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कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा ‘यूजेन्स’ ऋण पत्र जारी करने की सुविधा का विस्तार

  • 13 Apr 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारत में कोयला उत्पादन, ऊर्जा संसाधनों का विद्युत् उत्पादन में योगदान, कॉल इंडिया लिमिटेड 

मेन्स के लिये:

यूजेन्स ऋण पत्रों के लाभ एवं सीमाएँ 

चर्चा में क्यों?

बिजली क्षेत्र के उपभोक्ताओं को राहत देने और कोयले की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited- CIL) ने ईंधन आपूर्ति समझौते (Fuel Security Agreement) के तहत अग्रिम नकद भुगतान की बजाय भविष्य में एक निश्चित अवधि में भुगतान की सुविधा वाला (यूजेन्स) ऋण पत्र जारी करने की सुविधा प्रदान की है। CIL ने इस वर्ष के अप्रैल महीने से गैर बिजली क्षेत्र के उपभोक्ताओं के लिये भी ऐसी ही एक व्यवस्था की शुरुआत की है।

क्या हैं यूजेन्स ऋण पत्र:

  • यूजेन्स (या स्थगित) ऋण पत्र विशिष्ट प्रकार के ऋण पत्र हैं जो ऋण पत्र में उल्लिखित शर्तों को पूरा करने के पश्चात पूर्व निर्धारित समयावधि अथवा भविष्य में देय होते हैं।
  • इस पसंदीदा वित्तीय साधन में क्रेता और विक्रेता के बीच विश्वास प्रमुख तत्त्व होता है।
  • लेटर ऑफ क्रेडिट में ऋण परिपक्वता और वास्तविक भुगतान की अवधि निर्धारित कर दी जाती है। इसका दोनों पक्षों द्वारा संदर्भ के रूप में उपयोग किया जाता है।

यूजेन्स ऋण पत्र के लाभ:

  • यह क्रेता के लिये एक लचीला वित्तीय उपकरण है जो उसकी कार्यशील पूंजी में वृद्धि करने के साथ ही विक्रेता को भुगतान किये जाने से पहले ही बेचने के लिये स्टॉक की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। 
  • खरीददार को ब्याज मुक्त कार्यशील पूंजी मिलने तथा कुशल कार्यशील पूंजी प्रबंधन से पूंजी चक्र को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। 
  • खरीदार को भुगतान प्राप्त करने से पहले ही माल प्राप्त होने के कारण माल की गुणवत्ता की जाँच हो जाती है।

यूजेन्स ऋण पत्र की सीमाएँ:

  • खरीददार को क्रेडिट अवधि देने से विक्रेता को कार्यशील पूंजी का प्रबंधन करना होता है।
  • यूजेन्स ऋण पत्र का उपयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब खरीदार की ऋण साख अधिक हो या वह क्रेता का बाजार हो इस कारण विक्रेता यूजेन्स ऋण पत्र की उदार शर्तों के लिये सहमत हो जाता है 

बिजली और गैर- बिजली उपभोक्ताओं को होने वाले लाभ: 

  • इससे बिजली क्षेत्र के उपभोक्ताओं को राहत तो मिलेगी ही साथ ही विद्युत् प्रणाली में तरलता भी बढ़ाई जा सकेगी
  • इससे बिजली उत्पादकों को कार्यशील पूंजी चक्र को बेहतर बनाने में काफी मदद मिलेगी
  • कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित होने के साथ ही कोयले के उपभोक्ताओं को बहुप्रतीक्षित राहत मिलेगी 
  • तरलता में वृद्धि के कारण गैर बिजली उपभोक्ता लाभान्वित होंगे

कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) 

  • राज्य के स्वामित्त्व वाली कोल इंडिया लिमिटेड कंपनी  नवंबर, 1975 में अस्तित्व में आई। 
  • अपनी स्थापना के वर्ष में 79 मिलियन टन (MT) के साधारण उत्पादन वाली कोल इंडिया लिमिटेड आज विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक तथा सबसे बड़े कॉर्पोरेट नियोक्ता में से एक है
  • यह एक महारत्न कंपनी है जो राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का परिचालन एवं  विस्तार करने हेतु भारत सरकार द्वारा विशेषाधिकार प्राप्त है।

 भारत में कोयला उत्पादन 

  • भारत में कुल विद्युत् उत्पादन में कोयले का योगदान 54% है 
  • भारत के कुल संचित भंडार का 99% कोयला गोंडवाना संरचना में पाया जाता है, जिसका निर्माण कार्बोनिफेरस एवं पर्मियन काल में हुआ शेष कोयला टर्शियरी काल का है 
  • गोंडवाना कोयला क्षेत्र मुख्य रूप से दामोदर, सोन, महानदी, गोदावरी, पेंच, वर्धा आदि नदी घाटियों का कोयला क्षेत्र है- 
    • दामोदर घाटी कोयला क्षेत्र- झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में झरिया, बोकारो, गिरिडीह, कर्णपुरा आदि कोयला क्षेत्र  
    • सोन घाटी कोयला क्षेत्र- मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में सिंगरौली, सोहागपुर, उमरिया, तातापानी कोयला क्षेत्र  
    • महानदी घाटी कोयला क्षेत्र- छत्तीसगढ़ एवं ओडिसा में कोरबा एवं तालचर क्षेत्र  
    • गोदावरी घाटी कोयला क्षेत्र- तेलंगाना में सिंगरेनी कोयला क्षेत्र 
    • वर्धा घाटी कोयला क्षेत्र- महाराष्ट्र में चंद्रपुर, यवतमाल और नागपुर क्षेत्र 
  • टर्शियरी कोयला क्षेत्र मेघालय, ऊपरी असम, अरुणाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्मीर में विस्तृत है  

विद्युत् उत्पादन में विभिन्न ऊर्जा स्रोतों का योगदान:

ऊर्जा स्रोत 

कुल विद्युत् उत्पादन में योगदान  (प्रतिशत में)

तापीय ऊर्जा 
• कोयला
• लिग्नाइट 
• गैस 
• डीज़ल 

62.8 
54.2 
1.7 
6.9 
0.1 

जल ऊर्जा (नवीकरणीय)

12.4 

परमाणु ऊर्जा 

1.9

नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत

23.5  

स्रोत- पीआईबी

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