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डेली न्यूज़

सामाजिक न्याय

अर्थव्यवस्था का बदलता स्वरूप और सामाजिक सुरक्षा

  • 12 Oct 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

BRICS

मेन्स के लिये:

डिजिटल अर्थव्यवस्था और श्रम सुधार

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘ब्रिक्स’ (BRICS) देशों द्वारा मंत्रिस्तरीय 'आभासी बैठक' का आयोजन किया गया, जिसमें ‘श्रम और रोज़गार राज्य मंत्री’ द्वारा भागीदारी की गई।

प्रमुख बिंदु:

  • ब्रिक्स देशों के 'श्रम और रोज़गार मंत्रियों' के मध्य 'आभासी बैठक' का आयोजन रूस की अध्यक्षता में किया गया।
  • आभासी बैठक में ब्रिक्स देशों में एक 'सुरक्षित कार्य संस्कृति' (Safe Work Culture) बनाने के दृष्टिकोण सहित श्रम से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।
  • आभासी बैठक में भारत सरकार द्वारा श्रम सुधारों की दिशा में उठाए गए कदमों की भी चर्चा की गई।

श्रम से संबंधित उभरते मुद्दे:

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था और श्रम:
    • 'डिजिटल अर्थव्यवस्था', अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग है। 'डिजिटल अर्थव्यवस्था' से तात्पर्य उन सभी आर्थिक प्रक्रियाओं, लेन-देन, इंटरैक्शन और गतिविधियों से है जो डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर आधारित हैं।
    • डिजिटल अर्थव्यवस्था के नवीन क्षेत्रों यथा- टेलीमेडिसिन, लॉजिस्टिक अवसंरचना, ऑनलाइन भुगतान, दूरस्थ शिक्षा और मनोरंजन जैसे प्रौद्योगिकी नवाचार के क्षेत्र में भारत वैश्विक तथा स्थानीय व्यवसायों के लिये एक आकर्षक अवसर के साथ-साथ रोज़गार के नवीन अवसर पैदा करता है।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स जैसे डिजिटलीकरण और तकनीकी प्रगति बाज़ार को सीधे प्रभावित करते हैं। आभासी बैठक में 'एक डिजिटल अर्थव्यवस्था में कार्य के भविष्य' विषय पर चर्चा की गई।
    • ‘अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण’ श्रम कानूनों के अनुपालन तंत्र और कार्यान्वयन को सरल बनाने में भी मदद करता है। श्रम बाज़ार प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये एक ऑनलाइन निरीक्षण प्रणाली तथा औद्योगिक विवादों के निपटारे की शुरुआत की गई है।
    • डिजिटल अर्थव्यवस्था, कार्य की दशाओं को पूरी तरह से बदल रही है। ब्रिक्स नेटवर्क रिसर्च इंस्टीट्यूट्स द्वारा इस दिशा में निरंतर शोध कार्य किया जाएगा, जिससे भविष्य में कार्य के पहलुओं की बेहतर समझ और नीति निर्माण में मदद मिलेगी।
  • श्रम का बदलता स्वरूप और सामाजिक सुरक्षा :
    • 'सुरक्षित कार्य वातावरण और स्वस्थ कार्यबल' का एक महत्त्वपूर्ण घटक 'आकस्मिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज' की उपलब्धता है जो आकस्मिकताओं के समय में वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इस दिशा में भारत सरकार द्वारा 'सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा' के लिये एक रूपरेखा प्रदान की गई है।
    • असंगठित श्रमिकों, प्रवासी श्रमिकों, स्वरोज़गार वालों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान करने के साथ ही इस दिशा में रोज़गार के नवीन स्वरूपों यथा-गिग़ और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को भी शामिल किया गया है।
  • गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम और श्रम सुधार:
    • श्रम सुधार और गरीबी उन्मूलन के मुद्दे परस्पर संबंधित हैं। अत: गरीबी उन्मूलन के लिये बहुआयामी रणनीति को अपनाए जाने की आवश्यकता है।
    • भारत सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत बुनियादी सेवाएँ उपलब्ध कराने, वित्तीय समावेशन उपायों को अपनाने, सबसे कमज़ोर नागरिकों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान करके गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच प्रदान करने, खाना बनाने के लिये स्वच्छ ईंधन प्रदान करने जैसे बहुआयामी रणनीति गरीबी उन्मूलन उपायों को अपनाया गया है।

श्रम सुधारों की दिशा में प्रमुख पहल:

  • भारत सरकार भविष्य में कार्य को अधिक समावेशी बनाने के लिये श्रम बाज़ार में समान पहुँच, समान काम के लिये समान वेतन, समाज के सभी वर्गों की समान भागीदारी और सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के दृष्टिकोण पर आधारित है।
  • कार्यस्थल पर व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रदान करने की दिशा में एक प्रगतिशील और प्रभावी ढाँचा प्रदान करने के लिये हाल ही में संसद द्वारा ‘व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी परिस्थितियों पर संहिता' (Code on Occupational Safety, Health and Working Conditions)- 2020 को पारित किया गया है।
  • ज़रूरतमंद लोगों को रोज़गार और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में कई योजनाएँ यथा- 'राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना', 'राष्ट्रीय आजीविका मिशन', स्वरोज़गार को बढ़ावा देने के लिये संपार्श्विक मुक्त ऋण सुविधा का विस्तार आदि को प्रारंभ किया गया है।
  • COVID-19 महामारी दुनिया में व्यापक पैमाने पर नवीन चुनौतियाँ लेकर आई है, अत: महामारी के प्रतिकूल प्रभावों से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के तहत कई राहत उपाय किये गए।
  • भारत सरकार ‘सतत् विकास लक्ष्य’- 8 ‘सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत् आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार तथा बेहतर कार्य को बढ़ावा देना।’ , को प्राप्त करने के अनुरूप अपनी नीतियों का निर्माण कर रही है।

आगे की राह:

  • 'फ्यूचर ऑफ वर्क' के लिये एकजुटता और जोखिम साझाकरण के सिद्धांतों के आधार पर एक मज़बूत और उत्तरदायी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की आवश्यकता होती है, जो लोगों के जीवन चक्र की ज़रूरतों का समर्थन करती है।
  • जनसांख्यिकी में बदलाव के कारण दुनिया के कुछ हिस्सों में युवा आबादी में वृद्धि हो रही है वहीं दूसरी ओर अनेक देशों में वृद्धजनों की आबादी बढ़ने से यह श्रम बाज़ारों और सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों पर दबाव डाल सकती है, अत: इसके अनुरूप श्रम नीतियों को अपनाए जाने की आवश्यकता है।

स्रोत: पीआइबी

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