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म्यूनिसिपल बॉण्ड
चर्चा में क्यों?
राँची नगर निगम (RMC) को अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT) 2.0 योजना के अंतर्गत म्यूनिसिपल बॉण्ड जारी कर वित्तीय संसाधन जुटाने की स्वीकृति प्रदान की गई है।
मुख्य बिंदु
- शहरी विकास एवं आवास विभाग (SUDA) के संयुक्त सचिव-सह-उप निदेशक ने राँची नगर निगम (RMC) को नगर निगम बॉण्ड बाज़ार तक पहुँच बनाने हेतु नए कदम उठाने का निर्देश दिया है, जिसके तहत निगम को निम्नलिखित कार्य करने होंगे:
- वित्तीय वर्ष 2024-25 तक लेखापरीक्षित वार्षिक लेखा तैयार करना।
- कम-से-कम 125 करोड़ रुपये मूल्य की एक बैंक योग्य परियोजना की पहचान करना।
- प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने हेतु एक लेनदेन सलाहकार फर्म और एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी दोनों की नियुक्ति करना।
- PMU (राजस्व वृद्धि) टीम इस पहल के दौरान RMC को तकनीकी और प्रक्रियात्मक सहायता प्रदान करेगी।
- पूर्व प्रयास:
- RMC ने इससे पहले वर्ष 2016-17 में अमृत योजना के तहत बॉण्ड जारी करने का प्रयास किया था।
- झारखंड के शहरी स्थानीय निकायों (ULB) के लिये एक क्रेडिट रेटिंग अभ्यास आयोजित किया गया, जिसमें राँची नगर निगम को BBB रेटिंग प्राप्त हुई।
- हालाँकि एक लेनदेन सलाहकार नियुक्त किया गया था, लेकिन उस समय बैंक योग्य परियोजना की कमी के कारण बॉण्ड जारी नहीं किये जा सके।
म्यूनिसिपल बॉण्ड
- परिभाषा: ये शहरी स्थानीय निकायों (ULB) द्वारा बुनियादी ढाँचा और विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने हेतु जारी किये गए ऋण साधन हैं।
- लाभ: सरकारी निधियों पर निर्भरता कम करना, वित्तीय स्वायत्तता बढ़ाना, निजी निवेश आकर्षित करना तथा दीर्घकालिक शहरी वित्तपोषण को सक्षम बनाना।
- चुनौतियाँ: राज्य अनुदान पर अत्यधिक निर्भरता के कारण कम निर्गम। केवल कुछ शहरों जैसे पुणे, अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद और लखनऊ ने ही बॉण्ड जारी किये हैं।
- वित्तपोषण: केंद्र सरकार भारत में शहरी स्थानीय निकायों (ULB) को म्यूनिसिपल बॉण्ड के माध्यम से संसाधन जुटाने के लिये सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है, जो बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण के लिये विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त साधन है।
- अमृत 2.0 के अंतर्गत ऐसे बॉण्ड जारी करने वाली नगरपालिकाओं के लिये प्रोत्साहन के रूप में 520 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
- प्रोत्साहन संरचना: योजना के प्रोत्साहन ढाँचे का उद्देश्य नगर पालिकाओं को धन एकत्र करने के लिये प्रेरित करना है, साथ ही टिकाऊ परियोजनाओं में निवेश को प्राथमिकता देना है, जैसा कि दिशानिर्देशों में उल्लिखित है:
- पहली बार जारी किये जाने वाले ऋण: प्रति 100 करोड़ रुपये पर 13 करोड़ रुपये तक का प्रोत्साहन, अधिकतम 26 करोड़ रुपये, प्रदान किया जाएगा।
आगामी निर्गम: प्रति 100 करोड़ रुपये पर 10 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा। - हरित परियोजनाएँ: नवीकरणीय ऊर्जा या ऊर्जा दक्षता के लिये समर्पित बॉण्डों के लिये, प्रति 100 करोड़ रुपये पर अतिरिक्त 5 करोड़ रुपये प्रदान किये जाएंगे।
- पहली बार जारी किये जाने वाले ऋण: प्रति 100 करोड़ रुपये पर 13 करोड़ रुपये तक का प्रोत्साहन, अधिकतम 26 करोड़ रुपये, प्रदान किया जाएगा।
अमृत योजना
- परिचय:
- यह योजना 25 जून, 2015 को देश के 500 चयनित शहरों में शुरू की गई थी, जो लगभग 60% शहरी जनसंख्या को कवर करते हैं।
- यह योजना इन शहरों में बुनियादी अवसंरचना को सुदृढ़ करने और शहरी सुधारों को लागू करने पर केंद्रित है, जिसमें जल आपूर्ति, सीवरेज, ड्रेनेज, हरित क्षेत्र, गैर-मोटर चालित परिवहन और क्षमता निर्माण शामिल हैं।
- अमृत 2.0 योजना:
- यह योजना 1 अक्तूबर, 2021 को शुरू की गई थी, जिसमें 5 वर्षों की अवधि के लिये, अर्थात वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक, अमृत 1.0 को शामिल किया गया था।
- इसका उद्देश्य देश के 500 शहरों से लगभग 4,900 संविधिक कस्बों तक जलापूर्ति का सार्वभौमिक कवरेज तथा अमृत योजना के प्रथम चरण में शामिल 500 शहरों में सीवरेज/सेप्टेज प्रबंधन का कवरेज सुनिश्चित करना है।
- अमृत 2.0 का उद्देश्य उपचारित सीवेज के पुनर्चक्रण/पुनः उपयोग, जल निकायों के पुनरुद्धार और जल संरक्षण द्वारा नगर जल संतुलन योजना (CWB) के विकास के माध्यम से जल की चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।