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डेली न्यूज़

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

डीप ओशन मिशन

  • 17 Mar 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डीप ओशन मिशन, ब्लू इकॉनमी, मानवयुक्त सबमर्सिबल व्हीकल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी, इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी

मेन्स के लिये:

डीप ओशन मिशन, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप, वैज्ञानिक नवाचार और खोजें,  ब्लू इकॉनमी

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission- DOM) लॉन्च किया गया है।

  • DOM भारत सरकार की ब्लू इकॉनमी पहल का समर्थन करने हेतु एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है।
  • इससे पूर्व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने  ब्लू इकॉनमी पॉलिसी का मसौदा भी तैयार किया गया था।
  • ब्लू इकॉनमी आर्थिक विकास, बेहतर आजीविका और रोज़गार एवं स्वस्थ महासागर पारिस्थितिकी तंत्र के लिये समुद्री संसाधनों का सतत् उपयोग है।

DOM

प्रमुख बिंदु 

DOM के प्रमुख घटक:

  • मानवयुक्त सबमर्सिबल वाहन का विकास:
    • तीन लोगों को समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिये वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ एक मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की जाएगी। 
    • NIOT और इसरो संयुक्त रूप से एक मानवयुक्त सबमर्सिबल वाहन/पनडुब्बी विकसित कर रहे हैं।
    • राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।
  • गहरे समुद्र में खनन हेतु प्रौद्योगिकी का विकास:
    • मध्य हिंद महासागर में पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के खनन के लिये एक एकीकृत खनन प्रणाली भी विकसित की जाएगी।
      • पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स समुद्र तल में मौजूद लोहे, मैंगनीज़, निकल और कोबाल्ट युक्त चट्टानें हैं।
    • भविष्य में संयुक्त राष्ट्र के संगठन ‘इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी’ द्वारा जब भी वाणिज्यिक खनन कोड तैयार किया जाएगा ऐसी स्थिति में खनिजों के अन्वेषण अध्ययन से निकट भविष्य में वाणिज्यिक दोहन का मार्ग प्रशस्त होगा। 
  • महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास:
    • इसके तहत जलवायु परिवर्तनों के भविष्यगत अनुमानों को समझने और उसी के अनुरूप सहायता प्रदान करने वाले अवलोकनों एवं मॉडलों के एक समूह का विकास किया जाएगा। 
  • गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज एवं संरक्षण के लिये तकनीकी नवाचार:
    • इसके तहत सूक्ष्मजीवों सहित गहरे समुद्र की वनस्पतियों और जीवों के सर्वेक्षण एवं गहरे समुद्र में जैव-संसाधनों के सतत् उपयोग संबंधी अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। 
  • गहरे समुद्र में सर्वेक्षण और अन्वेषण:
    • इस घटक का प्राथमिक उद्देश्य हिंद महासागर के मध्य-महासागरीय भागों के साथ बहु-धातु हाइड्रोथर्मल सल्फाइड खनिज के संभावित स्थलों का पता लगाना और उनकी पहचान करना है। 
  • महासागर से ऊर्जा और मीठा पानी:
  • महासागर जीवविज्ञान हेतु उन्नत समुद्री स्टेशन:
    • इस घटक का उद्देश्य महासागरीय जीव विज्ञान और इंजीनियरिंग में मानव क्षमता एवं उद्यम का विकास करना है। 
    • यह घटक ऑन-साइट बिज़नेस इन्क्यूबेटर सुविधाओं के माध्यम से अनुसंधान को औद्योगिक अनुप्रयोग और उत्पाद विकास में परिवर्तित करेगा। 

‘डीप ओशन मिशन’ का महत्त्व:

  • महासागरीय संसाधनों का लाभ उठाना: महासागर विश्व के 70% हिस्से को कवर करते हैं और हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। महासागरों की गहराई में स्थित लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा ऐसा है जिसका अब तक अन्वेषण नहीं किया जा सका है। 
    • भारत तीन दिशाओं से महासागरों से घिरा हुआ है और देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी तटीय क्षेत्रों में रहती है, साथ ही महासागर मत्स्यपालन, जलीय कृषि, पर्यटन, आजीविका एवं ‘ब्लू इकॉनमी’ का समर्थन करने वाला एक प्रमुख आर्थिक कारक है।
    • संवहनीयता पर महासागरों के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 2021-2030 के दशक को सतत् विकास हेतु महासागर विज्ञान के दशक (Decade of Ocean Science for Sustainable Development) के रूप में घोषित किया है।
  • लंबी तटरेखा: भारत की समुद्री स्थिति अद्वितीय है। इसकी 7,517 किमी. लंबी तटरेखा में नौ तटीय राज्य और 1,382 द्वीप हैं।
    • फरवरी 2019 में प्रतिपादित किये गए भारत सरकार के 2030 तक के नए भारत के विकास की अवधारणा (India's Vision of New India by 2030) के दस प्रमुख आयामों में से ब्लू इकॉनमी भी एक प्रमुख आयाम है।
  • तकनीकी विशेषज्ञता: ऐसे मिशनों के लिये आवश्यक तकनीक और विशेषज्ञता वर्तमान में केवल पाँच देशों- अमेरिका, रूस, फ्रांँस, जापान और चीन के पास उपलब्ध है।
    • भारत ऐसी तकनीक वाला छठा देश होगा।

नीली अर्थव्यवस्था/ब्लू इकॉनमी से संबंधित अन्य पहलें:

  • सतत् विकास के लिये नीली अर्थव्यवस्था पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स:
    • भारत और नॉर्वे के बीच ब्लू इकॉनमी को लेकर संयुक्त पहल विकसित करने के उद्देश्य से वर्ष 2020 में दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से इस टास्क फोर्स का गठन किया गया था।
  • सागरमाला परियोजना:
    • सागरमाला परियोजना बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के लिये आईटी-सक्षम सेवाओं के व्यापक उपयोग के माध्यम से बंदरगाह के विकास हेतु रणनीतिक पहल है।
  • ओ-स्मार्ट (O-SMART):
    • ओ-स्मार्ट एक अम्ब्रेला योजना है जिसका उद्देश्य सतत् विकास के लिये महासागरों और समुद्री संसाधनों का विनियमित उपयोग करना है।
  • एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन:
    • यह तटीय और समुद्री संसाधनों के संरक्षण तथा तटीय समुदायों के लिये आजीविका के अवसरों में सुधार पर केंद्रित है।
  • राष्ट्रीय मत्स्य नीति:
    • भारत में समुद्री और अन्य जलीय संसाधनों से मत्स्य संपदा के सतत् उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर 'ब्लू ग्रोथ इनिशिएटिव' को बढ़ावा देने हेतु एक राष्ट्रीय मत्स्य नीति मौजूद है।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्र. यदि राष्ट्रीय जल मिशन को सही ढंग से और पूर्णतः लागू किया जाए तो देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (2012)

1- शहरी क्षेत्रों की जल आवश्कताओं की आंशिक आपूर्ति अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण से हो सकेगी।
2- ऐसे समुद्रतटीय शहर-जिनके पास जल के अपर्याप्त वैकल्पिक स्रोत हैं, की जल आवश्यकताओं की आपूर्ति ऐसी समुचित पौद्योगिकी व्यवहार में लाकर की जा सकेगी, जो समुद्री जल को प्रयोग लायक बना सकेगी।
3- हिमालय से उद्गमित सभी नदियाँ प्रायद्वीपीय भारत की नदियों से जोड़ दी जाएंगी।
4- सरकार कृषकों द्वारा भौम जल निकालने के लिये बोरिंग से खोदे गए कुएँ और उन पर लगाई गई मोटर तथा पम्प-सेट पर वहन किये व्यय की पूरी तरह प्रतिपूर्ति करेगी।

नीचे दिये गए कूट के आधार पर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)

स्रोत: पी.आई.बी.

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