यूनेस्को से अलग हुए अमेरिका और इजराइल

चर्चा में क्यों?


हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल आधिकारिक तौर पर यूएन (UN) के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को (UNESCO) से बाहर निकल गए। ट्रंप प्रशासन ने अक्तूबर 2017 में यूनेस्को पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए इससे बाहर निकलने की घोषणा की थी, जिसके कुछ दिन बाद ही इज़राइली प्रधानमंत्री बेंज़ामिन नेतान्याहू ने भी इज़राइल के यूनेस्को से बाहर होने का निर्णय लिया था।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वैश्विक शांति के लिये UN द्वारा स्थापित इस संस्था में अमेरिका भी सहयोगी देश था।
  • अमेरिका इससे पहले भी 1984 में यूनेस्को से बाहर निकल गया था लेकिन 2003 में पुनः इसमें शामिल हो गया।
  • यूनेस्को द्वारा फिलिस्तीन को स्थायी सदस्यता देने के विरोध में अमेरिका के राष्ट्रपति ने पुनः इससे बाहर निकलने का निर्णय लिया।
  • यूनेस्को द्वारा 2011 में फिलिस्तीन को UN की स्थायी सदस्यता प्रदान की गई थी।
  • यूनेस्को ने यहूदियों की धरोहर पर फिलिस्तीन के अधिकार को भी पुष्ट किया जिससे दोनों देश यूनेस्को से नाराज थे।
  • दोनों देशों द्वारा 2011 से ही यूनेस्को की फंडिंग रोक दी गई थी, स्पष्ट है कि, इस निर्णय से इस संस्था पर कोई खास असर नही पड़ेगा।
  • अमेरिका ने यूनेस्को पर बढ़ते आर्थिक दबाव के संबंध में चिंता व्यक्त की थी और इसमें मूलभूत बदलाव के लिये प्रस्ताव भी दिया था।

यूनेस्को

  • यूनेस्को (UNESCO) 'संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization)' का संक्षिप्त रूप है। यह संयुक्त राष्ट्र का ही एक भाग है।
  • मुख्यालय-पेरिस (फ्राँस)
  • गठन - 16 नवंबर, 1945
  • कार्य - शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना।
  • उद्देश्य - इसका उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कृति के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से शांति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है, ताकि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में वर्णित न्याय, कानून का राज, मानवाधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रता हेतु वैश्विक सहमति बन पाए।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस