लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

भुगतान शेष: अर्थ और महत्त्व

  • 11 Aug 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

भुगतान शेष, चालू खाता, पूंजी खाता, वित्तीय खाता

मेन्स के लिये

भुगतान शेष: अर्थ, महत्त्व और उसके घटक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस वर्ष निर्यात में महत्त्वपूर्ण सुधार आने और आयात में कमी होने के कारण देश के भुगतान शेष (Balance of Payments-BoP) की स्थिति काफी मज़बूत रहने की उम्मीद है।

प्रमुख बिंदु

  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था में रिकवरी के अच्छे संकेत दिखाई दे रहे हैं और निर्यात में भी महत्त्वपूर्ण सुधार आया है।
  • भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ, फिक्की (FICCI) के वेबिनार को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ‘इस वर्ष जुलाई माह में पिछले वर्ष जुलाई माह के 91 प्रतिशत निर्यात स्तर को हासिल किया जा चुका है, वहीं इस वर्ष आयात जुलाई 2019 के स्तर के 70 से 71 प्रतिशत के बीच ही रहा है।
  • इस वर्ष जून माह में भारत के निर्यात में लगातार चौथी बार गिरावट दर्ज की गई है, क्योंकि पेट्रोलियम और कपड़ा जैसे प्रमुख क्षेत्रों के शिपमेंट में गिरावट देखी गई है, हालाँकि भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पहली बार अधिशेष की स्थिति दर्ज की गई है, क्योंकि आयात में 47.59 प्रतिशत की गिरावट आई है। 
    • आँकड़ों के अनुसार, भारत में इस वर्ष जून माह में 0.79 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष दर्ज किया गया है।
  • केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार घरेलू स्तर पर विनिर्माण और घरेलू उद्योग को समर्थन और बढ़ावा देने के लिये कई महत्त्वपूर्ण कदम उठा रही है।

भुगतान शेष का अर्थ?

  • भुगतान शेष (Balance Of Payment-BoP) का अभिप्राय ऐसे सांख्यिकी विवरण से होता है, जो कि एक निश्चित अवधि के दौरान किसी देश के निवासियों के विश्व के साथ हुए मौद्रिक लेन-देनों के लेखांकन को रिकॉर्ड करता है।
  • जब भुगतान शेष (BoP) में सभी तत्वों को सही ढंग से समावेशित किया जाता है तो एक आदर्श परिदृश्य में सभी मदों का योग शून्य होता है।
    • इसका अर्थ होता है कि धन का अंतर्वाह (Inflows) और बहिर्वाह (Outflows) एक समान है, किंतु वास्तविक और व्यावहारिक परिदृश्य में सदैव ऐसा नहीं होता है।
  • किसी देश का भुगतान शेष (BoP) विवरण यह बताता है कि उस देश में शेष विश्व के साथ व्यापार अधिशेष है अथवा व्यापार घाटा।
    • उदाहरण के लिये जब किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक होता है, तो उसके BoP में व्यापार अधिशेष होता है, वहीं जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है तो उसे (BoP) में व्यापार घाटे के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।

किसी देश के लिये भुगतान शेष (BoP) का महत्त्व

  • किसी देश का भुगतान शेष (BoP) विवरण उस देश की वित्तीय और आर्थिक स्थिति का सटीक विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
  • भुगतान शेष (BoP) विवरण को यह निर्धारित करने के लिये एक संकेतक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है कि किसी देश की मुद्रा का अभिमूल्यन (Appreciation) हो रहा है अथवा मूल्यह्रास (Depreciating)।
  • साथ ही भुगतान शेष (BoP) विवरण देश की सरकार को अपनी राजकोषीय और व्यापार संबंधी नीति को लेकर महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद करता है।
  • यह दूसरे देशों के साथ किसी एक देश के आर्थिक व्यवहार का विश्लेषण करने और उसे समझने हेतु महत्त्वपूर्ण सूचना प्रदान करता है।
  • भुगतान शेष (BoP) विवरण और इसके घटकों का बारीकी से अध्ययन करके उन रुझानों की पहचान करना काफी आसान हो जाता है जो किसी देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिये फायदेमंद या हानिकारक हो सकते हैं, जिसके पश्चात् इन रुझानों का उचित उपयोग कर देश की अर्थव्यवस्था के विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है।

भुगतान शेष के मुख्य घटक

  • चालू खाता
    चालू खाते का उपयोग देशों के बीच माल एवं सेवाओं के अंतर्वाह और बहिर्वाह की निगरानी के लिये किया जाता है। इस खाते में कच्चे माल तथा निर्मित वस्तुओं के संबंध में किये गए सभी भुगतानों और प्राप्तियों को शामिल किया जाता है। चालू खाता के अंतर्गत मुख्यत: तीन प्रकार के लेन-देन, जिसमें पहला वस्तुओं व सेवाओं का आयात-निर्यात और दूसरा कर्मचारियों व विदेशी निवेश से प्राप्त आय एवं खर्च तथा तीसरा विदेशों से प्राप्त अनुदान राशि, उपहार एवं विदेश में बसे कामगारों द्वारा भेजी जाने वाली विप्रेषण (Remittance) की राशि, को शामिल किया जाता है।
  • पूंजी खाता 
    देशों के बीच सभी पूंजीगत लेन-देनों की निगरानी पूंजी खाते के माध्यम से की जाती है। पूंजीगत लेन-देन में भूमि जैसी गैर-वित्तीय संपत्तियों की खरीद और बिक्री को शामिल किया जाता है। पूंजी खाते के मुख्यतः तीन तत्त्व हैं, (1) विदेश में स्थित निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों से लिया गया सभी प्रकार का ऋण, (2) गैर-निवासियों द्वारा कॉर्पोरेट शेयरों में किये गए निवेश की राशि और (3) अंततः विनिमय दर के नियंत्रण हेतु देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखा गया विदेशी मुद्रा भंडार।
  • वित्तीय खाता
    रियल एस्टेट, व्यावसायिक उद्यम, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आदि में विभिन्न निवेशों के माध्यम से विदेशों से/को होने वाले धन के प्रवाह पर वित्तीय खाते के माध्यम से निगरानी की जाती है। यह खाता घरेलू परिसंपत्तियों के विदेशी स्वामित्त्व और विदेशी संपत्ति के घरेलू स्वामित्त्व में परिवर्तन को मापता है। इसका विश्लेषण करने से यह ज्ञात किया जा सकता है कि कोई देश अधिक संपत्ति बेच रहा है या प्राप्त कर रहा है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2