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भूगोल

जनसंख्या और उससे जुड़े मुद्दे

  • 28 Nov 2018
  • 7 min read

भूमिका

जनसंख्या किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्या है, जबकि जनसांख्यिकीय रूपांतर का आशय उच्च प्रजनकता और मृत्यु दर की स्थिति से जनसंख्या की नई स्थिर स्थिति की ओर रूपांतर से है जिसमें प्रजनकता और मृत्यु दर निम्न रहे। जनसांख्यिकीय रूपांतर चार चरणों में संपन्न होता है जिसमें से पहले तीन चरण जनसंख्या वृद्धि वाले होते हैं। मृत्यु दर और दीर्घायु सुधार में कमी पहला चरण होता है। दूसरे चरण में, जन्म दर कम हो जाती है लेकिन जन्म दर में गिरावट मृत्यु दर की गिरावट से कम तीव्र होती है। प्रजनकता का प्रतिस्थापन स्तर तीसरे चरण में प्राप्त किया जाता है, लेकिन  जनसंख्या बढ़ती रहती है क्योंकि बहुत बड़ी जनसंख्या प्रजननशील आयु वर्ग में होती है। चौथे चरण में जन्म दर प्रतिस्थापन स्तर से नीचे आ जाती है और प्रजननशील आयु वर्ग में उपस्थित जनसंख्या भी कम हो जाती है; परिणामस्वरूप जनसंख्या वृद्धि रुक जाती है और जनसंख्या स्थिर हो जाती है।

जनसंख्या का वितरण

  • भौगोलिक कारक जिनमें जलवायु, जल की उपलब्धता, भूमिरूप और मृदा शामिल हैं, जनसंख्या वितरण को प्रभावित करते हैं।
  • अगम्य शैल प्रदेशों और चरम जलवायु मानव बस्ती के लिये आरामदेह नहीं होते, जबकि उर्वर मृदा वाले क्षेत्र और पर्याप्त जल सुविधाएँ अधिक अनुकूल माने जाते हैं। प्रवास-उत्प्रवास भी प्रमुख कारक हैं।
  • आर्थिक कारक, जैसे खनिजों और संसाधनों की उपलब्धता, शहरीकरण और औद्योगीकरण का स्तर भी विभिन्न क्षेत्रों में जनसंख्या के घनत्व को तय करने में महत्त्वपूर्ण कारक होते हैं।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक कारक, जैसे सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता, सर्वनिष्ठ जातीयता और धर्म भी जनसंख्या के वितरण को निर्धारित करते हैं।

भारतीय जनसंख्या में ताजा बढ़ोतरी के कारण

  • चिकित्सा सेवाओं में वृद्धि, कम आयु में विवाह, निम्न साक्षरता, परिवार नियोजन के प्रति विमुखता, गरीबी और जनसंख्या विरोधाभास आदि ने जनसंख्या बढ़ाने में योगदान किया है।

जनसंख्या को स्थिर करने के लिये सरकार के  प्रयास

  • परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत हो रहे हस्तक्षेप, जैसे-गर्भ निरोधक दवाइयों का उन्नत पूर्ति-प्रबंधन, परिवार नियोजन सेवाओं में सुनिश्चित गुणवत्तापूर्ण देख-रेख, परिवार नियोजन सेवाओं के लिये सेवा प्रदाता आधार को बढ़ाने हेतु निजी/गैर-सरकारी संगठनों की सुविधाओं का और अधिक प्रमाणन आदि कुछ कदम हैं।
  • आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गर्भ निरोधक दवाइयों की होम-डिलीवरी (लाभार्थी के घर तक पहुँचाने की सेवा) योजना और आशा कार्यकर्ताओं को संस्थागत डिलीवरी सुनिश्चित करने के काम पर लगाना कुछ अन्य कदम हैं।

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000

  • राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा गर्भ-निरोध, स्वास्थ्य संबंधी आधारगत ढाँचा, स्वास्थ्य कर्मचारियों और एकीकृत सेवा डिलीवरी की अतृप्त मांगों को पूरा करने के अविलम्ब लक्ष्य को हासिल करने के लिये की गई थी।
  • इस नीति का उद्देश्य कुल प्रजनकता को प्रतिस्थापन स्तर यानी 2 बच्चे प्रति जोड़ा तक लाना है जो इसका मध्य-सत्रीय लक्ष्य है। 2045 तक जनसंख्या को स्थिर करना इसका दूरवर्ती लक्ष्य था।
  • नीति में प्रेरणा और प्रोत्साहन संबंधी 16 युक्तियाँ भी बताई गई हैं जिनमें पंचायतों और जिला परिषदों को छोटे परिवारों को प्रोत्साहित करने पर पारितोषिक देना, बाल विवाह विरोधी कानून और प्रसव-पूर्व गर्भ जाँच तकनीक कानून का कड़ाई से पालन, दो बच्चों के प्रतिमान को प्रोत्साहन और नसबंदी की सुविधा को पारितोषिक और प्रोत्साहनों के जरिये मजबूती प्रदान करना है।
  • नीति के अन्य सामाजिक-जनसांख्यिकीय लक्ष्य हैं:
  • 80 प्रतिशत संस्थागत प्रसव और 100 प्रतिशत प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा प्रसव।
  • शिशु मृत्यु दर को घटाकर प्रति 1000 जन्म 30 से नीचे लाना, मातृ मृत्यु दर को प्रति 1,00,000 जीवित जन्म 100 से नीचे तक लाना सभी जन्मों, मृत्युओं, गर्भधारण और विवाहों का 100% पंजीकरण करना, और टीके से सभी रोकथाम होने योग्य बीमारियों के खिलाफ सार्वभौमिक प्रतिरक्षण प्राप्त करना।
  • लड़कियों के अधिक उम्र में विवाह को प्रोत्साहन देना।
  • प्रजनकता के विनियमन और गर्भनिरोधक के उपयोग के लिये सूचना व सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच को सुनिश्चित करना।

राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग

  • मई 2000 में निर्मित राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
  • आयोग के पास राष्ट्रीय जनसंख्या नीति के क्रियान्वयन से संबंधित समीक्षा करने, निगरानी करने और निर्देश देने, स्वास्थ्य संबंधी, शैक्षणिक, पर्यावरणीय और विकास कार्यक्रमों में सहक्रिया को बढ़ावा देने और कार्यक्रमों की योजना बनाने व क्रियान्वयन करने में अन्तरक्षेत्रीय तालमेल को बढ़ावा देने का शासनादेश प्राप्त है।
  • इस आयोग के अंतर्गत, द नेशनल पॉपुलेशन स्टेबलाइजेशन फंड (राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरता कोष) की स्थापना की गई, लेकिन बाद में इसे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया।

निष्कर्ष

जनसंख्या नियंत्रित करने के साथ ही जनसंख्या अधिशेष का उचित लाभ उठाने के लिये उन्हें पर्याप्त जीविका और आकर्षक वातावरण सरकार द्वारा दिया जाना चाहिये। साथ ही परिवार नियोजन से होने वाले लाभों को और प्रचारित किया जाना चाहिये।

 

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