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भूगोल

महासागरीय मंडल

  • 03 Aug 2020
  • 8 min read

अब तक के ज्ञात ग्रहों में पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ जल द्रव अवस्था में  उपलब्ध है। जल  की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति संभव हुई। पृथ्वी के कुल जल का लगभग 97% भाग महासागरों में है।

  • महासागर न केवल क्षैतिज रूप में बल्कि उर्ध्वाधर रूप से भी असीम गहराई तक विस्तारित हैं।
  • महासागरों की औसत गहराई लगभग 12100 फीट होती है। सर्वाधिक गहराई मरियाना गर्त की है जो कि लगभग 11000 मीटर है।

क्या है महासागरीय मंडल?

  • वास्तव में महासागरों में गहराई में जाने पर जलीय भाग में प्रकाश की उपलब्धता, तापमान, दबाव, ऑक्सीजन एवं खनिज पोषक तत्त्वों के आधार पर भिन्नता पाई जाती है।
  • उपर्युक्त विशेषताओं के कारण ही विभिन्न गहराई पर भिन्न-भिन्न जीव-जंतु एवं पादप पाए जाते हैं।
  • इस प्रकार गहराई में जाने पर पाई जाने वाली विविधता के आधार पर वैज्ञानिकों द्वारा महासागरों को मुख्य रूप से 5 परतों में विभाजित किया गया है।
  • वस्तुत: इन्हीं परतों को महासागरीय मंडल कहा जाता है।
  • महासागरीय मंडलों का विस्तार महासागरीय सतह से गहरे क्षेत्रों तक होता है जहाँ सूर्य का प्रकाश भी प्रवेश नहीं कर पाता।
  • इन गहरे क्षेत्रों में विचित्र, दिलचस्प एवं आकर्षक जीव पाए जाते हैं।
  • गौरतलब है कि महासागरों में गहराई में जाने पर आश्चर्यजनक रूप से तापमान में कमी तथा दबाव में वृद्धि होती है।
  • हालाँकि महासागर रहस्यों से भरे पड़े हैं, परंतु आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों एवं अन्वेषणों के माध्यम से महासागरों को जानने का यथासंभव प्रयास किया गया है।

विभिन्न महासागरीय मंडल ( Ocean Zones)

  • इपिपेलैजिक मंडल (Epipelagic Zone)
  • प्रकाश मंडल (Photic Zone)
  • मीजोपेलैजिक मंडल (Mesopelagic Zone)
  • बैथिपेलैजिक मंडल (Bathypelagic Zone)
  • अबिसोपेलैजिक मंडल (Abyssopelagic Zone)
  • अप्रकाश मंडल (Aphotic Zone)
  • हेडेलपेलैजिक मंडल (Hadalpelagic Zone)

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चित्र: विभिन्न महासागरीय मंडल

इपिपेलैजिक मंडल (Epipelagic Zone/The Sunlight Zone)

  • इसका विस्तार महासागरीय सतह से 200 मीटर की गहराई (656 फीट) तक होता है।
  • इस मंडल में सर्वाधिक दृश्य प्रकाश प्रवेश करता है तथा उष्मन भी अधिक होता है जिसमें गहराई बढ़ने के साथ कमी आती है।
  • दृश्य प्रकाश की उपस्थिति के कारण ही इसे “The Sunlight Zone” भी कहते हैं।
  • फाइटोप्लैंकटन तथा जूप्लैंकटन के साथ-साथ अधिकांश सागरीय जीवन इसी मंडल में पाया जाता है।
  • समुद्री जीव फाइटोप्लैंकटन का उपयोग भोजन के रूप में करते हैं।
  • यहाँ प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया संपन्न होने के कारण कुल ऑक्सीजन का लगभग आधा भाग फाइटोप्लैकटन द्वारा ही वायुमंडल में अवमुक्त (Release) किया जाता है।
  • अधिकांश मानवीय गतिविधियाँ यथा- मत्स्यन, समुद्री परिवहन आदि इसी मंडल में संपन्न होती है।

मीजोपेलैजिक मंडल

(Mesopelagic Zone/The Twilight Zone)

  • इसका विस्तार 200 मीटर से 1000 मीटर (556-3281 feet) की गहराई तक होता है।
  • इस मंडल में काफी धुँधला प्रकाश पहुँचता है, इसी कारण इसे “The Twilight Zone ” भी कहते हैं।
  • व्हेल मछली जैसे बड़े जीव इसमें पाए जाते हैं।
  • इनमें विभिन्न विचित्र जीव पाए जाते हैं यथा- बायोल्यूमिनीसेंट मछलियाँ (Bioluminescent Fishes), Swordfish, Walf ect. आदि।
  • बायोल्यूमिनीसेंट झिलमिलाहट की आकर्षक घटनाएँ यहाँ बहुतायत में होती हैं।

बैथिपेलैजिक मंडल

(Bathypelagic Zone/The Midnight Zone)

  • इसका विस्तार 1000 मीटर की गहराई से 4000 मीटर (32000-13125 feet) की गहराई तक है।
  • इस क्षेत्र में सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति होती है, केवल कुछ जीवों द्वारा दृश्य प्रकाश का उत्सर्जन होता हे।
  • तापमान लगभग हिमांक बिंदु पर होता है।
  • यहाँ जल का दबाव बहुत अधिक लगभग 5850 पाउंड प्रति वर्ग इंच होता है।
  • अत्यधिक दबाव के बावजूद अनेक प्रकार के जीव (Creatures) यहाँ पाए जाते हैं।
  • खर्म व्हेल भोजन की तलाश में यहाँ तक डाइव लगाकर पहुँचती है।
  • ध्यातव्य है कि प्रकाश की अनुपस्थिति के कारण इस मंडल में पाए जाने वाले जीवों का रंग काला या लाल होता है।

अबिसोपेलैजिक मंडल

(Abyssopelagic Zone/The Abyss)

  • “Abyssopelagic” शब्द की उत्पत्ति ‘ग्रीक’ भाषा से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है “No Bottom”। इसे ‘Abyssal Zone’ भी कहते हैं।
  • इसका विस्तार 4000 मीटर (13125 feet) से 6000 मीटर (19686 feet) तक है।
  • तापमान हिमांक बिंदु के पास होता है।
  • प्रकाश पूर्णत: अनुपस्थित होता है।
  • इतनी गहराई पर बहुत ही कम जीव (Creatures) पाए जाते हैं।
  • अधिकांश जीव अकशेरूकी होते हैं जैसे बास्केट स्टार (Basket Stars) आदि।

हेडेलपेलैजिक मंडल (Hedalpelagic Zone/The Trenches)

  • इसे गर्त (Trenches) क्षेत्र भी कहते हैं जो महासागरीय बेसिन से नीचे होता है।
  • इसका विस्तार 6000 मीटर (19686 feet) से महासागरीय नितल की अधिकतम गहराई तक होता है।
  • अब तक का ज्ञात सबसे गहरा क्षेत्र मरियाना (Mariana) गर्त (10911 मीटर) है।
  • सामान्यत: यह क्षेत्र गर्त (Trenches) एवं कैनयन्स (Canyons) का क्षेत्र होता है।
  • तापमान हिमांक बिंदु से थोड़ा ही अधिक होता है।
  • दबाव अविश्वसनीय रूप से प्रति वर्ग इंच लगभग 8 टन होता है। इसके बावजूद यहाँ जीवन की मौजूदगी हो सकती है।
  • कुछ अकशेरूकी जैसे- स्टार फिश (Star Fish), ट्यूब वॉर्म (Tube Warm) आदि यहाँ रह सकते हैं।
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