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भारतीय अर्थव्यवस्था

‘डायरेक्ट पोर्ट एंट्री’ सुविधा

  • 28 Oct 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

 ‘डायरेक्ट पोर्ट एंट्री’ सुविधा

मेन्स के लिये

 ‘डायरेक्ट पोर्ट एंट्री’ सुविधा तथा इसके लाभ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने तमिलनाडु के तूतीकोरिन में वी. ओ. चिदंबरनार (VO Chidambaranar- VOC) बंदरगाह पर रसद लागत को कम करने में मदद के लिये एक ‘डायरेक्ट पोर्ट एंट्री’ सुविधा  (Direct Port Entry Facility-DPE) का उद्घाटन किया। 

प्रमुख बिंदु:

  • इस सुविधा को 30 वर्ष तक संचालित करने के लिये केंद्रीय भंडारण निगम के साथ समझौता किया गया है।
  • ध्यातव्य है कि इससे पूर्व कारखानों से सीलबंद कंटेनरों को पहले तूतीकोरिन में संचालित होने वाले कंटेनर फ्रेट स्टेशनों (CFS)/इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) में से एक में ले जाया जाता था और यह सुविधा एक कार्यदिवस में सुबह 10 से रात 8 बजे तक ही उपलब्ध थी। इसकी वजह से कंटेनरों को कंटेनर टर्मिनलों के अंदर ले जाने में काफी देरी होती थी।

‘डायरेक्ट पोर्ट एंट्री’ के तहत प्राप्त होने वाली सुविधाएँ:

  • अत्याधुनिक डायरेक्ट पोर्ट एंट्री सुविधा के माध्यम से निर्यातक अपने कंटेनरों को CFS के दखल के बिना कारखानों से सीधे बंदरगाहों के कंटेनर टर्मिनल पर चौबीस घंटे भेजने की सुविधा पा सकेंगे।
  • यह सुविधा ट्रक पार्किंग टर्मिनल के अंदर 18,357 वर्गमीटर के क्षेत्र में बनाई गई है, जिसे कारखानों से सील होकर आए निर्यातित वस्तुओं से भरे कंटेनरों को सीमा शुल्‍क निकासी सुविधा प्रदान करने हेतु 'सागरमाला' योजना के तहत विकसित किया गया है।
  • यह प्रतिमाह 18,000 टीईयू को वहन करने की क्षमता रखती है।
  • डीपीई सुविधा के तहत केंद्रीय भंडारण निगम के माध्यम से भारतीय सीमा शुल्क विभाग एक ही छत के नीचे निर्यातकों को एलईओ (Let Export Order- LEO) भी उपलब्‍ध कराएगा।
  • केंद्रीय भंडारण निगम और सीमा शुल्‍क अधिकारियों की एक टीम वीओसी पोर्ट के सहयोग से टियर-2 और टियर-3 (एईओ) प्रमाणित आयात-निर्यात ग्राहकों को सेवा प्रदान करेगी।
  • सीमा शुल्‍क विभाग ने भी बंदरगाह में डीपीई सुविधा के संचालन को मंज़ूरी दी है।

लाभ:

  • यह लॉजिस्टिक लागत को कम करने और बंदरगाहों से निर्यात खेप को भेजने की प्रक्रिया को गति देने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है।
  • डीपीई, निर्यातकों के लिये कारोबारी सुगमता को बढ़ाने में मदद करेगा, इससे निर्यातकों के काम में दक्षता आएगी, सामान भेजने पर खर्च कम होगा, साथ ही वे अंतर्राष्ट्रीय स्‍तर पर अधिक प्रतिस्पर्द्धी हो सकेंगे।
  • बंदरगाहों पर आईटी सक्षम बुनियादी ढाँचा निश्चित रूप से हमारे बंदरगाहों को पोत परिवहन मंत्रालय के ‘मेरीटाइम विज़न 2030’ के अनुरूप विश्व स्तर के बंदरगाहों में परिवर्तित कर देगा।
  • इस सुविधा के माध्यम से ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ में भारत की स्थिति बेहतर होगी तथा भारत व्यवसायी संस्कृति को आगे बढ़ाने में अपनी सशक्त भूमिका दर्ज कराएगा।
  • इस सुविधा के माध्यम से भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था में विस्तार होगा तथा इसके माध्यम से यह अपने क्षेत्रीय हितों को भी साध सकेगा।

‘डायरेक्ट पोर्ट एंट्री’ सुविधा:

(Direct Port Entry Facility)

डीपीई एक ऐसी योजना है, जो निर्यात के संबंध में समय और लागत को कम कम करती है, जिसके तहत निर्यात कंटेनरों को ‘लेट एक्सपोर्ट ऑर्डर’ ( LEO)  देने से पहले ही पोर्ट एक्सपोर्ट में सीधे प्रवेश की अनुमति दी जाती है। यह भारत से बाहर वस्तुओं के निर्यात के लिये आवश्यक अनुपालन सूची का अंतिम चरण है। 

स्रोत- द हिंदू

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