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महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट्स की जिस्ट

भारतीय अर्थव्यवस्था

नीति आयोग वार्षिक रिपोर्ट 2017-18

  • 30 Aug 2018
  • 41 min read

  • भारत सरकार के इस 'थिंक टैंक' की स्थापना 1 जनवरी, 2015 को की गई थी।
  • यह संस्था रणनीतिक और दीर्घकालिक नीति एवं कार्यक्रम ढाँचे तथा पहलों को डिज़ाइन करती है और नियमित रूप से उनकी प्रगति और प्रभावकारिता पर नज़र रखती है।
  • इसकी गतिविधियों को निम्नलिखित प्रकार से विभाजित किया गया है
    • टीम इंडिया हब: इसमें सहकारी संघवाद तथा डिज़ाइनिंग नीति और ढाँचे को बढ़ावा देने का जनादेश है।
    • ज्ञान और नवाचार केंद्र: यह अत्याधुनिक संसाधन केंद्र की स्थिति को बनाए रखने के जनादेश को पूरा करना सुनिश्चित करता है।
    • टीम इंडिया हब में 6 वर्टिकल तथा ज्ञान और नवाचार हब में 10 वर्टिकल शामिल हैं। इनमें से कुछ वर्टिकल- प्रशासन, मानव संसाधन, उद्योग, ग्रामीण विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शासन और अनुसंधान आदि हैं।

नीति आयोग से जुड़े कार्यालय:

  • विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय (The Development Monitoring and Evaluation Office)।
  • राष्ट्रीय श्रम अर्थशास्त्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (National Institute of Labour Economics Research and Development)|

नीति निर्माण और कार्यक्रम

  1. अटल इनोवेशन मिशन (AIM)
  • यह नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिये नीति आयोग द्वारा स्थापित एक नवाचार संगठन है।
    • अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाएँ : स्कूली बच्चों में रचनात्मक और अभिनव सोच (mindset) को बढ़ावा देना।
    • इन प्रयोगशालाओं को देश भर के सभी 700 से अधिक ज़िलों के स्कूलों में कार्यान्वित किया गया है।
    • लघु इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग स्वयं ही किट स्थापित कर रहे हैं ताकि ग्रेड 6 से ग्रेड 12 के छात्र प्रौद्योगिकी के साथ जुड़ सकें।
    • विज़न : देश के प्रत्येक ज़िले के विद्यालयों में कम-से-कम एक या एक से अधिक अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं की पहुँच सुनिश्चित करना।
    • अटल इनक्यूबेटर : विश्वविद्यालयों और उद्योगों में एनजीओ, कॉर्पोरेट उद्योग स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देना।
    • AIM ग्रीन फील्ड इनक्यूबेटर स्थापित करने या मौजूदा इनक्यूबेटर के प्रवर्द्धन (scaling) के लिये सफल आवेदकों को 10 करोड़ तक का अनुदान प्रदान कर रहा है।
    • अभी तक 19 अटल इनक्यूबेटर का चयन किया गया है।
    • महिलाओं के नेतृत्व वाले इनक्यूबेटर और उद्यमशील स्टार्टअप को दृढ़ता से प्रोत्साहित किया गया है।
    • अटल विकास चैलेंजेज़ तथा अटल ग्रैंड चैलेंजेज़ : सामाजिक और वाणिज्यिक प्रभाव के लिये पॉइंट टेक इनोवेशन और उत्पाद निर्माण को बढ़ावा देना।
    • सामाजिक, आर्थिक प्रभाव के साथ विशिष्ट उत्पाद नवाचार को बढ़ावा देना।
    • AIM कॉर्पोरेट और अन्य संस्थानों के साथ साझेदारी कर रहा है ताकि AIM-YES बैंक ट्रांसफॉर्मेशन सीरीज़ 2017 स्मार्ट एग्री नेशनल चैलेंज जैसी चुनौतियों को लॉन्च करने के लिये भारत के बी-स्कूलों के 27000 छात्र इसमें उच्च गुणवत्ता वाले प्रतिनिधियों के साथ भाग ले सकें।
  1. होम्योपैथी और चिकित्सा कानून में सुधार
  • होम्योपैथी के लिये मसौदा राष्ट्रीय आयोग (NCH) विधेयक, 2017 और भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिये राष्ट्रीय आयोग विधेयक, 2017 को संसद में पेश किया गया है।
  1. मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (MAHSR) कॉरीडोर परियोजना पर संयुक्त समिति की बैठक|
  2. द्वीपों का समग्र विकास|
  • नीति आयोग ने समग्र विकास के लिये 10 द्वीपों को चुना है।
    • पैकेज 1 : अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के स्मिथ, रॉस, लांग और एवेस।
    • पैकेज 2 : अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिटिल अंडमान।
    • पैकेज 3 : लक्षद्वीप के बंगाराम, तिन्नाकारा, चेरियम और सुहेली द्वीप समूह।
    • द्वीप विकास एजेंसी : गृह मंत्री की अध्यक्षता में नीति आयोग विकास के लिये अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप में 15 अन्य द्वीपों की पहचान की प्रक्रिया में जुटा है।

प्रतिस्पर्द्धी सहकारी संघवाद

इसमें शामिल हैं-

  • केंद्र और राज्यों द्वारा राष्ट्रीय विकास एजेंडा का सामूहिक विकास।
  • केंद्रीय मंत्रालयों के साथ राज्यों का समर्थन।
  1. राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के लिये विकास सहायता सेवा
  • नीति आयोग ने "राज्यों के लिये विकास सहायता सेवा" (D 3 S) हेतु एक संरचित पहल को लागू किया है।
  • विज़न : शासन के सभी स्तरों पर प्रसारित आधुनिक तकनीकी क्षमता के साथ बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के परिवर्तनकारी व निरंतर वितरण को प्राप्त करना।
  • उद्देश्य :
  • सहयोग के लिये केंद्र-राज्य भागीदारी मॉडल स्थापित करना|
  • उच्च प्रभावकारी परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन का प्रदर्शन करना|
  • पीपीपी को एक बड़े विकास एजेंडा का समर्थन करने वाले शासन के उपकरण के रूप में स्थापित करना|
  • आधारभूत संरचना परियोजनाओं से संबंधित प्रमुख संरचनात्मक मुद्दों पर ध्यान देना|
  • बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये राज्यों और राज्य स्तरीय संस्थानों की संस्थागत और संगठनात्मक क्षमता का निर्माण करना|
  1. कृषि में सुधार
  • कृषि भूमि पट्टे को लेकर मॉडल अधिनियम (Model Act on Agricultural Land Leasing) : कृषि भूमि पट्टा सुधार पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई।
  • उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने भूमि पट्टे को बढ़ावा देने के लिये अपने किरायेदारी कानूनों में संशोधन किया है।
  • मध्य प्रदेश विधानसभा ने भू-स्वामी एवं बटाईदार के हितों का संरक्षण विधेयक पारित किया है|
  • ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ने नीति आयोग के मॉडल के आधार पर अपने भूमि पट्टे से संबंधित अधिनियमों को संशोधित या अधिनियमित करने की प्रक्रिया शुरू की है।
  • कृषि उत्पादन विपणन समिति अधिनियम में सुधार
  • सुधार के लिये तीन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर चर्चा की गई है:
  1. कृषि बाज़ार सुधार|
  2. निजी भूमि पर उगाए जाने वाले पेड़ों के उत्पाद तथा पारगमन के लिये कानून|
  3. कृषि भूमि पट्टा|
  • नीति आयोग ने कृषि बाज़ार सुधार, भूमि पट्टा सुधार और निजी भूमि पर वानिकी में सुधार किये जाने की आवश्यकता के संबंध में राज्यों को संवेदनशील बनाने के लिये पहला "कृषि विपणन और कृषक मित्र सुधार सूचकांक" विकसित किया है।
  • महाराष्ट्र विभिन्न कृषि सुधारों के कार्यान्वयन में सबसे आगे है, इसके बाद गुजरात, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश का स्थान है|
  • किसानों की आय दोगुनी करना : औचित्य, रणनीति, संभावनाएँ और कार्य योजना के तीन दीर्घकालिक रणनीति (i) विकास पहल (ii) प्रौद्योगिकी (iii) कृषि में नीतिगत सुधारों पर विशेष ध्यान दिया गया है|
  1. स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और जल क्षेत्र में सुधार
  • नीति आयोग ने परिणाम निगरानी ढाँचे की स्थापना करके सामाजिक संकेतकों के लिये वेब पोर्टल शुरू किया है।
  1. परिवर्तन के चैंपियंस (champions of change)
  • 2017 में यंग सीईओ और उद्यमियों के साथ चैंपियंस ऑफ चेंज - G 2 B साझेदारी के माध्यम से भारत को रूपांतरित किया गया।
  1. डैशबोर्ड
  • नीति आयोग ने विभिन्न विकास योजनाओं/परियोजनाओं/सरकार की पहलों की मासिक प्रगति की निगरानी और इन्हें ट्रैक करने हेतु संघ शासित प्रदेशों (UT) के लिये एक प्रगति ट्रैकर डैशबोर्ड विकसित किया है।
  1. शहरी स्थानीय निकायों की क्षमता निर्माण
  • क्षमता निर्माण कार्यक्रम के पहले चरण के प्रतिभागियों द्वारा विकसित तीन ढाँचे (framework) :
  1. एकीकृत डेटा प्रबंधन फ्रेमवर्क
  2. जल पुनर्चक्रण के लिये रणनीतिक फ्रेमवर्क
  3. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और पीपीपी के लिये रणनीतिक फ्रेमवर्क

थिंक टैंक के कार्य

  1. भारत के लिये विज़न डाक्यूमेंट्स
  • यह भारत के लिये 15 वर्षीय योजना है। 2017-18 से 2019-20 तक की अवधि के लिये तीन साल की कार्रवाई एजेंडा को इसके पहले भाग के रूप में तैयार किया गया है।
  1. मूल्यांकन दस्तावेज़ (Appraisal Document)
  • 12वीं पंचवर्षीय योजना के मूल्यांकन दस्तावेज़ को अंतिम रूप दिया गया है और माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में प्रसारित किया गया है।
  1. किसानों की आय को दोगुना करना
  • किसानों की आय दोगुनी करने के लिये बनाया गया प्रथम नीतिगत दस्तावेज़ को “औचित्य, रणनीति, संभावनाएँ और कार्ययोजना” के रूप में तैयार किया गया है|
  • इसमें तीन महत्त्वपूर्ण रणनीतियों (i) विकास पहल, (ii) प्रौद्योगिकी और (iii) कृषि में नीतिगत सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया गया है|
  1. परिणाम बजट 2017-18 की निगरानी
  • DMEO ने परिणाम बजट की निगरानी के लिये एक वेब आधारित इंटरैक्टिव डैशबोर्ड विकसित किया है।
  • आउटपुट-आउटकम फ्रेमवर्क में गुणात्मक सुधार और प्रासंगिक उत्पादन (output) तथा परिणाम (outcome) की पहचान कर उसकी समीक्षा और मापन योग्य संकेतकों की निगरानी के लिये योग्यता में सुधार।
  1. वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन -2017
  • भारत और अमेरिका ने हैदराबाद में इस शिखर सम्मेलन का सह-आयोजन किया।
  • थीम: वीमेन फर्स्ट, प्रोस्पेरिटी फॉर आल।
  • शिखर सम्मेलन में चार प्रमुख उद्योग क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है: ऊर्जा और बुनियादी ढाँचा, हेल्थकेयर और लाइफ साइंस, वित्तीय प्रौद्योगिकी और डिजिटल अर्थव्यवस्था तथा मीडिया और मनोरंजन।
  1. पहचाने गए आकांक्षी ज़िलों के रूपांतरण के लिये कार्यक्रम का शुभारंभ
  • एक समग्र सूचकांक का उपयोग कर पारदर्शी प्रक्रिया के आधार पर 28 राज्यों में 115 ज़िलों की पहचान की गई है।
  • प्रभारी अधिकारियों की मदद से राज्य इस कार्यक्रम के मुख्य चालक हैं।
  • इन ज़िलों में विकास को जन आंदोलन बनाने का लक्ष्य है।
  1. अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ बातचीत
  • "आर्थिक नीति और आगे की राह" विषय पर 40 से अधिक प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों के साथ संवादमूलक सत्र आयोजित किया गया है।

क्षेत्रीय (sectoral) उद्देश्य और उपलब्धियाँ

  1. कृषि
  • फसल, बागवानी और पशुधन की मांग तथा आपूर्ति पर परियोजनाएँ :

यह रिपोर्ट भारतीय कृषि के प्रदर्शन और विकास के रुझानों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।

  • किसान को मूल्य समर्थन : मॉडल एग्रीकल्चरल लैंड लीजिंग एक्ट, 2016, कृषि विपणन सुधार सूचकांक और किसानों की आय दोगुना करने पर नीति पत्र- औचित्य, रणनीति, संभावनाएँ और कार्य योजना।
  • भारत के लिये विकास एजेंडा @ 75 : नए भारत में कृषि के लिये विकास एजेंडा कृषि क्षेत्र में सात लक्ष्यों पर केंद्रित है अर्थात् विकास, स्थिरता, दक्षता, खाद्य और पोषण सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, स्थिरता और किसानों की आय।
  • बाँस के विकास के लिये रोडमैप : कृषि सहयोग विभाग एवं किसान कल्याण विभाग, पर्यावरण तथा वन मंत्रालय, भूमि संसाधन विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा सामाजिक कल्याण मंत्रालय के परामर्श से कार्य योजना तैयार की जा रही है।
  • मूल्य कमी भुगतान (Price Deficiency Payment) : मध्य प्रदेश सरकार 8 फसलों- सोयाबीन, मूंगफली, तिल, नाइजर, मक्का, उड़द, मूंग और तूर में मूल्य कमी भुगतान (भावांतर भुगतान योजना) पर एक पायलट परियोजना लागू कर रही है।
  • गैर-वन भूमि से लकड़ी के स्रोतों का उत्पादन भारत के अंतर्राष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये अतिरिक्त पेड़ों के कवर के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने, रोज़गार सृजन, आयात पर भारी निर्भरता को कम करने और 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड के कार्बन सिंक में योगदान के विज़न को पूरा करेगा।
  • सूखा मूल्यांकन और राहत : कृषि वर्टिकल के अंतर्गत फसल और पशुधन के लिये सूखा, ओलावृष्टि, ठंडी लहरों आदि के कारण होने वाले नुकसान का आकलन करने हेतु मंत्रालय द्वारा गठित अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमें (IMCTs) सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
  1. स्वास्थ्य
  • एक राष्ट्र के रूप में हमने शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और कुल प्रजनन दर में उल्लेखनीय गिरावट देखी है, हालाँकि  उपलब्धियों में अंतर-राज्य भिन्नता चिंता का विषय बनी हुई है।
  • 3 वर्षीय कार्य एजेंडा : इसे भारत के 15 वर्षीय विज़न के पहले भाग के रूप में विकसित किया गया था। प्राथमिकता वाले कार्य हैं: सार्वजनिक और रोग निरोधी स्वास्थ्य, स्वास्थ्य देखभाल का भरोसा, बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिये वित्तीय हस्तांतरण, स्वास्थ्य के लिये मानव संसाधन, औषधियों तक पहुँच, स्वास्थ्य अनुसंधान।
  • समिति ने प्रस्तावित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के साथ भारत की चिकित्सा परिषद के स्थान पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दिया। बिल को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया है।
  • नीति आयोग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वार्षिक प्रदर्शन को मापने के लिये स्वास्थ्य सूचकांक पहल का नेतृत्व किया है और प्रदर्शन के आधार पर राज्यों की रैंकिंग की है| संकेतक: परिणाम, शासन और सूचना तथा महत्त्वपूर्ण इनपुट/प्रक्रियाएँ।
  • मानव पूंजी कायाकल्प के लिये सतत् कार्रवाई (SATH) : नीति आयोग ने राज्यों के साथ संरचित समर्थन पहलों के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने तथा स्वास्थ्य क्षेत्र के कायाकल्प हेतु SATH कार्यक्रम की शुरुआत की है। कार्यक्रम के तहत चुने गए तीन राज्य उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और असम हैं।
  • ज़िला अस्पतालों के प्रदर्शन को ट्रैक करने हेतु फ्रेमवर्क तैयार करने के लिये नीति आयोग को निर्देशित किया गया है तथा पोर्टल विकसित करने के लिये भारतीय सांख्यिकी संस्थान का चयन किया गया है।
  • नीति आयोग मौजूदा NIPERs का मूल्यांकन कर रहा है। ((NIPERs फार्मास्यूटिकल्स विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार के तहत स्थापित संस्थान हैं)|
  • यह संपूर्ण भारत में इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड लागू करने पर भी काम कर रहा है।
  1. महिला एवं बाल विकास
  • मातृत्व लाभ कार्यक्रम की निगरानी और मूल्यांकन के लिये नीति आयोग को निर्दिष्ट किया गया है। तदनुसार, पहली तिमाही रिपोर्ट और डैशबोर्ड को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD) तथा राज्य से प्राप्त इनपुट के आधार पर तैयार किया गया है और पीएमओ के साथ साझा किया गया है।
  • नीति आयोग ने चार राज्यों - राजस्थान, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और गुजरात में टेक होम राशन (THR) पर राज्य की पहलों को आलेखित करने और गंभीर रूप से कुपोषित (SAM) बच्चों के प्रबंधन के लिये क्षेत्रीय मुआयना किया है।
  1. शासन और अनुसंधान
  • अन्य थिंक टैंक के साथ नेटवर्किंग : नीति आयोग ने एक प्रमुख पहल समवेश (SAMVESH) की शुरूआत की है| इसका उद्देश्य एक हब और स्पोक (spoke) मॉडल का उपयोग कर ज्ञान और शोध संस्थानों के साथ नेटवर्किंग और साझेदारी करना है| इस संबंध में IMPRINT (इंपैक्टिंग रिसर्च, इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी) पर केंद्रित एक बैठक आयोजित की गई है।
  • नीति आयोग ने मेसर्स माइक्रोस्कोव के माध्यम से उर्वरकों में डीबीटी का मूल्यांकन अध्ययन किया, जिसमें उत्साहजनक परिणाम और क्रियान्वयन में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है|
  • नीति आयोग ने केंद्र सरकार के स्वायत्त निकायों की गहन समीक्षा की है।
  • इसने भारत के स्वर्ण बाज़ार को बदलने के तरीकों और साधनों की खोज के लिये रतन वाटल समिति की भी स्थापना की।
  1. मानव संसाधन विकास
  • मानव संसाधन विकास (HRD) डिवीजन, नीति आयोग के टीम इंडिया हब में एचआरडी वर्टिकल के रूप में पुनर्गठित, स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा से संबंधित मुद्दों पर ध्यान दे रहा है।

स्कूल शिक्षा और साक्षरता

  • सर्व शिक्षा अभियान (SSA)
  • विद्यालयों में मिड डे मील (MDMS)
  • राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA)
  • माध्यमिक शिक्षा का व्यावसायीकरण
  • आईसीटी @ स्कूल
  • साक्षर भारत कार्यक्रम
  • राष्ट्रीय बाल भवन, KVs, NVs, NIOS, NCERT इत्यादि

उच्च एवं तकनीकी शिक्षा

  • राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA
  • तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (TEQIP)
  • पंडित मदन मोहन मालवीय शिक्षक और शिक्षण पर राष्ट्रीय मिशन (PMMMNMTT)
  • छात्रवृत्ति
  • आईसीटी के माध्यम से शिक्षा पर राष्ट्रीय मिशन (NMEICT)
  • पुस्तक प्रमोशन
  • भाषा विकास
  • आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम, आईआईएसईआर, एनटीटीआर, आईआई आदि सहित तकनीकी शिक्षा
  • नीति इंटर्नशिप कार्यक्रम के तहत देश भर के विभिन्न प्रमुख संस्थानों में इंटर्नशिप प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
  • अन्य उपलब्धियाँ
  • स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (SEQI) : यह स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD), सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के राज्य शिक्षा विभागों और शिक्षाविदों सहित विभिन्न हितधारकों के परामर्श से नीति आयोग द्वारा विकास के अंतिम चरण में है।
  • शिक्षा परियोजनाओं के लिये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों (D 3 S) की विकास सहायता सेवाएँ : इस नीति का मुख्य उद्देश्य शिक्षा प्रणालियों के लिये भविष्य के तीन 'रोल मॉडल' राज्यों की पहचान और निर्माण करना है। ओडिशा में पहली कार्यशाला आयोजित की गई है।
  • उच्च शिक्षा में सुधार : यूजीसी और एआईसीटीई के नियामकीय ढाँचे में प्रस्तावित सुधारों पर नीति आयोग की प्रस्तुति के आधार पर उच्च शिक्षा में सुधार के लिये एक समिति गठित की गई है।
  1. संस्कृति
  • इस वर्टिकल ने EFC/SFC के निम्नलिखित प्रस्तावों की जाँच की है:
  1. संग्रहालय अनुदान योजना|
  2. विज्ञान शहर/विज्ञान केंद्र/अभिनव केंद्रों की स्थापना के लिये योजना|
  3. पुस्तकालयों पर राष्ट्रीय मिशन की निरंतरता-पुस्तकालयों का उन्नयन कर जनता को सेवाएँ प्रदान करना|
  4. एक ही योजना में उन्हें विलय करने के बाद चल रही पाँच योजनाओं का मूल्यांकन अर्थात् "कला और संस्कृति के प्रचार के लिये वित्तीय सहायता योजना"|
  5. दांडी से संबंधित परियोजनाएँ और गांधी विरासत स्थल मिशन|
  6. अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंधों के प्रसार के लिये योजना|
  7. एक ही योजना में विलय के बाद चल रही दो योजनाओं का मूल्यांकन "अर्थात् सांस्कृतिक आधारभूत संरचना के निर्माण के लिये वित्तीय सहायता योजना"।
  8. कौशल विकास और रोज़गार इकाई
  • कौशल विकास और रोज़गार प्रभाग ने रोज़गार के लिये एक सार-संग्रह 'स्किलिंग फॉर एम्प्लोयबिलिटी : बेस्ट प्रैक्टिसेज़’ प्रकाशित की है जिसमें सरकार, नागरिक समाज और निजी क्षेत्रों में इक्विटी, एक्सेस, गुणवत्ता और प्रासंगिकता जैसी चुनौतियों पर काबू पाने के लिये सर्वोत्तम प्रथाओं के अभ्यास का वर्णन किया गया है।
  • योजनाएँ/कार्यक्रम
  • भारत में अप्रेंटिसशिप पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ बनाना|
  • उत्तर-पूर्व ग्रामीण आजीविका परियोजना|
  • मौजूदा सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) का मॉडल औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में उन्नयन|
  • प्रशासन, कार्यान्वयन और ढाँचे की निगरानी को मज़बूत करने के लिये राष्ट्रीय कौशल विकास कोष (NSDF) और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) की पुनर्संरचना|
  • विकलांगों के लिये राष्ट्रीय करियर सेवा केंद्र पर ज्ञापन|
  • राष्ट्रीय करियर सेवा परियोजना/रोज़गार एक्सचेंज मिशन मोड प्रोजेक्ट (EEMMP)|
  1. शहरीकरण का प्रबंधन
  • नीति आयोग में शहरीकरण का प्रबंधन (MU) वर्टिकल शहरी क्षेत्र/मुद्दों से संबंधित है और यह आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) के साथ घनिष्ठ सहयोग के साथ काम करता है।
  • वर्टिकल केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभाग, शहरी स्थानीय निकाय (ULB), ज्ञान निकाय/संस्थान, थिंक टैंक, विशेषज्ञ, नियोजन में नीति निर्माता विभिन्न शहरी क्षेत्र की योजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं की योजना बनाने, समन्वय, फॉर्मूलेटिंग, प्रक्रमण, मूल्यांकन, विश्लेषण और निगरानी में नीति निर्माताओं के साथ सहयोग करते हैं|
  1. ग्रामीण विकास
  • नीति आयोग का ग्रामीण विकास वर्टिकल ग्रामीण विकास विभाग, स्वच्छता एवं पेयजल मंत्रालय तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा लागू कार्यक्रमों और योजनाओं में समग्र रूप से नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • नीति आयोग ने प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) मासिक तथा त्रैमासिक डैशबोर्ड तथा दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) पर त्रैमासिक डैशबोर्ड विकसित किया है।
  1. ऊर्जा और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
  • नीति आयोग और इंस्टीट्यूट ऑफ एनर्जी इकोनॉमिक्स जापान (IEEJ) के बीच एक प्रोजेक्ट “अक्षय ऊर्जा का उच्च प्रवेशन : वर्ष 2032 तक जापान और भारत के तुलनात्मक अध्ययन" पर काम करने के लिये एक आशय पत्र (a statement of intent-SOI) पर हस्ताक्षर किये गए हैं|
  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) और नीति आयोग ने ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित अध्ययन हेतु परियोजनाओं के सहयोग के लिये संयुक्त रूप से एक आशय पत्र (SOI) पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • शिकागो विश्वविद्यालय में स्थित ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) तथा नीति आयोग ने ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित संयुक्त अध्ययन परियोजनाओं के सहयोग के लिये एक आशय पत्र (SOI) पर हस्ताक्षर किये हैं|
  • नीति आयोग ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को भारत के जीआईएस ऊर्जा मानचित्र के निरूपण की ज़िम्मेदारी सौंपी है ताकि हितधारकों को ऊर्जा संबंधी जानकारी प्रदान की जा सके।
  • नीति आयोग की एक इकाई विद्युत मंत्रालय के साथ "पावर फॉर ऑल" नीति आयोग डैशबोर्ड को अप-डेट कर रहा है|
  • नीति आयोग ने इंडिया एनर्जी पोर्टल (IEP) (indiaenergy.gov.in) लॉन्च किया है, जो वर्तमान में भारत ऊर्जा सुरक्षा परिदृश्य (IESS) 2047 की प्रमुख पहल है।
  • नीति आयोग ने कोयला इकाई द्वारा सतही कोयला गैसीकरण (gasification) पर उपयुक्त प्रौद्योगिकी की सिफारिश करने के लिये एक तकनीकी समिति गठित की है।
  • नीति आयोग को राष्ट्रीय ऊर्जा नीति तैयार करने का कार्य सौंपा गया है।
  • नीति आयोग ने ऊर्जा डैशबोर्ड स्थापित किया है- सभी ऊर्जा संबंधित डेटा को पहले चरण में एक स्थान पर एकत्रित करने का प्रयास। दूसरा चरण डेटा की ऑनलाइन प्रणाली तैयार करना|
  • नीति आयोग और यूके सरकार के बीच द्विपक्षीय सहयोग, राज्य ऊर्जा गणना यंत्र (calculator) विकसित करने की पहल की शुरुआत, इसके पहले चरण के लिये तीन राज्यों - आंध्र प्रदेश, गुजरात और असम को लिया गया।
  1. उद्योग
  • तटीय आर्थिक क्षेत्र (CEZ) विकास के लिये सड़क मानचित्र तैयार करने और संबंधित CEZ के विकास को तेज़ करने के लिये सीईओ नीति आयोग की अध्यक्षता में शिपिंग मंत्रालय द्वारा अंतर-मंत्रालयी समिति (IMC) गठित की गई थी। समिति के लिये नीति आयोग नोडल एजेंसी थी।
  • नीति आयोग ने आईडीएफसी संस्थान के साथ संयुक्त रूप से आयोजित उद्यम सर्वेक्षण के आधार व्यापार सुगमता रिपोर्ट जारी की।
  • उद्योग वर्टिकल के तहत देश में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये एक नए सेल की स्थापना की गई है।
  • नीति आयोग और ऑस्ट्रेलियाई ट्रेजरी, (ऑस्ट्रेलियाई सरकार) के बीच आपसी समझ और सहयोग के लिये द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी हेतु आशय पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं|
  1. बुनियादी संरचना
  • नीति आयोग की इंफ्रास्ट्रक्चर-कनेक्टिविटी वर्टिकल को कुशल, टिकाऊ, पर्यावरण अनुकूल और क्षेत्रीय संतुलित परिवहन प्रणाली को बढ़ावा देने हेतु परिवहन क्षेत्र को एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करने के लिये अधिकृत किया गया है।
  • नीति आयोग द्वारा "इंडिया लीप्स अहेड : ट्रांसफॉर्मेटिव मोबिलिटी सॉल्यूशंस फॉर ऑल" (India Leaps Ahead : Transformative Mobility Solutions for All) नामक एक रिपोर्ट का अनावरण किया गया है। यह रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (RMI) के सहयोग से तैयार किया गया था।
  • इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स (ITS) पर इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (IRF) के साथ आशय पत्र (SOI) पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • रेलवे सुरक्षा निधि की निगरानी के लिये एक स्वतंत्र 'राष्ट्रीय रेल संस्कार कोष (RRSK) निगरानी समिति’ बनाई गई है।
  1. वित्तीय संसाधन
  • राज्यों के बीच सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद को बढ़ावा देने के लिये, नीति आयोग के वित्तीय संसाधन प्रभाग ने राज्यों के वित्तीय स्वास्थ्य का आकलन करने में अपनी भूमिका निभाई है, जिसमें केंद्र से राज्यों के हस्तांतरण का मूल्यांकन, राज्यों द्वारा सामाजिक क्षेत्र के व्यय का बारीकी से विश्लेषण करना, आर्थिक रूप से बीमार राज्य, उचित नीतिगत हस्तक्षेपों के लिये फंड हस्तांतरण तंत्र की सूक्ष्म समीक्षा शामिल है।
  1. प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण
  • प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण (NRE) का पर्यावरण और वन प्रभाग वर्टिकल, वनों के सतत प्रबंधन के लिये नीतियों के निर्माण और रणनीतियों के विकास में शामिल है| इसमें वन्यजीव और उनके अधिवास की सुरक्षा, एक स्वच्छ, हरित और स्वस्थ पर्यावरण के रख-रखाव को शामिल किया गया है।
  • स्वच्छ, हरित और स्वस्थ वातावरण को बनाए रखने के लिये उपयुक्त रणनीतियों का निर्माण नीति आयोग की प्राथमिकता में है।
  • यह विशेष रूप से दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
  • स्वच्छ ईंधन, स्वच्छ परिवहन, स्वच्छ उद्योग और बायोमास प्रबंधन के लिये उपयुक्त हस्तक्षेप की सिफारिश करने हेतु सदस्यों के रूप में विशेषज्ञों के साथ नीति आयोग में चार कार्य-बल गठित किये गए हैं।
  • E & F क्षेत्र में अनुसंधान अध्ययन नीति आयोग की शोध अध्ययन अनुदान योजना, पूर्व कोयला खनन, विस्थापन और ग्रामीण आजीविका : ओडिशा के महानदी कोल फील्ड में एक अध्ययन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, राउरकेला द्वारा आयोजित किया गया|
  1. विज्ञान और प्रौद्योगिकी
  • नीति आयोग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की सिफारिशों के आधार पर भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रभावी कामकाज और डिलीवरी हेतु वित्तीय और प्रशासनिक सुधारों के लिये कैबिनेट नोट तैयार किया गया है जो अंतर-मंत्रालयी परामर्श के अधीन है।
  1. सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण
  • नीति आयोग में सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण (SJ & E) डिवीजन समाज के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के हित को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा के लिये नीतियों और कार्यक्रमों के निर्माण और सुदृढ़ीकरण में सहयोग प्रदान करने हेतु सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।
  1. स्वैच्छिक कार्रवाई सेल (VAC)
  • VAC की एक महत्त्वपूर्ण पहल VOs/NGOs के इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस को मेंटेन रखती है जिसे एनजीओ दर्पण पोर्टल के माध्यम से किया जाता है। NGO-DARAPAN (NGO-PS) पोर्टल देश में गैर-सरकारी संगठनों (NGO)/स्वैच्छिक संगठनों (VO) के संबंध में इलेक्ट्रॉनिक रूप से डेटा बनाए रखने के लिये ई-गवर्नेंस एप्लीकेशन है।
  1. विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय
  • विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय (DMEO) की स्थापना 2015 को सरकार द्वारा पूर्व कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन और स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय का विलय करके नीति आयोग के एक संलग्न कार्यालय के रूप में की गई थी।
  • DMEO ने एक वेब-आधारित इंटरैक्टिव डैशबोर्ड विकसित किया है जिसे संबंधित मंत्रालयों द्वारा PMAY के कार्यान्वयन में उनके द्वारा की गई प्रगति पर डेटा अपलोड करने के लिये उपयोग किया जाता है।
  1. कार्यक्रम/योजना/परियोजना का मूल्यांकन
  • नीति आयोग में किये गए महत्त्वपूर्ण कार्यों में से एक कार्यक्रमों/योजनाओं/परियोजनाओं के मूल्यांकन से संबंधित है। मूल्यांकन कार्य दो डिवीज़नों के माध्यम से किया जाता है:
  • परियोजना मूल्यांकन प्रबंधन प्रभाग (PAMD) सार्वजनिक वित्त पोषित कार्यक्रमों/ योजनाओं/ परियोजनाओं के मूल्यांकन का कार्य करता है।
  • सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन इकाई (PPPAU) इंफ्रास्ट्रक्चर में पीपीपी को वित्तीय सहायता के लिये योजना के तहत विएबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) हेतु केंद्रीय और राज्य/संघ शासित प्रदेशों से प्राप्त सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) परियोजनाओं का मूल्यांकन करती है।
  1. जल संसाधन
  • नीति आयोग द्वारा गठित अंतर-मंत्रालयी टीम ने परियोजनाओं का मूल्यांकन किया है और PMO, MoWR, RD & GR, राज्य सरकारों तथा रेनफेड एरिया अथॉरिटी के साथ रिपोर्ट को साझा किया गया है।
  • समग्र जल प्रबंधन सूचकांक नीति आयोग में विकसित किया गया है जिसमें 28 प्रमुख प्रदर्शन संकेतक शामिल हैं, जिनमें स्रोत प्रबंधन, आपूर्ति और मांग पक्ष प्रबंधन, सिंचाई कवरेज, पेयजल (ग्रामीण और शहरी), वाटरशेड विकास तथा नीति एवं शासन शामिल हैं। यह सूचकांक राज्य द्वारा प्रदान किये गए सत्यापन योग्य आँकड़ों के आधार पर रैंकिंग प्रदान करेगा।
  • TERI विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के परामर्श से "जल क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं" पर दस्तावेज़ तैयार किये गए हैं। वेब पोर्टल पर "जल क्षेत्र में सर्वोत्तम अभ्यास" अपलोड किये जाने हैं।
  • जल संसाधन वर्टिकल ने आउटपुट-आउटकम बजट (2018-19) के जल संसाधन भाग की तैयारी में DMEO तथा नीति आयोग की सहायता की है। जल संसाधन मंत्रालय, आरडी और जीआर को इस संबंध में जानकारी दी गई है।
  • वर्टिकल ने आउटपुट-आउटकम बजट (2018-19) के भूमि संसाधन भाग की तैयारी में DMEO और नीति आयोग की सहायता की है।
  • संबंधित मंत्रालयों, विभागों और राज्यों के परामर्श से "लैंड टाइटलिंग - अ वे फॉरवर्ड" (Land Titling-A Way Forward) पर समिति की एक ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की गई है। अंतिम मसौदा पीएमओ को अग्रिम विचार के लिये भेजा गया है।
  1. डेटा प्रबंधन और विश्लेषण
  • नीति आयोग ने राज्यों के लिये एक डिजिटल परिवर्तन सूचकांक स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। सूचकांक में पैरामीटर शामिल किये गए हैं जो राज्यों को डिजिटल परिवर्तन की दिशा में अपनी प्रगति की जाँच करने की अनुमति दे सकते हैं और दूसरों के साथ इसकी तुलना कर सकते हैं, इस प्रकार राज्य सुधार के उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकते हैं|
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