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ABVMU में मियावाकी वन का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ स्थित अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय (ABVMU) में मियावाकी वन का उद्घाटन किया और पौधारोपण अभियान में भाग लिया।
मुख्य बिंदु
मियावाकी वृक्षारोपण विधि के बारे में:
- इसका नाम जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी के नाम पर रखा गया है। इस विधि में हर वर्ग मीटर में दो से चार अलग-अलग प्रकार के देशी वृक्ष लगाए जाते हैं।
- इस पद्धति को 1970 के दशक में विकसित किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य भूमि के एक छोटे से टुकड़े में हरित आवरण को सघन बनाना था।
- इस विधि में वृक्ष आत्मनिर्भर हो जाते हैं और तीन साल के भीतर अपनी पूरी लंबाई तक बढ़ जाते हैं।
- मियावाकी पद्धति में प्रयुक्त पौधों को खाद और पानी जैसी नियमित देखभाल की आवश्यकता नहीं होती।
- देशी पेड़ों का घना हरा आवरण उस क्षेत्र के धूल कणों को सोखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है जहाँ उद्यान स्थापित किया गया है। ये पौधे सतह के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करते हैं।
- इन वनों में प्रयुक्त होने वाले कुछ सामान्य देशी पौधों में अंजन, अमला, बेल, अर्जुन और गूंज शामिल हैं।
- ये वन नई जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।


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लखनऊ विश्वविद्यालय के साथ महिला सुरक्षा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने लखनऊ विश्वविद्यालय के सहयोग से व्यावसायिक और सार्वजनिक क्षेत्रों में लिंग आधारित हिंसा पर बढ़ती चिंताओं के बीच 'कार्यस्थल तथा सार्वजनिक स्थानों पर महिला सुरक्षा' पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।
मुख्य बिंदु
- संगोष्ठी के बारे में:
- NHRC के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने महिलाओं के प्रति भारत की सांस्कृतिक श्रद्धा और हिंसा की चिंताजनक आवृत्ति हर घंटे 51 FIR के बीच तीव्र अंतर को उजागर किया।
- उन्होंने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के लिये किये गए लंबे संघर्ष को भी रेखांकित किया तथा प्रणालीगत, प्रवर्तन-आधारित एवं जागरूकता-आधारित सुधारों का आह्वान किया।
- उन्होंने शिक्षकों और समाज से लिंग-संवेदनशील व्यवहार को बढ़ावा देने का आग्रह किया।
- संस्थागत अंतराल और नीति सुझाव:
- संगोष्ठी में कानून प्रवर्तन, संस्थागत जवाबदेही तथा जन-जागरूकता में व्याप्त अंतराल को रेखांकित किया गया और निम्नलिखित आवश्यकताओं पर ज़ोर दिया गया:
- निर्णय लेने वाले निकायों में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व।
- महिला सुरक्षा से जुड़ी चर्चा में अनौपचारिक क्षेत्र को शामिल करना।
- SHE-Box, वन स्टॉप सेंटर तथा पिंक पुलिस बूथ के प्रचार को बढ़ावा देना।
- संगोष्ठी में कानून प्रवर्तन, संस्थागत जवाबदेही तथा जन-जागरूकता में व्याप्त अंतराल को रेखांकित किया गया और निम्नलिखित आवश्यकताओं पर ज़ोर दिया गया:
- संगोष्ठी की मुख्य सिफारिशें:
- नीति-कार्यान्वयन-जागरूकता त्रिकोण को एक साथ संबोधित किया जाना चाहिये।
- अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिये विशेष पहुँच और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
- संवेदनशीलता की शुरुआत व्यक्तिगत तथा पारिवारिक स्तर से होनी चाहिये।
- महिलाओं के लिये समावेशी स्थानों और प्रतिनिधित्व को संस्थागत बनाया जाना चाहिये।
- शैक्षिक संस्थानों को सक्रिय रूप से लिंग जागरूकता बढ़ाने और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिये
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के बारे में
- भारत का NHRC एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिये की गई है।
- इसका गठन 12 अक्तूबर 1993 को मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (PHRA), 1993 के तहत किया गया था, जिसे बाद में 2006 एवं 2019 में संशोधित किया गया।
- आयोग की स्थापना पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप की गई थी, जो मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा हेतु अपनाए गए अंतर्राष्ट्रीय मानक हैं।
- पेरिस सिद्धांत, मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिये पेरिस (अक्तूबर, 1991) में अपनाए गए अंतर्राष्ट्रीय मानकों का समूह है, जिसे 20 दिसंबर 1993 को संयुक्त राष्ट्र (UN) की महासभा द्वारा अनुमोदित किया गया था।
- ये सिद्धांत दुनिया भर में राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं (NHRI) के कार्यों का मार्गदर्शन करते हैं।
- NHRC की शक्तियाँ: NHRC को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अनुसार सिविल न्यायालय के समकक्ष शक्तियाँ प्राप्त हैं।
- NHRC निरीक्षण प्रकोष्ठ: NHRC का अपना निरीक्षण प्रकोष्ठ है, जिसका नेतृत्व पुलिस महानिदेशक करते हैं।


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उत्तर प्रदेश में PMAY शहरी 2.0 के लिये वित्तपोषण
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) मिशन 2.0 के तहत 12,031 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति प्राप्त कर ली है, जिसका उद्देश्य शहरी गरीबों के लिये स्थायी पक्के मकानों का निर्माण करना है।
मुख्य बिंदु
- समय पर वितरण और गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने के लिये राज्य तथा ज़िला स्तर के अधिकारियों द्वारा योजना की बारीकी से निगरानी की जा रही है।
- वास्तविक समय निर्माण निगरानी के लिये जियो-टैगिंग और फोटोग्राफिक दस्तावेज़ीकरण अनिवार्य होगा।
- भूकंप, बाढ़ और अन्य आपदाओं का सामना करने के लिये घरों को आपदा-रोधी सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को गुणवत्ता और पारदर्शिता का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) 2.0 के बारे में
- लॉन्च वर्ष: वर्ष 2024 (PMAY-U मूल रूप से वर्ष 2015 में शुरू की गई थी)
- नोडल मंत्रालय: आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA)
- प्रकार: केंद्र प्रायोजित योजना
- ब्याज सब्सिडी योजना (ISS) घटक केंद्रीय क्षेत्र योजना है।
- पात्रता: पक्के मकान के बिना EWS/LIG/MIG परिवार; आय 9 लाख रुपए तक।
- लाभ: सभी मौसमों के अनुकूल पक्के मकानों के लिये सब्सिडी।
- लक्ष्य: 1 करोड़ शहरी परिवार (निर्माण, खरीद, किराये पर)।
- कुल परिव्यय: 10 लाख करोड़ रुपए (2.3 लाख करोड़ रुपए केंद्रीय सहायता)।
- कवरेज क्षेत्र: इस योजना में जनगणना 2011 में अधिसूचित सभी वैधानिक कस्बों और राज्य सरकारों द्वारा बाद में अधिसूचित कस्बों को शामिल किया गया है।
- शहरी विकास या औद्योगिक प्राधिकरणों के अंतर्गत अधिसूचित योजना क्षेत्र और क्षेत्र PMAY-U 2.0 के अंतर्गत शामिल किये गए हैं।

