छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में सोलर-पावर्ड मॉडल टूरिज़्म विलेज
- 12 Jul 2025
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चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ का धुड़मारस गाँव सौर ऊर्जा संचालित मॉडल के रूप में उभर रहा है, जो बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा दे रहा है और ग्रामीण पर्यटन को समृद्ध बना रहा है।
- इसे वर्ष 2023 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) द्वारा 20 वैश्विक गाँवों में से विश्व के शीर्ष पर्यटन गाँवों में से एक के रूप में मान्यता दी गई थी।
प्रमुख बिंदु
- धुड़मारस के संबंध में:
- यह रायपुर से लगभग 350 किमी. दूर, बस्तर ज़िले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है।
- यह गाँव अपनी हरी-भरी हरियाली, समृद्ध जैव विविधता, सुरम्य कांगेर नदी और बस्तरिया समुदाय की जीवंत आदिवासी संस्कृति के लिये जाना जाता है।
- यह ट्रेकिंग, कयाकिंग और बाँस राफ्टिंग जैसी साहसिक गतिविधियों के लिये लोकप्रिय है।
- विश्व पर्यटन दिवस 2023 पर केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा बस्तर में "सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँवों" में से एक के रूप में सम्मानित किया गया।
- सौर ऊर्जा पहल:
- छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (CREDA) ने धुड़मारस में सौर पंप, हाई-मास्ट और स्ट्रीट लाइटें स्थापित की हैं, तथा स्थानीय स्कूलों को बिजली उपलब्ध कराई है।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
- स्थान: छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले में जगदलपुर से 27 किमी. दूर स्थित है।
- पारिस्थितिक महत्त्व: यह एक संक्रमणकालीन वन क्षेत्र में स्थित है, जहाँ साल वनों की दक्षिणी सीमा और सागौन वनों की उत्तरी सीमा एक दूसरे से मिलती है।
- इसमें नम प्रायद्वीपीय साल वन और दक्षिण भारतीय उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन दोनों शामिल हैं।
- जैव विविधता: यहाँ पैंथर, जंगली बिल्लियाँ, चीतल (चित्तीदार हिरण), सांभर, भौंकने वाले हिरण, जंगली सूअर, सियार, लंगूर, रीसस मकाक, सुस्त भालू, उड़ने वाली गिलहरियाँ, लकड़बग्घा और सिवेट सहित विभिन्न प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं।
- अजगर, साँप और छिपकली जैसे सरीसृप यहाँ सामान्यतः पाए जाते हैं।
- यहाँ पक्षियों की भरमार है, जिनमें शिकारी पक्षी, मृतजीवी पक्षी, जल पक्षी और बस्तर पहाड़ी मैना - छत्तीसगढ़ का राज्य पक्षी शामिल हैं।
- तितली, पतंगे और ड्रैगनफ्लाई जैसे कीटों के साथ-साथ ब्रायोफाइट्स और टेरिडोफाइट्स भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
- प्राकृतिक आकर्षण:
- इसमें तीरथगढ़ झरना, कुटुमसर गुफाएँ, कैलाश गुफा और भिसादरहा जैसे प्रमुख आकर्षण शामिल हैं।
- पश्चिम से पूर्व की ओर बहने वाली कांगेर नदी पार्क को दो भागों में विभाजित करती है और घाटी को इसका नाम देती है।
- संरक्षण स्थिति: जुलाई 1982 में इसकी समृद्ध वनस्पतियों और जीवों की सुरक्षा के लिये इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।