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स्टेट पी.सी.एस.

  • 14 Nov 2022
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उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश में होगी ‘लखपति महिला कार्यक्रम’ की शुरुआत

चर्चा में क्यों?

13 नवंबर, 2022 को मीडिया जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की महिलाओं को आर्थिक रूप से और सक्षम बनाने के लिये ‘लखपति महिला कार्यक्रम’ शुरू करने जा रही है, जिसके ज़रिये शुरुआती तीन वर्षों में 15 लाख महिलाओं को लखपति बनाया जाएगा।

प्रमुख बिंदु 

  • राज्य में ‘लखपति महिला कार्यक्रम’के ज़रिये ऐसे प्रयास किये जाएंगे कि महिलाओं की वार्षिक पारिवारिक आय एक लाख रुपये से अधिक पहुँचाई जा सके। इसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को सौंपी गई है और इस कार्यक्रम की रूपरेखा के संबंध में मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र के सामने प्रस्तुतीकरण किया जा चुका है,जिसको मिशन मोड में लागू कर जल्द ही नतीजे हासिल किये जाने की योजना है।
  • लखपति महिला कार्यक्रम’के पहले चरण में 11 ज़िलों में इसकी शुरुआत की जाएगी,जिसमें वाराणसी और प्रयागराज के अलावा अलीगढ़, सुल्तानपुर, बहराइच, बांदा, बस्ती, लखीमपुर खीरी, मिर्जापुर, हमीरपुर और सोनभद्र शामिल हैं। इन ज़िलों में चरणबद्ध तरीके से अभियान चलाकर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को चिन्हित किया जाएगा और उन्हें विभिन्न प्रकार की योजनाओं से जोड़कर वार्षिक आय में बढ़ोतरी का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
  • इस कार्यक्रम को जल्द से जल्द नतीजे तक पहुँचाने के लिये समय सीमा भी निर्धारित की गई है। इसके तहत ज़िला और विकासखंड स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। 15 नवंबर तक ज़िला और विकासखंड स्तर पर टास्क फोर्स का गठन हो जाएगा और 30 मार्च के बाद इसकी समीक्षा की जाएगी।
  • टास्क फोर्स के अध्यक्ष ज़िला स्तर पर वहाँ के ज़िलाधिकारी होंगे, जबकि मुख्य विकास अधिकारी सचिव होंगे। उपायुक्त स्वत: रोज़गार, उपायुक्त मनरेगा इसके सदस्य होंगे। इसके अलावा कृषि विकास, बागवानी, पंचायती राज, महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण, मत्स्य पालन, पशुपालन के सदस्य भी इस टास्क फोर्स में शामिल होंगे।
  • इस टास्क फोर्स की कार्य प्रगति की मासिक समीक्षा करनी होगी।  टास्क फोर्स का कार्य लखपति महिला एप पर विकास खंड के सभी स्वयं सहायता समूह की सदस्यों की स्वघोषित आय को अपलोड करने एवं मनरेगा में सम्मिलित निजी एवं सामूहिक आजीविका संवर्धन योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करनी होगी।   

बिहार Switch to English

एनटीपीसी के 48वें स्थापना दिवस पर कहलगांव को मिला ‘स्वर्ण शक्ति सुरक्षा पुरस्कार’

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एनटीपीसी के 48वें स्थापना दिवस समारोह के ‘स्वर्ण शक्ति अवार्ड’ कार्यक्रम में बिहार के भागलपुर ज़िले के एनटीपीसी कहलगांव को सुरक्षा (O&M) श्रेणी में उत्कृष्ट कार्य के लिये प्रतिष्ठित ‘स्वर्ण शक्ति ट्रॉफी’ से सम्मानित किया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • ज्ञातव्य है कि 48वें एनटीपीसी स्थापना दिवस समारोह का आयोजन 11 नवंबर को नई दिल्ली में किया गया था।
  • एनटीपीसी के द्वारा हर वर्ष कर्मचारियों को बेहतर प्रदर्शन करने और संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रेरित करने के उद्देश्य से परियोजनाओं को एनटीपीसी स्वर्ण शक्ति पुरस्कार दिये जाते हैं।
  • यह पुरस्कार उत्पादकता, सुरक्षा, कर्मचारी संबंध, पर्यावरण संरक्षण और सुधार, राजभाषा, सर्वोत्तम स्वास्थ्य सुविधाएँ, सीएसआर तथा सामुदायिक विकास और परियोजना प्रबंध के क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिये दिया जाता है।
  • विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के कैबिनेट मंत्री आरके सिंह की ओर से कार्यकारी निदेशक (पूर्व-प्) डीएसजीएसएस बाबजी एवं कहलगांव परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक अरिंदम सिन्हा ने यह पुरस्कार प्राप्त किया।
  • उल्लेखनीय है कि एनटीपीसी की कहलगांव परियोजना में प्लांट प्रचालन में इस वर्ष दुर्घटना दर शून्य रही तथा ओवर हालिंग कार्य भी दुर्घटना मुक्त रहा। इस परियोजना में कर्मचारियों एवं कार्यरत् संविदाकर्मियों में सुरक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिये साल भर सुरक्षा विभाग की ओर से सड़क सुरक्षा, विद्युत सुरक्षा, अग्नि सुरक्षा, गृह सुरक्षा विषय पर कार्यक्रम चलाए गए। इस कारण कहलगांव परियोजना को इस क्षेत्र में देश की सभी एनटीपीसी परियोजनाओं में से श्रेष्ठ घोषित किया गया। 

राजस्थान Switch to English

चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत का हुआ शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

12 नवंबर, 2022 को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के तत्वाधान में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अंतर्गत राज्य उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ के मुख्य न्यायाधिपति बिरेंद्र सिंह ने जयपुर स्थित राजस्थान उच्च न्यायालय के परिसर में वर्ष-2022 की चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत का संपूर्ण राजस्थान में शुभारंभ किया।

 प्रमुख बिंदु 

  • इस अवसर पर बिरेंद्र सिंह ने बताया कि लोक अदालतें, आपसी सामंजस्य व सहयोग से आमजन के विवादों का निपटारा करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम हैं तथा लोक अदालत की बेंचों में पूर्व व सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अध्यक्षता में मामलों की सुनवाई की जाती है। पूर्व न्यायाधिपति के अनुभवों के लाभ से इन परिवादों का निपटारा आसान व सुलभ हो जाता है तथा लोक अदालत से आम जन को पूरी तरह से राहत मिलती है।
  • उन्होंने बताया कि जटिल मामलों के चलते न्यायालयों में लंबित प्रकरणों की संख्या अधिक हो गई है लेकिन लोक अदालत में आपसी समझौतों से मामले सुलझा लिये जाते हैं, जिससे न्यायालय का भार कम होगा। यह न्याय का सस्ता व सुलभ माध्यम है, जहाँ न किसी की हार होती है न किसी की जीत, बल्कि आपसी सामंजस्य से सफलता प्राप्त होती है।
  • उन्होंने बताया कि इस बार 480 बैंचों की स्थापना की गई है, जिनमें लगभग 6 लाख मुकदमों की सुनवाई की जाएगी तथा गत लोक अदालत में प्रकरणों के निस्तारण में पूरे देश में राजस्थान दूसरे स्थान पर रहा है। चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से यह प्रयास किया जाएगा कि अधिक से अधिक मामलों को निस्तारित कर राजस्थान प्रथम स्थान प्राप्त करे।
  • उल्लेखनीय है कि इस वर्ष की गत 3 राष्ट्रीय लोक अदालतों में अब तक कुल 24 लाख 86 हज़ार 693 प्रकरणों का निस्तारण आपसी राजीनामे से किया गया है।      
  • चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारण के लिये राज्य भर से 5 लाख 45 हजार 721 मामलों को चिह्नित किया गया है और राज्यभर में कुल 480 लोक अदालत बैंचों का गठन किया गया है।
  • उच्च न्यायालय स्तर पर राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जयपुर द्वारा कुल 2017 मामले चिह्नित किये गए हैं और कुल 4 बैंचें गठित की गई हैं। इन बैंचों की अध्यक्षता भूतपूर्व न्यायाधिपति एसके गर्ग, न्यायाधिपति प्रशांत कुमार अग्रवाल, न्यायाधिपति बनवारी लाल शर्मा और न्यायाधिपति गोवर्धन बाढ़दार द्वारा की जा रही है।
  • ज्ञातव्य है कि लिटिगेंट्स की लोक अदालत तक पहुँच सुलभ कराने के लिये राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं रालसा के कार्यकारी अध्यक्ष एम एम श्रीवास्तव की प्रेरणा से लोक अदालत में रालसा- 22 ऑनलाइन लोक अदालत डिजिटल प्लेटफॉर्म का अनुप्रयोग कर लोक अदालत को डिजिटल स्वरूप प्रदान किया गया था। इसमें सुधार करते हुए इस प्लेटफार्म को और सरल बनाया गया है।
  • इसके अलावा इस बार लोक अदालत में प्रकरण रखवाने के लिये ‘न्याय रो साथी मोबाइल ऐप’ को भी जनसाधारण के लिये सुलभ कराया गया है और डोर स्टेप काउंसलिंग और ऑनलाइन वीडियो काउंसलिंग के माध्यम से लोक अदालत को लिटिगेंट्स के घर और द्वार तक पहुँचाया जा रहा है।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान डिजिफेस्ट एंड जॉब फेयर का समापन

चर्चा में क्यों?

13 नवंबर, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर के राजकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय परिसर में राजस्थान डिजिफेस्ट एंड जॉब फेयर का समापन किया।

प्रमुख बिंदु 

  • समापन समारोह के अवसर पर अशोक गहलोत ने राजीव गांधी फिनटेक डिजिटल इंस्टीट्यूट का शिलान्यास करते हुए बताया कि यह इंस्टीट्यूट 672.45 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होगा, जिसमें विद्यार्थियों और स्टार्टअप्स सहित युवाओं को विश्वस्तरीय मंच मिलेगा।
  • इस अवसर पर उन्होंने राजस्थान स्टार्टअप नीति-2022 का विमोचन किया, जिससे प्रदेश में स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन मिलेगा, रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और निवेश क्षेत्र में भी विस्तार होगा। इसमें एससी-एसटी सहित हर वर्ग का विशेष ध्यान रखा गया है।
  • मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों में उद्यमिता, कौशल विकास के लिये जोधपुर और पाली (वर्चुअल) में आई-स्टार्ट नेस्ट इंक्यूबेटर सेंटर का लोकार्पण भी किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने स्कूल एंड रूरल इनोवेशन चैलेंज के विजेताओं को 41.15 लाख रुपए के प्रतीकात्मक चेक पुरस्कार के रूप में वितरित किये।
  • उल्लेखनीय है कि इससे पहले प्रदेश के जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, कोटा, बीकानेर, भरतपुर तथा चूरू में इंक्यूबेटर सेंटर स्थापित हो चुके हैं।
  • मुख्यमंत्री ने समारोह में प्रदेश के 12 स्टार्टअप्स को 1 करोड़ रुपए की फंडिंग भी वितरित की। उल्लेखनीय है कि आई-स्टार्ट के तहत अभी 3000 से अधिक स्टार्टअप्स रजिस्टर्ड हैं, जिसमें इन्हें 30 करोड़ रुपए की राशि वितरित की गई, जिससे प्रदेश में 200 करोड़ रुपए तक का निवेश आया और 21 हज़ार से अधिक लोगों को रोज़गार मिला है।
  • उन्होंने बताया कि जोधपुर में तीन दिवसीय जॉब फेयर में 23 हजार से अधिक युवाओं ने हिस्सा लिया। इसमें विभिन्न कंपनियों द्वारा रोज़गार के लिये 3500 से अधिक युवाओं का चयन किया गया है। यहाँ 9200 से अधिक युवाओं को शॉर्टलिस्ट भी किया गया है, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है। इस फेयर में युवाओं को लाखों रुपए के पैकेज भी दिये गए हैं।
  • सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोड़ा ने डिजिफेस्ट-2022 के बारे में बताया कि जोधपुर में सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार की अपार संभावनाएँ हैं और स्टार्टअप्स के क्षेत्र में सरकार की दूरगामी सोच और नवाचारों से राजस्थान के युवाओं ने देश-दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। 

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश की पूजा ओझा राष्ट्रीय पुरस्कार के लिये चयनित

चर्चा में क्यों?

13 नवंबर, 2022 को मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले की पैरा कयाकिंग खिलाड़ी पूजा ओझा को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन श्रेणी खेल) के लिये चयनित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • एशियन पैरा चैंपियनयशिप की रजत पदक विजेता खिलाड़ी पूजा ओझा को यह सम्मान तीन दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में दिया जाएगा।
  • विदित है कि अगस्त माह में कनाडा में आयोजित आईसीएफ वर्ल्ड पैरा कैनो चैंपियनशिप- 2022 में पूजा ओझा ने अपने कोच मयंक ठाकुर के मार्गदर्शन में रजत पदक जीता था।
  • गौरतलब है कि भारतीय कयाकिंग एंड कैनोइंग एसोसिएशन और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सहयोग से पूजा इस प्रतियोगिता में भाग लेने गई थी।
  • पूजा को यह सम्मान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दिया जा रहा है। सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन श्रेणी खेल में पूजा सहित देशभर के छह सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों का चयन किया गया है और पूजा मध्य प्रदेश से चयनित एकमात्र खिलाड़ी हैं। 

हरियाणा Switch to English

गुरुग्राम ज़िले में पानी की उपलब्धता में वृद्धि के लिये जीडब्ल्यूएस चैनल की बढ़ाई जाएगी क्षमता

चर्चा में क्यों?

12 नवंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ में हुई सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की बैठक में बताया कि राज्य के गुरुग्राम ज़िले में जल आपूर्ति में वृद्धि के लिये गुड़गाँव वाटर सप्लाई चैनल (जीडब्ल्यूएस) की क्षमता में वृद्धि की जाएगी।

प्रमुख बिंदु 

  • गौरतलब है कि वर्तमान में गुरुग्राम में वाटर सप्लाई चैनल क्षमता 175 क्यूसेक है, जिसे वर्ष 2030 की जनसंख्या के अनुसार 1000 क्यूसेक बढ़ाया जाएगा। इसके लिये चैनल की मरम्मत और रिमॉडलिंग पर लगभग 1600 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
  • बैठक में बताया गया कि गुड़गाँव वाटर सप्लाई चैनल की लंबाई 69 किलोमीटर है, जो काकरोई हेड से दिल्ली ब्रांच के आरडी नंबर-227800 से निकलती है और बसई वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर खत्म होती है।
  • इस चैनल का निर्माण वर्ष 1995 में किया गया था, जिसकी क्षमता 175 क्यूसेक थी। इस चैनल से बहादुरगढ़, गुरुग्राम और जन-स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, एचएसआईआईडीसी एवं वन विभाग के 28 वाटर वर्क्स की पानी की ज़रूरतें पूरी होती हैं। 27 सालों से लगातार पानी के प्रवाह के कारण चैनल की लाइनिंग खराब हो गई है। कुछ-कुछ जगह चैनल में दरारें भी आ चुकी हैं और गाद भरने की वजह से पानी की क्षमता में कमी आई है तथा इस चैनल की क्षमता 100 क्यूसेक तक पहुँच चुकी है, जिसे मरम्मत की सख्त आवश्यकता है।
  • बैठक में बताया गया कि विभिन्न विभागों द्वारा भी पानी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये इस चैनल से पानी लिया जाता है। इससे यह स्पष्ट देखा जा सकता है कि वर्ष 2040 तक गुरुग्राम शहर व कस्बों में पीने के पानी की आवश्यकता लगभग 475 क्यूसेक तक पहुँच जाएगी। इस मांग को पूरा करने और पानी की बर्बादी से बचाने के लिये क्यूसेक क्षमता बढ़ाने के साथ ही जीडब्ल्यूएस चैनल की रिमॉडलिंग का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है।
  • वर्तमान में 1050 क्यूसेक पानी दिल्ली को, 400 क्यूसेक पानी गुरुग्राम को दिया जा रहा है तथा शेष पानी का उपयोग सिंचाई के लिये किया जा रहा है। इन चैनलों की मरम्मत, रिमॉडलिंग होने से कुल क्षमता 2300 क्यूसेक हो जाएगी, जो वर्ष 2030 तक पानी की उपलब्धता को पूरा कर सकेगी।
  • बैठक में बताया गया कि वर्ष 2030 तक हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, गुरुग्राम महानगरीय विकास प्राधिकरण, जन-स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, एचएसआईआईडीसी, वन विभाग इत्यादि की पानी की ज़रूरतों के हिसाब से 1068 क्यूसेक की आवश्यकता पड़ेगी। इसी प्रकार, वर्ष 2040 तक 1269 क्यूसेक तथा वर्ष 2050 तक 1504 क्यूसेक पानी की आवश्यकता होगी। इसके लिये दिल्ली ब्रांच की भी पुन: डिज़ाइन और रिमॉडलिंग की ज़रूरत पड़ेगी।
  • पानी की आपूर्ति के संबंध में बैठक में बताया गया कि यमुना नदी पर रेणूका, किशाऊ और लखवाड़ बांध बनाए जाने प्रस्तावित हैं, जिनका कार्य 2031 तक पूरा होना संभावित है। इन बांधों के बनने से हरियाणा को अपने हिस्से का 1150 क्यूसेक पानी मिलेगा।
  • मुख्यमंत्री ने बताया कि पानी के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये आगामी वर्षों में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित कॉलोनियों, एचएसआईआईडीसी द्वारा विकसित इंडस्ट्रियल एस्टेट और निजी डेवलपर द्वारा विकसित कॉलोनियों में भी उपचारित अपशिष्ट जल नीति को पूरी तरह से लागू करना होगा, जिसके तहत डबल पाईपलाइन साफ पानी के लिये अलग और उपचारित पानी के लिये अलग लाईन बिछाना तथा माइक्रो एसटीपी स्थापित करने पर ज़ोर देना होगा और इसके अलावा बारिश के पानी को एकत्र करने की प्रणाली को भी लागू करने पर बल देना होगा।
  • मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि गंगा नदी के पानी को हरियाणा में लाने की दिशा में कदम उठाने चाहिये, जिसके लिये गंगा-यमुना लिंक नहर बनाने हेतु जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखा जाए। इस लिंक नहर के बनने से हरियाणा को पानी की अतिरिक्त उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
  • उन्होंने फरीदाबाद महानगरीय प्राधिकरण के अधिकारियों को भी निर्देश देते हुए कहा कि फरीदाबाद में भी पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिये रैनीवेल परियोजना के माध्यम से जल संचयन पर ज़ोर दिया जाए। इसके अलावा, एक एक्सपर्ट कमेटी का भी गठन किया जाए, जो यमुना में अंडरग्राउंड फ्लो से संबंधित अध्ययन करेगी और इसके अलावा यह भी आकलन करेगी कि दक्षिण हरियाणा में पानी की कितनी ज़रूरत है और वर्तमान में कितनी आपूर्ति हो रही है।        

झारखंड Switch to English

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये झारखंड के 5 प्रमुख क्षेत्रों में बनेगा रोप-वे

चर्चा में क्यों?

13 नवंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, भारत सरकार के नेशनल रोप-वे प्रोग्राम पर्वतमाला के तहत झारखंड के बोकारो ज़िले के लुगू बुरू घांटाबाड़ी और धनबाद ज़िले के मैथन समेत राज्य के पाँच प्रमुख पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये रोप-वे का निर्माण कराया जाएगा।

प्रमुख बिंदु 

  • रोप-वे निर्माण के लिये झारखंड के पथ निर्माण विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेज दिया है।
  • राज्य की भौगोलिक संरचना, सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों को देखते हुए राज्य के पथ निर्माण विभाग ने भारत सरकार के नेशनल रोप-वे प्रोग्राम पर्वतमाला के तहत इन पाँचो प्रोजेक्ट को शामिल करने फैसला लिया है तथा भारत सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद इसके निर्माण की दिशा में आगे की कार्यवाही की जाएगी।
  • झारखंड में पहले चरण में धनबाद के मैथन, बोकारो के लुगू बुरू घांटाबाड़ी, नेतरहाट, सारंडा (नोवामुंडी) और दलमा पहाड़ी क्षेत्र को शामिल किया जा रहा है।
  • राज्य के नेतरहाट (क्वीन ऑफ छोटानागपुर) में करीब चार किमी. लंबा रोप-वे बनाने तथा पश्चिमी सिंहभूम के नोवामुंडी के सारंडा में करीब पाँच किमी. लंबा रोप-वे निर्माण के लिये प्रस्ताव भेजा गया है।
  • विभाग के अनुसार यह एशिया का सबसे बड़ा साल फॉरेस्ट है। इसके अलावा जमशेदपुर के पास दलमा में भी पाँच किमी. लंबा रोप-वे का प्रस्ताव तैयार करके भेजा गया है।
  • विदित है कि दलमा एक वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है।
  • पथ निर्माण विभाग ने मैथन में करीब डेढ़ किमी. लंबा रोप-वे बनाने का जो प्रस्ताव भेजा है, उसे स्पून आइलैंड बताया गया है।
  • बोकारो ज़िले में लुगू बुरू घांटाबाड़ी में जो चार किमी. लंबा रोप-वे बनेगा, वह गोमिया प्रखंड के लुगू हिल में बनेगा, जहाँ कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर बड़ी संख्या में संथाली ट्राइबल धार्मिक प्रयोजन के लिये जमा होते हैं।  

छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ सरकार और आईसीसीआर के बीच समझौता

चर्चा में क्यों?

11 नवंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत की उपस्थिति में नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ सरकार और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के मध्य समझौता हुआ।

प्रमुख बिंदु 

  • छत्तीसगढ़ सरकार और आईसीसीआर के बीच हुए इस समझौते का मुख्य उद्देश्य आईसीसीआर और राज्य सरकार की सक्रिय भागीदारी से प्रदेश में संस्कृति और पर्यटन विषयक सुविधाओं के विकास एवं विस्तार तथा सुदृढ़ अधोसंरचनाओं के निर्माण के साथ ही अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय सांस्कृतिक संबंधों को विकसित करना है।
  • छत्तीसगढ़ सरकार और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के मध्य समझौते से राज्य में संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में नई संभावनाएँ खुलेंगी।
  • इस समझौते से विभिन्न देशों के प्रतिभागी कलाकारों की प्रस्तुति छत्तीसगढ़ राज्य में आयोजित होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक और पर्यटन से जुड़े कार्यक्रमों में हो सकेगी। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ राज्य के कला समूहों की प्रदर्शनी, कला शिविरों, संगोष्ठी, सम्मेलन, प्रदर्शनकारी कलाओं की कार्यशाला आदि का आयोजन विदेशों में आयोजित हो सकेंगे, इससे छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी। 
  • उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव के दौरान विदेशों से आए नर्तक दलों को यहाँ आमंत्रित करने एवं आयोजन उपरांत उन्हें ससम्मान उनके देश वापस भेजने में आईसीसीआर की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।  

उत्तराखंड Switch to English

प्रदेश में खुलेंगे 206 पीएम श्री स्कूल

चर्चा में क्यों?

13 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड में पीएम श्री स्कूल की स्थापना को लेकर बनाए गए नोडल अधिकारी आकाश सारस्वत ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद राष्ट्रीय स्तर पर पीएम श्री स्कूल खोले जाएंगे। राज्य शिक्षा विभाग की ओर से अपने स्तर पर अभी ऐसे 206 स्कूलों का चयन किया गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • राज्य नोडल अधिकारी आकाश सारस्वत के मुताबिक शिक्षा विभाग ने इसके लिये प्रत्येक ब्लॉक और नगर निगम क्षेत्र से सरकारी स्कूलों का चयन भी कर लिया है। राज्य स्तर से चयनित होने के बाद अब केंद्र से इन स्कूलों को मिलने वाले अंकों के आधार पर अंतिम मुहर लगेगी।
  • राज्य नोडल अधिकारी आकाश सारस्वत के मुताबिक यह सभी मॉडल स्कूल होंगे, जिन पर आने वाला अधिकतर खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी।
  • राज्य में पीएम श्री स्कूलों की स्थापना के लिये शिक्षा विभाग ने 10 नवंबर को समग्र शिक्षा के उप राज्य परियोजना निदेशक आकाश सारस्वत को नोडल अधिकारी बनाए जाने की घोषणा की है। ज़िला स्तर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी इसके नोडल अधिकारी होंगे।
  • राज्य नोडल अधिकारी के मुताबिक प्रदेश के केंद्रीय विद्यालयों, जवाहर नवोदय विद्यालयों और राज्य सरकार की ओर से संचालित विभिन्न स्कूलों को पीएम श्री योजना में शामिल किया जाना है।
  • इसके लिये स्कूलों में उपलब्ध खेल मैदान, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, कक्षा कक्ष, रेन वाटर हार्वेस्टिंग आदि विभिन्न सुविधाओं को देखते हुए प्रत्येक ब्लॉक से एक सरकारी प्राथमिक स्कूल और एक माध्यमिक स्कूल को पीएम श्री स्कूल के रूप में राज्य स्तर पर चयनित किया गया है। इसके अलावा प्रत्येक नगर निगम क्षेत्र से दो-दो स्कूलों का चयन किया गया है।
  • राज्य स्तर पर इन स्कूलों के चयन के बाद इसी सप्ताह इन स्कूलों का केंद्र सरकार के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा दिया जाएगा। स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर केंद्र सरकार की ओर से इन स्कूलों को ‘पीएम श्री’स्कूल घोषित किया जाएगा।
  • राज्य नोडल अधिकारी के मुताबिक प्रदेश में 206 स्कूलों के बाद अन्य को भी मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। इन स्कूलों की खास बात यह होगी कि इनमें छात्र-छात्राओं को हर संभव सुविधाएँ मिलेंगी। 

उत्तराखंड Switch to English

दिल्ली की तर्ज पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पास बनेगी उत्तराखंड की पहली एयरोसिटी

चर्चा में क्यों?

13 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने बताया कि दिल्ली की तर्ज पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पास एयरोसिटी के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है। ज़मीन की उपलब्धता के साथ ही यह प्रोजेक्ट धरातल पर नज़र आएगा।  

प्रमुख बिंदु 

  • जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पास इस परियोजना के लिये ज़मीन तलाशी जा रही है। एयरोसिटी में फाइव स्टार होटल, मॉल, कैफे, रेस्टोरेंट से लेकर सभी अत्याधुनिक सुविधाएँ मुहैया कराई जाएंगी। इसमें हजारों लोगों के रहने के लिये आवास भी होंगे।
  • इस परियोजना के लागू होने पर यह प्रदेश का पहला विश्वस्तरीय अत्याधुनिक शहर होगा।
  • जौलीग्रांट एयरपोर्ट का भी विस्तारीकरण किया जा रहा है। इसके बाद एयरपोर्ट की अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी होगी। ऐसे में एयरोसिटी भविष्य का बड़ा बिजनेस हब भी बनकर उभर सकता है। उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों को भी अंतरराष्ट्रीय बाजार तक ले जाने में यह कारगर साबित हो सकती है।
  • विदेशों की तर्ज पर यहाँ पार्क स्थापित किया जाएगा। पार्क में जॉगिंग, साइक्लिंग ट्रैक और ध्यान लगाने के लिये हट की व्यवस्था रहेगी। साथ ही लैंड स्केपिंग और आस्ट्रेलियन ग्रास लगाने पर भी विचार चल रहा है। वहीं, हर मौसम में पार्कों में फूल और हरियाली नज़र आएगी।
  • मलेशिया के कुआलालंपुर में केएलआईए एयरोपोलिस एयरोसिटी को इस कांसेप्ट का शानदार उदाहरण बताया जाता है। इसी तरह दुबई ने फेस्टिवल सिटी का निर्माण हवाई अड्डे से सिर्फ एक मील की दूरी पर किया है, जिसमें एक लाख लोगों के लिये आवास, स्कूल, मॉल आदि सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
  • गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास एयरोसिटी स्थापित की जा चुकी है। यहाँ फाइव स्टार होटल, मॉल, होटल से लेकर कैफे तक की सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नजदीक होने के चलते तेजी से यह बिजनेस हब के रूप में भी विकसित हो रहा है। इसी प्रकार, मोहाली (पंजाब) में भी एयरोसिटी के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।

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