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COVID-19 महामारी के कारण बढ़ता शिक्षा अंतराल

  • 26 Jun 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

COVID-19 महामारी और बढ़ता वैश्विक शिक्षा अंतराल 

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन’ (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) द्वारा जारी की जाने वाली वैश्विक शिक्षा निगरानी’ (Global Education Monitoring- GEM) रिपोर्ट- 2020 के अनुसार, COVID-19 महामारी के  कारण वैश्विक  शिक्षा अंतराल में वृद्धि हुई है।

प्रमुख बिंदु:

  • ‘वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट’ एक स्वतंत्र वार्षिक प्रकाशन है। 
  • GEM रिपोर्ट को सरकारों, बहुपक्षीय एजेंसियों और निजी संस्थाओं द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और यूनेस्को द्वारा इसे सुविधा और समर्थन दिया जाता है।

वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट संबंधी प्रमुख निष्कर्ष:

  • विकासशील देशों में बढ़ता शिक्षा अंतराल: 
    • COVID-19 महामारी के दौरान निम्न तथा निम्न-मध्यम-आय वाले लगभग 40% देशों में गरीब, भाषाई अल्पसंख्यक और विकलांग लोगों को सीखने संबंधी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
    • अप्रैल, 2020 में विश्व में अधिकांश विद्यालय बंद रहे इस कारण विश्व के लगभग 91% छात्र स्कूल नहीं जा पाए।
  • दूरस्थ शिक्षा संबंधी बाधा:
    • रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के दौरान विश्व में दूरस्थ शिक्षा (Distance Learning) उपायों को अपनाया गया जो कक्षा आधारित प्रणालियों की तुलना में कम प्रभावी तथा अपूर्ण विकल्प है। 
    • रिपोर्ट के अनुसार, निम्न-आय वाले 55%, निम्न-मध्यम-आय वाले 73% और ऊपरी-मध्यम-आय वाले 93% देशों में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के लिये ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों को अपनाया गया है।
  • बढ़ता डिजिटल शिक्षा अंतराल: 
    • सरकार तेज़ी से प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा प्रणालियों को अपना रही है, लेकिन डिजिटल डिवाइड के कारण सरकार का यह दृष्टिकोण भी अधिक सफल नहीं रहा है।
    • सरकार सभी छात्रों और शिक्षकों को उपलब्ध डिजिटल प्लेटफार्मों का लाभ उठाने के लिये पर्याप्त इंटरनेट कनेक्शन, उपकरण, कौशल प्रदान करने में सक्षम नहीं रही।
  • दिव्यांगजनों के लिये बाधाएँ:
    • शिक्षा संबंधी कुछ सुविधाएँ केवल विद्यालय परिसर में उपलब्ध हो सकती हैं यथा दृष्टिबाधित तथा श्रवणबाधित छात्रों के लिये संसाधन स्कूलों के बाहर उपलब्ध नहीं हो सकते हैं।
    • ऐसे छात्रों को कंप्यूटर पर स्वतंत्र रूप से कार्य करने में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • छात्रों का पोषण तथा सुरक्षा: 
    • गरीब छात्र; जो मुफ्त भोजन या मुफ्त सैनिटरी नैपकिन के लिये स्कूल पर निर्भर हैं, को विद्यालय बंद होने के कारण अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। भारत सहित कई देशों में परीक्षाओं को रद्द करने से शिक्षकों पर निर्भरता बढ़ सकती है।
  • स्कूल ड्रॉप-आउट दर का बढ़ना: 
    • स्कूल ड्रॉप-आउट दर का बढ़ना भी एक चिंता का विषय हैं। अफ्रीका में इबोला महामारी के दौरान जो छात्राएँ विद्यालय नहीं जा सकी वे संकट खत्म होने के बाद कभी स्कूल नहीं गई।

विकासशील देशों द्वारा उठाए गए कदम:

  •  रिपोर्ट के अनुसार, निम्न और मध्यम आय वाले 17%  देश अधिक शिक्षकों की भर्ती करने की योजना बना रहे हैं, 22% कक्षा के समय को बढ़ाने को योजना बना रहे हैं  और 68% सुधारात्मक कक्षाओं (Remedial Classes) को शुरू करने की योजना बना रहे हैं। 

निष्कर्ष: 

  • ऑनलाइन कक्षाओं के आयोजन में कक्षा प्रबंधन एक प्रमुख मुद्दा है, अत: विद्यालयों को ऑनलाइन कक्षाओं के आयोजन की दिशा में व्यापक रणनीति तथा मूल्यांकन प्रणाली को अपनाने की आवश्यकता है। 

स्रोत: द हिंदू

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