प्रक्रिया है जिसने पेरिस समझौते को जन्म दिया है तथा इसके पूर्ववर्ती समझौते क्योटो प्रोटोकॉल, जो कि एक प्रकार की अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसे जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • UNSC के पास विशेषज्ञता नहीं है:
      • इस जलवायु वार्ता में यह तर्क दिया गया है कि UNFCCC को जलवायु परिवर्तन से संबंधित सभी मुद्दों को संबोधित करने के लिये उपयुक्त मंच बने रहना चाहिये और दावा किया कि सुरक्षा परिषद के पास ऐसा करने की विशेषज्ञता नहीं है।
    • जलवायु कार्रवाई पर आधिपत्य:
      • UNFCCC के विपरीत जहाँ सभी 190 से अधिक देशों की सर्वसम्मति से निर्णय लिये जाते हैं वहीं UNSC में कुछ मुट्ठी भर विकसित देशों द्वारा जलवायु परिवर्तन से संबंधित के निर्णय लिये जाएँगे ।
        • UNSC के सदस्य "ऐतिहासिक उत्त्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन में प्रमुख योगदानकर्त्ता" हैं
      • साथ ही इस मुद्दे को सुरक्षा परिषद में लाने का निर्णय अधिकांश विकासशील देशों की भागीदारी और आम सहमति के बिना किया गया था।
  • हाल ही में भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन को सीमित करने संबंधी उपाय:
    • COP-26 में पाँच तत्त्वों के साथ एक महत्त्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई प्रारंभ की गई है।
      • वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 GW तक ले जाना
      • वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से 50% ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना
      • वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को एक अरब टन कम करना
      • वर्ष 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45% से कम करना
      • वर्ष 2070 तक "शुद्ध शून्य" के लक्ष्य को प्राप्त करना।
    • भारत अब स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में चौथे स्थान पर है और पिछले सात वर्षों में गैर-जीवाश्म ऊर्जा में 25% से अधिक की वृद्धि हुई है और कुल ऊर्जा मिश्रण का 40% तक पहुँच गया है।
  • भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे के लिये गठबंधन (सीडीआरआई) जैसी पहलों में भी अग्रणी भूमिका निभाई है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर ने UNSC सहित संयुक्त राष्ट्र के छह मुख्य अंगों की स्थापना की। संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अनुच्छेद 23 ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ की संरचना से संबंधित है।
  • संयुक्त राष्ट्र के अन्य 5 अंगों में शामिल हैं- संयुक्त राष्ट्र महासभा, ट्रस्टीशिप परिषद, आर्थिक और सामाजिक परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय एवं सचिवालय।
  • ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ को अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी दी गई है और जब भी वैश्विक शांति पर कोई खतरा उत्पन्न होता है तब परिषद की बैठक आयोजित की जाती है।
  • यद्यपि संयुक्त राष्ट्र के अन्य अंग सदस्य राज्यों के लिये सिफारिशें करते हैं, किंतु सुरक्षा परिषद के पास सदस्य देशों के लिये निर्णय लेने और बाध्यकारी प्रस्ताव जारी करने की शक्ति होती है।
  • स्थायी और अस्थायी सदस्य: UNSC में 15 सदस्य हैं जिसमे 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्यों शामिल है।
    • पाँच स्थायी सदस्य: चीन, फ्राँस, रूसी संघ, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।
    • दस अस्थायी सदस्य: इसका चुनाव महासभा द्वारा दो वर्षों के लिये  किया जाता है।
      • प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दो वर्षीय कार्यकाल के लिये पाँच अस्थायी सदस्यों (कुल दस में से) का चुनाव किया जाता है। दस अस्थायी सीटों का वितरण क्षेत्रीय आधार पर होता है।
      • जैसा कि प्रक्रिया के नियमों के नियम 144 में निर्धारित है, एक सेवानिवृत्त सदस्य तत्काल पुन: चुनाव के लिये पात्र नहीं है।
      • प्रक्रिया के नियम 92 के अनुसार, चुनाव गुप्त मतदान द्वारा होता है तथा इसमें कोई नामांकन प्रक्रिया शामिल नहीं है। प्रक्रिया के नियम 83 के तहत, सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों को दो-तिहाई बहुमत से चुना जाता है।
        • अफ्रीकी और एशियाई देशों के लिये पाँच सदस्य।
        • पूर्वी यूरोपीय देशों के लिये एक सदस्य।
        • दो सदस्य लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों के लिये।
        • दो सदस्य पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देशों के लिये।
  • भारत UNSC में अपनी एक स्थायी सीट का पक्ष  करता रहा है।
  • भारत जनसंख्या, क्षेत्रीय आकार, सकल घरेलू उत्पाद (GDP), आर्थिक क्षमता, संपन्न विरासत और सांस्कृतिक विविधता तथा संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों में विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में योगदान आदि सभी पैमानों पर खरा उतरता है।

स्रोत: द हिंदू 

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