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बिहार पी.सी.एस.

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बी.पी.एस.सी. FAQs

  • 11 Apr 2023
  • 19 min read
प्रश्न - 1 : क्या ‘मॉक टेस्ट’ देने से बी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में कोई लाभ होता है? अगर हाँ, तो क्या ?

उत्तर :बी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षाओं के लिये मॉक टेस्ट देना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है। इसका सबसे बड़ा लाभ है कि आप परीक्षा में होने वाले तनाव (Anxiety) पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं, साथ ही इससे समय प्रबंधन की क्षमता बेहतर होती है।
मॉक टेस्ट देने से आपको यह अनुमान होता रहता है कि अपने प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में आपका स्तर क्या है? साथ ही अलग-अलग परीक्षाओं में आप यह प्रयोग कर सकते हैं कि प्रश्नों को किस क्रम में करने से आप सबसे बेहतर परिणाम तक पहुँच पा रहे हैं। इन प्रयोगों के आधार पर आप अपनी परीक्षा संबंधी रणनीति निश्चित कर सकते हैं।
ध्यान रहे कि ये सभी लाभ तभी मिलते हैं अगर आपने मॉक टेस्ट श्रृंखला का चयन भली-भाँति सोच-समझकर किया है।

प्रश्न - 2 : बी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा के दौरान प्रश्नों का समाधान किस क्रम में करना चाहिये? क्या किसी विशेष क्रम से लाभ होता है?

उत्तर : इसका उत्तर सभी के लिये एक नहीं हो सकता। अगर आप सामान्य अध्ययन के सभी विषयों में सहज हैं और आपकी गति भी संतोषजनक है तो आप किसी भी क्रम में प्रश्न हल करके सफल हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर यही होता है कि जिस क्रम में प्रश्न आते जाएँ, उसी क्रम में उन्हें करते हुए बढ़ें। किन्तु अगर आपकी स्थिति इतनी सुरक्षित नहीं है तो आपको प्रश्नों के क्रम पर विचार करना चाहिये। ऐसी स्थिति में आप सबसे पहले, उन प्रश्नों को हल करें जो सबसे कम समय लेते हैं।
यदि आपकी बिहार राज्य विशेष के संदर्भ में पकड़ अच्छी है तो आपको इससे संबंधित पूछे जाने वाले 15 से 20 प्रश्नों को पहले हल कर लेना चाहिये, क्योंकि उनमें समय कम लगेगा और उत्तर ठीक होने की संभावना ज्यादा होगी। ये 15-20 प्रश्न हल करने के बाद आपकी स्थिति काफी मजबूत हो चुकी होगी। इसके बाद, आप तेजी से वे प्रश्न करते चलें जिनमें आप सहज हैं और उन्हें छोड़ते चलें जो आपकी समझ से परे हैं। जिन प्रश्नों के संबंध में आपको लगता है कि वे पर्याप्त समय मिलने पर किये जा सकते हैं, उन्हें कोई निशान लगाकर छोड़ते चलें।
एक सुझाव यह भी हो सकता है कि एक ही प्रकार के प्रश्न लगातार करने से बचें। अगर आपको ऐसा लगे तो बीच में गणित या तर्कशक्ति के कुछ सवाल हल कर लें, उसके बाद अन्य प्रश्नों को हल करें। चूँकि इस परीक्षा में अब ऋणात्मक अंक (1/4) का प्रावधान हो गया है, इसलिये किसी भी प्रश्न को सही उत्तर जानने की स्थिति में ही हल करें, केवल अनुमान के आधार पर हल करने का प्रयास नहीं करें।

प्रश्न - 3 : बी.पी.एस.सी. की परीक्षा में समय-प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है, उसके लिये क्या किया जाना चाहिये?

उत्तर : पिछले प्रश्न के उत्तर में दिये गए सुझावों पर ध्यान दें। उसके अलावा, परीक्षा से पहले मॉक टेस्ट श्रृंखला में भाग लें और हर प्रश्नपत्र में परीक्षण करें कि किस वर्ग के प्रश्न कितने समय में हो पाते हैं। ज्यादा समय लेने वाले प्रश्नों को पहले ही पहचान लेंगे तो परीक्षा में समय बर्बाद नहीं होगा। बार-बार अभ्यास करने से गति बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न - 4 : बी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में गणित से कितने प्रश्न पूछे जाते हैं? मैं शुरू से गणित में कमजोर हूँ, क्या मैं इस परीक्षा में सफल हो सकता हूँ?

उत्तर : जी हाँ, आप जरूर सफल हो सकते हैं। बी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में गणित से लगभग 10-12 प्रश्न पूछे जाते हैं जो मुख्यत: मैट्रिक स्तर / इंटरमीडिएट स्तर के होते हैं। इन प्रश्नों की प्रकृति साधारण होती है अत: थोड़ा प्रयास करने से हल हो जाते हैं। हो सके तो गणित में कुछ ऐसे टॉपिक तैयार कर लीजिये जो आपको समझ में आते हैं और जिनसे प्राय: सवाल भी पूछे जाते हैं। उदाहरण के लिये, अगर आप श्रेणी (सीरीज), समीकरण और क्षेत्रफल के टॉपिक्स तैयार कर लेंगे तो गणित के 3-4 प्रश्न ठीक हो जाएंगे। ऋणात्मक अंक के निर्धारित न होने से आप कुछ प्रश्न अनुमान से भी सही कर सकते हैं।

प्रश्न - 5 : बी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में बिहार राज्य विशेष के संदर्भ में कितने प्रश्न पूछे जाते हैं? इसकी तैयारी कैसे करें?

उत्तर : बी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में बिहार राज्य विशेष के संदर्भ में लगभग 15-20 प्रश्न पूछे जाते हैं। सामान्य अध्ययन के इस प्रश्नपत्र में कुल 150 प्रश्नों में से 15-20 प्रश्न केवल बिहार राज्य विशेष के संदर्भ में पूछा जाना इस विषय की महत्ता को स्वयं ही स्पष्ट करता है।
बिहार राज्य विशेष के संदर्भ में ऐतिहासिक घटनाक्रम, स्वतंत्रता संग्राम में बिहार की भूमिका और भूगोल विषय में भारत एवं बिहार के भूगोल का विशेष ध्यान रखना चाहिये। इसी प्रकार प्रारंभिक परीक्षा के पूरे पाठ्यक्रम का बिहार राज्य के संदर्भ में अध्ययन करना लाभदायक रहता है। बिहार राज्य विशेष के संदर्भ में बाजार में उपलब्ध किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है

प्रश्न - 6 : क्या सभी प्रश्नों के उत्तर को ओ.एम.आर. शीट पर एक साथ भरना चाहिये या उत्तर का चयन करने के साथ-साथ भरते रहना चाहिये?

उत्तर : बेहतर होगा कि 4-5 प्रश्नों के उत्तर निकालकर उन्हें शीट पर भरते जाएँ। हर प्रश्न के साथ उसे ओ.एम.आर. शीट पर भरने में ज्यादा समय खर्च होता है। दूसरी ओर, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कई उम्मीदवार अंत में एक साथ ओ.एम.आर. शीट भरना चाहते हैं पर समय की कमी के कारण उसे भर ही नहीं पाते हैं।
ऐसी स्थिति से बचने के लिये सही तरीका यही है कि आप 4-5 प्रश्नों के उत्तरों को एक साथ भरते चलें। चूँकि गोलों को काले या नीले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है, अत: उन्हें भरते समय विशेष सावधानी रखें। व्हाइटनर का प्रयोग कदापि न करें।

प्रश्न - 7 : ‘कट-ऑफ’ क्या है? बी.पी.एस.सी. की परीक्षा में इसका निर्धारण कैसे होता है?

उत्तर :‘कट-ऑफ’ का अर्थ है- वह न्यूनतम अंक जिन्हें प्राप्त करके कोई उम्मीदवार परीक्षा में सफल हुआ है। बी.पी.एस.सी. की परीक्षा में हर वर्ष प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा तथा साक्षात्कार के परिणाम में ‘कट-ऑफ’ तय की जाती है। ‘कट-ऑफ’ या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सफल घोषित किये जाते हैं और शेष असफल। आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत भिन्न वर्गों के उम्मीदवारों के कट-ऑफ भिन्न-भिन्न होता है।
बी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में केवल एक प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन का होता है जिसमे प्रश्नों की कुल संख्या- 150 एवं अधिकतम अंक -150 निर्धारित हैं इसलिये इसमें ‘कट-ऑफ’ का निर्धारण इस प्रश्नपत्र में अभ्यर्थियों द्वारा प्राप्त किये गए अंकों के आधार पर किया जाता है।
कट-ऑफ’ की प्रकृति स्थिर नहीं है, इसमें हर साल उतार-चढ़ाव होता रहता है। इसका निर्धारण सीटों की संख्या, प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर तथा उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता जैसे कारकों पर निर्भर करता है। इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 60-70% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है किंतु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत कम भी हो सकता है। जैसे- 56-59वीं बी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा का ‘कट-ऑफ’ 87 था जो 60% से भी कम है, वहीं 68वीं बी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा का कट-ऑफ 91 रहा।
इसी प्रकार मुख्य परीक्षा में भी ‘कट-ऑफ’ का निर्धारण किया जाता है जिसमें सामान्य परिस्थितियों में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 60-65% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। अगर प्रश्नपत्र सरल होंगे तो कट-ऑफ बढ़ जाएगा और विपरीत स्थितियों में अपने आप कम हो जाएगा।

प्रश्न - 8 : बी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में हिन्दी के प्रश्नपत्र के क्वालिफाइंग होने का क्या अर्थ है? इसकी तैयारी कैसे करें?

उत्तर : बी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में हिन्दी के प्रश्नपत्र के क्वालिफाइंग होने का अर्थ है कि इसमें न्यूनतम 30% अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। चूँकि इस प्रश्नपत्र के लिये अधिकतम 100 अंक निर्धारित है अत: अभ्यर्थियों को अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिये इस प्रश्नपत्र में न्यूनतम 30 अंक या उससे अधिक अंक प्राप्त करने अनिवार्य होंगे।
इस प्रश्नपत्र में 30 अंक से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की अन्य प्रश्नपत्रों की कॉपियों का मूल्यांकन ही नहीं किया जाता है, इसलिये अन्य प्रश्नपत्र में चाहे जितना भी अच्छा प्रदर्शन किया गया हो हिन्दी के प्रश्नपत्र में क्वालिफाइंग अंक प्राप्त करना अनिवार्य है।
‘सामान्य हिन्दी’ में क्वालिफाइंग अंक प्राप्त करने के लिये हिन्दी के व्याकरण (उपसर्ग, प्रत्यय, विलोम इत्यादि) की समझ, संक्षिप्त सार, अपठित गद्यांश इत्यादि की अच्छी जानकारी आवश्यक है। इसके लिये हिन्दी की किसी स्तरीय पुस्तक जैसे- वासुदेव नंदन, हरदेव बाहरी द्वारा लिखित पुस्तकों का गहराई से अध्ययन एवं उपरोक्त विषयों पर निरंतर लेखन कार्य करना लाभदायक रहेगा।

प्रश्न - 9 : हाल ही में संशोधित नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार बी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा के लिये वैकल्पिक विषय चुनते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिये?

उत्तर :हाल ही में संशोधित बी.पी.एस.सी. मुख्य परीक्षा के नये पाठ्यक्रम में वैकल्पिक विषय वाले प्रश्नपत्र की प्रकृति में परिवर्तन कर दिया गया है। अब वैकल्पिक विषय के प्रश्नपत्र को मात्र क्वालिफांइग तथा वस्तुनिष्ठ प्रकृति का बनाया गया है। इसमें प्राप्त अंको को मेधा सूची के निर्धारण में शामिल नहीं किया जाएगा। अत: मुख्य परीक्षा हेतु वैकल्पिक विषय का चयन करते समय सामान्य अध्ययन व निबंध के प्रश्नपत्र में उसकी उपयोगिता को मुख्य आधार बनाना चाहिये, ताकि परीक्षा के समय अभ्यर्थी को अधिकाधिक लाभ मिल सके।

प्रश्न - 10 : बी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में प्रथम प्रश्नपत्र में पूछे जाने वाले सांख्यिकी के प्रश्नों का अंकों के दृष्टिकोण से क्या योगदान है? इसको हल करने की क्या रणनीति अपनाई जानी चाहिये?
उत्तर : बी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्नपत्र के तृतीय खंड में सांख्यिकी विश्लेषण, आरेखन और चित्रण से अब तक 50 अंकों का प्रश्न पूछा जाता रहा है जिसे आपको आयोग द्वारा दिये गए उत्तर-पुस्तिका में हल करना होता है। 200 अंकों में से 50 अंक सांख्यिकी के पूछे जाने से इसकी महत्ता अपने आप ही स्पष्ट हो जाती है (नवीन संशोधन के अनुसार अब यह प्रश्नपत्र 300 अंकों का होता है जिसमें सांख्यिकी से 72 अंकों के प्रश्न पूछे जा रहे है)।
अत: इस खंड का निरंतर अभ्यास करना चाहिये। इन प्रश्नों की प्रकृति आसान होती है इसके लिये विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों का प्रतिदिन अभ्यास करना लाभदायक रहता है। आवश्यकतानुसार एन.सी.ई.आर.टी. की सांख्यिकी की पुस्तक की सहायता ली जा सकती है।

प्रश्न - 11 : बी.पी.एस.सी. मुख्य परीक्षा के नवीनतम पाठ्यक्रम में शामिल ‘निबंध’ के प्रश्नपत्र हेतु क्या रणनीति होनी चाहिये?

उत्तर : हाल ही में बी.पी.एस.सी. द्वारा मुख्य परीक्षा में निबंध के प्रश्नपत्र (300 अंक) को शामिल किया गया है। इसमें तीन खंडों के अंतर्गत चार-चार निबंध रहेंगे, जिसमें से प्रत्येक खंड से एक-एक निबंध को लिखना अनिवार्य होगा। इस प्रश्नपत्र की भूमिका इसलिये भी बढ़ गई है, क्योंकि साक्षात्कार उपरांत दो अभ्यार्थियों के समान अंक होने पर, उनके निबंध प्रश्नपत्रों में प्राप्त अंक को ही वरीयता का आधार बनाया जाएगा। इसके लिये समसामयिक विषयों के विशद अध्ययन व निरंतर लेखन की अपेक्षा अभ्यर्थी से की जाती है। इस प्रश्नपत्र की उपयुक्त तैयारी व मार्गदर्शन के लिए दृष्टि पब्लिकेशंस की ‘निबंध दृष्टि’ पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न - 12 : मॉडरेशन का क्या अर्थ है? बी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा के वैकल्पिक विषयों में यह किस प्रकार लागू होती है?

उत्तर : मॉडरेशन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा आयोग विभिन्न विषयों, उनमें भाग लेने वाले अभ्यर्थियों की संख्या तथा पेपर की गुणवत्ता इत्यादि के आधार पर समानता स्थापित करती है जिसके लिये वह किसी जटिल सांख्यिकी सूत्र का प्रयोग करती है। मॉडरेशन की यह प्रक्रिया केवल वैकल्पिक विषयों पर ही लागू होती है न कि सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र पर।
हाँलाकि बी.पी.एस.सी. मुख्य परीक्षा में अब वैकल्पिक विषयों के क्वालिफांइग तथा वस्तुनिष्ठ प्रकृति के हो जाने के कारण अब मॉडरेशन की कोई विशेष भूमिका नहीं रह गई है।

प्रश्न - 13 : बी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित परीक्षाओं में साक्षात्कार की क्या भूमिका है? इसकी तैयारी कैसे करें?

उत्तर : वर्तमान संशोधन के अनुसार बी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये 120 अंक निर्धारित किया गया है (पूर्व में 150 अंक निर्धारित था)। चूँकि मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर ही अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है। इसलिये इन परीक्षाओं में अंतिम चयन में साक्षात्कार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। बी.पी.एस.सी. के साक्षात्कार में सामान्य परिस्थितियों में आप न्यूनतम 45 अंक तथा अधिकतम 85 अंक प्राप्त कर सकते हैं। यद्यपि साक्षात्कार इस परीक्षा का अंतिम चरण है, लेकिन इसकी तैयारी प्रारंभ से ही शुरू कर देना लाभदायक रहता है। वास्तव में किसी भी अभ्यर्थी के व्यक्तित्व का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है।

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