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छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग - रणनीति
- 01 Aug 2021
- 21 min read
रणनीति की आवश्यकता क्यों?
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छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सी.जी.पी.एस.सी.), रायपुर द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने के लिये उसकी प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
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यह वह प्रथम प्रक्रिया है जिससे आप की आधी सफलता प्रारम्भ में ही सुनिश्चित हो जाती है।
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ध्यातव्य है कि यह परीक्षा सामान्यत: तीन चरणों ( प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार) में आयोजित की जाती है, जिसमें प्रत्येक अगले चरण में पहुँचने के लिये उससे पूर्व के चरण में सफल होना आवश्यक है।
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इन तीनों चरणों की परीक्षा की प्रकृति एक दूसरे से भिन्न होती है। अत: प्रत्येक चरण में सफलता सुनिश्चित करने के लिये अलग-अलग रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
प्रारम्भिक परीक्षा की रणनीति:
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अन्य राज्य लोक सेवा आयोगों की भाँति छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा में भी प्रश्नों की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) प्रकार की होती है।
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प्रारम्भिक परीक्षा में अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिये सर्वप्रथम इसके पाठ्यक्रम का गहन अध्ययन करें एवं उसके समस्त भाग एवं पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुविधा एवं रुचि के अनुसार वरीयता क्रम निर्धारित करें।
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विगत 5 से 10 वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का सूक्ष्म अवलोकन करें और उन बिंदुओं तथा शीर्षकों पर ज़्यादा ध्यान दें जिन पर विगत वर्षों में प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति ज़्यादा रही है।
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प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ का पाठ्यक्रम मुख्यतः दो भागों में विभाजित है। प्रथम भाग में जहाँ परम्परागत सामान्य अध्ययन एवं समसामयिक घटनाओं से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं वहीं द्वितीय भाग में छत्तीसगढ़ के सामान्य ज्ञान एवं छत्तीसगढ़ की समसामयिक घटनाओं से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
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इस प्रश्नपत्र में इन दोनों भागों से 50-50 प्रश्न शामिल किये जाते हैं। प्रत्येक प्रश्न 2 अंकों का होता है। इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गई है।
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इस परीक्षा के पाठ्यक्रम और विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति का सूक्ष्म अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि इसके कुछ खण्डों की गहरी अवधारणात्मक एवं तथ्यात्मक जानकारी अनिवार्य है। जैसे- ‘जैन धर्म का प्रथम तीर्थंकर कौन था? कौन सा हार्मोन गैसीय अवस्था में पाया जाता है? छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु क्या है? इत्यादि।
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इन प्रश्नों को याद रखने और हल करने का सबसे आसान तरीका है कि विषय की तथ्यात्मक जानकारी से सम्बंधित संक्षिप्त नोट्स बना लिया जाए और उसका नियमित अध्ययन किया जाए जैसे– एक प्रश्न पूछा गया कि भारत का प्रमुख जिप्सम उत्पादक राज्य कौन सा है? ऐसे प्रश्नों के उत्तर के लिये भारत के प्रमुख खनिज उत्पादक राज्यों की एक लिस्ट तैयार कर लेनी चाहिये ।
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इस परीक्षा में पूछे जाने वाले परम्परागत सामान्य अध्ययन के प्रश्न के लिये एनसीईआरटी की पुस्तकों का अध्ययन करना लाभदायक रहता है। साथ ही ‘दृष्टि वेबसाइट’ पर उपलब्ध सम्बंधित पाठ्य सामग्री एवं इंटरनेट की सहायता ली जा सकती है।
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‘विज्ञान एवं कंप्यूटर’ आधारित प्रश्नों को हल करने के लिये ‘सामान्य विज्ञान- लूसेंट’ की किताब सहायक हो सकती है। साथ ही ‘दृष्टि प्रकाशन’ द्वारा प्रकाशित ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ के ‘विज्ञान’ विशेषांक का अध्ययन करना अभ्यर्थियों के लिये लाभदायक रहेगा।
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इस परीक्षा में जनगणना, समसामयिक घटनाओं एवं राज्य विशेष से पूछे जाने वाले प्रश्नों की आवृत्ति ज़्यादा होती है, अत: इनका नियमित रूप से गंभीर अध्ययन करना चाहिये।
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‘समसामयिक घटनाओं’ (राष्ट्रीय एवं छत्तीसगढ़ के सन्दर्भ में) की प्रकृति और संख्या को ध्यान में रखते हुए आप नियमित रूप से किसी दैनिक अख़बार जैसे - द हिन्दू, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) इत्यादि के साथ-साथ दृष्टि वेबसाइट पर उपलब्ध करेंट अफेयर्स के बिन्दुओं का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अलावा इस खंड की तैयारी के लिये मानक मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ का अध्ययन करना लाभदायक सिद्ध होगा।
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राज्य विशेष से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ राज्य विशेष’ या बाज़ार में उपलब्ध किसी मानक राज्य स्तरीय पुस्तक का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
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द्वितीय प्रश्नपत्र ‘योग्यता परीक्षण’(सीसैट) का होता है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित है। इसके पाठ्यक्रम की विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति का संक्षिप्त विवरण’ के अंतर्गत ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दिया गया है।
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सीसैट से सम्बंधित प्रश्नों का अभ्यास पूर्व में पूछे गए प्रश्नों को विभिन्न खंडो में वर्गीकृत करके किया जा सकता है।
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सभी प्रश्नों के अंक समान होने तथा गलत उत्तर के लिये ऋणात्मक अंकन (Negative marking) के प्रावधान (प्रत्येक गलत उत्तर के लिए सही उत्तर हेतु निर्धारित अंक का 1/3 अंक काटे जायेंगे।) होने के कारण अभ्यर्थियों से अपेक्षा है कि तुक्का पद्धति से बचते हुए सावधानीपूर्वक प्रश्नों को हल करें क्योंकि निगेटिव मार्किंग उनके वास्तविक प्राप्तांक को भी कम कर सकती है।
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प्रारम्भिक परीक्षा तिथि से सामान्यत: 15 -20 दिन पूर्व प्रैक्टिस पेपर्स एवं विगत वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को निर्धारित समय सीमा (सामान्यत: दो घंटे) के अंदर हल करने का प्रयास करना लाभदायक होता है। इन प्रश्नों को हल करने से जहाँ विषय की समझ विकसित होती है वहीं इन परीक्षाओं में दोहराव (रिपीट) वाले प्रश्नों को हल करना आसान हो जाता है।
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इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 50-60% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत कम भी हो सकती है।
मुख्य परीक्षा की रणनीति:
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सी.जी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा की प्रकृति वर्णनात्मक/विश्लेषणात्मक होने के कारण इसकी तैयारी की रणनीति प्रारंभिक परीक्षा से भिन्न होती है।
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प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति जहाँ क्वालिफाइंग होती है वहीं मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम मेधा सूची में जोड़ा जाता है। अत: परीक्षा का यह चरण अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं काफी हद तक निर्णायक होता है।
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वर्ष 2018 में हुये नवीन संशोधन 13 फ़रवरी 2019 छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित पाठ्यक्रम के अनुसार अब इस मुख्य परीक्षा में सात अनिवार्य प्रश्नपत्र पूछे जाएंगे। जिसमें प्रथम दो प्रश्नपत्र क्रमशः 'भाषा' एवं 'निबन्ध' से तथा अन्य पाँच प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन ('इतिहास, संविधान एवं लोक प्रशासन', 'विज्ञान,प्रौद्योगिकी, योग्यता परीक्षण, तार्किक योग्यता व बुद्धिमत्ता एवं पर्यावरण', 'अर्थव्यवस्था एवं भूगोल','दर्शन एवं समाजशास्त्र’ तथा कल्याणकारी, विकासात्मक कार्यक्रम एवं कानून, अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेल, घटनाए एवं संगठन एवं शैक्षणिक संस्थाए एवं मानव विकास) से सम्बंधित है। इसकी विस्तृत जानकारी 'विज्ञप्ति का संक्षिप्त विवरण' के अंतर्गत 'पाठ्यक्रम' शीर्षक में दी गई होती है।
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प्रथम प्रश्नपत्र के रूप में ‘भाषा’ को शामिल किया गया है। पाठ्यक्रम के अनुसार इसमें सामान्य हिंदी, सामान्य अंग्रेजी एवं छत्तीसगढ़ी भाषा से सम्बंधित प्रश्न होंगे। अत: अभ्यर्थियों को इन तीनों जानकारी आवश्यक है। पूर्व पाठ्यक्रम में भाषा प्रश्नपत्र में सामान्य संस्कृत भी शामिल था जिसे अब हटा दिया गया है।
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प्रथम प्रश्नपत्र में पूर्व में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति से पता चलता है कि इसमें व्याकरण सम्बन्धी प्रश्नों की अधिकता होती है। अत: बाज़ार में उपलब्ध किसी मानक पुस्तक से इनका नियमित अध्ययन आवश्यक है।
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द्वितीय प्रश्नपत्र के रूप में ‘निबंध’ को शामिल किया गया है। इसमें दो भाग (राष्ट्रीय स्तर की समस्याएँ एवं छत्तीसगढ़ राज्य की समस्याएँ) होंगे। प्रत्येक भाग से चार-चार समस्याएँ दी जाएंगी। इसमें अभ्यर्थी को कुल चार समस्याओं (प्रत्येक भाग से दो समस्या) पर निबंध (कारण, वर्तमान स्थिति आँकड़ों सहित एवं समाधान) लिखना होगा। प्रत्येक निबंध लगभग 750-750 शब्दों में लिखा जाएगा जिसके लिये 50-50 अंक (कुल 200 अंक) निर्धारित किया गया है।
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निबंध का प्रश्नपत्र अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं निर्णायक होता है। निबंध को रोचक बनाने के लिये श्लोक, कविता, उद्धरण, महापुरुषों के कथन इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है।
⇒ निबंध लेखन की रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें
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तृतीय प्रश्नपत्र परम्परागत सामान्य अध्ययन से सम्बंधित है। इसमें भारत का इतिहास, भारत का स्वतंत्रता आन्दोलन, छत्तीसगढ़ का इतिहास एवं स्वतंत्रता आन्दोलन में छत्तीसगढ़ का योगदान से सम्बंधित प्रश्न होंगे। साथ ही, अभ्यर्थियों से भारत का संविधान एवं लोक प्रशासन से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे।
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इसकी तैयारी के लिये अभ्यर्थियों को मानक पुस्तकों के अध्ययन के साथ-साथ मुख्य परीक्षा के प्रश्नों की प्रकृति के अनुरूप संक्षिप्त बिन्दुवार नोट्स बनाना लाभदायक रहेगा। गहन अवलोकन एवं प्रश्नों की प्रकृति के अनुरूप उत्तर-लेखन ही अच्छे अंक दिलाने में सहायक होगा।
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चतुर्थ प्रश्नपत्र में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, योग्यता परीक्षण, तार्किक योग्यता व बुद्धिमत्ता एवं पर्यावरण’ से सम्बंधित प्रश्न होंगे। विज्ञान के अंतर्गत जहाँ रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान एवं जीव विज्ञान से सम्बंधित प्रश्न होंगे वहीं प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक पक्ष से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाएंगे, इसके अलावा पर्यावरण के अंतर्गत समुद्री प्रदूषण एवं जैव-विविधता से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे, साथ ही गणित एवं तार्किक योग्यता से सम्बंधित प्रश्न होंगे। गणित के अंतर्गत अंकगणित, बीजगणित, वाणिज्य गणित, निर्देशांक ज्यामिति एवं सांख्यिकी गणनाओं एवं ग्राफ से सम्बंधित प्रश्न एवं तार्किक योग्यता एवं कम्प्यूटर की गणनाओं से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे| इसके लिये गणित के अवधारणात्मक पहलूओं के साथ-साथ सांख्यिकी से सम्बंधित प्रश्नों का अभ्यास अत्यंत आवश्यक है। विगत वर्षों में इस प्रश्नपत्र से पूछे गए प्रश्नों का खंडवार अध्ययन एवं प्रत्येक शीर्षक से सम्बंधित किसी स्तरीय किताब से अभ्यास करना लाभदायक रहेगा।
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पंचम प्रश्नपत्र में अर्थव्यवस्था एवं भूगोल से सम्बंधित प्रश्न होंगे। इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था एवं भारत में योजना एवं नियोजन के साथ-साथ छत्तीसगढ़ का भूगोल एवं अर्थव्यवस्था तथा छत्तीसगढ़ में कृषि, वन, उद्योग एवं प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे।
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प्रश्नों की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम से स्पष्ट है कि इस प्रश्नपत्र में अभ्यर्थियों को भारतीय अर्थव्यवस्था एवं भूगोल का छत्तीसगढ़ के सम्बन्ध में अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
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षष्ठम प्रश्नपत्र में ‘दर्शन एवं समाजशास्त्र’ के प्रश्नपत्र को सम्मिलित किया गया है। इस प्रश्नपत्र में भारतीय दर्शन एवं योग तथा समाजशास्त्र के अध्ययन के साथ-साथ छत्तीसगढ़ राज्य की जनजातियाँ, कला एवं संस्कृति से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे
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सी.जी.पी.एस.सी.की इस मुख्य परीक्षा में सातवें प्रश्नपत्र के रूप में एक नई पहल के अंतर्गत ‘कल्याणकारी, विकासात्मक कार्यक्रम एवं कानून, अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेल, घटनाए एवं संगठन एवं शैक्षणिक संस्थाए एवं मानव विकास’ के प्रश्नपत्र को सम्मिलित किया गया है। इस प्रश्नपत्र में सामाजिक एवं महत्वपूर्ण विधान तथा अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेल, घटनाए एवं संगठन के अध्ययन के साथ-साथ राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थाए एवं मानव विकास से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे। इसके अलावा इस प्रश्न पत्र में छत्तीसगढ़ में विभिन्न प्रचलित अधिनियम एवं योजनाओ से संबंधित प्रश्न भी होंगे।
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सी.जी.पी.एस.सी. की इस मुख्य परीक्षा की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम का सूक्ष्म अवलोकन करने पर यह स्पष्ट होता है कि इसके समस्त पाठ्यक्रम का छत्तीसगढ़ राज्य के सन्दर्भ में अध्ययन किया जाना लाभदायक रहेगा।
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छत्तीसगढ़ राज्य विशेष के अध्ययन के लिये कम-से-कम दो मानक पुस्तकों के आधार पर पाठ्यक्रम के प्रत्येक टॉपिक्स पर बिन्दुवार नोट्स बनाना अनुशंसनीय है।
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छत्तीसगढ़ पीसीएस की संपूर्ण तैयारी (प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा) के लिये दृष्टि सीजीपीसीएस डीएलपी का अध्ययन करना अधिक लाभदायक रहेगा क्योंकि इस डीएलपी के बुकलेट्स आयोग के नवीन पाठ्यक्रम के अनुसार ही तैयार किये गए हैं साथ ही इसमें प्रश्नों के ट्रेंड एनालिसिस एवं अनुमानित प्रश्नों के समावेश होने से यह डीएलपी आपको भटकाव को दूर करते हुए सफलता के काफी नजदीक पहुँचाता है।
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परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 60-65% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण यह प्रतिशत कुछ कम भी हो सकता है।
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परीक्षा के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा।
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विदित है कि वर्णनात्मक प्रकृति वाले प्रश्नपत्रों के उत्तर को उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है, अत: ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखते समय लेखन शैली एवं तारतम्यता के साथ-साथ समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिये।
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लेखन शैली एवं तारतम्यता का विकास निरंतर अभ्यास से होता है, जिसके लिये विषय की व्यापक समझ अनिवार्य है।
⇒ मुख्य परीक्षा में अच्छी लेखन शैली के विकास संबंधी रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें
साक्षात्कार की रणनीति:
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मुख्य परीक्षा मे चयनित अभ्यर्थियों (सामान्यत: विज्ञप्ति में वर्णित कुल रिक्तियों की संख्या का 3 गुना) को सामान्यत: एक माह पश्चात आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।
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साक्षात्कार किसी भी परीक्षा का अंतिम एवं महत्त्वपूर्ण चरण होता है।
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अंकों की दृष्टि से कम लेकिन अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में इसका विशेष योगदान होता है।
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साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है।
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सी.जी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 150 अंक निर्धारित किये गए हैं।
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आपका अंतिम चयन मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर तैयार किये गए मेधा सूची के आधार पर होता है।
⇒ साक्षात्कार में अच्छे अंक प्राप्त करने संबंधी रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें