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शासन व्यवस्था

जनगणना 2021

  • 17 Aug 2021
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये 

जनगणना अधिनियम, 1948, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, जनसांख्यिकीय लाभांश

मेन्स के लिये 

जनगणना- चुनौतियाँ और महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय ने लोकसभा में कहा है कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण जनगणना 2021 और जनगणना से संबंधित अन्य क्षेत्रीय गतिविधियों को अगले आदेश तक के लिये स्थगित कर दिया गया है।

  • भारत में हर दशक में जनगणना की जाती है तथा 2021 की जनगणना देश की 16वीं राष्ट्रीय जनगणना होगी।

प्रमुख बिंदु 

पृष्ठभूमि :

  • प्राचीनतम साहित्य 'ऋग्वेद' से पता चलता है कि 800-600 ईसा पूर्व के दौरान कुछ विधियों द्वारा जनगणना को बनाए रखा गया था।
  • मुगल बादशाह अकबर के शासन काल में प्रशासनिक रिपोर्ट 'आईन-ए-अकबरी' में जनसंख्या, उद्योग, धन और कई अन्य विशेषताओं से संबंधित व्यापक आँकड़े शामिल थे।
  • भारत में पहली जनगणना गवर्नर-जनरल लॉर्ड मेयो के शासन काल में वर्ष 1872 में की गई थी। हालाँकि देश की पहली जनगणना प्रक्रिया को गैर-समकालिक (देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग समय पर) रूप से पूर्ण किया गया।
  • रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के नव स्थापित कार्यालय ने वर्ष 1881 में भारत में पहली बार जनगणना पूरी की।
    • 130 से अधिक वर्षों के इतिहास के साथ यह एक विश्वसनीय अभ्यास साबित हुआ है जो प्रत्येक 10 वर्षों में आयोजित किया जाता है।
  • जनगणना अधिनयम को वर्ष 1948 में लागू किया गया और इस अधिनियम के माध्यम से जनगणना के लिये एक स्थायी योजना की रूपरेखा के साथ जनगणना अधिकारियों के उत्तरदायित्वों का निर्धारण किया गया।
    • जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जनगणना में एकत्र किये गए व्यक्तिगत डेटा को अधिनियम में निहित प्रावधानों के अनुसार सार्वजनिक नहीं किया जाता है। 
    • व्यक्तिगत डेटा का उपयोग राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) सहित किसी अन्य डेटाबेस को तैयार करने के लिये नहीं किया जाता है। विभिन्न प्रशासनिक स्तरों पर केवल समेकित जनगणना के आँकड़े ही जारी किये जाते हैं।

परिचय :

  • औपनिवेशिक राज की कई विरासतें 1947 के बाद भी भारत में रहीं। भारत की जनगणना उनमें में से एक है। जनगणना शब्द लैटिन शब्द 'Censere' से लिया गया है, जिसका अर्थ है- 'आकलन करना'।
  • जनगणना में जनसांख्यिकीय और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक मापदंडों जैसे- शिक्षा, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति, धर्म, भाषा, विवाह, प्रजनन क्षमता, विकलांगता, व्यवसाय और व्यक्तियों के प्रवासन पर डेटा एकत्र किया जाता है।
  • आगामी जनगणना (Census 2021) पहली डिजिटल जनगणना होगी और इसमें स्व-गणना का प्रावधान है। जनगणना गृह मंत्रालय द्वारा कराई जाएगी।
    •  डेटा संग्रह के लिये एक मोबाइल एप्लीकेशन और जनगणना से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के प्रबंधन एवं निगरानी हेतु एक जनगणना पोर्टल विकसित किया गया है।

जनगणना 2021 vs पिछला संस्करण:

  • डिजिटल डेटा:
    • यह पहली बार है कि ऑफ़लाइन मोड में काम करने के प्रावधान के साथ डेटा को मोबाइल एप्लीकेशन (गणक के फोन पर स्थापित) के माध्यम से डिजिटल रूप से एकत्र किया जाएगा।
    • यह विलंबता को कम करने और परिणाम तुरंत प्राप्त करने में मदद करेगा, पहले के मामलों के विपरीत जहाँ डेटा का विश्लेषण करने और रिपोर्ट प्रकाशित होने में कई साल लगते थे।
  • जनगणना निगरानी और प्रबंधन पोर्टल:
    • यह बहु-भाषा सहायता प्रदान करने हेतु जनगणना गतिविधियों में शामिल सभी अधिकारियों के लिये एकल स्रोत के रूप में कार्य करेगा।
  • कोई जाति डेटा नहीं:
    • नवीनतम जनगणना (मौजूदा योजना के अनुसार) जाति डेटा एकत्र नहीं करेगी। जबकि सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 की जनगणना के साथ आयोजित की गई थी, जाति जनगणना के परिणाम को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
  • ट्रांसजेंडर: 
    • यह पहली बार है जब ऐसे परिवारों और परिवार में रहने वाले सदस्यों की जानकारी एकत्र की जाएगी, जिनका मुखिया ट्रांसजेंडर समुदाय से संबंधित कोई व्यक्ति है। पहले केवल पुरुष और महिला के लिये एक कॉलम था।

जनगणना का महत्त्व:

  • डेटा का व्यापक स्रोत:
    • यह राष्ट्र के जनसांख्यिकीय लाभांश के बारे में जानकारी एकत्र करता है जो स्वास्थ्य सर्वेक्षण, शिक्षा सर्वेक्षण, कृषि सर्वेक्षण आदि जैसे कई उद्देश्यों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • निर्णय लेना:
    • साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के लिये किसी भी देश के लिये जनगणना महत्त्वपूर्ण है।
  • नीति निर्माण:
    • जनगणना एक आवासीय इकाई से एकत्रित जानकारी को वितरण इकाई तक ले जाने के लिये ज़िम्मेदार है। यह सुसंगत नीति-निर्माण और वैज्ञानिक योजना को बढ़ावा देगी, जिसके परिणामस्वरूप संसाधनों का अनुकूलन होगा।
  • सीमांकन:
    • जनगणना के आँकड़ों का उपयोग निर्वाचन क्षेत्रों के सीमांकन और संसद, राज्य विधानसभाओं तथा स्थानीय निकायों को प्रतिनिधित्व के आवंटन के लिये भी किया जाता है।
  • अनुदान:
    • वित्त आयोग जनगणना से उपलब्ध जनसंख्या के आँकड़ों के आधार पर राज्यों को अनुदान देता है।

चुनौतियाँ:

  • त्रुटियाँ:
    • सांख्यिकीय कार्य के दौरान मुख्यतः दो प्रकार की त्रुटियाँ होती है: सामग्री त्रुटि और कवरेज त्रुटि, जिन्हें कम करने की आवश्यकता होती है।
  • झूठी जानकारी प्रस्तुत करना:
    • विभिन्न योजनाओं के इच्छित लाभों या नागरिकता खोने के डर से और शिक्षा की कमी के कारण लोग प्रायः झूठी जानकारी प्रदान कर देते हैं।
  • संबद्ध लागत
    • इस अभ्यास के दौरान सरकार द्वारा भारी व्यय (हज़ारों करोड़) किया जाता है।
  • सुरक्षा
    • डेटा एकत्र करने के डिजिटल मोड की ओर बढ़ना विश्लेषण की प्रक्रिया को गति देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
    • हालाँकि एकत्र किये जा रहे डेटा की सुरक्षा (विशेषकर एप्लीकेशन पर) और ऐसे डेटा के लिये पर्याप्त बैकअप तंत्र पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
  • डेटा का दुरुपयोग 
    • क्षेत्रीय अधिकारियों के पास इस प्रकार के डेटा की उपलब्धता इसके दुरुपयोग की संभावना को बढ़ा देती है, क्योंकि संबंधित प्राधिकरण के पास एक विशेष परिवार (स्वामित्व, जाति, वित्तीय पहलू, व्यवसाय, जीवन शैली, आदि) के बारे में सभी जानकारी मौजूद होती है, जिसका उपयोग अनुचित कार्यों के लिये किया जा सकता है।
  • सामाजिक भागीदारी का अभाव
    • समुदाय की भागीदारी का अभाव और सटीक डेटा एकत्र करने के लिये प्रगणकों का अपर्याप्त प्रशिक्षण जनगणना के संचालन में एक बड़ी चुनौती है।

आगे की राह

  • डेटा गुणवत्ता को मज़बूत करना काफी महत्त्वपूर्ण है, जो कि कवरेज त्रुटि और सामग्री त्रुटि को कम करके किया जा सकता है।
  • प्रगणकों (डेटा संग्रहकर्त्ताओं) और आयोजकों को उचित रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिये। साथ ही प्रगणकों को प्रेरित करने के लिये उन्हें बेहतर भुगतान भी किया जाना चाहिये, क्योंकि वे डेटा संग्रह का केंद्रबिंदु हैं और डेटा सटीकता सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं।
  • जीवन में जनगणना के महत्त्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिये सार्वजनिक अभियान शुरू किये जाने चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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