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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 25 Jun 2025
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एल्बिनो गिलहरी देखी गई

चर्चा में क्यों?

राजस्थान के टोंक ज़िले में पहली बार एक दुर्लभ एल्बिनो "सनफ्लॉवर" गिलहरी देखी गई है, जो वन्यजीव प्रेमियों और शोधकर्त्ताओं के लिये एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण दृश्य है।

  • हालाँकि एल्बिनो गिलहरियाँ पहले भी बांसवाड़ा और डूंगरपुर ज़िलों में देखी जा चुकी हैं, फिर भी इस प्रकार की घटना अभी भी अत्यंत दुर्लभ है।

मुख्य बिंदु

एल्बिनो गिलहरी के बारे में:

  • रंग-रूप: 
    • एल्बिनो गिलहरियों की पहचान उनके शुद्ध सफेद फर और गुलाबी या लाल आँखों से होती है,  जो मेलेनिन की पूर्ण कमी के कारण होती है, जो सामान्य रंग के लिये ज़िम्मेदार वर्णक है। 
    • उनकी आँखें अंतर्निहित रक्त वाहिकाओं की दृश्यता के कारण गुलाबी या लाल दिखाई देती हैं।
  • आनुवंशिक कारण: 
    • गिलहरियों में ऐल्बिनिज़म एक अप्रभावी आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण होता है, जो मेलेनिन के उत्पादन को रोकता है। 
    • किसी संतान के ऐल्बिनो होने के लिये माता-पिता दोनों में जीन होना चाहिये। 
    • उत्परिवर्तन आम तौर पर एंजाइम टायरोसिनेस को प्रभावित करता है, जो मेलेनिन संश्लेषण के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • विशेषज्ञ कहते हैं कि इस बात की कोई निश्चितता नहीं है कि एल्बिनो गिलहरी की संतानों को वही एल्बिनो गुण विरासत में मिलेंगे, क्योंकि ये गुण पुर्णतः आनुवंशिक कारकों द्वारा नियंत्रित होते हैं।
    • इस क्षेत्र में गिलहरियाँ आमतौर पर दो से चार बच्चों को जन्म देती हैं।
    • गिलहरियों की संतानें आमतौर पर स्लेटी-ग्रे रंग की होती हैं, जो दुर्लभ एल्बिनो प्रजाति के विपरीत होती है।
  • दुर्लभता: 
    • एल्बिनो गिलहरियाँ अत्यंत दुर्लभ होती हैं। अनुमान है कि लगभग 1,00,000 में से 1 गिलहरी ही एल्बिनो रूप में जन्म लेती है, हालाँकि कुछ क्षेत्रों में इनका स्थानीय जमाव देखा गया है। 
    • सफेद गिलहरियों का केवल एक छोटा प्रतिशत ही वास्तविक एल्बिनो होता है।
  • कालोनियाँ और जनसंख्या: 
    • संयुक्त राज्य अमेरिका में गिलहरियों की बड़ी आबादी है, जिसमें कई स्थानों पर सफेद या एल्बिनो गिलहरियों की कालोनियाँ पाई जाती हैं।
    • भारत में गिलहरियाँ व्यापक रूप से पाई जाती हैं, जिनमें इंडियन पाम गिलहरी और होएरी-बेली गिलहरी जैसी कई स्थानीय प्रजातियाँ शामिल हैं।
      • हालाँकि एल्बिनो गिलहरियाँ अत्यंत दुर्लभ हैं, फिर भी असम, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इनके देखे जाने की घटनाएँ दर्ज की गई हैं।
  • जीवित रहने की चुनौतियाँ:
    • एल्बिनो गिलहरियाँ जंगल में जीवित रहने में अधिक कठिनाइयों का सामना करती हैं क्योंकि इनका छलावरण (camouflage) नहीं होता, जिससे वे शिकारियों के लिये अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं
    • इनमें सूरज की किरणों से झुलसने और त्वचा कैंसर का जोखिम भी अधिक होता है क्योंकि इनमें सुरक्षात्मक वर्णक नहीं होता।
  • व्यवहार और अनुकूलन: 
  •  अपनी विशिष्ट आकृति के बावजूद, एल्बिनो गिलहरियों का व्यवहार अन्य सामान्य गिलहरियों जैसा ही होता है। वे भोजन एकत्र करने, पेड़ों पर चढ़ने तथा अन्य गिलहरियों से संवाद करने जैसी गतिविधियाँ करती हैं।


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