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एडिटोरियल

  • 30 Jul, 2020
  • 18 min read
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

डिजिटल विश्व के निर्माण का अवसर

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में डिजिटल विश्व के निर्माण के अवसर, चुनौतियों व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ 

हाल ही में भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 (A) का प्रयोग करते हुए चीन द्वारा निर्मित और संचालित 59 Apps, जिनमें टिकटॉक, शेयर इट, कैम स्कैनर इत्यादि शामिल हैं, को प्रतिबंधित कर दिया है। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology-MeitY) ने डेटा सुरक्षा और गोपनीयता संबंधी चिंताओं को इस प्रतिबंध का आधार बताया है।

चूँकि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था विश्व के सबसे बड़े बाज़ारों में से एक है और इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था में अत्यधिक महत्त्व भी है। डिजिटल अर्थव्यवस्था के युग में डेटा को हम 21वीं सदी की ‘मुद्रा’ (Currency) की संज्ञा दे सकते हैं। कई एप ऐसे हैं जिनके पास आय का कोई ज़रिया नहीं है, लेकिन उनका एकमात्र लाभ डेटा संग्रह है। इंटरनेट आधारित इस व्यवसाय मॉडल को निगरानी पूंजीवाद (Surveillance Capitalism) कहा जाता है, जहाँ सभी सोशल मीडिया एप्स और अन्य ऐसे प्लेटफॉर्म उपयोगकर्त्ताओं (Users) से पैसे एकत्र वाले अपने-अपने डेटा का इस्तेमाल करते हैं और उससे आय प्राप्त करते हैं। भारत में प्रतिबंधित किये गए चीनी एप निगरानी पूंजीवाद का ही उदाहरण हैं।

भारत के द्वारा चीनी उपकरणों पर लगाए गए प्रतिबंध से निश्चित ही वैश्विक बाज़ार में चीनी कंपनियों की साख नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई है। भारत के लिये यह एक अवसर के रूप में आया है। भारत को दीर्घकालिक रणनीति पर कार्य करते हुए डिजिटलीकरण की दिशा में बढ़ना होगा। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था डिजिटल विश्व का नेतृत्वकर्त्ता बन सकती है। 

डिजिटल अर्थव्यवस्था से तात्पर्य

  • आर्थिक व्यवस्था का वह स्वरूप जिसमें धन का अधिकांश लेन-देन क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिग, मोबाइल पेमेंट तथा अन्य डिजिटल माध्यमों से किया जाता है, डिजिटल अर्थव्यवस्था कहलाती है।
  • डिजिटल सेवाएँ 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण हो गई हैं। जब राष्ट्रीय या वैश्विक आपात स्थिति में वाणिज्यिक लेन-देन के अधिक पारंपरिक तरीके बाधित हुए, तब डिजिटल सेवाओं ने निर्मित हुए ऐसे अंतराल को भरने में सफलता प्राप्त की है। 
  • डिजिटल सेवाएँ स्वास्थ्य सेवाओं तथा खुदरा वितरण से लेकर वित्तीय सेवाओं तक कई क्षेत्रों में विविध प्रकार के उत्पादों की पहुँच और वितरण को सक्षम बनाती हैं।

डिजिटल अर्थव्यवस्था के घटक

  • देश में बदलते परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए डिजिटल अर्थव्यवस्था को तीन मुख्य घटकों में बाँटा जा सकता है:
    • भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने वित्तीय समावेशन के साथ-साथ डिजिटल आधारभूत संरचना के उपयोग को बढ़ावा दिया है। हाई स्पीड वाईफाई सहित डिजिटल बुनियादी ढाँचे तक देशव्यापी पहुँच प्रदान करने की योजना ने भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है। 
    • डिजिटल अर्थव्यवस्था का दूसरा चरण भारत में इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल कॉमर्स में वृद्धि है। तकनीकी रूप से समझदार युवा पीढ़ी वस्तुओं की खरीद का सबसे सरल माध्यम ऑनलाइन खरीद को मानती है। इससे देश में ई-कॉमर्स और एम-कॉमर्स का विस्तार हुआ है।
    • डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रत्येक स्तर पर डेटा की उपयोगिता बढ़ती जा रही है। हमारी अर्थव्यवस्था इस तरह के डेटा को समझने और विश्लेषण करने के दौर से गुज़र रही है। इसी के मद्देनज़र भारत सरकार ने अपना स्वयं का ओपन डेटा पोर्टल लॉन्च किया है जहाँ  विश्लेषण के लिये डेटा उपलब्ध है। डेटा की निरंतर बढ़ती जा रही मात्रा और रणनीतिक महत्त्व को देखते हुए डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिये सरकार डेटा एनालिटिक्स के क्षेत्र में प्रशिक्षण और अनुसंधान प्रदान करने में सहायता कर रही है।

बिग डेटा क्या है?

  • बिग डेटा एक वाक्यांश है जिसका उपयोग बहुत भारी मात्रा में संरचित और असंरचित डेटा के लिये किया जाता है, जो इतना बड़ा होता है कि पारंपरिक डेटाबेस और सॉफ़्टवेयर तकनीकों का उपयोग करके इसकी प्रोसेसिंग करना बेहद मुश्किल होता है।
  • बेहद उन्नत किस्म के कंप्यूटिंग और एल्गोरिदम के उपयोग द्वारा सोशल मीडिया से प्राप्त डेटा के माध्यम से ग्राहक का व्यवहार विश्लेषण और उसकी रुचि-अरुचि का अनुमान लगाकर उद्योगों में बिग डेटा का उपयोग किया जाता है। 

डिजिटल नवाचार का केंद्र भारत 

  • डिजिटल इंडिया देश में डिजिटल तरीके से सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिये आवश्यक डिजिटल आधारभूत ढाँचा खड़ा करते हुए डिजिटल सशक्तीकरण का माध्यम बन रहा है। एक ऐसे विश्व में जहाँ अब भौगोलिक दूरियाँ, बेहतर भविष्य के निर्माण में बाधा के रूप में नहीं रह गई है, भारत हर क्षेत्र में डिजिटल नवाचार का सशक्त केंद्र बन कर उभरा है।
  • ऑप्टिकल फाइबर से जुड़े एक लाख से अधिक गाँव, 121 करोड़ मोबाइल फोन, लगभग 122  करोड़ आधार और 50 करोड़ इंटरनेट सेवा का उपयोग करने वाले लोगों के साथ भारत अब दुनिया में प्रौद्योगिकी के साथ सहजता से जुड़ी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। 
  • भारत में हाईस्पीड इंटरनेट 5G सेवा की शुरुआत वर्ष 2020 में होने की संभावना है। 5G तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ मोबाइल और लैपटॉप पर ब्राउज़िंग तक सीमित नहीं रहेगा यह स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग से जुड़े क्षेत्रों में नए तकनीकी विकास करने में भी सक्षम होगी। तेज़ इंटरनेट स्पीड और कम लेटेंसी होने के कारण यह सर्वर रहित ऐप्लिकेशन्स, रिमोट कंट्रोल सर्जरी, कनेक्टेड स्मार्ट सिटी में भी उपयोगी साबित होगा।
  • आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाला है और कर भी रहा है। भारत का लक्ष्य मनुष्य केंद्रित आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का विकास करना है, जो समावेशी तरीके से मानवता को फायदा पहुँचा सके। कठिन समस्याओं का हल ढूँढना तथा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल होना भारत के प्रमुख लक्ष्यों में से है। 
  • वर्तमान में तकनीकी दक्ष अर्थव्यवस्था देश की विदेश नीति के निर्धारण में प्रमुख भूमिका निभा रही है। साइबर सुरक्षित भारत की 5G इंटरनेट तकनीकी विकासशील देशों के साथ संबंध निर्धारण में महत्त्वपूर्ण कारक सिद्ध होगी।

BPSC

भारत के डिजिटलीकरण में समस्याएँ

  • आवश्यक संरचना का अभाव: एसोचैम और डेलाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार नीतियों में अस्पष्टता व ढाँचागत कठिनाइयों के चलते महत्त्वाकांक्षी डिजिटल पारिस्थितिकी का सफल कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के मामले में अनेक चुनौतियाँ हैं। इसके अलावा बार-बार नेटवर्क कनेक्टिविटी टूट जाना या फिर सर्वर का ठप हो जाना भी कठिनाई पैदा करता है।
  • डिजिटल डिवाइड: डिजिटल पारिस्थितिकी के विकास के लिये सुदूर गाँवों में भी पर्याप्त कनेक्टिविटी उपलब्ध कराकर डिजिटल डिवाइड को खत्म करने की ज़रूरत है। देश में अब भी 50 हज़ार से अधिक गाँव ऐसे हैं, जहाँ मोबाइल कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
  • साइबर सुरक्षा का मुद्दा: भारत का मौज़ूदा सूचना प्रौद्योगिकी कानून साइबर अपराधों को रोकने के लिहाज़ से बहुत प्रभावी नहीं है। एटीएम कार्ड की क्लोनिंग के अलावा, बैंक अकाउंट का हैक हो जाना, डेटा और गोपनीय जानकारी हैकर्स तक पहुँच जाने की शिकायतें समय-समय पर सामने आती रहती हैं। ऐसे में जब तक साइबर अपराधों को लेकर कानून में कठोर प्रावधान शामिल नहीं किये जाएंगे, तब तक डिजिटलीकरण की प्रक्रिया को वह रफ्तार नहीं मिल पाएगी, जो अपेक्षित है। 
  • असमानताओं में वृद्धि: सेवाओं के डिजिटल प्रावधान में सफलता कई अंतर्निहित कारकों पर निर्भर है, जिसमें डिजिटल साक्षरता, शिक्षा और स्थिर और तेज़ दूरसंचार सेवाओं तक पहुँच शामिल है। इन मुद्दों का समाधान किये बिना सेवाओं के बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण के परिणामस्वरूप मौजूदा असमानताओं में वृद्धि हो सकती है। 
  • डेटा संरक्षण की चुनौती: 21वीं सदी में डेटा, मुद्रा के समान महत्त्वपूर्ण है। भारत की विशाल जनसंख्या के कारण कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनियाँ (गूगल, अमेज़न) यहाँ अपनी पहुँच बनाने की कोशिश कर रही हैं। इसलिये डेटा संप्रभुता (Data Sovereignty), डेटा स्थानीयकरण (Data Localisation) और इंटरनेट गवर्नेंस (Internet Governance) आदि से संबंधित मुद्दों का समाधान आवश्यक है।

डिजिटलीकरण की दिशा में सरकार के प्रयास

  • राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन
    • राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन की शुरुआत वर्ष 2020 तक भारत के प्रत्येक घर में कम-से-कम एक व्यक्ति को डिजिटल साक्षर बनाने के उद्देश्य से की गई है।
    • इस परियोजना का उद्देश्य तकनीकी दृष्टि से निरक्षर वयस्कों की मदद करना है ताकि वे तेज़ी से डिजिटल होती दुनिया में अपना स्थान खोज सकें। 
  • राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018
    • प्रत्येक नागरिक को 50 Mbps की गति से सार्वभौमिक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना। 
    • सभी ग्राम पंचायतों को वर्ष 2020 तक 1 Gbps तथा वर्ष 2022 तक 10 Gbps की कनेक्टिविटी प्रदान करना।
    • राष्ट्रीय फाइबर प्राधिकरण बनाकर राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड की स्थापना करना। 
    • ऐसे क्षेत्र जिन्हें अभी तक कवर नहीं किया गया है, के लिये कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना।
    • डिजिटल संचार क्षेत्र के लिये 100 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित करना।
  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013 
    • सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013’ जारी की गई जिसके तहत अति-संवेदनशील सूचनाओं के संरक्षण के लिये ‘राष्ट्रीय अतिसंवेदनशील सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (National Critical Information Infrastructure protection centre-NCIIPC) का गठन किया। 
    • भारत सूचना साझा करने और साइबर सुरक्षा के संदर्भ में सर्वोत्तम कार्य प्रणाली अपनाने के लिये अमेरिका, ब्रिटेन और इज़राइल जैसे देशों के साथ समन्वय कर रहा है।
  • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019
    • भारत सरकार ने भी व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 (Personal Data Protection Bill, 2019) को शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया था।
    • विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिये संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है जहाँ विधेयक में शामिल बिंदुओं पर व्यापक चर्चा की जाएगी।
    • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून एक व्यापक कानून है जो व्यक्तियों को इस बात पर अधिक नियंत्रण देने का प्रयास करता है कि उनका व्यक्तिगत डेटा कैसे एकत्रित, संग्रहीत और उपयोग किया जाता है।
  • ई-कामर्स नीति: 
    • ई-कॉमर्स के क्षेत्र में उपभोक्ता संरक्षण, डेटा गोपनीयता और हितधारकों हेतु समान अवसर उपलब्ध कराने जैसी समस्याएँ पटल पर आती रही हैं। इन्हीं समस्याओं हेतु उचित समाधान प्रस्तुत करने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति एक रणनीति तैयार करती है।
    • यह नीति घरेलू निर्माताओं और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के हितों को भी ध्यान में रखती है, साथ ही ऑनलाइन बाज़ार को उनके लिये बराबरी का क्षेत्र बनाना चाहती है। 

आगे की राह 

  • अप्रचलित कानूनों का निराकरण: भारत के डिजिटल अनुप्रयोग अप्रचलित कानूनों द्वारा शासित होते हैं, जो वर्त्तमान डिजिटल परिदृश्य के संदर्भ में अनुपयुक्त हो चुके हैं।
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 व्यावसायिक प्रक्रिया आउटसोर्सिंग पारिस्थितिकी तंत्र के लिये डिज़ाइन किया गया था, न कि आधुनिक डिजिटल अनुप्रयोगों या प्लेटफार्मों के लिये।
    • इसी प्रकार कॉपीराइट अधिनियम, जो डिजिटल अर्थव्यवस्था के केंद्र में उपस्थित अधिकांश कंटेंट के लिये प्रोत्साहन और सुरक्षा प्रदान करता है, को अंतिम बार वर्ष 2012 में संशोधित किया गया था।
    • इस प्रकार, प्रमुख कानूनों को संशोधित करने और उन्हें डिजिटल वातावरण के अनुकूल बनाने के लिये दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
  • उपलब्ध अवसर का लाभ उठाना
    • सरकार को प्रतिबंधित किये गए चीनी उपकरणों के स्थान पर भारतीय उपकरणों के विकास में युवा उद्यमियों को प्रोत्साहन प्रदान करना होगा।
    • किसी भी तकनीकी परियोजना के शीघ्र निर्माण के लिये सिंगल विंडो क्लीयरेंस, फंड की उपलब्धता तथा अनापत्ति प्रमाण पत्र की सुविधा होना आवश्यक है। सरकार को इस दिशा में तेज़ी से कार्य करना चाहिये।
    • चीनी उपकरणों पर हालिया प्रतिबंध भारतीय उद्यमियों के लिये बाज़ार में उत्पन्न हुई शून्यता को भरने के लिये एक अच्छा अवसर है। 
    • तकनीकी दक्ष भारतीय पेशेवरों के बल पर भारत शीघ्र ही विश्व में डिजिटल नवाचार का केंद्र बन सकता है। 

प्रश्न- भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास में प्रमुख घटकों का उल्लेख करते हुए डिजिटलीकरण की दिशा में आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये।


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