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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन ने पैंगोंग झील पर बनाया पुल

  • 04 Jan 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-चीन गतिरोध, पैंगोंग त्सो झील, वास्तविक नियंत्रण रेखा, कैलाश रेंज।

मेन्स के लिये:

पैंगोंग झील के पार चीन का बनाया गया पुल, भारत के लिये इसका निहितार्थ, भारत-चीन गतिरोध की पृष्ठभूमि।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, यह पाया गया कि चीन पैंगोंग त्सो पर एक नया पुल बना रहा है जो झील के उत्तर और दक्षिण किनारों के बीच तथा एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के करीब सैनिकों को तेजी से तैनात करने के लिये एक अतिरिक्त धुरी प्रदान करेगा।

  • इससे पहले, भूमि सीमाओं पर चीन का नया कानून 1 जनवरी, 2022 से ऐसे समय में लागू हुआ, जब पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध अनसुलझा है और अरुणाचल प्रदेश में कई स्थानों का नाम हाल ही में चीन ने भारतीय राज्य पर अपने दावे के हिस्से के रूप में बदल दिया है।
  • भारत भी सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने बुनियादी ढांँचे में सुधार कर रहा है। 2021 में सीमा सड़क संगठन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में 100 से अधिक परियोजनाओं को पूरा किया, जिनमें से अधिकांश चीन के साथ सीमा के करीब थीं।

प्रमुख बिंदु 

  • पृष्ठभूमि:
    • मई 2020 में सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद से भारत और चीन ने न केवल मौजूदा बुनियादी ढांँचे को बेहतर बनाने के लिये काम किया है, बल्कि पूरी सीमा पर कई नई सड़कों, पुलों, लैंडिंग स्ट्रिप्स का भी निर्माण किया है।
    • अगस्त 2020 के अंत में भारत ने पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी तट पर कैलाश रेंज की पहले से खाली पड़ी ऊँचाइयों पर कब्जा कर चीन को पछाड़ दिया।
    • भारतीय सैनिकों ने मागर हिल, गुरुंग हिल, रेजांग ला, रेचिन ला सहित वहाँ की चोटियों पर तैनात किया जिससे उन्हें रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण स्पैंगगुर गैप पर हावी होने की अनुमति दी जिसका उपयोग एक आक्रामक शुरू करने के लिये किया जा सकता है, जैसा कि चीन ने 1962 में किया था।
    • भारतीय सैनिकों ने भी उत्तरी तट पर फिंगर्स क्षेत्र में चीनी सैनिकों के ऊपर खुद को तैनात कर लिया था। 
    • कठोर सर्दियों के महीनों में दोनों देशों के सैनिक इन ऊँचाइयों पर बने रहे। जिससे चीन को बातचीत करने के लिये मज़बूर किया।
    • दोनों देश झील के उत्तरी तट से पीछे हटने और पैंगोंग त्सो के दक्षिण में चुशुल उप-क्षेत्र में कैलाश रेंज पर स्थिति पर सहमत हुए।

Aksai-Chin

  • पुल के बारे में:
    • झील के उत्तरी तट पर फिंगर  8 से 20 किमी पूर्व में पुल का निर्माण किया जा रहा है जिस पर भारत का कहना है कि फिंगर 8 एलएसी को दर्शाता है।.
      • फिंगर एरिया से झील दिखाई देती है सिरिजाप रेंज (झील के उत्तरी किनारे पर) से बाहर आठ चट्टानों का एक समूह है।
    • 135 किमी लंबी पैंगोंग त्सो एक एंडोरेइक झील है, जिसमें से दो-तिहाई से अधिक चीन के नियंत्रण में है।
      • झील के उत्तर और दक्षिण किनारे कई संवेदनशील बिंदुओं में से थे जो गतिरोध की शुरुआत के बाद सामने आए थे। फरवरी 2021 में भारत और चीन के उत्तर एवं दक्षिण तट से सैनिकों को वापस बुलाने से पहले, इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लामबंदी देखी गई थी और दोनों पक्षों ने कुछ स्थानों पर बमुश्किल कुछ सौ मीटर की दूरी पर टैंक भी तैनात किये थे।
    • पुल साइट रुतोग काउंटी में खुर्नक किले के ठीक पूर्व में स्थित है जहांँ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People’s Liberation Army-PLA) के सीमावर्ती ठिकाने हैं।
      • ऐतिहासिक रूप से भारत का एक हिस्सा, खुर्नक फोर्ट वर्ष 1958 से चीन के नियंत्रण में है।
    • खुर्नक फोर्ट से LAC काफी पश्चिम है, जिसमें भारत फिंगर 8 पर दावा करता है और चीन फिंगर 4 पर दावा करता है।
  • चीन के लिये महत्त्व:
    • पुल रुडोक के माध्यम से खुर्नक से दक्षिण तट तक 180 किलोमीटर के लूप को काट देगा, जो खुर्नक और रुडोक के बीच की दूरी को लगभग 200 किलोमीटर के बजाय 40-50 किलोमीटर तक कम कर देगा।
    • अगस्त 2020 में जो हुआ उसे दोहराने से रोकने की उम्मीद में, पुल का निर्माण इस क्षेत्र में सैनिकों को तेज़ी से एकत्र करने में मदद करेगा।
  • भारत के लिये निहितार्थ:
    • पुल उनके क्षेत्र में निर्मित किया जा रहा है और भारतीय सेना को अपनी परिचालन योजनाओं में इसे शामिल करना होगा।
    • सड़कों का चौड़ीकरण, नई सड़कों और पुलों का निर्माण, नए बेस, हवाई पट्टी, अग्रिम लैंडिंग बेस आदि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि ये कार्य भारत-चीन सीमा (पूर्वी, मध्य और पश्चिमी) के तीन क्षेत्रों में हो रहे हैं। 

स्रोत: द हिंदू

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