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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 24 Jun 2025
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बीज महोत्सव 2025

चर्चा में क्यों?

राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के आदिवासी त्रिसीमा में आयोजित चार दिवसीय बीज उत्सव (बीज महोत्सव) 2025 में स्वदेशी बीजों के सांस्कृतिक और पारिस्थितिकी महत्व का उत्सवपूर्वक प्रदर्शन किया गया। 

  • देशी बीज एक निश्चित जलवायु और स्थान पर पैदा होते हैं और उनका संरक्षण प्रायः स्थानीय समुदायों के द्वारा किया जाता है। 

मुख्य बिंदु

  • बीज महोत्सव के बारे में
  • कार्यक्रम एवं सम्मान: 
    • इस महोत्सव में अनाज, दालों, सब्ज़ियों और फलों के स्वदेशी बीजों को प्रदर्शित किया गया, जिनमें कई दुर्लभ और विस्मृत किस्में भी शामिल थीं।
    • पारंपरिक फलों के बीजों में जंगली आम, आकोल और टिमरू शामिल थे, जबकि पारंपरिक अनाज में दूध मोगर (देशी मक्का) और काली कामोद और ढिमरी की धान की किस्में शामिल थीं।
    • बीज संरक्षण में योगदान के लिये समुदाय के सदस्यों को 'बीज मित्र' तथा 'बीज माता' जैसे सम्मान प्रदान किये गए।
  • भागीदारी:
    • आदिवासी महिलाओं तथा बच्चों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की और कई फसल चक्रों हेतु बीज संरक्षण की तकनीकें सीखी।
  • संस्थागत सहयोग:
    • कृषि एवं आदिवासी स्वराज संगठन, ग्राम स्वराज समूह, सक्षम समूह तथा बाल स्वराज समूह जैसे समुदाय-आधारित संस्थानों ने उत्सव के आयोजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • इन्हें बांसवाड़ा-स्थित स्वैच्छिक संस्था 'वाग्धारा' का सहयोग प्राप्त हुआ, जो आदिवासी आजीविका से जुड़े मुद्दों पर काम करता है।

नोट

सतत् कृषि में स्वदेशी बीजों का महत्त्व

  • बीज संप्रभुता: देशी बीज किसानों को बीजों पर स्वामित्व बनाए रखने की शक्ति प्रदान करते हैं, जिससे वे महंगे एवं रासायन-आधारित संकर बीजों पर निर्भर नहीं रहते।
  • जलवायु अनुकूलता: देशी बीज प्रायः स्थानीय कृषि-परिस्थितिकी परिस्थितियों के अनुकूल होते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन के दौर में भी फसल स्थिरता बनी रहती है।
  • सांस्कृतिक पहचान: काली कमोद चावल, दूध मोगर मक्का तथा करींदा तरबूज जैसे बीज आदिवासी खानपान प्रणाली में सांस्कृतिक तथा पोषणात्मक महत्त्व रखते हैं।
  • कम आगत वाली कृषि: ये बीज कम रासायनिक उपयोग में भी फलदायी होते हैं, जिससे पर्यावरण-संवेदनशील तथा कम लागत वाली कृषि को बढ़ावा मिलता है।


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राजस्थान में MSME क्षेत्र की वृद्धि हेतु प्लग एंड प्ले सुविधा

चर्चा में क्यों?

राजस्थान सरकार ने राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम (RIICO) के माध्यम से जयपुर स्थित सीतापुरा विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में नवनिर्मित प्लग एंड प्ले सुविधा में तैयार-से-संचालित औद्योगिक परिसरों के शीघ्र आवंटन की घोषणा की है।

  • इसका उद्देश्य MSME इकाइयों को पूर्व-निर्मित औद्योगिक परिसर उपलब्ध कराना है, जो आवश्यक अधोसंरचना से पूरी तरह सुसज्जित हों ताकि उनके संचालन में किसी प्रकार की बाधा न आए।

नोट: राजस्थान की औद्योगिक प्रगति को प्रदर्शित करने के लिये सरकार 11-12 दिसंबर 2025 को जयपुर में 'राइज़िंग राजस्थान: पार्टनरशिप कॉन्क्लेव 2025' का आयोजन करेगी।

मुख्य बिंदु

प्लग एंड प्ले सुविधा के बारे में: 

  • प्लग एंड प्ले’ अवधारणा सामान्यतः ऐसी तैयार सुविधाओं को दर्शाती है जिनमें भवन, बिजली-पानी-सीवरेज कनेक्टिविटी, सड़क संपर्क तथा अन्य मूलभूत ढाँचागत सुविधाएँ पहले से उपलब्ध होती हैं, साथ ही उद्योग शुरू करने हेतु आवश्यक अनुमतियाँ भी प्राप्त होती हैं।
  • MSME और नवाचार इकाइयों के लिये महत्त्व: 
    • सुलभता: प्लग एंड प्ले मॉडल छोटे निवेशकों और MSME इकाइयों को उच्च गुणवत्ता वाले औद्योगिक परिसर न्यूनतम प्रारंभिक पूंजी निवेश के साथ सुलभ कराता है।
    • सुगमता: यह सुविधा नवीन व्यवसायों को शीघ्र संचालन शुरू करने में सक्षम बनाती है, क्योंकि उन्हें अधोसंरचना विकास की अलग से आवश्यकता नहीं होती।
    • विकास में सहयोग: राज्य सरकार का उद्देश्य उद्यमशीलता को बढ़ावा देना, छोटे उद्योगों के लिये अवसर प्रदान करना, तथा राजस्थान सहित अन्य राज्यों में आत्मनिर्भर व्यावसायिक वातावरण का निर्माण करना है।
    • स्थायित्व: यह पहल समग्र अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिये विशेष रूप से हल्के विनिर्माण क्षेत्र में MSME को आकर्षित करने के देश के व्यापक लक्ष्य की पूर्ति करती है।

विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ)

  • परिचय: SEZ एक शुल्क-मुक्त क्षेत्र है जिसे व्यापार, शुल्क और संचालन के उद्देश्य से विदेशी क्षेत्र माना जाता है। कोई भी निजी/सार्वजनिक/संयुक्त क्षेत्र या राज्य सरकार या उसकी एजेंसियाँ SEZ स्थापित कर सकती हैं।
    • भारत में SEZ को पहली बार वर्ष 2000 में विदेश व्यापार नीति के तहत शुरू किया गया था, जिसने पहले के निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्रों (EPZ) की जगह ली थी। वे SEZ अधिनियम, 2005 और SEZ नियम, 2006 द्वारा शासित होते हैं।
  • SEZ के प्रकार:
    • SEZ के अंतर्गत क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के क्षेत्र शामिल हैं, जैसे निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (EPZ), मुक्त क्षेत्र (FZ), औद्योगिक संपदा (IE), मुक्त व्यापार क्षेत्र (FTZ), मुक्त बंदरगाह, शहरी उद्यम क्षेत्र और अन्य।
    • वर्तमान में भारत में 276 SEZ चालू हैं। वर्ष 2023-2024 में SEZ से कुल निर्यात 163.69 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा।
    • उदाहरण के लिये, गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी, भारत)।
  • उद्देश्य:  
    • अतिरिक्त आर्थिक गतिविधि सृजित करना
    • वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देना
    • रोज़गार सृजन करना
    • घरेलू और विदेशी निवेश को बढ़ावा देना
    • बुनियादी सुविधाओं का विकास करना

राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम (RIICO)

  • यह एक सरकारी उपक्रम है, जिसे कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत 1969 में राजस्थान राज्य औद्योगिक एवं खनिज विकास निगम (RSIMDC) के रूप में शामिल किया गया और 1 जनवरी 1980 को इसे दो भागों में विभाजित कर दिया गया: राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम लिमिटेड (RIICO) और राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम (RSMDC)।
  • रीको ने औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना करके राजस्थान राज्य के औद्योगीकरण में अग्रणी भूमिका निभाई है।
  • रीको बड़े, मध्यम और लघु स्तर की परियोजनाओं को ऋण प्रदान करके एक वित्तीय संस्थान के रूप में भी कार्य करता है।


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