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प्रदूषण को झेलने में सबसे अधिक सक्षम, पतझड़ी पेड़

  • 31 May 2018
  • 4 min read

संदर्भ

बड़े शहरों में हवा की गुणवत्ता में गिरावट सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये चिंता का विषय है। इन शहरों में होने वाली घुटन से बचने के लिये अक्सर अक्सर भारी मात्रा में वृक्षारोपण किया जाता है, लेकिन BHU (Banaras Hindu University) के शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए अध्ययन में स्पष्ट हुआ है कि प्रदूषण से केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि वृक्षों की सेहत भी प्रभावित हो रही है।

क्या कहता है अध्ययन?

  • इस अध्ययन में सामने आया कि संयुक्त पत्तियों वाले पतझड़ी वृक्ष, छोटे तथा मध्यम कैनोपी वाले वृक्ष तथा गोलाकार और अंडाकार वृक्षों में प्रदूषण को सहन करने की क्षमता सबसे अधिक होती है।
  • इस अध्ययन में शामिल किये गए पेड़ों में पत्रंग (Caesalpinia sappan) को प्रदूषण के प्रति सबसे अधिक सहनशील पाया गया है।
  • अमरूद (Psidium Guajava), शीशम (Dalbergia sissoo) सिस्सू) तथा सिरस (Albizia lebbeck) के वृक्षों में भी प्रदूषण को सहन करने की क्षमता पाई गई। 

कैसे किया गया अध्ययन?

  • इस अध्ययन के लिये वैज्ञानिकों ने तीन अलग-अलग प्रदूषण स्तर वाले क्षेत्रों रिहायशी, औद्योगिक तथा ट्रैफिक वाले क्षेत्रों को चुना। 
  • दो वर्षों तक चले इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने विभिन्न ऋतुओं में वृक्षों का अध्ययन किया।
  • अध्ययन के अनुसार, कुल निलंबित सूक्ष्म कण, मैटर-10, नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड एवं ओज़ोन जैसे प्रदूषकों का स्तर रिहायशी क्षेत्रों की तुलना में ट्रैफिक व औद्योगिक क्षेत्रों में ढाई गुना अधिक पाया गया।
  • इस शोध के लिये वृक्षों की 13 प्रजातियों का चुनाव किया गया तथा पत्तियों से जुड़े लगभग 15 मापदंडों को शामिल किया गया।

पेड़ों द्वारा प्रदूषण सहन करने की क्षमता किस पर निर्भर करती है?

अध्ययन के अनुसार, पेड़ों द्वारा प्रदूषण को सहन करने की क्षमता पेड़ों की निम्नलिखित विशेषताओं पर निर्भर करती है:

♦ कैनोपी अर्थात् पेड़ के छत्र का आकार
♦ पत्तियों की बनावट तथा प्रकार
♦ पेड़ की प्रकृति

क्यों हैं पतझड़ी पेड़ प्रदूषण को सहन करने में सबसे अधिक सक्षम?

शोधकर्त्ताओं के अनुसार, पेड़ों की सामान्य पत्तियों की तुलना में संयुक्त पत्तियाँ हवा में उपस्थित प्रदूषकों के संपर्क में कम आती हैं, परिणामस्वरुप पेड़ अधिक समय तक इन पत्तियों को धारण कर पाते हैं।

निष्कर्ष

  • यदि वृक्षों की प्रजातियों में प्रदूषणकारी तत्त्वों से लड़ने की क्षमता का पता लग जाए तो शहरों में हरित क्षेत्रों का विकास करने में मदद मिल सकती है। 
  • वैज्ञानिकों द्वारा किये गए इस शोध के परिणाम जैव-विविधता के संरक्षण के साथ-साथ शहरों की सुंदरता में सुधार करने और प्रदूषकों को कम करके स्वास्थ्य संबंधी ख़तरों को कम करने के लिये भी महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं।
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