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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 26 Jul 2025
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राजस्थान में भारतीय वायु सेना का वायु अभ्यास

चर्चा में क्यों?

भारतीय वायु सेना (IAF) राजस्थान के सीमावर्ती ज़िलों में एक महत्वपूर्ण वायु सैन्य अभ्यास का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य अपनी परिचालन तैयारी और रणनीतिक क्षमताओं का परीक्षण करना था।

मुख्य बिंदु

  • अवधि: तीन दिन (23-25 जुलाई, 2025)
  • स्थान: राजस्थान में (जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर) पाकिस्तान सीमा के निकट।
  • उद्देश्य: परिचालन तैयारी का परीक्षण करना और रणनीतिक अभ्यास आयोजित करना
  • नागरिक हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध
    • इस अभ्यास के दौरान एक नोटिस टू एयरमेन (NOTAM) जारी किया गया है, जिसके अंतर्गत नागरिक वायु यातायात पर प्रतिबंध लगाया गया है। 
    • इसका उद्देश्य IAF को ड्रोन, मिसाइल और अन्य लड़ाकू विमानों के संचालन हेतु निर्बाध हवाई क्षेत्र उपलब्ध कराना है।
  • शामिल विमान
    • इस अभ्यास में राफेल, सुखोई-30, मिराज 2000 तथा जैगुआर जैसे लड़ाकू विमानों ने दिन-रात हवाई अभ्यास (sorties) किये।
    • अभ्यास में हवाई लक्ष्यों को भेदने तथा सटीक ज़मीनी हमलों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • यह अभ्यास जोधपुर और बाड़मेर स्थित उत्तरलाई वायुसेना अड्डों से समन्वित रूप से संचालित किया गया तथा जैसलमेर स्थित पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में उड़ानें संचालित की गईं।
  • रणनीतिक महत्त्व
    • यह अभ्यास क्षेत्र में किसी भी शत्रुतापूर्ण गतिविधि के प्रति भारत की त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया देने की तैयारी तथा क्षमता को दर्शाता है।


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डेज़र्ट नेशनल पार्क में रैप्टर पारिस्थितिकी पर अध्ययन

चर्चा में क्यों?

डेज़र्ट नेशनल पार्क और इसके आसपास के क्षेत्रों में रैप्टर पारिस्थितिकी पर केंद्रित एक अध्ययन पहल शुरू की गई है।

मुख्य बिंदु

  • अध्ययन के बारे में: 
    • इस अध्ययन का उद्देश्य क्षेत्र में प्रजनन करने वाले शिकारी पक्षियों की स्थिति तथा स्थानीय पारिस्थितिकी का आकलन करना है।
    • भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा प्रारंभ की गई यह परियोजना 21 जुलाई 2025 को शुरू हुई और जुलाई 2027 तक जारी रहेगी।
    • अध्ययन में शिकारी पक्षियों की गतिविधि और प्रजनन पैटर्न पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, साथ ही उनकी स्थानिक पारिस्थितिकी तथा संरक्षण आवश्यकताओं को समझने पर भी ज़ोर दिया जाएगा।
  • कार्यप्रणाली:
    • परियोजना के एक भाग के रूप में, दो गिद्धों, एक टॉनी ईगल और एक किशोर मिस्री गिद्ध को पहले ही GPS ट्रांसमीटर तथा बैकपैक हार्नेस से सुसज्जित कर छोड़ा गया है।
    • अध्ययन में लाल सिर वाले गिद्ध, सफेद पूँछ वाले गिद्ध, भारतीय गिद्ध, मिस्री गिद्ध, भूरे चील और लैगर फाल्कन की छह-छह प्रजातियों के जैविक नमूनों का संग्रह भी शामिल है। 
  • कानूनी ढाँचा: 
    • इस अध्ययन को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 12(A) के तहत अनुमोदित किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि यह अध्ययन कानूनी और नैतिक मानकों के अनुरूप है।
    • धारा 12(A) के अनुसार, मुख्य वन्यजीव वार्डन, आवेदन पर और लिखित आदेश के माध्यम से, व्यक्तियों या संस्थाओं को वन्यजीवों पर वैज्ञानिक अनुसंधान करने हेतु परमिट देने के लिए अधिकृत होते हैं।
  • महत्त्व:
    • संरक्षण प्रयास: इस अध्ययन से प्राप्त महत्त्वपूर्ण डाटा संकटग्रस्त शिकारी प्रजातियों के लिये संरक्षण रणनीतियाँ विकसित करने में सहायक होगा।
    • शिकारी पक्षियों का संरक्षण: इस अध्ययन से प्राप्त निष्कर्षों से, विशेष रूप से थार रेगिस्तान में रैप्टर प्रजातियों और उनके आवास की सुरक्षा के उपायों के विकास में योगदान मिलने की अपेक्षा है।

रैप्टर प्रजातियाँ

  • परिचय: रैप्टर वे पक्षी हैं, जो शिकार करते हैं। ये मांसाहारी होते हैं तथा स्तनधारियों, सरीसृपों, उभयचरों, कीटों के साथ-साथ अन्य पक्षियों को भी मारकर खाते हैं।
    • सभी रैप्टर/शिकारी पक्षी मुड़ी हुई चोंच, नुकीले पंजे वाले मज़बूत पैर, तीव्र दृष्टि के साथ ही मांसाहारी होते हैं।
  • जनसंख्या: इंडोनेशिया में सबसे अधिक रैप्टर प्रजातियांँ पाई जाती हैं, इसके बाद कोलंबिया, इक्वाडोर और पेरू का स्थान है।
  • उदाहरण: उल्लू, गिद्ध, बाज, फाॅल्कन, चील, काइट्स, ब्यूटियो, एक्सीपिटर्स, हैरियर और ओस्प्रे।
  • संरक्षण के प्रयास:
    • रैप्टर्स MoU (वैश्विक): इस समझौते को ‘रैप्टर समझौता-ज्ञापन (Raptor MOU)’ के नाम से भी जाना जाता है। 
    • यह वन्य प्राणियों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर कन्वेंशन (CMS) के तहत एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
      • यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है।
      • भारत रैप्टर्स MoU का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
    • भारत SAVE (Saving Asia’s Vultures from Extinction) संघ का भी हिस्सा है।
    • गिद्धों के संरक्षण के लिये भारत ने गिद्ध कार्ययोजना 2020-25 शुरू की है।
    • पिंजौर (हरियाणा) में जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र (Jatayu Conservation Breeding Centre) भारतीय गिद्ध प्रजातियों के प्रजनन और संरक्षण के लिये राज्य के बीर शिकारगाह वन्यजीव अभयारण्य के भीतर विश्व की सबसे बड़ी अनुकूल जगह है।

डेज़र्ट नेशनल पार्क

  • भौगोलिक स्थिति: 
    • यह राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर ज़िलों में 3,162 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है।
    • यह थार रेगिस्तान में स्थित है, जो एक गर्म और शुष्क क्षेत्र है, जहाँ वर्षा बहुत कम होती है (<100 मिमी) तथा जिसमें रेत के टीले, चट्टानी क्षेत्र एवं रेतीले मैदान शामिल हैं।
  • वनस्पति और पादप:
    • यहाँ की विशेषता विरल वनस्पति है, जिसमें कंटीली झाड़ियाँ, घास के मैदान और टीले सम्मिलित हैं।
    • खेजड़ी (Prosopis cineraria) जैसी उल्लेखनीय वृक्ष प्रजातियाँ तथा विभिन्न बबूल प्रजातियाँ इस क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को सहारा देती हैं।
  • जीव-जंतु और जैवविविधता:
    • यह पार्क 60 स्तनपायी, 51 सरीसृप और 100 पक्षी प्रजातियों का घर है।
    • स्थानिक और लुप्तप्राय प्रजातियों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, डेज़र्ट फॉक्स तथा लौंगवाला टॉड-हेडेड अगामा शामिल हैं।
    • यहाँ हूबारा बस्टर्ड जैसे प्रवासी पक्षी भी पाए जाते हैं।


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अनुसूचित जाति समुदाय के लिये राजस्थान सरकार की योजना

चर्चा में क्यों?

राजस्थान सरकार ने 'वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा योजना' से प्रेरित होकर राजस्थान के अनुसूचित जाति (SC) के निवासियों के लिये डॉ. बी.आर. अंबेडकर से जुड़े पाँच ऐतिहासिक स्थलों तक मुफ्त रेल यात्रा की योजना शुरू की है।

मुख्य बिंदु

  • योजना के बारे में: 
    • इस पहल का उद्देश्य डॉ. अंबेडकर के जीवन और कार्य से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा की सुविधा प्रदान करके उनकी विरासत का सम्मान करना है।
    • डॉ. बी.आर. अंबेडकर से संबंधित स्थल:
  • अंबेडकर जन्मस्थान (महू, मध्य प्रदेश)
    • भीम जन्मभूमि, अंबेडकर की 100वीं जयंती पर उद्घाटन किया गया एक स्मारक है, जो प्रतिवर्ष लाखों आगंतुकों को आकर्षित करता है, विशेष रूप से अंबेडकर जयंती (14 अप्रैल) पर, जो सामाजिक समानता और स्मरण के केंद्र के रूप में कार्य करता है।
  • दीक्षा भूमि (नागपुर, महाराष्ट्र)
    • यह स्थल 14 अक्तूबर 1956 को डॉ. अंबेडकर के बौद्ध धर्म अपनाने का प्रतीक है, जहाँ उनके 4,00,000 से ज़्यादा अनुयायी थे। यहाँ एशिया के सबसे बड़े स्तूपों में से एक है और यहाँ धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस समारोह आयोजित किया जाता है, जिसमें हर साल लाखों लोग आते हैं।
  • महापरिनिर्वाण भूमि (दिल्ली/अलीपुर रोड)
    • वह स्थान जहाँ 6 दिसंबर 1956 को डॉ. अंबेडकर ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। भारतीय संविधान के समान डिज़ाइन किया गया यह स्मारक आधुनिक और बौद्ध स्थापत्य कला को जोड़ता है, जो उनकी विरासत का प्रतीक है।
  • चैत्य भूमि (मुंबई, महाराष्ट्र)
    • डॉ. अंबेडकर का समाधि स्थल, हाशिये पर पड़े समुदायों के लिये आशा और एकता का प्रतीक। यह अंबेडकरवादी और नव-बौद्ध आंदोलनों के लिये एक केंद्रीय सभा स्थल के रूप में कार्य करता है।
  • इंदु मिल स्मारक (मुंबई)
    • दादर में पूर्व इंदु मिल स्थल को एक भव्य स्मारक के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसमें 350 फीट ऊँची कांस्य प्रतिमा और बौद्ध-प्रेरित वास्तुकला होगी, जो डॉ. अंबेडकर की विरासत का प्रतीक है और एक शैक्षिक स्थल प्रदान करेगा।
  • योजना लाभ:
    • यात्रा, आवास और भोजन से संबंधित सभी खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किये जाएंगे।
  • आवेदन प्रक्रिया:
    • आवेदकों को ज़िला स्तरीय समिति द्वारा आयोजित समीक्षा प्रक्रिया से गुजरना होगा।
  • चयन प्रक्रिया:
    • यदि आवेदकों की संख्या उपलब्ध स्लॉट से अधिक हो जाती है, तो चयन कम्प्यूटरीकृत लॉटरी या अन्य पारदर्शी विधि के माध्यम से किया जाएगा, जिसके परिणाम आधिकारिक विभागीय वेबसाइट और सूचना पोर्टल पर प्रकाशित किये जाएंगे।
  • पात्रता मानदंड:
    • आवेदक राजस्थान के अनुसूचित जाति समुदाय से होना चाहिये
    • गैर-आयकरदाता होना चाहिये
    • जन आधार कार्ड होना चाहिये और
    • संक्रामक रोगों (जैसे, COVID-19, टीबी) से पीड़ित नहीं होना चाहिये।


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