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जैव विविधता और पर्यावरण

पेरिस समझौते के लिये चीन का नए सिरे से समर्थन

  • 25 Sep 2020
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये 

पेरिस समझौता  

मेन्स के लिये 

पेरिस समझौते के लिये चीन की नई रणनीति 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, विश्व को COVID-19 संकट से उबरने के लिये 'ग्रीन फोकस' (Green Focus) का आह्वान करते हुए चीन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेरिस समझौते के लिये नए सिरे से समर्थन की पेशकश की है।

प्रमुख बिंदु:

  • चीन, दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषक उत्सर्जित करने वाला देश है और यह कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक चौथाई हिस्सा उत्सर्जित करता है।
  • चीन का लक्ष्य वर्ष 2030 से पहले कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन की चरम सीमा तक पहुँचना और वर्ष 2060 से पहले कार्बन तटस्थता प्राप्त करना है।
    • गौरतलब है कि यूरोपीय संघ ने वर्ष 2050 तक ‘जलवायु तटस्थता’ के लक्ष्य को निर्धारित किया है।
      • जलवायु तटस्थता जिसे सामान्यतः शुद्ध-शून्य उत्सर्जन की स्थिति के रूप में व्यक्त किया जाता है, देश के कार्बन उत्सर्जन को संतुलित करती है। इसके अंतर्गत वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों का अवशोषण और निष्कासन जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
  • इसके अतिरिक्त चीन पहले से ही अपनी 15% ऊर्जा माँग, गैर-जीवाश्म ईंधन से पूरी करता है और चीन का नवीकरणीय ऊर्जा ढाँचा विश्व के कुल नवीकरणीय ऊर्जा ढाँचे का 30% है।
  • हालाँकि, वैश्विक विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का अपने देश में ही एवं विदेशों में कोयले एवं अन्य जीवाश्म ईंधन में बड़े पैमाने पर निवेश जारी है।
    • सैन फ्रांसिस्को स्थित एक पर्यावरण समूह ‘ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर’ (Global Energy Monitor) के अनुसार, या तो वर्तमान में चीन के पास 135 गीगावाट कोयला आधारित बिजली क्षमता मौजूद है या निर्माणाधीन है।
      • यह संयुक्त राज्य अमेरिका की कुल कोयला आधारित बिजली क्षमता का लगभग आधा है जो चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्रदूषक उत्सर्जक देश है।

संयुक्त राज्य अमेरिका की आलोचना:

  • चीन ने प्लास्टिक एवं कचरा निर्यात के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका की मांग पर भी प्रकाश डाला और प्रदूषक उत्सर्जन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में बाधा डालने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका की आलोचना की।
  • चीन के इस कदम ने संयुक्त राज्य अमेरिका-चीन संबंधों में एक नया मोड़ ला दिया है जो पहले से ही व्यापार, प्रौद्योगिकी, रक्षा एवं मानवाधिकार जैसे मुद्दों के कारण तनावपूर्ण चल रहे हैं।

स्रोत: द हिंदू

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