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उत्तर प्रदेश

12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में SIR 2.0 प्रारंभ

  • 28 Oct 2025
  • 25 min read

चर्चा में क्यों?

भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के राष्ट्रव्यापी गहन पुनरीक्षण की घोषणा की है, जिसमें 51 करोड़ मतदाता शामिल होंगे, जो 4 नवंबर 2025 से शुरू होगा, अंतिम सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी एवं 1 जनवरी 2026 को अर्हक तिथि निर्धारित की गई है।

मुख्य बिंदु

  • उद्देश्य: भारत निर्वाचन आयोग का लक्ष्य त्रुटिरहित मतदाता सूची तैयार करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं तथा कोई भी अपात्र मतदाता शामिल न हो।
  • विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का क्रियान्वयन: SIR में उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप शामिल होंगे।
    • इन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों का चयन उनके उच्च प्रतिशत वाले मतदाता सर्वेक्षण और पर्याप्त प्रशासनिक तैयारियों के कारण किया गया है, जिनमें प्रशिक्षित बी.एल.ओ., ज़िला मजिस्ट्रेट और ई.आर.ओ. शामिल हैं।
  • महाराष्ट्र को इससे बाहर रखा गया है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार 31 जनवरी, 2026 तक स्थानीय चुनाव कराना अनिवार्य है।
  • केरल को भी इससे बाहर रखा गया है, क्योंकि स्थानीय चुनावों पर चर्चा अभी भी चल रही है और अभी तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं की गई है।
  • प्रक्रिया और सत्यापन मानक: देशव्यापी SIR के दौरान निवासियों को गणना के समय कोई दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • नामांकन प्रपत्र में अब अंतिम SIR (2002-2004) से अभिभावक या परिजनों का विवरण दर्ज करने के लिये एक नया कॉलम शामिल किया गया है।
  • जो मतदाता पहचान लिंक से वंचित रह जाएंगे, उन्हें पात्रता सिद्ध करने के लिये नोटिस जारी किये जाएंगे और इस प्रक्रिया में आधार केवल पहचान के प्रमाण के रूप में स्वीकार्य होगा।
  • लगभग 70–80% मतदाताओं के पूर्ववर्ती मतदाता सूची से डिजिटली जोड़ाव होने की संभावना है तथा प्रत्येक मतदाता को केवल एक हस्ताक्षरित प्रपत्र ही प्रस्तुत करना होगा।

विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)

  • परिचय: यह एक केंद्रित, समयबद्ध घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन प्रक्रिया है, जिसे मतदान केंद्र स्तर के अधिकारी (BLOs) द्वारा प्रमुख चुनावों से पूर्व मतदाता सूचियों को को अद्यतन और सही करने हेतु संचालित किया जाता है।
    • यह प्रक्रिया नई प्रविष्टियों, विलोपन और संशोधन की अनुमति देकर मतदाता सूची को सटीक, समावेशी तथा त्रुटिरहित बनाती है।
    • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21 भारत निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची तैयार करने और संशोधित करने का अधिकार देती है, जिसमें किसी भी समय विशेष पुनरीक्षण कराए जाने का प्रावधान है।
  • SIR का संवैधानिक आधार: अनुच्छेद 324 भारत के निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने का पर्यवेक्षण तथा नियंत्रण करने की शक्ति प्रदान करता है। 
    • अनुच्छेद 326 सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की गारंटी देता है, जिसके तहत 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के नागरिकों को मतदान का अधिकार है, जब तक कि उन्हें आपराधिक दोषसिद्धि, विकृत मस्तिष्क या भ्रष्टाचार के कारण कानून द्वारा अयोग्य घोषित न कर दिया जाए। 
  • पूर्व मतदाता सूची संशोधन प्रक्रियाएँ: देश के विभिन्न भागों में 1952-56, 1957, 1961, 1965, 1966, 1983-84, 1987-89, 1992, 1993, 1995, 2002, 2003 और 2004 में मतदाता सूची संशोधन प्रक्रियाएँ आयोजित की गई थीं। बिहार में, पिछली मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया वर्ष 2003 में आयोजित की गई थी। 
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