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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

बैंकों की क्रेडिट वृद्धि के सुधरते हालात

  • 17 Apr 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?
विमुद्रीकरण के बाद फरवरी 2017 में 3 प्रतिशत के न्यून स्तर को छूने के पश्चात् अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की सकल क्रेडिट वृद्धि में उत्साहजनक सुधार हुआ है। यह औद्योगिक गतिविधियों में तेज़ी का संकेत है। भारतीय रिज़र्व बैंक से प्राप्त आँकडों से पता चलता है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने नवंबर 2017 से फरवरी 2018 तक चार महीनों में 8 प्रतिशत से अधिक की क्रेडिट वृद्धि दर (credit growth rate) दर्ज़ की। इससे बैंकों से क्रेडिट की मांग में सतत् वृद्धि का संकेत मिलता है।

प्रमुख बिंदु 

  • यह वृद्धि खुदरा क्षेत्र से क्रेडिट की मांग में बढ़ोतरी के कारण हुई है।
  • साथ ही सेवा क्षेत्र में भी टेक-ऑफ क्रेडिट में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
  • औद्योगिक क्षेत्र, जिसने अक्टूबर 2016 की शुरुआत से 13 महीनों तक क्रेडिट वृद्धि में लगातार गिरावट देखी, ने भी पिछले चार महीनों में वृद्धि दर्ज़ की है।
  • उद्योगों ने नवंबर 2017 में 1 प्रतिशत, दिसंबर 2017 में 2.1 प्रतिशत, जनवरी 2018 में 1.1 प्रतिशत एवं फरवरी 2018 में 1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ की।
  • रोचक बात यह है कि उच्च क्रेडिट वृद्धि दर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (index of Industrial Production-IIP) की उच्च वृद्धि से मेल खाती है।
  • ‘इंडिया रेटिंग्स’ के मुख्य अर्थशास्त्री डीके पंत ने कहा कि “2011-12 के आधार वाली डाटा सीरीज पर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में पहली बार लगातार चार महीनों तक 7 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज़ की गई है। इससे पता चलता है कि विनिर्माण क्षेत्र के जीएसटी से जुड़े ज़्यादातर मुद्दे हल हो रहे हैं और उद्योग धीरे धीरे सामान्य स्थिति में लौट रहे हैं।“ 
  • उन्होंने आगे कहा कि प्राथमिक वस्तुओं, मध्यवर्ती वस्तुओं, कैपिटल गुड्स जैसे सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सकारात्मक वृद्धि हुई है जो "यह दर्शाता है कि उद्योगों की दशा में सुधार हो रहा है।"
  • निजी ऋण खंड जिसमें आवास ऋण, कार ऋण और निजी ऋण शामिल होते हैं, ने भी पिछले चार महीनों में अच्छी वृद्धि दर्ज़ की जिसमें फरवरी, 2018 में 20.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ की गई जो पिछले 24 महीनों में सर्वाधिक थी।
  • निजी ऋण खंड की क्रेडिट वृद्धि में विमुद्रीकरण (demonetization) के बाद काफी गिरावट देखी गई थी और यह फरवरी 2017 में 12 प्रतिशत पर पहुँच गई थी। लेकिन अब विमुद्रीकरण का प्रभाव पीछे छूटता दिख रहा है और खुदरा उपभोग जनित क्रेडिट मांग में वृद्धि हो रही है।
  • सेवा क्षेत्र, जिसकी क्रेडिट वृद्धि विमुद्रीकरण के पश्चात् एकल अंकों में पहुँच गई थी (मार्च 2017 को छोड़कर), ने पिछले चार महीनों में दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज़ की। यह फरवरी 2018 में 14.2 प्रतिशत थी। 
  • हालाँकि, जहाँ खुदरा और सेवा क्षेत्र में सुधार हुआ है, ये संवृद्धि में अपना योगदान दे रहे हैं, वहीं अवसंरचना क्षेत्र जिसने बैंकों के बढ़ते एनपीए संबंधी चिंता में बड़ा योगदान दिया है, वह अभी भी नकारात्मक वृद्धि से बाहर नहीं आ पाया है। हालाँकि, इस नकारात्मक वृद्धि में गिरावट आ रही है।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि अभी भी बड़े पूंजीगत व्यय नहीं हो रहे हैं और क्रेडिट मांग प्राथमिक रूप से कार्यशील पूंजी अपेक्षाओं के कारण हो रही है। साथ ही खुदरा उपभोग जनित मांग ने भी क्रेडिट वृद्धि को बढ़ावा दिया है।
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