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उत्तराखंड

प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड में 3400 करोड़ रुपए से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया

  • 22 Oct 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

21 अक्टूबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमा पर स्थित उत्तराखंड के माणा गाँव में आयोजित कार्यक्रम में राज्य के लिये 3400 करोड़ रुपए से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया।

प्रमुख बिंदु

  • इन परियोजनाओं में गौरीकुंड-केदारनाथ और गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब दो नई रोपवे परियोजनाओं सहित दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएँ माणा से माणा पास (एनएच 07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) शामिल हैं।
  • केदारनाथ रोपवे लगभग 7 किलोमीटर लंबा होगा, जो गौरीकुंड को केदारनाथ से जोड़ेगा, जिससे दोनों स्थानों के बीच यात्रा का समय वर्तमान में 6-7 घंटे से कम होकर लगभग 30 मिनट का रह जाएगा।
  • हेमकुंड रोपवे गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ेगा, जो लगभग 4 किलोमीटर लंबा होगा और यात्रा समय को एक दिन से कम करके केवल 45 मिनट तक सीमित कर देगा। यह रोपवे घांघरिया को भी जोड़ेगा, जो फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है। इन दोनों रोपवे को लगभग 2430 करोड़ रुपए की संचयी लागत से विकसित किया जाएगा।
  • इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह परिवहन का एक पर्यावरण अनुकूल साधन होगा, जो आवागमन को सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करेगा। इस अहम बुनियादी ढाँचे का विकास धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा, जिससे क्षेत्र में आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी और साथ-ही-साथ रोज़गार के कई अवसर पैदा होंगे।
  • कार्यक्रम के दौरान उन्होंने करीब 1000 करोड़ रुपए की सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया। जिनमें दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएँ माणा से माणा पास और जोशीमठ से मलारी तक शामिल हैं। ये सीमावर्ती क्षेत्रों में हर मौसम में सड़क संपर्क प्रदान करने और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के अलावा रणनीतिक दृष्टि से भी फायदेमंद साबित होंगी।
  • प्रधानमंत्री ने ‘वोकल फॉर लोकल’ का ज़िक्र करते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि जहाँ भी जाएँ, एक संकल्प करें कि यात्रा पर जितना भी खर्च करते हैं, उसका कम-से-कम 5 प्रतिशत वहाँ के स्थानीय उत्पाद खरीदने पर खर्च करें। इससे इन सारे क्षेत्रों में रोज़ी-रोटी के रास्ते खुल जाएंगे।
  • प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा माणा को भारत के अंतिम गाँव की बजाय देश का पहला गाँव कहे जाने पर मुहर लगाते हुए कहा कि पहले जिन इलाकों को देश के सीमाओं का अंत मानकर नज़रअंदाज किया जाता था, हमने वहाँ से देश की समृद्धि का आरंभ मानकर शुरू किया। 
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