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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 14 Jun, 2022
  • 19 min read
प्रारंभिक परीक्षा

मक्का के फोर्टिफिकेशन की माया तकनीक

हाल ही में हुए एक अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि किस प्रकार माया सभ्यता के लोगों ने मक्का को 'निक्सटामलाइज़ेशन' (Nixtamalisation) नामक रासायनिक प्रक्रिया द्वारा फोर्टीफाइड किया और मेसो अमेरिका (Mesoamerica) में युकटान प्रायद्वीप के चूना पत्थर की चट्टानों के अंदर खोदे गए गड्ढों में इनडोर शौचालय भी निर्मित किये। 

Maxico

माया सभ्यता: 

  • परिचय: 
    • माया मेक्सिको और मध्य अमेरिका के स्वदेसी लोग हैं जो मेक्सिको में आधुनिक युकटान, क्विंटाना, कैम्पेचे, टबैस्को, चियापास, ग्वाटेमाला, बेलीज़, अल सल्वाडोर और होंडुरास  के निवासी हैं। 
    • माया सभ्यता की उत्पत्ति युकटान प्रायद्वीप में हुई थी। इसे अपनी विशाल वास्तुकला, गणित और खगोल विज्ञान की उन्नत समझ के लिये जाना जाता है। 
    • माया सभ्यता का उदय लगभग 250 ई० में हुआ और पुरातत्त्वविद इसे माया संस्कृति के क्लासिक पीरियड के रूप में बताते हैं जो लगभग 900 ई० तक चला। अपनी चरम स्थिति में माया सभ्यता में 40 से अधिक शहर शामिल थे, जिनमें से प्रत्येक की आबादी लगभग 5,000 से 50,000 के बीच थी। 
    • लेकिन फिर अचानक 800 से 950 ई० के बीच कई दक्षिणी शहरों को छोड़ दिया गया। इस अवधि को क्लासिक माया सभ्यताओं का पतन कहा जाता है जो आधुनिक वैज्ञानिकों को भ्रमित करती है। 
  • विशेष लक्षण: 
    • 1500 ईसा पूर्व माया सभ्यता का विकास गाँवों में हुआ तथा मकई (मक्का), सेम (Beans), स्क्वैश (Squash) की खेती के माध्यम से कृषि विकसित हुई। यहाँ 600 ई० तक कसावा (Sweet Manioc) भी उगाया जाता था। 
    • उन्होंने समारोह केंद्रों का निर्माण शुरू किया और तकरीबन 200 ई० तक ये मंदिरों, पिरामिडों, महलों, कोर्ट एवं प्लाज़ा वाले शहरों के रूप में विकसित हो गए थे। 
    • प्राचीन माया सभ्यता के लोगों ने भारी मात्रा में निर्माण हेतु पत्थर (प्रायः चूना पत्थर) का उत्खनन किया, जिसे उन्होंने ‘चर्ट’ (Chert) जैसे कठोर पत्थरों का उपयोग करके काटा। वे मुख्य रूप से स्लेश-एंड-बर्न कृषि अथवा झूम कृषि में संलग्न थे, लेकिन उन्होंने सिंचाई और पर्वतीय कृषि के क्षेत्र में उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया। उन्होंने चित्रलिपि लेखन एवं अत्यधिक परिष्कृत कैलेंडर तथा खगोलीय प्रणालियों की एक प्रणाली भी विकसित की। 
    • माया सभ्यता के लोगों ने जंगली अंजीर के पेड़ों की भीतरी छाल से कागज़ बनाया और इस कागज़ से बनी किताबों पर अपनी चित्रलिपि लिखी। इन पुस्तकों को ‘कोडेक्स’ कहा जाता है। 
    • माया सभ्यता के लोगों ने मूर्तिकला एवं नक्काशी की एक विस्तृत और सुंदर परंपरा भी विकसित की। 
    • प्रारंभिक माया सभ्यता के बारे में जानकारी के मुख्य स्रोत वास्तुकला कार्य और पत्थर के शिलालेख व नक्काशीदार कार्य हैं। 

माया द्वारा उपयोग की जाने वाली निक्सटामलाइज़ेशन तकनीक:  

  • निक्सटामलाइज़ेशन एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा मेसोअमेरिका के प्राचीन लोग जैसे- माया, ये लोग मक्का को एक क्षारीय घोल में भिगोकर पकाते थे और इसे अधिक स्वादिष्ट, पौष्टिक और गैर विषैला बनाते थे। निक्सटामल नहुआट्ल शब्द नेक्स्टमल्ली से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'निक्सटामलाइज़्ड मक्के आटा'। 
  • मक्का अमेरिका की प्राथमिक फसल है जिसकी इस क्षेत्र में सहस्राब्दियों से खेती की जाती रही है। मक्का, बीन्स और स्क्वैश को 'थ्री सिस्टर्स' कहा जाता है, जो पूर्व-कोलंबिया, उत्तर और मेसोअमेरिका में आहार का प्रमुख साधन है। 
  • शोधकर्त्ताओं ने विश्लेषण किया कि अमेरिका में मक्का के प्रसार का प्रमुख कारण निक्सटामलाइज़ेशन था 
  • यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि मक्के में अमीनो एसिड, कैल्शियम और विटामिन B2 बना रहे, जिसका उपयोग मानव द्वारा किया जा सकता है। यह मक्के में मौज़ूद कुछ मायकोटॉक्सिन (कुछ कवकों द्वारा निर्मित और भोजन में पाए जाने वाले विषाक्त पदार्थ) को भी समाप्त करता है। 
  • इस उपचार के बिना, मक्का पर निर्भर आबादी में पेलाग्रा (विटामिन B2 की कमी से), कैल्शियम की कमी और मायकोटॉक्सिन विषाक्तता का खतरा बढ़ गया था। 
  • निजयोते (Nejayote) जो कि निक्सटामलाइज़ेशन प्रक्रिया का अपशिष्ट जल होता है, जिसका उपयोग सौच-जल के रूप में किया जाता था। इसका उपयोग गंध को नियंत्रित करने और कीट तथा सूक्ष्मजीवों के विकास को रोकने के लिये भी किया जाता था जैसा कि वर्तमान में भी किया जाता है। 

स्रोत : डाउन टू अर्थ 


प्रारंभिक परीक्षा

विनियमन समीक्षा प्राधिकरण

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के विनियमन समीक्षा प्राधिकरण (RRA) ने उन 714 नियामक निर्देशों को वापस लेने की सिफारिश की है जो या तो अप्रचलित या अप्रासंगिक हो गए हैं। 

  • यह विभिन्न मुद्दों पर RRA 2.0 की सिफारिशों का हिस्सा है, जैसे कि- 
    • अनुपालन में आसानी 
    • नियामक बोझ में कमी 
    • रिपोर्टिंग तंत्र का युक्तिकरण 
    • निर्देश और संचार को सुव्यवस्थित करना 

RRA 2.0 की सिफारशें: 

  • प्रपत्र-आधारित रिटर्न को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है और 65 नियामक रिटर्न की पहचान की गई है जिन्हें या तो बंद कर दिया जाना चाहिये या अन्य रिटर्न के साथ विलय कर दिया जाना चाहिये या ऑनलाइन रिटर्न में परिवर्तित किया जाना चाहिये। 
  • हाल के परिपत्रों के साथ संरेखण हेतु वर्जित-समय और पुराने नियमों की समीक्षा तथा निरसन को लिया जा सकता है तथा इस अभ्यास को इस तरह से संस्थागत किया जा सकता है कि केवल वर्तमान एवं अद्यतन निर्देश सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हो सकें। 
  • RRA द्वारा तीन वर्षों में कम-से-कम एक बार नियामक या पर्यवेक्षी रिटर्न की आवधिक समीक्षा का प्रस्ताव दिया गया है।  
  • नियामक, पर्यवेक्षी और सांविधिक विवरणियों से संबंधित सभी जानकारी को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर एक ही स्रोत पर समेकित करने हेतु RBI की  वेबसाइट पर एक अलग 'नियामक रिपोर्टिंग' पेज हो 

विनियम समीक्षा प्राधिकरण: 

  • पृष्ठभूमि: 
    • RBI ने 1 अप्रैल, 1999 से एक वर्ष की अवधि के लिये पहला RRA स्थापित किया था। 
    • यह जनता, बैंकों और वित्तीय संस्थानों की प्रतिक्रिया के आधार पर विनियमों, परिपत्रों, रिपोर्टिंग प्रणालियों की समीक्षा करेगा। 
  • RRA 2.O: 
    • RRA 2.0 विनियमों के तहत संस्थाओं के अनुपालन बोझ को कम करते हुए नियामक निर्देशों को सुव्यवस्थित करने का प्रयास करता है। RRA 2.0 प्रक्रियाओं को सरल बनाकर और जहांँ भी संभव हो रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को कम करके इसे प्राप्त करेगा। 
    • RBI ने विनियमित संस्थाओं पर अनुपालन बोझ को कम करने और नियामक निर्देशों को कारगर बनाने के लिये वर्ष 2021 में RRA 2.0 की स्थापना की थी। 
  • RRA 2.0 की संदर्भ शर्तें: 
    • यह नियामक निर्देशों को सुव्यवस्थित करने, जहाँ भी संभव हो रिपोर्टिंग की प्रक्रियाओं तथा आवश्यकताओं को कम करके और विनियमित संस्थाओं के अनुपालन बोझ को कम करने आदि विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा। 
    • इसके अलावा यह विनियमित संस्थाओं से भी प्रतिपुष्टि प्राप्त करेगा। 
    • RRA रिपोर्टिंग तंत्र को सुव्यवस्थित करके विनियमित संस्थाओं पर अनुपालन बोझ को कम करेगा; यदि आवश्यक हो तो अप्रचलित निर्देशों को रद्द करेगा। 
    • भारतीय रिज़र्व बैंक के परिपत्रों/अनुदेशों के प्रसार की प्रक्रिया में अपेक्षित परिवर्तनों की जांँच करना और उन पर सुझाव देना। 
    • प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिये सभी विनियमित संस्थाओं और अन्य हितधारकों के साथ आंतरिक एवं बाह्य रूप से संलग्न होना। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 


प्रारंभिक परीक्षा

38वांँ भारत-इंडोनेशिया कॉर्पेट

38वीं भारत-इंडोनेशिया समन्वित गश्त (IND-INDO CORPAT) का आयोजन अंडमान सागर और मलक्का जलडमरूमध्य में किया जा रहा है। 

Indonesia

प्रमुख बिंदु  

  • परिचय: 
    • दोनों नौसेनाएंँ वर्ष 2002 से अपनी अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) के साथ गश्त का संचालन कर रही हैं। 
    • यह दो मित्र देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी विश्वास, तालमेल और सहयोग को प्रदर्शित करता है। 
    • भारत और इंडोनेशिया के बीच घनिष्ठ संबंध हैं, जिसमें गतिविधियों और बातचीत के व्यापक दृष्टिकोण शामिल हैं जो पिछले कुछ वर्षों में और मज़बूत हुए हैं। 
  • उद्देश्य:   
    • इस अभ्यास का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र को वाणिज्यिक नौवहन, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वैध समुद्री गतिविधियों के संचालन के लिये सुरक्षित करना है। 
    • CORPATs नौसेनाओं के बीच समझ और अंतर-संचालनीयता के निर्माण में मदद करते हैं तथा अवैध और अनियमित (IUU) मछली पकड़ने, मादक पदार्थों की तस्करी, समुद्री आतंकवाद, सशस्त्र डकैती एवं पायरेसी को रोकने के लिये संस्थागत उपायों की सुविधा प्रदान करते हैं। 
  • भारत और इंडोनेशिया के बीच अन्य अभ्यास: 

स्रोत: पी.आई.बी.  


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 जून, 2022

सुरक्षा-मित्र परियोजना  

हाल ही में केरल राज्य में सुरक्षा-मित्र परियोजना शुरू की गई है। सुरक्षा-मित्र परियोजना एक वाहन निगरानी प्रणाली है जो किसी भी दुर्घटना के मामले में खतरे का संदेश भेजती है। इस परियोजना की शुरुआत मोटर वाहन विभाग द्वारा निर्भया योजना के तहत की गई है। यात्रा के दौरान कोई अप्रिय घटना होने पर यह प्रणाली मालिकों के मोबाइल फोन पर एक खतरे का संदेश भेजेगी। वाहनों के साथ एक व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD) लगाया जाएगा। यदि वाहन दुर्घटना में शामिल है या यदि चालक वाहन को अधिक गति देता है, तो मालिकों को VLTD से अलर्ट SMS प्राप्त होगा। डिवाइस की स्थापना करने के समय मालिकों द्वारा प्रदान किये गए प्रासंगिक नंबर और ईमेल आईडी पर SMS एवं ई-मेल के माध्यम से अलर्ट तुरंत भेजे जाएंगे। इस प्रकार मालिक संदेश की प्रामाणिकता को ध्यान में रखते हुए वाहन की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने में सक्षम होंगे। 

विश्व रक्तदाता दिवस 

प्रत्येक वर्ष 14 जून को संपूर्ण दुनिया में विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित रक्त एवं रक्त उत्पादों की आवश्यकता के संदर्भ में जागरूकता बढ़ाना और रक्तदान के लिये रक्तदाताओं का आभार व्यक्त करते हुए अन्य लोगों को भी इस कार्य हेतु प्रोत्साहित करना है। विश्व रक्तदाता दिवस 2022 की थीम ‘’Donating Blood Is An Act Of Solidarity. Join the effort and save lives’’ रखी गई है। इस दिवस की शुरुआत वर्ष 2005 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा रक्तदाताओं को धन्यवाद देने और सुरक्षित रक्त की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई थी। यह दिवस महान जीवविज्ञानी कार्ल लैंडस्टीनर (Karl Landsteiner) की याद में प्रत्येक वर्ष 14 जून को मनाया जाता है, जिनका जन्‍म 14 जून, 1868 को हुआ था। उल्लेखनीय है कि उन्होंने मानव रक्‍त में उपस्थित एग्‍ल्‍युटिनि‍न (Agglutinin) की मौजूदगी के आधार पर रक्‍तकणों का A, B और O समूह में वर्गीकरण किया था। जटिल चिकित्‍सा और सर्जरी की स्थिति में रोगी का जीवन बचाने के लिये रक्‍त की आवश्‍यकता पड़ती है। प्राकृतिक आपदाओं, दुर्घटनाओं और सैन्‍य संघर्ष जैसी आपात स्थितियों में घायलों के इलाज में भी रक्‍त की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। जीवन रक्षक के रूप में यह बहुत ही अनिवार्य है। इतना महत्त्वपूर्ण होने के बावजूद सुरक्षित रक्त प्राप्त करना आज भी काफी चुनौतीपूर्ण है। परिणामस्वरूप अधिकांश निम्न और मध्यम आय वाले देशों को बुनियादी ढाँचे की कमी जैसे विभिन्न कारणों के चलते अपने नागरिकों को सुरक्षित रक्त उपलब्ध कराने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

38वीं भारत-इंडोनेशिया समन्वित गश्त 

अंडमान एवं निकोबार कमान की भारतीय नौसेना इकाइयों और इंडोनेशियाई नौसेना के बीच 38वीं भारत-इंडोनेशिया समन्वित गश्त (इंडो-इंडोनेशिया कॉर्पेट) आज से अंडमान सागर और मलक्का जलडमरूमध्य में आयोजित की जा रही है। इसका आयोजन 24 जून, 2022 तक किया जाएगा। इस अभ्यास में दोनों राष्ट्रों के समुद्री गश्ती विमान हिस्सा लेंगे। यह दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी विश्वास, तालमेल और सहयोग को रेखांकित करती है। समुद्री संपर्कों को सुदृढ़ करने हेतु दोनों नौसेनाएँ वर्ष 2002 से वर्ष में दो बार अपनी अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के साथ ‘कॉर्पेट’ अभ्यास का संचालन कर रही हैं। इस अभ्यास का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र को वाणिज्यिक नौवहन, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वैध समुद्री गतिविधियों के संचालन के लिये सुरक्षित करना है। ‘कॉर्पेट’ अभ्यास नौसेनाओं के बीच समन्वय एवं अंतःक्रियाशीलता के निर्माण में मदद करता है और मछली पकड़ने की अवैध व अनियंत्रित गतिविधियों की रोकथाम तथा दमन, मादक पदार्थों की तस्करी, समुद्री डकैती की रोकथाम हेतु सूचनाओं के आदान-प्रदान, अवैध प्रवासन व समुद्र में खोज एवं बचाव कार्यों हेतु महत्त्वपूर्ण है। 


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