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डेली न्यूज़

  • 01 Jan, 2024
  • 29 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

लाल सागर और पनामा नहर

प्रिलिम्स के लिये:

लाल सागर व्यापार मार्ग, पनामा नहर, केप ऑफ गुड होप, हूती विद्रोही, स्वेज नहर, बेन गुरियन नहर परियोजना, MV केम प्लूटो

मेन्स के लिये:

लाल सागर और पनामा नहर में प्रमुख मुद्दे, वैश्विक व्यापार में समुद्री परिवहन का महत्त्व

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों? 

लाल सागर व्यापार मार्ग में जहाज़ों पर हाल के हमलों और पनामा नहर में चल रही सूखे की समस्या ने वैश्विक व्यापार व्यवधानों के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।

वर्तमान में लाल सागर और पनामा नहर में मुख्य मुद्दे क्या हैं?

  • लाल सागर: 
    • मुद्दा: रासायन पदार्थों से भरे टैंकर MV केम प्लूटो पर गुजरात के तट से लगभग 200 समुद्री मील दूर एक ड्रोन हमला हुआ था।
      • MV केम प्लूटो एक लाइबेरिया-ध्वजांकित, जापानी स्वामित्व वाला और नीदरलैंड द्वारा संचालित रासायनिक टैंकर है। इसने सऊदी अरब के अल ज़ुबैल से कच्चा तेल लेकर अपनी यात्रा शुरू की थी और इसके भारत के न्यू मैंगलोर पहुँचने की उम्मीद थी।
    • कथित रूप से शामिल: ऐसा माना जाता है कि गज़ा में इज़रायल की कार्रवाइयों के विरोध का हवाला देते हुए, यमन स्थित हूती विद्रोहियों द्वारा इसे अंजाम दिया गया था।
      • हूती विद्रोही यमन सरकार के साथ एक दशक से चल रहे नागरिक संघर्ष में भी शामिल हैं।
    • लाल सागर मार्ग में व्यवधान से केप ऑफ गुड होप के माध्यम से शिपिंग की जाएगी जिसके परिणामस्वरूप भारतीय कृषि उत्पादों की कीमत में 10-20% की वृद्धि हो सकती है।
      • भारत पर प्रभाव: इस महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्ग में व्यवधान के कारण भारतीय तेल आयातकों और बासमती चावल तथा चाय जैसी प्रमुख वस्तुओं के निर्यातकों के लिये चिंताएँ पैदा हो गई हैं।

नोट: प्रमुख शिपिंग कंपनियों द्वारा लाल सागर मार्ग से व्यापार न करने के कारण तेल एवं पेट्रोलियम के वैश्विक प्रवाह में गिरावट आई है। हालाँकि, रूस से भारत का तेल आयात अप्रभावित रहा है।

  • पनामा नहर:
    • मुद्दा: सूखे की स्थिति के कारण, पनामा नहर के 51-मील विस्तार के माध्यम से शिपिंग में 50% से अधिक की कमी आई है।
      • मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सामान्य से अधिक गर्म समुद्री जल से संबंधित प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाला अल-नीनो जलवायु पैटर्न पनामा के सूखे में योगदान दे रहा है।
    • प्रभाव: जल की यह कमी एशिया से अमेरिका जाने वाले जहाज़ो को स्वेज़ नहर का विकल्प चुनने के लिये मजबूर कर रही है, जिससे पनामा नहर मार्ग की तुलना में अतिरिक्त छह दिन का समय लगता है।
      • लाल सागर क्षेत्र में स्वेज़ नहर की ओर जाने वाली बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य एशिया को यूरोप से जोड़ती है जबकि 100 वर्ष पुरानी पनामा नहर अटलांटिक व प्रशांत महासागरों को जोड़ती है।
        • ये दोनों जल मार्ग विश्व के सबसे व्यस्ततम मार्गों में से एक हैं।

 

वैश्विक व्यापार में समुद्री परिवहन की क्या भूमिका है?

  • व्यापक मात्रा तथा मूल्य वाहक: व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन- UNCTAD के अनुसार समुद्री परिवहन कुल परिवहन मात्रा में वैश्विक व्यापार का 80% तथा मूल्य के हिसाब से 70% से अधिक का योगदान देता है, जो परिवहन के अन्य माध्यमों से कहीं अधिक है।
  • वर्ष 2019 तक वार्षिक विश्व परिवहन व्यापार का कुल मूल्य 14 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक तक पहुँच गया था।
  • पर्यावरणीय संदर्भ: जबकि शिपिंग वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 3% का योगदान देता है, यह अपेक्षाकृत अधिक ईंधन-कुशल है और हवाई माल ढुलाई जैसे परिवहन के अन्य तरीकों की तुलना में प्रति टन कार्गो का कम उत्सर्जन करता है।
  • ऊर्जा स्रोतों का परिवहन: विश्व के अधिकांश ऊर्जा संसाधनों, जैसे तेल एवं प्राकृतिक गैस का परिवहन समुद्र द्वारा किया जाता है। टैंकर इन संसाधनों को उत्पादन क्षेत्रों से उपभोक्ता क्षेत्रों तक ले जाते हैं, जो वैश्विक ऊर्जा मांगों को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भारत इन मुद्दों की संवेदनशीलता/सुभेद्यता को कम करने के लिये क्या उपाय अपना सकता है?

  • संयुक्त समुद्री सुरक्षा पहल: प्रमुख लाल सागर हितधारकों (मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यमन) के साथ एक सहयोगी सुरक्षा ढाँचे का प्रस्ताव जिसमें खुफिया जानकारी साझा करना, समन्वित गश्त और संयुक्त अभ्यास शामिल हैं।
  • उन्नत निगरानी प्रणालियों की तैनाती: खतरे का शीघ्र पता लगाने और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाने के लिये भारत के पश्चिमी तट पर एकीकृत रडार एवं ड्रोन निगरानी प्रणालियाँ स्थापित की जा सकती हैं।
  • तरजीही/अधिमानी अभिगम पर वार्ता: भारतीय जहाज़ों के लिये तरज़ीही/अधिमानी मार्ग या विशिष्ट मार्गों के लिये संभावित टोल छूट संबंधी संभावनाओं का लगाने हेतु पनामा नहर अधिकारियों के साथ संवाद किया जाना चाहिये।

वैकल्पिक व्यापार मार्गों पर विचार

हाल ही में, बेन गुरियन नहर परियोजना में नए सिरे से रुचि बढ़ी है, एक प्रस्तावित 160 मील लंबी समुद्र-स्तरीय नहर जो स्वेज़ नहर को दरकिनार/बाइपासिंग करते हुए भूमध्य सागर को अकाबा की खाड़ी से जोड़ेगी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2019)

 समुद्र                              सीमा वाला देश

  1. एड्रियाटिक सागर :                अल्बानिया
  2. काला सागर :                        क्रोएशिया
  3. कैस्पियन सागर :                   कज़ाकिस्तान
  4. भूमध्य सागर :                       मोरक्को
  5. लाल सागर :                         सीरिया

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a) केवल 1, 2 और 4 
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2 और 5 
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


शासन व्यवस्था

आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना

प्रिलिम्स के लिये:

आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, आयुष्मान कार्ड, आयुष्मान आरोग्य मंदिर, सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC), राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA)।

मेन्स के लिये:

आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) के संबंध में कुछ आँकड़े जारी किये हैं।

AB PM-JAY सांख्यिकी की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • आयुष्मान कार्ड:
    • बनाए गए कुल आयुष्मान कार्डों में से लगभग 49% महिलाएँ हैं और कुल अधिकृत अस्पतालों में लगभग 48% प्रवेश हैं।
    • योजना की शुरुआत से दिसंबर 2023 तक लगभग 28.45 करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं, जिनमें से लगभग 9.38 करोड़ आयुष्मान कार्ड वर्ष 2023 के दौरान बनाए गए हैं
  • स्वास्थ्य कवरेज:
    • इस योजना के तहत 12 करोड़ परिवारों के 55 करोड़ व्यक्तियों को शामिल किया गया है तथा AB PM-JAY को लागू करने वाले कई राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी लागत पर लाभार्थी आधार का और विस्तार किया है।
  • अस्पताल में दाखिले:
    • इस योजना के तहत अस्पतालों में 78,188 करोड़ रुपए की राशि की कुल 6.11 करोड़ दाखिले अधिकृत किये गए थे, जिनमें से 25,000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के कुल 1.7 करोड़ दाखिले वर्ष 2023 (जनवरी-दिसंबर 2023) के दौरान अधिकृत किये गए।

आयुष्मान भारत-PMJAY क्या है?

  • परिचय:
    • PM-JAY पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्तपोषित विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है।
    • इसे 2018 में लॉन्च किया गया, यह माध्यमिक देखभाल और तृतीयक देखभाल के लिये प्रति परिवार 5 लाख रुपए की बीमा राशि प्रदान करती है।
      • स्वास्थ्य लाभ पैकेज में सर्ज़री, चिकित्सा और डे केयर उपचार, दवाओं व निदान की लागत शामिल है।
  • लाभार्थी:
    • यह एक पात्रता आधारित योजना है जो नवीनतम सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) डेटा द्वारा पहचाने गए लाभार्थियों को लक्षित करती है।
      • राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को शेष (अप्रमाणित) SECC परिवारों की पहचान करने के लिये समान सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल वाले गैर-सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) लाभार्थी परिवार डेटाबेस का उपयोग करने हेतु लचीलापन प्रदान किया है।
  • वित्तीयन:
    • इस योजना का वित्तपोषण संयुक्त रूप से किया जाता है, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में केंद्र एवं विधायिका के बीच 60:40, पूर्वोत्तर राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल व उत्तराखंड के लिये 90:10 और विधायिका के बिना केंद्रशासित प्रदेशों हेतु 100% केंद्रीय वित्तपोषण।
  • केंद्रक अभिकरण:
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority- NHA) को राज्य सरकारों के साथ संयुक्त रूप से PMJAY के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक स्वायत्त इकाई के रूप में गठित किया गया है।
    • राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (SHA) राज्य में ABPMJAY के कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार राज्य सरकार का शीर्ष निकाय है।


जैव विविधता और पर्यावरण

जलवायु लक्ष्यों और जैवविविधता संरक्षण का संतुलन

प्रिलिम्स के लिये:

जलवायु लक्ष्यों और जैव-विविधता संरक्षण को संतुलित करना, कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासन (CDR) रणनीतियाँ, पेरिस समझौता, जलवायु परिवर्तन।

मेन्स के लिये:

जलवायु लक्ष्यों और जैव-विविधता संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण को संतुलित करना

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ है जिसका शीर्षक है- जलवायु लक्ष्यों और जैव-विविधता संरक्षण को संतुलित करना: भूमि-आधारित कार्बन निष्कासन के लिये 30x30 लक्ष्य के कानूनी निहितार्थ (Balancing climate goals and biodiversity protection: legal implications of the 30x30 target for land-based carbon removal), यह शीर्षक भूमि-आधारित कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासन हेतु (CDR) रणनीतियों और संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना के बीच संघर्ष को उजागर करता है।

अध्ययन के मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • सीमित भूमि उपलब्धता:
    • भूमि उपलब्धता की सीमाएँ जैव-विविधता लक्ष्य और भूमि-आधारित जलवायु शमन रणनीतियों दोनों को लागू करने में एक महत्त्वपूर्ण चुनौती हैं।
    • CDR गतिविधियों के लिये देशों द्वारा भूमि के महत्त्वपूर्ण हिस्से को गिरवी रखने से, सीमित भूमि उपलब्धता के कारण संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना के लिये एक चुनौती उत्पन्न हो गई है।
  • वैश्विक लक्ष्य और वर्तमान स्थिति:
    • राष्ट्र वर्ष 2030 तक विश्व के 30% स्थलीय और समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा के लिये "30x30" जैव- विविधता लक्ष्य हेतु प्रतिबद्ध हुए हैं। हालाँकि वर्ष 2023 तक संरक्षित क्षेत्र केवल 16% स्थलीय क्षेत्रों और 8% समुद्री क्षेत्रों को कवर करते हैं, जो कि 30x30 के लक्ष्य से कम है।
      • 30×30 लक्ष्य एक वैश्विक लक्ष्य है जिसका उद्देश्य प्रजातियों के तेज़ी से हो रहे नुकसान को रोकना और महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करना है जो हमारी आर्थिक सुरक्षा का स्रोत हैं।
  • भूमि उपयोग और संघर्ष:
    • कुछ भूमि-आधारित शमन रणनीतियाँ भूमि उपयोग की बाधाओं के कारण अधिक संरक्षित क्षेत्रों को स्थापित करने की आवश्यकता के साथ संघर्ष करती हैं।
    • CDR की बड़े पैमाने पर तैनाती के परिणामस्वरूप जैवविविधता को हानि हो सकती है और खाद्य फसल उत्पादन में उपयोग की जाने वाली भूमि के लिये प्रतिस्पर्द्धा हो सकती है।
  • लक्ष्य की अपर्याप्तता:
    • 30x30 लक्ष्य की महत्त्वाकांक्षी प्रकृति के बावजूद, शोधकर्त्ताओं का अनुमान है कि जैवविविधता को प्रभावी ढंग से संरक्षित करने के लिये वैश्विक भूमि का कम से कम 44% संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत होना चाहिये।
    • इसके अलावा, अकेले CDR गतिविधियाँ ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 या 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिये पेरिस समझौते में उल्लिखित लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सकती हैं।
  • कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
    • प्रश्न उठते हैं कि खाद्य उत्पादन का विस्तार और CDR रणनीतियों को लागू करते समय देश संरक्षित क्षेत्रों एवं बहाली के लिये अतिरिक्त भूमि किस प्रकार आवंटित करेंगे।
    • इन उद्देश्यों को संतुलित करना एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है।
  • कानूनी परिप्रेक्ष्य:
    • जबकि कुछ भूमि-आधारित CDR दृष्टिकोण जैवविविधता को लाभ पहुँचा सकते हैं, वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून समान अधिग्रहित भूमि पर संरक्षित क्षेत्रों के साथ CDR तकनीकों के कार्यान्वयन को नहीं रोकता है।
  • सिफारिशें:
    • CDR नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जो जैवविविधता की रक्षा करते हुए ग्रीनहाउस गैसों को प्रभावी ढंग से अवशोषित करती हैं। वे जलवायु परिवर्तन को कम करने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं, यह कहते हुए कि जैवविविधता के लिये इससे होने वाला खतरा अन्य चिंताओं से कहीं अधिक है।

कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासन (CDR) क्या है?

परिचय:

  • CDR उन प्रौद्योगिकियों, प्रथाओं और दृष्टिकोणों को संदर्भित करता है जो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को निष्कासित करते हैं तथा उसे स्थायी रूप से संग्रहीत करते हैं।

पद्धति:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. “मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ” यह पहल किसके द्वारा शुरू की गई थी? (2018) 

(a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल
(b) UNEP सचिवालय
(c) UNFCCC सचिवालय
(d) विश्व मौसम विज्ञान संगठन

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • "मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ", UNFCCC सचिवालय द्वारा वर्ष 2015 में शुरू की गई एक पहल है।
  • जलवायु तटस्थता के उद्देश्य के साथ यह पहल ‘मोमेंटम फॉर चेंज’ के तहत काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • जलवायु तटस्थता प्राप्त करने के लिये, लोगों, व्यवसायों एवं सरकारों को पहले अपने कार्बन फुटप्रिंट का आकलन करने की आवश्यकता है और फिर संयुक्त राष्ट्र-प्रमाणित उत्सर्जन कटौती के माध्यम से क्षतिपूर्ति करते हुए जितना संभव हो, उतना उत्सर्जन में कटौती करनी चाहिये।

अतः विकल्प (c) सही है।


प्रश्न. कार्बन डाइ-ऑक्साइड के मानवजनित उत्सर्जन के कारण होने वाले ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन कार्बन पृथक्करण के लिये संभावित स्थल हो सकता है? (2017)

  1. परित्यक्त और गैर-आर्थिक कोयले की तह
  2.  तेल और गैस भंडारण में कमी
  3.  भूमिगत गहरी लवणीय संरचनाएँ

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


शासन व्यवस्था

पूंजी निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता योजना

प्रिलिम्स के लिये:

पूंजी निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता योजना, कोविड-19 महामारी, 15वाँ वित्त आयोग, शहरी नियोजन, मेक इन इंडिया 

मेन्स के लिये:

पूंजी निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता योजना

स्रोत: हिंदू बिज़नेस लाइन 

चर्चा में क्यों?

पूंजीगत व्यय/निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता योजना के तहत केंद्र द्वारा आवंटित ₹ 1,67,518.6 करोड़ की विशेष सहायता (ऋण) में से सर्वाधिक हिस्सा विगत चार वर्षों में उत्तर प्रदेश को प्रापर्ट हुआ है।

  • प्रदत्त पर्याप्त वित्तीय सहायता यूपी में विकास पहलों को बढ़ावा देने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

वित्त मंत्रालय के अनुसार पूंजीगत व्यय के रुझान क्या हैं?

  • यूपी और बिहार शीर्ष दो राज्य हैं जिन्होंने पूंजीगत व्यय से संबंधित मानदंडों को पूरा किया है तथा विगत चार वर्षों में योजना के तहत अधिकतम आवंटन प्राप्त किया है।
  • उत्तराखंड, हरियाणा, केरल एवं पंजाब उन राज्यों में से हैं जिन्हें योजना के तहत कुल आवंटित राशि का लगभग 1-2% प्राप्त हुआ है।
  • आंध्र प्रदेश, केरल, मणिपुर एवं पंजाब को वर्ष 2023-24 में कोई आवंटन नहीं मिला है व वित्त मंत्रालय के अनुसार, इन राज्यों ने योजना के तहत निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं किया है।

पूंजी निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता योजना क्या है?

  • परिचय:
    • यह योजना वित्त वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र शुरू की गई थी।
    • वर्तमान में इस योजना का विस्तार किया गया है तथा इसे ₹1.3 लाख करोड़ के आवंटन के साथ 'पूंजी निवेश के लिये राज्यों को विशेष सहायता योजना, 2023-24' के रूप में जारी रखा गया है।
  • भाग:
    • इस योजना के आठ भाग हैं, भाग-I 1 लाख करोड़ रुपए के आवंटन के साथ सबसे बड़ा है। यह राशि 15वें वित्त आयोग के निर्णय के अनुसार राज्यों के बीच केंद्रीय करों और कर्त्तव्यों में उनकी हिस्सेदारी के अनुपात में आवंटित की गई है।
    • योजना के अन्य भाग या तो सुधारों से जुड़े हैं या क्षेत्र विशेष परियोजनाओं के लिये हैं।
      • भाग- II पुराने वाहनों को हटाने और स्वचालित वाहन परीक्षण सुविधाओं की स्थापना के लिये राज्यों को प्रोत्साहन प्रदान करता है;
      • भाग-III व IV शहरी नियोजन और शहरी वित्त में सुधार के लिये राज्यों को प्रोत्साहन प्रदान करते हैं;
      • भाग-V शहरी क्षेत्रों में पुलिस स्टेशनों के भीतर पुलिस कर्मियों और उनके परिवारों के लिये आवास स्टॉक बढ़ाने के लिये धन प्रदान करता है।
      • योजना का भाग-VI यूनिटी मॉल परियोजनाओं के माध्यम से सांस्कृतिक विविधता और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय एकीकरण, मेक इन इंडिया एवं एक ज़िला एक उत्पाद के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
      • भाग-VII के तहत, राज्यों को पंचायत और वार्ड स्तर पर डिज़िटल बुनियादी ढाँचे के साथ पुस्तकालय स्थापित करने के लिये वित्तीय सहायता के रूप में 5,000 करोड़ रुपए प्रदान किये जाते हैं, जिससे मुख्य रूप से बच्चों एवं किशोरों को लाभ होता है।
  • योजना के उद्देश्य:
    • क्योंकि इससे मांग बढ़ने और नौकरियाँ उत्पन्न होने का अनुमान है, इस कार्यक्रम का अर्थव्यवस्था पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा।
    • इस योजना का उद्देश्य राज्य के हिस्से को पूरा करने के लिये धन प्रदान करके जल-जीवन मिशन और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसे प्रमुख क्षेत्रों में परियोजनाओं की गति को बढ़ाना भी है।
    • यह योजना शहरों में जीवन की गुणवत्ता एवं शासन में सुधार के लिये राज्यों को शहरी नियोज़न और शहरी वित्त में सुधार करने के लिये प्रोत्साहित करने का भी प्रयास करती है।

भारत में पूंजीगत व्यय क्या है?

  • पूंजीगत व्यय (Capex):
    • यह बुनियादी ढाँचे, भवन, मशीनरी और उपकरण जैसी भौतिक संपत्तियों के अधिग्रहण, निर्माण या सुधार के लिये सरकार द्वारा आवंटित धन को संदर्भित करता है।
    • इसे उत्पादक और विकास बढ़ाने वाला माना जाता है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता को बढ़ाता है तथा भविष्य में आय एवं रोज़गार उत्पन्न करता है।
    • भारत सरकार अपने वार्षिक बजट के माध्यम से पूंजीगत व्यय आवंटित करती है, जिसे वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
      • पूंजी निवेश परिव्यय में लगातार तीन वर्ष की वृद्धि देखी गई है, जो 10 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 3.3% है, जो 33% (केंद्रीय बजट 2023-24) की महत्त्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाता है ।
  • प्रभावी पूंजीगत व्यय:
    • बजट में प्रस्तुत पूंजीगत व्यय में राज्यों और अन्य एजेंसियों को सहायता अनुदान के माध्यम से पूंजीगत संपत्ति बनाने पर सरकार द्वारा किया गया व्यय शामिल नहीं है।
      • इन अनुदानों को बजट में राजस्व व्यय के रूप में वर्गीकृत किया गया है, लेकिन वे सड़क, पुल, स्कूल, अस्पताल आदि जैसी अचल परिसंपत्तियों के निर्माण में भी योगदान देते हैं।
      • इसलिये केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक निवेश की वास्तविक सीमा को तक पहुँचने के लिये 'प्रभावी पूंजी व्यय' की एक अवधारणा पेश की गई है।
    • प्रभावी पूंजीगत व्यय को पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिये पूंजीगत व्यय और अनुदान के योग के रूप में परिभाषित किया गया है।
      • इसका बजट 13.7 लाख करोड़ रुपए या GDP का 4.5% (केंद्रीय बजट 2023-24) है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

Q. निम्नलिखित में से किसको/किनको भारत सरकार के पूंजी बजट में शामिल किया जाता है? (2016)

  1. सड़कों, इमारतों, मशीनरी आदि जैसी परिसंपत्तियों के अधिग्रहण पर व्यय।
  2. विदेशी सरकारों से प्राप्त ऋण।
  3. राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को अनुदात्त ऋण और अग्रिम।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


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