भारतीय राजव्यवस्था
संविधान दिवस
- 28 Nov 2020
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:संविधान दिवस, राष्ट्रीय विधि दिवस मेन्स के लिये:महत्त्वपूर्ण संविधान संशोधन, भारतीय संविधान का इतिहास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 26 नवंबर को देश में 71वाँ संविधान दिवस (Constitution Day) मनाया गया। प्रतिवर्ष इस अवसर पर संविधान में निहित मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से कई प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
- संविधान दिवस (Constitution Day) को राष्ट्रीय विधि दिवस के रूप में भी जाना जाता है, यह दिन भारत में संविधान को अपनाने की याद दिलाता है।
- वर्ष 1949 में इसी दिन अर्थात 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा औपचारिक रूप से भारत के संविधान को अपनाया गया जिसे आगे चलकर 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया।
- केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवंबर, 2015 को भारत सरकार द्वारा 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के निर्णय को अधिसूचित किया था।
भारतीय संविधान से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
- संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान के निर्माण का कार्य 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिनों में पूरा किया गया।
- भारतीय संविधान की मूल प्रतियों को टाइप या मुद्रित नहीं किया गया था, बल्कि इन प्रतियों को हाथ से लिखकर तैयार किया गया था। वर्तमान में संविधान की मूल प्रतियों को संसद के पुस्तकालय के भीतर हीलियम से भरे बॉक्स/ केस (Case) में रखा गया है।
- प्रसिद्ध सुलेखक (Calligrapher) प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने संविधान की मूल प्रतियों तैयार की थी।
- मूल रूप से भारत का संविधान अंग्रेजी और हिंदी भाषा में लिखा गया था।
- भारतीय संविधान के निर्माण के समय इसकी कुछ विशेषताओं को ब्रिटेन, आयरलैंड, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा सहित अन्य कई देशों के संविधानों से उधार लिया गया था।
- भारतीय संविधान की मूल संरचना भारत सरकार अधिनियम, 1935 पर आधारित है।
- यह विश्व का सबसे लंबा संविधान है।
- सरकार के संसदीय प्रणाली।
पृष्ठभूमि:
- वर्ष 1934 में एम. एन. रॉय द्वारा पहली बार एक संविधान सभा का विचार प्रस्तुत किया गया। वर्ष 1946 की कैबिनेट मिशन योजना के तहत, संविधान सभा के गठन के लिये चुनाव का आयोजन किया गया।
प्रारूप समिति:
- प्रारूप समिति (Drafting Committee) में सात सदस्य शामिल थे: अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, एन. गोपालस्वामी, भीमराव आंबेडकर, के.एम. मुंशी, मोहम्मद सादुल्ला, बी.एल. मित्तर और डी.पी. खेतान।
- 30 अगस्त, 1947 को अपनी पहली बैठक में प्रारूप समिति ने भीमराव आंबेडकर को अपना अध्यक्ष चुना।
महत्त्वपूर्ण संविधान संशोधन:
- प्रथम संशोधन अधिनियम, 1951:
- इसके तहत कानून की रक्षा के लिये संपत्ति अधिग्रहण आदि की व्यवस्था।
- भमि सुधार तथा न्यायिक समीक्षा से जुड़े अन्य कानूनों को नौंवी अनुसूची में स्थान दिया गया।
- अनुच्छेद 31 में दो उपखंड 31 (क) और 31 (ख) जोड़े गये।
- सातवाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1956:
- राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट तथा राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 को लागू करने के लिये द्वितीय तथा सातवीं अनुसूची में संशोधन किया गया।
- 42वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1976:
- 42 वें संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में प्रमुख संशोधनों में से कुछ निम्नलिखित हैं:
- प्रस्तावना:
- इस संशोधन के तहत भारत को परिभाषित करने के लिये ‘संप्रभु लोकतांत्रिक गणतांत्रिक’ शब्द के स्थान पर ‘संप्रभु लोकतांत्रिक, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, गणतांत्रिक’ शब्द को जोड़ दिया गया।
- साथ ही प्रस्तावना में ‘’शब्द को राष्ट्र की एकता” शब्द को बदलकर ’शब्द को राष्ट्र की एकता और अखंडता” कर दिया गया।
मौलिक अधिकार और निर्देशक सिद्धांत:
- 42 वें संवैधानिक संशोधन के तहत एक सबसे बड़ा बदलाव यह किया गया कि इसके तहत राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) को संविधान के अनुच्छेद 14, 19 या 31 में निहित मौलिक अधिकारों पर प्राथमिकता देने का प्रावधान किया गया।
मौलिक कर्तव्य:
- 42 वें संशोधन अधिनियम के तहत संविधान में IV-A नामक एक नया भाग बनाने के लिये इसमें अनुच्छेद 51-A शामिल किया गया, संविधान के भाग IV-A में नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों का निर्धारण किया गया है।
44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978:
- इस संशोधन के माध्यम से अनुच्छेद 74 (1) में एक नया प्रावधान जोड़ा गया जिसके अनुसार, राष्ट्रपति को कैबिनेट की सलाह को पुनर्विचार के लिये एक बार लौटाने/वापस भेजने की शक्तियाँ दी गई। परंतु इसके तहत राष्ट्रपति को पुनर्विचार के बाद भेजी जाने वाली सलाह को मानने के लिये बाध्य कर दिया गया।
- इस संशोधन के अनुसार, मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रपति को दी गई लिखित सलाह के आधार पर ही आपातकाल घोषित किया जा सकता है।
- इस संशोधन के तहत ‘संपत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर इसे एक एक कानूनी अधिकार के रूप में घोषित किया गया है।
संविधान (73वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992
- संविधान में अनुच्छेद 243 A को जोड़कर एक अलग भाग IX जोड़ा गया है और ग्यारहवीं अनुसूची नामक एक नई अनुसूची जोड़ी गई जिसमें पंचायती राज संस्थाओं की शक्तियों एवं कार्यों का उल्लेख किया गया है।
संविधान (74वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992
- यह अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है। संविधान के भाग VIII के बाद, अनुच्छेद 243 A में जोड़ के साथ संविधान में एक अलग भाग IXA जोड़ा गया है और शहरी स्थानीय निकायों की शक्तियों एवं कार्यों को शामिल करते हुए 12वीं अनुसूची नामक एक नई अनुसूची को शामिल किया गया है।
- यह अधिनियम नगर पंचायत, नगर परिषद एवं नगर निगम में SC एवं ST को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटों का आरक्षण और महिलाओं के लिये सीटों का एक तिहाई आरक्षण प्रदान करता है।
संविधान (101वाँ संशोधन) अधिनियम, 2017
- वस्तु एवं सेवा कर को अपनाया गया।
संविधान (102वाँ संशोधन) अधिनियम, 2018
- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया।
संविधान (103वाँ संशोधन) अधिनियम, 2019
- अनुच्छेद 15 की उपधारा (4) एवं (5) में वर्णित वर्गों के अलावा अन्य वर्गों के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (EWSs) के नागरिकों के लिये अधिकतम 10% आरक्षण (अर्थात सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त)।