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भारतीय समाज

जनगणना- चुनौतियाँ और महत्त्व

  • 27 Feb 2020
  • 21 min read

संदर्भ:

हाल ही में केरल, उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (National Sample Survey) में शामिल जनगणनाकर्मियों (Enumerators) के साथ हिंसा के मामले सामने आए हैं। देश में नए नागरिकता कानून और एन.आर.सी (NRC) की राष्ट्रव्यापी प्रक्रिया को लेकर में कुछ आशंकाओं और अविश्वास के कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों में हिंसा के मामलों में वृद्धि देखने को मिली है।

  • हिंसा के बढ़ते इन मामलों का प्रभाव जनगणना 2021 के अंतर्गत आगामी अप्रैल माह से शुरू होने वाली ‘हॉउस लिस्टिंग’(House Listing) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register-NPR) को अपडेट करने जैसी परियोजनाओं पर भी देखने को मिल सकता है।
  • ऐसे में आने वाले दिनों में घरों की सूची (House Listing) बनाने व जनगणना में शामिल अन्य सर्वेक्षणों की प्रक्रिया में भी अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

जनगणना:

  • जनगणना वह प्रक्रिया है, जिसके तहत एक निश्चित समयांतराल (भारत में प्रत्येक दस वर्ष की अवधि में) पर किसी भी देश में एक निर्धारित सीमा में रह रहे लोगों की संख्या, उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन से संबंधित आँकड़ों को इकट्ठा कर, उनका अध्ययन किया जाता है तथा संबंधित आँकड़ों को प्रकाशित किया जाता है।
  • भारत अपनी ‘अनेकता में एकता’ के लिये जाना जाता है। जनगणना देश के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, जनसंख्या आदि से संबंधित आँकड़ों के माध्यम से नागरिकों को देश की इस विविधता और इससे जुड़े अन्य पहलुओं का अध्ययन करने का अवसर प्रदान करती है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • प्राचीन साहित्य ‘ऋग्वेद’ में 800-600 ई०पू० में जनगणना का उल्लेख किया गया है।
  • कौटिल्य के अर्थशास्त्र (लगभग 321-296 ई०पू०) में कराधान (Taxation) के उद्देश्य से जनगणना को राज्य की नीति (State Policy) में शामिल करने पर बल दिया गया है।
  • मुगल काल में अकबर के शासन के दौरान प्रशासनिक रिपोर्ट “आईन-ए-अकबरी’ में जनसंख्या, उद्योगों और समाज के अन्य पहलुओं से संबंधित विस्तृत आँकड़ों को शामिल किया जाता था।
  • भारत में पहली जनगणना गवर्नर-जनरल लॉर्ड मेयो के शासनकाल में वर्ष 1872 में की गई थी। हालाँकि देश की पहली जनगणना प्रक्रिया को गैर-समकालिक (देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग समय पर) रूप से पूर्ण किया गया। वर्ष 1881 में पहली बार पूरे देश में एक साथ जनगणना कराई गई।
  • जनगणना-2021 अब तक की 16वीं (वर्ष 1872 से) और देश की स्वतंत्रता के बाद से 8वीं जनगणना होगी।

जनगणना की प्रक्रिया:

  • जनगणना में शामिल प्रश्नावली इस प्रक्रिया का प्राथमिक और सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। इस प्रश्नावली को समय के साथ देश की बदलती ज़रूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
  • इसमें शामिल प्रश्नों की सहायता से सरकार नागरिकों के जीवन से जुड़ी अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ एकत्र करती है। यदि इन प्रश्नों में नागरिकों के सामाजिक एवं आर्थिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को अच्छी तरह से शामिल किया जाए तो ये प्रश्न जनसंख्या से जुड़े आँकड़ों की विश्वसनीयता और गुणवत्ता को और अधिक बढ़ा देते हैं।
    • जनगणना के दौरान जनगणनाकर्मियों द्वारा लोगों से उनका नाम, लिंग, जन्मतिथि, उम्र, वैवाहिक स्थिति, धर्म, मातृभाषा, साक्षरता आदि जैसे मूलभूत प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • जनगणना-2021 की प्रक्रिया का निष्पादन दो चरणों में किया जाएगा:
    • पहला चरण: जनगणना के पहले चरण में जनगणनाकर्मी वर्ष 2020 के अप्रैल से सितंबर माह के बीच घर-घर जाकर घरों और उनमें उपलब्ध सुविधाओं से संबंधित जानकारी एकत्रित करेंगे।
    • दूसरा चरण: दूसरे चरण में 9-28 फरवरी, 2021 तक पूरे देश में लोगों की गिनती (Headcount) का कार्य संपन्न किया जाएगा।

जनगणना अधिनियम, 1948:

  • यद्यपि भारत में जनगणना एक महत्त्वपूर्ण प्रशासकीय प्रक्रिया है, परंतु वर्ष 1951 की जनगणना तक जनगणना संगठन (Census Organisation) की स्थापना एक तदर्थ (ad-hoc) संस्थान के रूप में की गई थी।
  • जनगणना अधिनयम को वर्ष 1948 में लागू किया गया और इस अधिनियम के माध्यम से जनगणना के लिये एक स्थायी योजना की रूपरेखा के साथ जनगणना अधिकारियों के उत्तरदायित्वों का निर्धारण किया गया।
    • जनगणना अधिनियम देश के सभी नागरिकों के लिये यह अनिवार्य बनाता है कि वे जनगणना में शामिल सभी प्रश्नों का सही उत्तर देंगे। जनगणना में गलत जानकारी देने वाले नागरिकों पर दांडिक कार्रवाई भी की जा सकती है।
    • जनगणना अधिनियम,1948 के सबसे महत्त्वपूर्ण प्रावधानों में से एक यह है कि यह जनगणना के दौरान एकत्र की गई प्रत्येक व्यक्ति की जानकारी को गोपनीय बनाए रखने की व्यवस्था करता है। जनगणना के दौरान एकत्र की गई सभी जानकारियाँ गोपनीय होती हैं तथा इन्हें किसी भी सरकारी या निजी संस्था के साथ साझा नहीं किया जाता।

जनगणना में शामिल प्राधिकरण:

  • भारत सरकार ने मई 1949 में जनसंख्या और जनसंख्या वृद्धि जैसे विषयों से संबंधित आँकड़े जुटाने की व्यवस्थित प्रणाली के विकास के लिये आवश्यक प्रक्रिया की शुरुआत करने का निर्णय लिया।
  • इस उद्देश्य के लिये केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय (Office of the Registrar General and Census Commissioner) की स्थापना की गई।
  • बाद में इस कार्यालय को जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम,1969 के कार्यान्वयन की भी ज़िम्मेदारी सौंप दी गई।

जनगणना का महत्त्व:

आँकड़े का व्यापक स्रोत: जनगणना बृहत् स्तर पर आँकड़े (Data) एकत्र करने की एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसके तहत देश के जनसांख्यिकीय लाभांश के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाती है। जो देश के नीति निर्माण के साथ कई अन्य उद्देश्यों के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

महत्त्वपूर्ण निर्णयों में सहायक: किसी भी देश के साक्ष्य-आधारित निर्णयों में जनगणना के आँकड़ों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।

  • जनगणना के माध्यम से एकत्र किये गए आँकड़ों का प्रयोग शासन, प्रशासन, योजनाओं और नीतियों के निर्माण तथा उनके प्रबंधन के साथ सरकार,स्वयंसेवी संस्थाओं, निजी एवं व्यावसायिक निकायों द्वारा चलाए गए विभिन्न कार्यक्रमों के मूल्यांकन आदि में होता है।

नीति निर्माण: किसी भी देश में जनगणना के माध्यम से सामाजिक तथा प्रशासन के हर पहलू (जिसमें उपभोक्ता से लेकर उत्पादक तक शामिल हैं) के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र की जाती है। अतः इसके प्रयोग से नीतियों के निर्माण और क्रियान्वयन की वैज्ञानिक योजना तैयार करने में साम्यता बढ़ाई जा सकती है, जिससे उपलब्ध संसाधनों से ही बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।

  • जनसांख्यिकी, अर्थशास्त्र, मानव विज्ञान, और कई अन्य क्षेत्रों के विद्वानों तथा शोधार्थियों के लिये भारत की जनगणना से प्राप्त आँकड़े (Data) का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत रहा हैं।
  • जनगणना से प्राप्त आँकड़े ज़मीनी स्तर पर प्रशासनिक अधिकारियों के लिये उपलब्ध होते हैं, जिससे क्षेत्र विशेष के विकास हेतु आवश्यक निर्णय लिये जा सकते हैं।
  • जनगणना के आँकड़ों के माध्यम से समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को ध्यान में रखते हुए सरकारी कार्यक्रमों के संचालन और उनकी सफलता को सुनिश्चित किया जाता है।
  • निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन में: जनगणना के आँकड़ों के आधार पर ही लोकसभा, विधानसभा एवं स्थानीय निकायों के निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया जाता है।
  • अनुदान के निर्धारण में: वित्त आयोग राज्यों के लिये अनुदान का निर्धारण जनसंख्या के आधार पर करता है। ऐसे में जनगणना से प्राप्त जनसंख्या संबंधी ये आँकड़े राज्यों को दिये जाने वाले अनुदान के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जनगणना 2021 की विशेषताएँ:

  • डिजिटल प्रक्रिया: देश की जनगणना के इतिहास में पहली बार जनगणना के आँकड़ों को मोबाइल एप (जो कि जनगणनाकर्मी के मोबाइल में इंस्टाल होगा) के माध्यम से डिजिटल रूप में एकत्र किया जाएगा। यह एप बिना इंटरनेट के ऑफलाइन भी काम करेगा। इस व्यवस्था से जनगणना प्रक्रिया में होने वाले विलंब की समस्या को दूर किया जा सकेगा और जनगणना के परिणाम तुरंत प्राप्त किये जा सकेंगे। जबकि पिछले वर्षों में हुई जनगणना के आँकड़ों के मूल्यांकन और इससे जुड़ी रिपोर्ट को प्रकाशित करने में वर्षों लग जाते थे।
    • जनगणनाकर्मी द्वारा अपने मोबाइल पर एकत्र की गई जानकारी को जनगणना अधिकारी द्वारा पंजीकृत किया जाएगा। यदि नेटवर्क की उपलब्धता या किसी तकनीकी समस्या के कारण जनगणना के कार्य में कोई रूकावट आती है, तो जनगणनाकर्मी के पास यह विकल्प भी होगा की वह विभाग से प्राप्त आधिकारिक प्रपत्र के माध्यम से भी जनगणना के आँकड़े एकत्र कर सकेगा, जिसे बाद में एप पर दर्ज किया जा सकता है।
    • जनगणना के लिये नागरिकों को प्रमाण के रूप में कोई भी प्रपत्र (पहचान-पत्र आदि) दिखाने की ज़रूरत नहीं होगी, इसके लिये नागरिक द्वारा की गई स्व-घोषणा ही पर्याप्त होगी।
  • जनगणना निगरानी और प्रबंधन पोर्टल: जनगणना की प्रक्रिया को आसान बनाने एवं इसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये जनगणना निगरानी और प्रबंधन पोर्टल की व्यवस्था की जाएगी। इस पोर्टल के माध्यम से जनगणना में लगे कर्मचारियों और पदाधिकारियों को कम समय तथा अलग-अलग भाषाओं में जानकारी उपलब्ध कराई जा सकेगी।
  • जाति आधारित जनगणना नहीं: आगामी जनगणना में (वर्तमान योजना के अनुसार) जाति आधारित जानकारी नहीं मांगी जाएगी। यद्यपि जनगणना-2011 के सामानांतर ही सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना (Socio-Economic Caste Census-SECC) भी की गई थी परंतु इससे प्राप्त आँकड़ों/जानकारी को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
  • ट्रांसजेंडर की पहचान: जनगणना-2021 में पहली बार ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों की जानकारी, उनकी पहचान के साथ दर्ज की जाएगी, पूर्व की जनगणनाओं में केवल महिला या पुरुष का ही विकल्प शामिल किया गया था।

चुनौतियाँ:

  • जनगणना में त्रुटियाँ: सांख्यिकी से संबंधित किसी भी प्रक्रिया/कार्यक्रम में दो प्रकार की त्रुटियों की संभावना होती है- 1. कवरेज से संबंधित, 2. आँकड़ों से संबंधित। अतः जनगणना के दौरान ऐसी त्रुटियों पर ध्यान देना अतिआवश्यक है।
    • जनगणना प्रक्रिया के दौरान लोगों को जनसंख्या की एक इकाई के रूप में देखते हुए उनकी गणना होनी चाहिए, साथ ही प्रत्येक जनगणना-कर्मी को आँकड़ों के सही प्रस्तुतिकरण के साथ यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि इस प्रक्रिया में कोई भी नागरिक न छूटने पाए।
  • सही जानकारी न देना: कई बार अनेक भ्रांतियों, अशिक्षा के कारण या सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने के भय से (जैसे-वर्तमान में नागरिकता से जुड़ा भ्रम) लोग जनगणना में सही जानकारी नहीं दर्ज कराते हैं। उदाहरण के लिये बहुत से लोगों के मन में स्कूल न जाने वाले बच्चों के संबंध में जानकारी जुटाने को लेकर कुछ आशंकाएँ थीं और कई मौकों पर लोगों ने सर्वेक्षणों में इस संदर्भ में उत्तर नहीं दिये।
  • भारी खर्च: जनगणना की प्रक्रिया में बड़ी संख्या में कर्मचारियों के योगदान की आवश्यकता के साथ ही प्रक्रिया के सफल संचालन के लिये सरकार द्वारा करोड़ों रुपए का आवंटन किया जाता है। सरकारी अनुमान के अनुसार, जनगणना-2021 की प्रक्रिया को पूरा करने में लगभग 9000 करोड़ रूपए का खर्च आएगा।
  • सुरक्षा चुनौतियाँ: जनगणना प्रक्रिया में आँकड़े एकत्र करने के लिये डिजिटल माध्यम के प्रयोग से जनगणना के दौरान प्राप्त आँकड़ों के मूल्यांकन में अवश्य ही तेज़ी आएगी, परंतु डिजिटल प्रक्रिया की भी अपनी सीमाएँ और चुनौतियाँ हैं। अतः जनगणना के दौरान प्राप्त आँकड़ों (DATA) की सुरक्षा और इसके भंडारण तथा बैकअप पर भी विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता होगी।
    • साथ ही डेटा के दुरुपयोग संबंधी किसी भी प्रकार की आशंका या भय को दूर किये जाने की आवश्यकता है।
  • सूचना का दुरुपयोग: जनगणना प्रक्रिया में लोगों के जीवन के सामाजिक,आर्थिक एवं सांस्कृतिक जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं से संबंधित जानकारी एकत्र की जाती है। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर यह जानकारी प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर भी साझा की जा सकती है, ऐसे में क्षेत्रीय/स्थानीय प्रशासकों द्वारा इस प्रकार की संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग किये जाने का भय बना रहता है।
    • जन भागीदारी का अभाव और पूर्ण तथा सही सूचना के संकलन के लिये प्रगणकों (Enumerators) के उपयुक्त प्रशिक्षण में कमी जनगणना की प्रक्रिया के लिये एक बड़ी चुनौती है।

समाधान:

क्षमता निर्माण: जनगणना प्रक्रिया में शामिल प्रगणकों व अन्य कार्यकर्त्ताओं/अधिकारियों के उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिये।

  • साथ ही प्रगणकों को जनगणना हेतु प्रेरित/उत्साहित करने के लिये उन्हें समय पर उचित पारिश्रमिक का भुगतान किया जाना चाहिये। क्योंकि प्रगणक ही पूरी जनगणना प्रक्रिया का केंद्रबिंदु होते हैं अतः किसी भी प्रगणक के असंतुष्ट होने की स्थिति में डेटा की गुणवत्ता में बाधा आ सकती है।
  • जनगणना प्रक्रिया के सफल संचालन के लिये साक्षात्कारकर्त्ताओं को एक अनुकूल और सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाना चाहिये।

डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना: जनगणना कार्यक्रम की पहुँच और प्राप्त डेटा में त्रुटियों को कम करके डेटा की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। इससे न सिर्फ जनगणना में एकत्र आँकड़ों (डेटा) की विश्वसनीयता में वृद्धि होगी बल्कि इससे सरकार को योजनाओं में अपेक्षित बदलाव करने में भी मदद मिलेगी।

जन-जागरूकता अभियानों द्वारा: समाज में जनगणना के महत्त्व के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये बड़े पैमाने पर जन-जागरूकता अभियानों का आयोजन किया जाना चाहिये।

  • लोगों को जनगणना के महत्त्व के प्रति जागरूक और शिक्षित करने के लिये जन-जागरूकता अभियानों में स्थानीय राजनीतिक और धार्मिक नेताओं, छात्रों आदि को शामिल किया जाना चाहिये। साथ ही जनगणना के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिये विभिन्न कार्यक्रमों जैसे-नुक्कड़ नाटक आदि का आयोजन किया जा सकता है।
  • इसके साथ ही लोगों के मन में जनगणना को लेकर व्याप्त डर और आशंकाओं को दूर करने के लिये सरकार द्वारा प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (विज्ञापनों के माध्यम से) के माध्यम से व्यापक मीडिया अभियान चलाए जाने चाहिये।

भारत में जनगणना लोगों के जीवन और भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं से संबंधित महत्त्वपूर्ण सांख्यिकीय जानकारी प्राप्त करने का सबसे बड़ा व एकल स्रोत है। जनगणना से प्राप्त आँकड़े न केवल सरकार को बीते वर्षों में किये गए अपने कार्यों का मूल्यांकन करने में मदद करते हैं बल्कि ये आंकड़े सरकार को भविष्य की योजनाओं के निर्माण के लिये एक महत्त्वपूर्ण आधार प्रदान करते है। अतः सभी हितधारकों को जनगणना की इस प्रक्रिया के सफल और अवरोध रहित निष्पादन के लिये मिलकर योगदान देना चाहिये।

अभ्यास प्रश्न: जनगणना से आप क्या समझते हैं? देश के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास में जनगणना की भूमिका पर चर्चा कीजिये।

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