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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

कोयला गैसीकरण

  • 04 Feb 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कोयला गैसीकरण, सिनगैस, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था।

मेन्स के लिये:

कोयला गैसीकरण परियोजनाओं पर केंद्र सरकार की घोषणा के संबंध में प्रमुख चिंताएँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट’ (CSE) ने वर्ष 2022-23 के बजट में कोयला गैसीकरण परियोजनाओं पर केंद्र सरकार की घोषणा के बारे में चिंता व्यक्त की है।

  • बजट में कोयला गैसीकरण और उद्योग के लिये आवश्यक रसायनों में कोयले के रूपांतरण हेतु चार पायलट परियोजनाओं का प्रस्ताव है।
  • सीएसई के अनुसार, जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से कोयला गैसीकरण की प्रक्रिया उपयुक्त नहीं है।

कोयला गैसीकरण क्या है?

  • प्रक्रिया: कोयला गैसीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ‘फ्यूल गैस’ बनाने के लिये कोयले को वायु, ऑक्सीजन, वाष्प या कार्बन डाइऑक्साइड के साथ आंशिक रूप से ऑक्सीकृत किया जाता है।
    • इस गैस का उपयोग पाइप्ड प्राकृतिक गैस, मीथेन और अन्य के स्थान पर ऊर्जा प्राप्त करने हेतु किया जाता है।
    • कोयले का ‘इन-सीटू’ गैसीकरण या भूमिगत कोयला गैसीकरण कोयले को गैस में परिवर्तित करने की तकनीक है, इसे कुओं के माध्यम से निकाला जाता है।
  • सिनगैस का उत्पादन: यह सिनगैस (Syngas) को उत्पन्न करता है जो मुख्य रूप से मीथेन (CH4), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोजन (H2), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और जल वाष्प (H2O) का मिश्रण है।
    • सिनगैस का उपयोग बिजली के उत्पादन और उर्वरक जैसे रासायनिक उत्पाद के निर्माण सहित विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जा सकता है।
  • महत्त्व: स्टील कंपनियांँ आमतौर पर अपनी निर्माण प्रक्रिया में कोकिंग कोल का उपयोग करती हैं। अधिकांश कोकिंग कोल आयात किया जाता है और महंँगा होता है।
    • लागत में कटौती करने के लिये संयंत्र सिनगैस का उपयोग कर सकते हैं जो कोकिंग कोल के स्थान पर कोयला गैसीकरण संयंत्रों से प्राप्त होता है।
    • यह मुख्य रूप से बिजली उत्पादन हेतु रासायनिक फीडस्टॉक्स के उत्पादन में उपयोग किया जाता है।
    • कोयला गैसीकरण से प्राप्त हाइड्रोजन का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों हेतु किया जा सकता है जैसे- अमोनिया निर्माण, हाइड्रोजन इकॉनमी को मज़बूती प्रदान करने में।

Coal-Gasification

हाइड्रोजन इकॉनमी:

  • यह एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जो वाणिज्यिक ईंधन के रूप में हाइड्रोजन पर निर्भर करती है जो किसी देश की ऊर्जा और सेवाओं में एक बड़ा हिस्सा प्रदान करती है।
  • हाइड्रोजन एक शून्य-कार्बन ईंधन है और इसे ईंधन का विकल्प और स्वच्छ ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है।
  • इसे सौर और पवन जैसे ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादित किया जा सकता है।
  • यह भविष्य के ईधन के रूप में परिकल्पित है जहांँ हाइड्रोजन का उपयोग वाहनों, ऊर्जा भंडारण और लंबी दूरी के परिवहन के लिये ईंधन के रूप में किया जाता है। 
  • हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का उपयोग करने के विभिन्न मार्गों में हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण, परिवहन और उपयोग शामिल हैं।
    • वर्ष 1970 में जॉन बोक्रिस (John Bockris) द्वारा 'हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था' शब्द का प्रयोग किया गया था।
    • उन्होंने उल्लेख किया कि एक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था वर्तमान हाइड्रोकार्बन आधारित अर्थव्यवस्था का स्थान ले सकती है, जिससे एक स्वच्छ वातावरण निर्मित हो सकता है।

कोयला गैसीकरण संयंत्रों से जुड़ी चिंताएँ:

  • पर्यावरणीय परिप्रेक्ष्य: कोयला गैसीकरण वास्तव में एक पारंपरिक कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करता है।
    • सीएसई (CSE) के अनुमानों के अनुसार, गैसीफाइड कोयले को जलाने से उत्पन्न बिजली की एक इकाई सीधे कोयले को जलाने के परिणाम की तुलना में 2.5 गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करती है।
  • दक्षता परिप्रेक्ष्य: सिनगैस (syngas) प्रक्रिया अपेक्षाकृत उच्च गुणवत्ता वाले ऊर्जा स्रोत (कोयला) को निम्न गुणवत्ता वाली स्थिति (गैस) में परिवर्तित करती है और ऐसा करने में बहुत अधिक ऊर्जा की खपत होती है।
    • इस प्रकार के परिवर्तन से इसकी दक्षता भी कम हो जाती है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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