जयपुर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 7 अक्तूबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

NDC संश्लेषण रिपोर्ट: UNFCCC

  • 04 Mar 2021
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) ने अपनी राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान  (Nationally Determined Contributions- NDC) संश्लेषण रिपोर्ट में सदी के अंत तक वैश्विक तापमान वृद्धि को 2° C (आदर्श रूप से 1.5 ° C) रखने हेतु पेरिस समझौते के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये देशों द्वारा अधिक महत्त्वाकांक्षी जलवायु कार्य योजनाओं को अपनाने का आह्वान किया गया है।

  • 1  से 12 नवंबर, 2021 तक ग्लासगो (यूनाइटेड किंगडम) में आयोजित होने वाले UNFCCC के पक्षकारों के 26वें सम्मेलन (COP26) से पहले इस रिपोर्ट को प्रस्तुत करने की मांग की गई थी। 
  • NDC पेरिस समझौते का मुख्य केंद्रबिंदु  है। राष्ट्रीय स्तर पर उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों में कमी लाने हेतु प्रत्येक देश द्वारा प्रयास किया जा रहा है। NDC में प्रत्येक देश द्वारा घरेलू परिस्थितियों और क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को प्रदर्शित किया जाता है।

प्रमुख बिंदु:

NDC के बारे में:

  • NDC संश्लेषण रिपोर्ट में 31 दिसंबर, 2020 तक की प्रस्तुतियाँ शामिल की गई हैं जिसमें 75 पार्टियों के नए या अपडेटेड NDC शामिल किये गए हैं, जो लगभग 30% वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का प्रतिनिधित्व करते हैं।

रिपोर्ट का परिणाम:

  • बेहतर प्रदर्शन करने वाले देश: 
    • विश्व के 18 सबसे बड़े उत्सर्जक क्षेत्रों में से केवल यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ ही ऐसे क्षेत्र हैं जिन्होंने अपने ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) में कमी की प्रतिबद्धता को काफी बढ़ाया है। 
  • निम्न प्रदर्शन करने वाले देश: 
    • विश्व के 16 सबसे बड़े उत्सर्जकों द्वारा अपनी प्रतिबद्धता के अनुसार उत्सर्जन में कमी नहीं की गई है।
  • अनुकूलन कार्य और आर्थिक विविधता:
    • अधिकांश देशों द्वारा अनुकूलन कार्रवाई और आर्थिक विविधीकरण योजनाओं के सह-लाभ पर रिपोर्ट दी गई है 
    • शमन क्रियाओं के साथ अनुकूलन क्रियाओं और आर्थिक विविधीकरण की योजनाओं में जलवायु-स्मार्ट कृषि, तटीय पारिस्थितिक तंत्रों को अपनाना, ऊर्जा उत्पादन में नवीकरणीय स्रोतों की हिस्सेदारी को बढ़ाना, कार्बन डाइऑक्साइड भंडारण, परिवहन क्षेत्र में ईंधन की कीमतों में सुधार करना तथा बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन हेतु एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को अपनाना शामिल है। 
  • नवीनीकरण की आवश्यकता: 
    • जलवायु महत्त्वाकांक्षा (Ambition) का मौजूदा स्तर पेरिस समझौते के  लक्ष्यों को पूरा करने से काफी दूर है। 
    • जबकि अधिकांश देशों ने उत्सर्जन को कम करने हेतु अपनी व्यक्तिगत जलवायु परिवर्तन संबंधी महत्त्वाकांक्षा के स्तर में वृद्धि की है, उनका संयुक्त प्रभाव वर्ष 2010 के स्तरों की तुलना में वर्ष 2030 तक केवल 1% की कमी करने में मदद करेगा।
      • हालाँकि, जलवायु परिवर्तन के  इंटरगवर्नमेंटल पैनल के अनुसार, 1.5°C के लक्ष्य को पूरा करने हेतु वैश्विक उत्सर्जन को 45% तक कम करने की आवश्यकता है।

UNFCCC

  • UNFCCC के बारे में:
    • UNFCCC का आशय ‘जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क’ से है।
    • UNFCCC सचिवालय (यूएन क्लाइमेट चेंज) संयुक्त राष्ट्र की एक इकाई है जो जलवायु परिवर्तन के खतरे पर वैश्विक प्रतिक्रिया का समर्थन करती है। 
    • कन्वेंशन के पास सार्वभौमिक सदस्यता (197 पार्टियाँ) है तथा यह वर्ष 2015 के पेरिस समझौते की मूल संधि (Parent Treaty) है। UNFCCC वर्ष 1997 के क्योटो प्रोटोकॉल की मूल संधि भी है।
  • सचिवालय: 
    • UNFCCC का सचिवालय जर्मनी के बॉन में स्थित है।
  • उद्देश्य: 
    • UNFCCC के अंतर्गत शामिल तीन समझौतों का अंतिम उद्देश्य वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता को एक स्तर पर स्थिर करना है। यह एक निश्चित समय सीमा में जलवायु प्रणाली के साथ उत्पन्न खतरनाक मानव हस्तक्षेप को रोकने में सहायक होगा, जो पारिस्थितिकी प्रणालियों को स्वाभाविक रूप से अनुकूल बनाने की अनुमति देता है और स्थायी विकास को सक्षम बनाता है।

पेरिस समझौता

परिचय

  • पेरिस समझौता (जिसे COP21 के रूप में भी जाना जाता है) एक ऐतिहासिक पर्यावरणीय समझौता है, जिसे वर्ष 2015 में जलवायु परिवर्तन और इसके नकारात्मक प्रभावों से निपटने के लिये अपनाया गया था।
  • इसने क्योटो प्रोटोकॉल का स्थान लिया, जो कि जलवायु परिवर्तन से निपटने संबंधी प्रारंभिक समझौतों में से एक था।

उद्देश्य: इस समझौते का उद्देश्य वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी हद तक कम करना है, ताकि इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर (Pre-Industrial level) से 2 डिग्री सेल्सियस कम रखा जा सके। इसके साथ ही आगे चलकर तापमान वृद्धि को और 1.5 डिग्री सेल्सियस रखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

  • जलवायु परिवर्तन जैसे- चरम मौसमी घटनाओं के कारण संवेदनशील देशों को होने वाले वित्तीय घाटे को संबोधित करना।
  • उन देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना जो कम संपन्न हैं और तुलनात्मक रूप से अधिक असुरक्षित हैं, ताकि उन्हें स्वच्छ ऊर्जा के लिये जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने में सहायता की जा सके।
  • उत्सर्जन को कम करने के लिये व्यापक पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होती है। हालाँकि समझौते का यह हिस्सा विकासशील देशों पर कानूनी दायित्त्व नहीं डालता है।

‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (INDC): सम्मेलन की शुरुआत से पूर्व 180 से अधिक देशों ने अपने कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के लिये प्रतिज्ञा की थी।

  • INDCs को समझौते के तहत मान्यता दी गई है, लेकिन यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है।
  • भारत ने भी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये समझौते के तहत लक्ष्यों को पूरा करने हेतु अपनी INDCs प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की है।

CMA:

  • यह पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले और उसकी पुष्टि करने वाले देशों का एक समूह है जो पेरिस समझौते के कार्यान्वयन की देखरेख करता है तथा इसके प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण निर्णय लेता है।
  • पेरिस समझौते में शामिल सभी देशों को इस समूह में प्रतिनिधित्त्व मिलता है और जो इसमें शामिल नहीं हैं उन्हें पर्यवेक्षक का दर्जा दिया जाता है।

भारत के INDCs 

  • उत्सर्जन तीव्रता को जीडीपी के लगभग एक-तिहाई तक कम करना।
  • बिजली की कुल स्थापित क्षमता का 40% गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त करना।
  • 2030 तक भारत द्वारा वन और वृक्ष आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के अतिरिक्त कार्बन सिंक (वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने का एक साधन) के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।

आगे की राह

  • प्रस्तुत रिपोर्ट में शामिल राष्ट्रों को अपने NDC की समीक्षा करने तथा उसके नवीनीकरण हेतु और अधिक समय मिलेगा। इसे नवंबर 2021 में होने वाले COP26 से पहले अंतिम संश्लेषण रिपोर्ट में संकलित किया जाएगा।
  • जहाँ भी आवश्यक हो पर्याप्त सहायता के माध्यम से जलवायु प्रयासों को सक्षम एवं सुगम बनाया जाना चाहिये। यह एक महत्त्वपूर्ण विषय है, जिसे उच्च वरीयता और तात्कालिकता के साथ संबोधित किया जाना आवश्यक है, क्योंकि पर्याप्त संसाधनों तथा प्रौद्योगिकी के अभाव में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना संभव नहीं है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2