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डेली न्यूज़

  • 14 Jan, 2019
  • 33 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

भागीदारी शिखर सम्‍मेलन 2019

चर्चा में क्यों?


12 एवं 13 जनवरी, 2019 को महाराष्ट्र में भागीदारी शिखर सम्‍मेलन (Partnership Summit) के 25वें संस्‍करण का आयोजन किया गया।

थीम- न्यू इंडिया-राइज़िंग टू ग्लोबल अकेज़न (New India- Rising To Global Occasion)

प्रमुख बिंदु

  • इस सम्मेलन का आयोजन वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce & Industry), भारत सरकार के औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (Department of Industrial Policy and Promotion), महाराष्‍ट्र सरकार और भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry-CII) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

CII

  •  उल्लेखनीय है कि इस सम्मेलन के 22वें, 23वें और 24वें सत्र का आयोजन आंध्र प्रदेश में किया गया, जबकि 21वें सत्र का आयोजन वर्ष 2015 में राजस्थान में किया गया था।
  • शिखर सम्‍मेलन के दौरान देश के भीतर और पूरी दुनिया के साथ सक्रिय सहभागिता एवं गठबंधन करने वाले ‘नए भारत’ को दर्शाया गया।

International Participation

सम्मेलन में शामिल विषय


दो दिवसीय शिखर सम्‍मेलन में निर्धारित थीम के अंतर्गत निम्‍नलिखित विषयों को कवर किया गया-

  • ‘नए भारत’ के साथ साझेदारी (Partnering with New India)
  • सुधार एवं विनियमन - निवेश को बढ़ावा देने के लिये रणनीतियाँ (Reforms and De-regulation – Strategies to Boost Investment)
  • बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं का विस्‍तार - विकास के लिये अत्‍यंत ज़रूरी (The Infra Expanse-Super Imperative for Growth The Inclusion Dynamics)
  • समावेशी आयाम – सभी के लिये एक डिजिटल रूपरेखा (The Inclusion Dynamics – A Digital Wireframe for all)

महत्त्वपूर्ण क्षेत्रवार श्रृंखलाएँ


शिखर सम्‍मेलन के दौरान निम्‍नलिखित महत्त्वपूर्ण क्षेत्रवार श्रृंखलाओं पर भी विचार-विमर्श किया गया-

  • नवाचार (Innovations)
  • इंडिया 4.0; आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), बिग डेटा (India 4.0: AI, Big Data)
  • कृषि एवं खाद्य प्रसंस्‍करण (Agri and Food Processing)
  • स्‍वास्‍थ्‍य सेवा (Heath Care)
  • पर्यटन एवं आतिथ्‍य (Tourism and Hospitality)
  • रक्षा एवं वैमानिकी (Defence and Aeronautics)
  • नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy)

पृष्ठभूमि

  • भागीदारी शिखर सम्मेलन आर्थिक नीति के साथ-साथ भारत में विकास के रुझान पर भारतीय और अंतर्राष्‍ट्रीय हस्तियों के बीच संवाद, चर्चाओं, विचार-विमर्श और सहभागिता के लिये एक वैश्विक मंच है जिसकी शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी।

औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग

  • औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग की स्थापना 1995 में हुई थी तथा औद्योगिक विकास विभाग के विलय के साथ वर्ष 2000 में इसका पुनर्गठन किया गया था।
  • इससे पहले अक्तूबर 1999 में लघु उद्योग तथा कृषि एवं ग्रामीण उद्योग (Small Scale Industries & Agro and Rural Industries -SSI&A&RI) और भारी उद्योग तथा सार्वजनिक उद्यम (Heavy Industries and Public Enterprises- HI&PE) के लिये अलग-अलग मंत्रालयों की स्थापना की गई थी।

कार्य एवं भूमिका

  • विकास की आवश्यकता और राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप औद्योगिक विकास के लिये औद्योगिक नीति और रणनीतियों का निर्माण एवं कार्यान्वयन।
  • सामान्य रूप से औद्योगिक विकास की निगरानी करना और विशेष रूप से सभी औद्योगिक एवं तकनीकी मामलों पर सलाह सहित निर्दिष्ट उद्योगों के प्रदर्शन की निगरानी।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment -FDI) नीति का निर्माण करना और FDI को स्वीकृति देना, प्रोत्साहन देना और सहज बनाना।
  • उद्योग स्तर पर विदेशी प्रौद्योगिकी सहयोग को प्रोत्साहन देना और इसके लिये नीतिगत मानक तैयार करना।
  • पेटेंट, ट्रेडमार्क, भौगोलिक संकेतक आदि के लिये बौद्धिक संपदा अधिकारों के तहत नीतियों का निर्माण।
  • विकास और विनियमन अधिनियम, 1951 के तहत उद्योगों का प्रशासन।
  • औद्योगिक साझेदारी के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सहित औद्योगिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना।

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII)

  • भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) सलाहकार और परामर्श संबंधी प्रक्रियाओं के माध्यम से भारत के विकास, उद्योग, सरकार और नागरिक समाज के बीच साझेदारी के लिये अनुकूल वातावरण बनाने का काम करता है।
  • CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योगों को नेतृत्व प्रदान करने वाला और उद्योग-प्रबंधित संगठन है जो भारत की विकास प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
  • 1895 में स्थापित भारत के इस प्रमुख व्यापार संघ के निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों से SME और MNC सहित लगभग 9000 सदस्य हैं तथा लगभग 265 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय उद्योग/निकायों के 300,000 से अधिक उद्यमों की अप्रत्यक्ष सदस्यता है।

स्रोत : पी.आई.बी


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

रिपब्लिक ऑफ नॉर्थ मेसेडोनिया

चर्चा में क्यों?


हाल ही में ‘रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया’ (Macedonia) के सांसदों ने अपने देश का नाम बदलकर ‘रिपब्लिक ऑफ नॉर्थ मेसेडोनिया’ करने के लिये मतदान किया। मेसेडोनिया के 120 में से 81 सांसदों ने नाम परिवर्तन के पक्ष में मतदान किया जिससे नाम बदलने हेतु आवश्यक 2/3 बहुमत हासिल हो गया।

प्रमुख बिंदु

  • इस कदम से यूरोप के दो देशों ग्रीस और ‘रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया’ के बीच लगभग तीन दशकों से जारी विवाद का अंत हो सकता है।
  • दोनों देशों के बीच यह विवाद ‘रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया’ के नाम को लेकर था। ‘रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया’ की सीमा से लगने वाले ग्रीस के क्षेत्र (‘रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया’ के दक्षिण में स्थित ग्रीस के कुछ हिस्से) को भी मेसेडोनिया ही कहा जाता है।
  • सिकंदर महान ग्रीस के मेसेडोनिया क्षेत्र का रहने वाला था। इसी वज़ह से ग्रीस के नागरिक इस नाम को लेकर नाराज़ थे और नाटो तथा यूरोपीय संघ में ‘रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया’ की सदस्यता को रोक रहे थे।
  • इसी विवाद को सुलझाने हेतु पिछले साल जून में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था जिसके तहत ‘रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया’ को अपना नाम बदलना था। फलस्वरूप नाटो तथा यूरोपीय संघ में ‘रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया’ की सदस्यता को ग्रीस द्वारा समर्थन मिलना था।
  • दोनों देश इस बात पर सहमत थे कि ‘रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया’ को अब 'रिपब्लिक ऑफ नॉर्थ मेसेडोनिया' के नाम से जाना जाएगा और मेसोडोनियन भाषा में इसे ‘सेवेर्ना मकदूनिया’ कहा जाएगा।
  • समझौते में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उत्तरी मेसेडोनिया को पुरानी ग्रीक सभ्यता से संबंधित नहीं माना जाएगा।
  • नए नाम की आधिकारिक घोषणा से पहले मेसेडोनिया की जनता और ग्रीस की संसद की मंज़ूरी मिलनी आवश्यक है जिसके मद्देनज़र यह मतदान किया गया।
  • यदि तय समझौते के तहत ग्रीस द्वारा भी इस नाम को मंज़ूरी दे दी जाती है तो इस छोटे से गणराज्य, ‘रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया’ के लिये नाटो और यूरोपीय संघ में प्रवेश करने का रास्ता साफ हो जाएगा।

‘रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया’ का इतिहास

  • इसे रिपब्लिक ऑफ मैकेडोनिया, रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया या मकदूनिया भी कहा जाता है।
  • वर्ष 1991 में यूगोस्लाविया से अलग होकर नया देश ‘रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया’ बना था।
  • 1991 में रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया पूर्व यूगोस्लाविया से अलग हो गया और स्वतंत्रता की घोषणा की।
  • लगभग 25,000 वर्ग किमी. से थोड़े अधिक क्षेत्रफल वाले इस देश की आबादी लगभग 20 लाख है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


भारत-विश्व

भारत का मध्य-एशिया के साथ बेहतर उड़ान संपर्क का प्रयास

चर्चा में क्यों?


भारत ने हाल ही में मध्य एशिया के देशों के साथ एयर कॉरिडोर पर बातचीत करने का प्रस्ताव रखा। इसे वर्षों से 2 अरब डॉलर से नीचे रहे व्यापार को बढ़ावा देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वित्तीय ज़िम्मेदारी के सिद्धांतों का पालन करने के लिये कनेक्टिविटी पहल की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

पहला भारत-मध्य एशिया संवाद

  • उज़्बेकिस्तान में पहली भारत-मध्य एशिया वार्ता (First India-Central Asia Dialogue) में एक भाषण में स्वराज ने मध्य एशिया के देशों को चाबहार बंदरगाह परियोजना में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया। इसे संयुक्त रूप से भारत और ईरान द्वारा अफगानिस्तान में भारतीय वस्तुओं को उतारने और उन्हें विभिन्न स्थानों पर भेजने के लिये विकसित किया गया है।
  • विदेश मंत्री स्वराज कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने और युद्ध से तबाह अफगानिस्तान को स्थायित्व प्रदान करने के तरीकों सहित कई मुद्दों पर बातचीत करने के लिये दो दिवसीय यात्रा पर उज़्बेकिस्तान के शहर समरकंद पहुँचीं।
  • स्वराज ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2015 में किये गए सभी पाँच मध्य एशियाई देशों- कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के दौरों का उल्लेख किया।
  • विकास साझेदारी भारत के अन्य देशों के साथ जुड़ाव का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरी है।
  • उन्होंने इस साझेदारी को मध्य एशिया में भी विस्तारित करने की पेशकश की है, जहाँ हम देशों को अपनी परियोजनाओं तथा क्रेडिट्स एंड बायर्स क्रेडिट के तहत तथा अपनी विशेषज्ञता साझा कर करीब ला सकते हैं।

मध्य एशियाई देशों के साथ घनिष्ठ संबंध

  • भारत 1990 के दशक से मध्य-एशियाई गणराज्यों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन अब तक के प्रयासों के बेहतर परिणाम नहीं निकले पाए हैं।
  • भारत का सभी पाँच देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार 2 बिलियन डॉलर से कम है। भारत ने इसके लिये मध्य एशिया को भू-आबद्ध (land-locked) क्षेत्र के रूप में होने को ज़िम्मेदार माना है और वाणिज्य में सुधार के लिये चाबहार पोर्ट के माध्यम से वैकल्पिक मार्ग खोजने की कोशिश की है।
  • हालाँकि भौगोलिक रूप से अफगानिस्तान और मध्य एशिया भू-आबद्ध क्षेत्र हैं, इसके बावजूद ऐसे कई तरीके हैं जिनसे भारत, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देश इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिये काम कर सकते हैं ताकि देशों के बीच व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में आदान-प्रदान सुनिश्चित हो सके।
  • इस संदर्भ में भारत, ईरान और अफगानिस्तान के संयुक्त प्रयासों से ईरान में चाबहार पोर्ट के विकास ने एक व्यवहार्य और परिचालन व्यापार मार्ग के रूप में अफगानिस्तान और मध्य एशिया में व्यापार हेतु एक नई उम्मीद जगाई है।
  • चाबहार एक मज़बूत उदाहरण प्रस्तुत करता है कि किसी भी बाधा को दूर करने के लिये मज़बूत साझेदारी की अहमियत क्या हो सकती है।

एयर कॉरिडोर पर वार्ता

  • मध्य एशिया के साथ घनिष्ठ व्यापार संबंधों को आगे बढ़ाने के लिये भारत और मध्य एशिया के नागरिक उड्डयन प्राधिकरणों, हवाई माल ढुलाई और विमानन कंपनियों की भागीदारी के साथ भारत 'एयर कॉरिडोर पर एक संवाद' आयोजित करने का इच्छुक है ताकि, वस्तुओं (जिसमें जल्द खराब होने वाली वस्तुएँ भी शामिल हैं) का कुशलता और तेज़ी से आदान-प्रदान किया जा सके।
  • भारत ने पहले से ही भारत और कई अफगान शहरों के बीच माल के परिवहन के लिये हवाई गलियारे खोले हैं।
  • पिछले साल अश्गाबाद समझौते में शामिल होकर भारत ने ‘क्षेत्र में कनेक्टिविटी के कई विकल्पों’ का समर्थन किया है। अश्गाबाद समझौते का उद्देश्य ईरान, ओमान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारे की स्थापना करना है।
  • स्वराज ने ‘सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों, सुशासन, कानून का शासन, खुलापन, पारदर्शिता और समानता’ के आधार पर कनेक्टिविटी पहल की आवश्यकता को रेखांकित किया।

स्रोत : लाइव मिंट


भारत-विश्व

भारत-अमेरिका समझौतों की प्रगति

चर्चा में क्यों?


हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच एक मिनी 2+2 वार्ता (mini 2+2) का आयोजन किया गया जिसमें दोनों देशों के बीच समग्र रक्षा सहयोग का जायजा लेने के अलावा 2+2 वार्ता के दौरान हुए दो प्रमुख समझौतों को अंतिम रूप देने के लिये इनकी प्रगति की समीक्षा की गई।

प्रमुख बिंदु

  • इस बैठक के दौरान जिन समझौतों को अंतिम रूप देने पर चर्चा की गई उनमें औद्योगिक सुरक्षा अनुलग्नक (Industrial Security Annex-ISA) और भू-स्थानिक सहयोग के लिये बुनियादी विनिमय तथा सहयोग समझौता (Basic Exchange and Cooperation Agreement for Geo-spatial Cooperation-BECA) शामिल हैं।
  • भारत और अमेरिका के बीच हस्ताक्षर के लिये निर्धारित BECA समझौते का मसौदा अमेरिका पहले ही भारत के साथ साझा कर चुका है।
  • इस बैठक का उद्देश्य 2+2 वार्ता का पालन करना और आधिकारिक स्तर के संवाद को आगे भी जारी रखना था।
  • बैठक के दौरान द्विपक्षीय रक्षा सहयोग, विशेष रूप से अधिक-से-अधिक समुद्री क्षेत्र में जागरूकता (Maritime Domain Awareness (MDA) एमडीए) और इस साल के अंत में निर्धारित पहली त्रि-सेवा अभ्यास (tri-service exercise) की भी समीक्षा की गई।

भारत के लिये ISA का महत्त्व

  • यह समझौता अमेरिकी सरकार और अमेरिकी कंपनियों को भारतीय निजी क्षेत्र के साथ गोपनीय जानकारी साझा करने की अनुमति देता है, जो अब तक भारत सरकार और रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों तक सीमित है।
  • ISA का मसौदा वर्तमान में वाशिंगटन में आधिकारिक प्रक्रिया से गुज़र रहा है।
  • भारतीय उद्योग रक्षा विनिर्माण में अधिक भूमिका पाने की तलाश में हैं इसलिये ISA भारत के लिये विशेष रूप से आवश्यक है।

क्या है 2+2 वार्ता?

  • यदि दो देशों के बीच एक साथ दो-दो मंत्रिस्तरीय वार्ताएँ आयोजित की जाएँ तो इसे 2+2 वार्ता का नाम दिया जाता है।
  • औपचारिक रूप से दोनों देशों के बीच 2+2 वार्ता की शुरुआत सितंबर 2018 में हुई थी। इस दौरान तीसरे आधारभूत समझौते ‘संचार संगतता और सुरक्षा समझौता’, (Communications Compatibility and Security Agreement) पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • इस मॉडल के तहत भारत और जापान तथा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच भी वार्ताएँ हुई हैं।

भारत और अमेरिका के बीच उच्च स्तरीय समझौते

  • COMCASA: संगतता और सुरक्षा समझौता (Communications Compatibility and Security Agreement -COMCASA) एन्क्रिप्टेड संचार प्रणाली के हस्तांतरण को सरल बनाता है और उच्च तकनीक वाले सैन्य उपकरणों को साझा करने हेतु यह समझौता अमेरिका की प्रमुख आवश्यकता है।
  • BECA: मूल विनिमय और सहयोग समझौता (Basic Exchange and Cooperation Agreement) भू-स्थानिक जानकारी के विनिमय को आसान बनाता है।
  • LEMOA: लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (Logistics Exchange Memorandum of Agreement) पर भारत ने वर्ष 2016 में हस्ताक्षर किये थे। यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं की एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं तक पहुँच को आसान बनाता है लेकिन यह इसे स्वचालित या अनिवार्य नहीं बनाता है। 
  • GSOMIA: सैन्य सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (General Security Of Military Information Agreement) पर भारत ने वर्ष 2002 में हस्ताक्षर किये थे. यह सेनाओं को उनके द्वारा एकत्रित खुफिया जानकारी को साझा करने की अनुमति देता है।

स्रोत : द हिंदू


सामाजिक न्याय

सरकार ने फिर से लागू किया तीन तलाक संबंधी अध्यादेश

चर्चा में क्यों?


सरकार ने तत्काल तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के प्रचलन पर प्रतिबंध लगाते हुए मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 [Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Ordinance, 2019] को फिर से लागू कर दिया है।

राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति

  • संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत राष्ट्रपति के पास संसद के सत्र में न होने की स्थिति में अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त है।
  • अध्यादेश की शक्ति संसद द्वारा बनाए गए कानून के बराबर ही होती है और यह तत्काल लागू हो जाता है।
  • अध्यादेश के अधिसूचित होने के बाद इसे संसद पुनः बैठक के 6 सप्ताह के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
  • संसद या तो इस अध्यादेश को पारित कर सकती है या इसे अस्वीकार कर सकती है अन्यथा 6 सप्ताह की अवधि बीत जाने पर अध्यादेश प्रभावहीन हो जाएगा।
  • चूँकि सदन के दो सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल 6 महीने का हो सकता है, इसलिये अध्यादेश का अधिकतम 6 महीने और 6 सप्ताह तक लागू रह सकता है।
  • इसके अलावा राष्ट्रपति कभी भी अध्यादेश को वापस ले सकता है।
  • कूपर मामले (1970) में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।
  • हालाँकि 38वें संविधान संशोधन अधिनियम 1975 के अनुसार, यह प्रावधान किया गया कि राष्ट्रपति की संतुष्टि अंतिम व मान्य होगी और न्यायिक समीक्षा से परे होगी। लेकिन 44वें संविधान संशोधन द्वारा इस उपबंध को समाप्त कर दिया गया। अतः राष्ट्रपति की संतुष्टि को असद्भाव के आधार पर न्यायिक चुनौती दी जा सकती है।
  • डी.सी. बाधवा बनाम बिहार राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार अध्यादेश जारी करने की शक्ति के प्रयोग की आलोचना की तथा कहा कि यह विधानमण्डल की विधि बनाने की शक्ति का कार्यपालिका के द्वारा हनन है। इस शक्ति का प्रयोग असाधारण परिस्थितियों में किया जाना चाहिये न कि राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु।
  • यह माना गया कि अध्यादेश के माध्यम से कानून बनाने की असाधारण शक्ति का इस्तेमाल राज्य विधानमंडल की विधायी शक्ति के विकल्प के रूप में नहीं किया जा सकता है।
  • कृष्ण कुमार सिंह बनाम बिहार राज्य (2017) मामले में भी सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं।

स्रोत : द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (14 जनवरी)

  • संसद से पारित होने वाले सामान्य वर्ग आरक्षण विधेयक ने राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने के बाद कानून का रूप ले लिया है। इस कानून में सामान्य वर्ग के लिये 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है। यह आरक्षण सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में मिलेगा। सामान्य आरक्षण लागू होने के साथ ही सामान्य वर्ग में आरक्षण देने वाला गुजरात पहला राज्य बन गया।
  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश में मादक पदार्थों के इस्तेमाल की समस्या के निवारण के लिये पंचवर्षीय कार्ययोजना का मसौदा तैयार किया है। मादक पदार्थों की मात्रा में कमी लाने की इस कार्ययोजना का उद्देश्य इस मुद्दे के समाधान के लिये बहुआयामी रणनीति अपनाना है। इसमें प्रभावित व्यक्तियों एवं परिवारों की शिक्षा, नशामुक्ति और पुनर्वास के उपाय शामिल हैं। इस कार्ययोजना में स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और कार्यस्थलों में पुलिसकर्मियों, अर्धसैनिक बलों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ता संगठनों के लिये जागरूकता सृजन कार्यक्रम भी शामिल किये गए हैं।
  • GST लागू किये जाने के बाद राज्यों के राजस्व में कमी के कारणों का विश्लेषण और समीक्षा करने के लिये बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी की अध्यक्षता में 7 सदस्यों वाली समिति गठित की गई है। यह समिति राज्यों को होने वाली GST आय को बढ़ाने के उपाय भी सुझाएगी। गौरतलब है कि GST लागू होने के बाद केवल आंध्र प्रदेश और पूर्वोत्तर के पाँच राज्यों- मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, सिक्किम और नगालैंड की आय बढ़ी है।
  • निजी क्षेत्र के IDFC बैंक का नाम बदलकर IDFC First Bank Limited कर दिया गया है। गौरतलब है कि IFDC बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी 'कैपिटल फर्स्ट' का विलय 18 दिसंबर को पूरा हो गया था। इस विलय के बाद IFDC बैंक के बोर्ड ने कैपिटल फर्स्ट लिमिटेड के चेयरमैन के तौर पर वी. वैद्यनाथन को इन दोनों कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के तौर पर नियुक्त किया था। विलय के बाद अब यह संयुक्त इकाई 203 बैंक शाखाओं, 129 एटीएम और 454 ग्रामीण बिजनेस कॉरेसपॉन्डेंट सेंटर्स के ज़रिये 72 लाख ग्राहकों को सेवाएँ देगी। 
  • भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नेपाली सेना के प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा को ‘भारतीय सेना के जनरल’ की मानद उपाधि प्रदान की। वर्षों पुरानी परंपरा का पालन करते हुए नेपाल के सेना प्रमुख को ‘भारतीय सेना के जनरल’ की मानद पदवी प्रदान की गई। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच एक-दूसरे के सेना प्रमुखों को मानद जनरल की पदवी प्रदान करने की पुरानी परंपरा है। भारतीय सेना के प्रमुख जनरल बिपिन रावत को 2017 में उनकी नेपाल यात्रा के दौरान वहाँ की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने उनको ‘नेपाली सेना के जनरल’ की मानद पदवी प्रदान की थी। कमांडर इन चीफ जनरल के.एम. करियप्पा 1950 में नेपाल की सेना द्वारा इस पदवी से सम्मानित किये जाने वाले पहले भारतीय सेना प्रमुख थे।
  • युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्यमंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने दिल्ली में राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव 2019 की शुरुआत की। इसे तीन स्तरों पर संचालित किया जा रहा है- 1. ज़िला युवा संसद, 2. राज्य युवा संसद और 3. राष्ट्रीय युवा संसद। इस राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव की थीम ‘नए भारत की आवाज़ बनो’ और ‘उपाय ढूंढो और नीति में योगदान करो’ (Be the Voice of New India and Find Solutions and Contribute to Policy) रखी गई है। 12 जनवरी से शुरू हुआ यह महोत्सव 24 फरवरी तक जारी रहेगा।
  • कर्नाटक में कुदालसंगामा की पंचमाली पीठ द्वारा दिया जाने वाला राष्ट्रीय बसवा कृषि पुरस्कार पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार को कृषि में उनके योगदान के लिये दिया जाएगा। 2012 में स्थापित यह पुरस्कार कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वालों को दिया जाता है। अब तक राजेंद्र सिंह, अन्ना हजारे, मेधा पाटकर, बाबा अडावे, माणिक सरकार और एम.एस. स्वामीनाथन को इस पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका है।
  • उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत हुई। एक स्थान पर विश्व का सबसे बड़ा मानव समागम कुंभ मेला अखाड़ों के शाही स्नान के साथ शुरु हुआ। कुंभ मेले का आयोजन 32 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किया गया है। मेले की इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमान तथा 1400 सीसीटीवी कैमरों से निगरानी सुनिश्चित की गई है। एक लाख 22 हज़ार शौचालय भी बनाए गए हैं।
  • 2020 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में वहाँ की पहली हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड अपनी दावेदारी पेश करेंगी। डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता तुलसी गबार्ड हवाई से अमेरिकी संसद के लिये चुनी गई हैं। अमेरिकी समोआ में जन्मी तुलसी गबार्ड का भारत से कोई नाता नहीं है और न ही उनके माता-पिता भारतीय मूल के हैं। लेकिन हिंदू धर्म को मानने की वज़ह से तुलसी गबार्ड को अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय का समर्थन मिलता रहा है।
  • सऊदी अरब, पाकिस्तान में ग्वादर के गहरे पानी के बंदरगाह में 10 बिलियन डॉलर की तेल रिफाइनरी स्थापित करने की योजना बना रहा है। ग्वादर बंदरगाह चीन की मदद से विकसित किया जा रहा है। गौरतलब है कि इससे पहले सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 6 बिलियन डॉलर का पैकेज देने की पेशकश की थी, जिसमें कच्चे तेल के आयात में मदद भी शामिल थी। सऊदी अरब यह तेल रिफाइनरी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में पाकिस्तान के साथ साझेदारी के माध्यम से पाकिस्तान के आर्थिक विकास को स्थिर बनाए रखने के लिये स्थापित करना चाहता है।
  • नोबल पुरस्कार विजेता और पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्त्ता मलाला युसुफज़ई की नई पुस्तक We Are Displaced भारत में भी लॉन्च हुई। इस पुस्तक में उन्होंने दुनियाभर की यात्रा और शरणार्थी शिविरों का दौरा करते समय हुए अपने अनुभवों को साझा किया है। Weidenfeld & Nicolson and Hachette India ने इस पुस्तक को प्रकाशित किया है।

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