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उत्तर प्रदेश

यूपीटीटीआई के विशेषज्ञों ने पराबैंगनी किरणों से बेअसर कपड़ा बनाया

  • 19 Oct 2021
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान (UPTTI) के विशेषज्ञों ने एक ऐसा कपड़ा तैयार किया है, जिस पर धूप एवं पराबैंगनी किरणों का कोई असर नहीं होता।

प्रमुख बिंदु

  • यह कपड़ा दक्षिण अफ्रीका में पैदा होने वाले पौधे से प्राप्त होने वाले बायो-पॉलीमर लिगनिन से तैयार नाइलॉन से बना है।
  • यह कपड़ा लोगों को तेज़ गर्मी से भी राहत देगा और शरीर के लिये भी आरामदायक होगा।
  • UPTTI ने इस रिसर्च को पोलैंड के जर्नल में प्रकाशित करवाया तथा इस तकनीक के पेटेंट के लिये भी आवेदन किया है।
  • उल्लेखनीय है कि दक्षिण अफ्रीका में बायो-पॉलीमर लिगनिन का उपयोग भवन और सड़क निर्माण में किया जाता है लेकिन UPTTI के विशेषज्ञों ने इसका उपयोग पहली बार टेक्सटाइल में किया है।
  • यह तकनीक कपड़ों में उपयोग हो रही डाई से 1/3 गुना सस्ती है। डाई मानव शरीर को भी हानि पहुँचा सकती है लेकिन इस तकनीक से बने कपड़े मानव उपयोग के लिये पूर्णत: सुरक्षित हैं।
  • इस तकनीक को प्रो. अरुण सिंह गंगवार ने प्रो. प्रशांत विश्नोई के सहयोग से विकसित किया है।
  • ज्ञातव्य है कि पराबैंगनी किरणों से सन बर्न, शरीर में दाने, स्किन कैंसर एवं अन्य अनेक प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इस तकनीक के विकास से ये समस्याएँ कम की जा सकती हैं।
  • प्रो. गंगवार के अनुसार, कपड़े की पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करने की क्षमता अल्ट्रा वायलेट प्रोटेक्शन पैक्टर (UVPF) पर निर्भर रहती है। UVPF 15 से 24 के बीच अच्छा, 25 से 39 के बीच बहुत अच्छा एवं 40 से 45 के बीच श्रेष्ठ माना जाता है।
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