लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

सामाजिक न्याय

बुजुर्ग गरीबों, विकलांगों और विधवाओं की मासिक पेंशन में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव

  • 23 Jan 2019
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्रालय (Rural Development Ministry) ने बुजुर्ग गरीबों, विकलांगों और विधवाओं की मासिक पेंशन को बढ़ाने का प्रस्ताव किया है।

क्या है प्रस्ताव?

  • गरीब बुजुर्गों, विकलांगो और विधवाओं की मौजूदा मासिक पेंशन को 200 रुपए से बढ़ाकर 800 रुपए किया जाए।
  • 80 वर्ष से अधिक उम्र वालों के लिये मौज़ूदा मासिक पेंशन को 500 रुपए से बढ़ाकर 1200 रुपए किया जाए।

प्रमुख बिंदु

  • यदि यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है तो इसके कारण सरकार पर 18,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वार्षिक खर्च आएगा।
  • योजना द्वारा कवर किये गए लोगों की संख्या को दोगुना करने पर विचार करने के लिये एक अध्ययन भी शुरू किया गया है।
  • कवरेज बढ़ाने के लिये, केंद्र और राज्य पेंशन योजनाओं के विलय संबंधी प्रस्ताव पर भी राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है।
  • वर्तमान में NSAP के तहत आने वाले लोगों की संख्या निर्धारित करने के लिये मानदंड के रूप में गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line-BPL) मानदंड का उपयोग किया जाता है।
  • लेकिन राजस्थान, तेलंगाना, बिहार और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों ने पहले ही अपनी स्वयं की पेंशन योजनाओं के लिये सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना 2011 (Socio Economic and Caste Census-SECC-2011) के डेटा का उपयोग करते हैं।

पृष्ठभूमि

  • अक्तूबर 2018 में विकलांगता और बुजुर्ग व्यक्तियों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission-NHRC) की एक समिति ने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिये कुछ उपायों की सिफारिश की थी जो इस प्रकार हैं:

♦ केंद्र को वृद्ध व्यक्तियों के लिये पेंशन योजना में अपना योगदान 200 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये प्रति माह कर देना चाहिये।
♦ उन वरिष्ठ नागरिकों, जो अपने परिवार कि सहायता के बिना अकेले रह रहे हैं, की देखभाल के लिये भारत को ‘टाइम बैंक’ योजना का अनुसरण करना चाहिये।
♦ अकेले रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित मामलों के निपटान लिये ज़िला स्तर पर एक नोडल पुलिस अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिये।
♦ वृद्धाश्रमों के निर्माण के लिये कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility-CSR) निधियों का उपयोग किया जाना चाहिये।

टाइम बैंक योजना (Time Bank Scheme)

  • ‘टाइम बैंक’ योजना के तहत, लोग अपने समय की बचत करते हैं तथा उन बुजुर्गों की मदद के लिये स्वयंसेवक के रूप में कार्य करते हैं जिन्हें मदद की आवश्यकता होती है।
  • बुज़ुर्ग नागरिकों के साथ या उनकी सेवा में ये लोग जितने घंटे का समय व्यतीत करते हैं उस समय को सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के व्यक्तिगत खाते में जमा कर दिया जाता है।
  • जब स्वयंसेवक खुद बूढ़े हो जाते हैं और उन्हें किसी की मदद की आवश्यकता होती है, तो ऐसी स्थिति में वे 'टाइम बैंक' का उपयोग कर सकते हैं और एक स्वयंसेवक को उनकी देखभाल की ज़िम्मेदारी सौंप दी जाती है।
  • स्विट्जरलैंड (Switzerland) और यूनाइटेड किंगडम (UK) ‘टाइम बैंक’ योजना का अनुसरण कर रहे हैं जबकि सिंगापुर इसे लागू करने पर विचार कर रहा है।
  • दिसंबर, 2018 में सर्वोच्च न्यायलय ने अपने एक आदेश में भारत सरकार से इन पेंशन योजनाओं पर पुनर्विचार करने के लिये कहा था ताकि इन योजनाओं को अभिसारित किया जा सके और बहुलता (एक ही प्रकार की कई योजनाएँ) से बचा जा सके।
  • इसने भारत सरकार और राज्य सरकारों को आदेश दिया कि वे वित्त की उपलब्धता और सरकार की आर्थिक क्षमता के आधार पर बुजुर्गों के पेंशन संबंधी अनुदान को अधिक यथार्थवादी बनाएँ।

राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (National Social Assistance Programme)

  • राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा प्रशासित एक कल्याणकारी कार्यक्रम है।
  • इस कार्यक्रम को ग्रामीण के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी लागू किया जा रहा है।

संवैधानिक प्रावधान

  • राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) संविधान के अनुच्छेद 42 और विशेष रूप से अनुच्छेद 41 में दिये गए नीति-निदेशक सिद्धांतों की पूर्ति की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करता है।

♦ अनुच्छेद 41 के अनुसार, राज्य अपनी आर्थिक सामर्थ्य और विकास की सीमाओं के भीतर, काम पाने, शिक्षा प्राप्त करने और बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी और नि:शक्तता तथा अन्य अनर्ह अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध करेगा।
♦ अनुच्छेद 42 के अनुसार, राज्य काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिये और प्रसूति सहायता के लिये उपबंध करेगा।

    • इस कार्यक्रम की शुरुआत पहली बार 15 अगस्त 1995 को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में की गई थी। वर्ष 2016 में इसे केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) की प्रमुखतम (Core of Core) योजनाओं में शामिल किया गया था।
    • वर्तमान में वर्ष 2019 में, इसके पाँच घटक हैं:
    1. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (Indira Gandhi National Old Age Pension Scheme-IGNOAPS) – इसकी शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी।
    2. राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना (National Family Benefit Scheme-NFBS)- इसकी शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी।
    3. अन्नपूर्णा योजना (Annapurna Scheme)- यह योजना वर्ष 2000 में शुरू की गई।
    4. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना (Indira Gandhi National Widow Pension Scheme-IGNWPS) - 2009 में शुरू की गई।
    5. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांगता पेंशन योजना (Indira Gandhi National Disability Pension Scheme) - 2009 में शुरू की गई।
    • राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना (National Maternity Benefit Scheme-NMBS), NSAP का हिस्सा थी और बाद में इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया।

    केंद्रीय योजनाएँ

    • केंद्रीय योजनाओं को केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं (Central Sector Schemes) और केंद्र प्रायोजित योजनाओं (Centrally Sponsored Schemes-CSS) में विभाजित किया गया है।

    केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएँ

    • इन योजनाओं का शत प्रतिशत वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
    • ये योजनाएँ केंद्र सरकार द्वारा ही लागू की जाती हैं।
    • इन्हें मुख्य रूप से संघ सूची में शामिल विषयों के आधार पर तैयार किया जाता है।
    • उदाहरण- भारतनेट, नमामि गंगे-राष्ट्रीय गंगा योजना इत्यादि।

    केंद्र प्रायोजित योजनाएँ

    • केंद्र प्रायोजित योजनाएँ केंद्र द्वारा तैयार की गई योजनाएँ हैं जिनमें केंद्र और राज्यों दोनों की वित्तीय भागीदारी होती है।
    • केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) को प्रमुखतम योजनाओं (Core of the Core Schemes), प्रमुख योजनाओं (Core Schemes) और वैकल्पिक योजनाओं (Optional schemes) में विभाजित किया गया है।
    • वर्तमान में प्रमुखतम योजनाओं की संख्या 6 जबकि प्रमुख योजनाओं की संख्या 22 है।
    • इनमें से अधिकांश योजनाएँ राज्यों की विशिष्ट वित्तीय भागीदारी को निर्धारित करती हैं। उदाहरण के लिये, मनरेगा (MGNREGA) के मामले में, राज्य सरकारों को 25% का महत्त्वपूर्ण व्यय करना पड़ता है।

    6 प्रमुखतम योजनाएँ हैं-

    1. राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (National Social Assistance Programme)
    2. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Program)
    3. अनुसूचित जाति के विकास के लिये समग्र योजना (Umbrella Scheme for Development of Scheduled Castes)
    4. अनुसूचित जनजाति के विकास के लिये समग्र कार्यक्रम (Umbrella Programme for Development of Scheduled Tribes)
    5. अल्पसंख्यकों के विकास के लिये समग्र कार्यक्रम (Umbrella Programme for Development of Scheduled Tribes)
    6. अन्य अल्पसंख्यक समूहों के विकास के लिये समग्र कार्यक्रम (Umbrella Programme for Development of Other Vulnerable Groups)
    close
    एसएमएस अलर्ट
    Share Page
    images-2
    images-2